बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी), मेसरा के प्लैटिनम जयंती समारोह में भारत की माननीय राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संबोधन
रांची : 15.02.2025
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मुझे आप सब के बीच आकर अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मेसरा, अपने 70 वर्ष पूरे करने जा रहा है जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इस संस्थान ने देश के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया है। मैं आपको तथा इस अग्रणी संस्थान से जुड़े सभी लोगों को बीआईटी की प्लेटिनम जुबली पर हार्दिक बधाई देती हूँ!
बीआईटी एक गुणवत्तापूर्ण और उत्कृष्ट संस्थान बनाने का पूरा श्रेय यहाँ के भूतपूर्व और वर्तमान संकाय सदस्यों, प्रशासकों और वर्तमान तथा पूर्व छात्र- छात्राओं को जाता है। आपके संस्थान ने इस खनिज-समृद्ध क्षेत्र, जो एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र भी है, में इंजीनियरिंग शिक्षा प्रदान करने का उल्लेखनीय कार्य किया है। मैंने झारखंड के राज्यपाल के रूप में इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में कार्य किया है। मुझे इस संस्थान की समृद्ध विरासत पर भी गर्व है। जब भी मैं झारखंड आती हूँ, तो मुझे ऐसा अनुभव होता है जैसे मैं अपने घर आई हूँ। बीआईटी इस राज्य के इतिहास का अभिन्न हिस्सा रहा है।
प्लेटिनम जुबली का यह अवसर इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी तथा संबद्ध क्षेत्रों में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में इस संस्थान के योगदान का उत्सव मनाने और उसे सम्मानित करने का सर्वथा उपयुक्त अवसर है। यह आयोजन छात्रों, पूर्व छात्रों और संकाय सदस्यों की उपलब्धियों तथा शिक्षा, अनुसंधान, अवसंरचना और सामाजिक क्षेत्र में उनके योगदान को सराहने का अवसर है।
बीआईटी कई क्षेत्रों में अग्रणी रहा है। वर्ष 1964 में, देश का पहला अंतरिक्ष इंजीनियरिंग और रॉकेट्री विभाग इसी संस्थान में स्थापित किया गया था। इंजीनियरिंग उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले स्थापित किए गए ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता पार्कों’ (STEP) में से एक की स्थापना भी वर्ष 1975 में यहीं की गई थी। यह पूर्वी भारत का एकमात्र ऐसा प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भी है जो लगभग 20 विषयों में विज्ञान, प्रबंधन और इंजीनियरिंग में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर और डॉक्टरेट स्तर की शिक्षा प्रदान करता है।
प्रतिभा को पोषित करने की इस संस्थान की शानदार संस्कृति इसके पूर्व छात्रों की उपलब्धियों में भी परिलक्षित होती है। इस संस्थान के छात्र-छात्राएँ शिक्षा, उद्यमिता, उद्योग, प्रशासनिक सेवाएं, पत्रकारिता, साहित्य और खेल जैसे जीवन के हर क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। मुझे बताया गया है कि बीआईटी ने हाल ही में अपने पारंपरिक विषयों से इतर मात्रात्मक अर्थशास्त्र और डेटा विज्ञान, मानविकी और एनीमेशन तथा मल्टीमीडिया संबंधी पाठ्यक्रम भी शुरू किए हैं। प्रौद्योगिकी और मानविकी वास्तव में एकदूसरे के पूरक हैं, और उन्हें एक साथ लाना ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ के विजन के अनुरूप भी है।
देवियो और सज्जनो,
हमारा युग तकनीक का युग है। उदाहरण के लिए, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई प्रगति ने हमारे जीने के तरीके को बदलकर रख दिया है। कल तक जो अकल्पनीय था, वह आज वास्तविकता बन चुका है। जिस तरह मोबाइल टेलिफोनी ने हमारे आस पास की दुनिया को बदल कर रख दिया है ऐसे बहुत कम आविष्कार है। यह देखकर खुशी होती है कि मोबाइल टेलीफोनी की यह प्रगति समाज के अधिकांश लोगों के लिए सुलभ है। डिजिटल-पहुंच संबंधी अंतर बहुत तेजी से कम हो रहा है। हालाँकि, डिजिटल-पहुंच की सुलभता से साइबर अपराधों में वृद्धि हुई है, लेकिन इस संबंध में जागरूकता पैदा करके इनका मुकाबला भी किया जा रहा है।
आने वाले वर्ष, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति होने के कारण और भी अधिक परिवर्तनकारी होने जा रहे हैं। चूंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अर्थव्यवस्थाओं को तेजी से प्रभावित कर रहा है, इसलिए भारत सरकार इस बदलते परिदृश्य से निपटने के लिए तत्परता से कदम उठा रही है। उच्च शिक्षा संस्थानों में एआई संबंधी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए कई पहलें की जा रही हैं। बीआईटी वास्तव में इस मामले में अग्रणी है; क्योंकि इसने वर्ष 2023 में ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग में बी.टेक. कोर्स शुरू कर दिया था।
एआई तथा अन्य तकनीकों की वजह से आया बदलाव, हमारी भाषाओं में भी दिखाई दे रहा है। उदाहरण के लिए, कुछ साल पहले तक 'विध्वंस (disruption)' शब्द का अर्थ नकारात्मक ढंग से लिया जाता था। किन्तु अब इसे सकारात्मक रूप से लिया जा रहा है। सामान्य प्रक्रिया में किसी विशेष रुकावट या विचलन को अब स्वागत योग्य माना जाता है। किन्तु, चूंकि तकनीक समाज में आमूल- चूल परिवर्तन सकती करती है, इसलिए मेरा मानना है कि हमें हाशिए पर पड़े वर्गों पर इसके प्रभाव के बारे में विचार करना चाहिए। जो भी बड़े अवसर पैदा हो रहे हैं, वे सभी के लिए उपलब्ध होने चाहिए; जो भी परिवर्तनकारी कार्य हो रहे हैं, उनका लाभ सभी को मिलना चाहिए।
फिर भी, मैं आशान्वित हूँ। मेरी उम्मीदों के सैकड़ों कारण हैं, और वे सभी यहाँ मेरे समक्ष हैं। मैं युवाओं की बात कर रही हूँ; जिनका उत्साह और प्रतिबद्धता 'विकसित भारत' के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मुझे यहाँ इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित बालिकाओं को देखकर विशेष प्रसन्नता हो रही है। जब मैं देश भर में उच्च शिक्षण संस्थानों का दौरा करती हूँ, तो मैं देखती हूँ कि हमारी बेटियाँ उत्कृष्टता के मानक को और भी ऊँचाई पर ले जा रही हैं। वे न तो विज्ञान के क्षेत्र में पीछे हैं और न ही प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग तथा गणित के क्षेत्र में।
मैं यहाँ एक सुझाव भी देना चाहूँगी। प्रायः, हमारे आस-पास की समस्याओं के लिए किसी बड़े तकनीकी हस्तक्षेप की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए, हमें छोटे पैमाने के पारंपरिक समाधानों के महत्व को नहीं भूलना चाहिए। वास्तव में, नवोन्मेषकों और उद्यमियों द्वारा पारंपरिक समुदायों के ज्ञानाधार को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
मुझे विश्वास है कि बीआईटी, मेसरा भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सतत विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता रहेगा। मैं एक बार फिर से इस प्रतिष्ठित संस्थान से पूर्व व वर्तमान में जुड़े सभी व्यक्तियों को इसकी प्लेटिनम जुबली के अवसर पर बधाई देती हूँ और आपके सभी भावी प्रयास सफल हों! ऐसी कामना करती हूँ।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!