अहमदाबाद में राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान के दीक्षांत समारोह में भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संबोधन
अहमदाबाद : 27.02.2025
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आज यहां आपके बीच उपस्थित होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। मुझे यहां का वातावरण काफी सुखद और प्रेरणादायक लग रहा है। अहमदाबाद, स्वाधीनता के बाद के भारत के कुछ विशिष्ट शैक्षिक कार्यक्रमों का स्थान रहा है और राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान का नाम उनमें शामिल है। एनआईडी वास्तव में न केवल देश में शिक्षा और अभ्यास के डिज़ाइन का अग्रणी संस्थान है, बल्कि अपने अनूठे शिक्षण तरीके के लिए भी इसका अग्रणी स्थान है। इसके अध्यापकों और विद्यार्थियों ने इस क्षेत्र में उत्कृष्टता के मानक को लगातार ऊंचा रखा है। मुझे विश्वास है कि आज अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले विद्यार्थी इस महान परंपरा को बनाए रखेंगे।
डिज़ाइन का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है, लेकिन संक्षेप में यह एक बहुत ही सरल अवधारणा है। डिज़ाइन की सोच का एक उदाहरण पहिये का आविष्कार है और जिससे दुनिया में बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ। डिज़ाइन कुछ ऐसा भी बन सकता है जो देखने में अच्छा लगे। उदाहरण के लिए, पिछले महीने गणतंत्र दिवस ‘स्वागत- समारोह’ कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र एनआईडी द्वारा डिज़ाइन किया गया था। इसमें दक्षिण भारत से जुड़े दृश्य शामिल थे, और सभी ने इसकी बहुत प्रशंसा की।
डिज़ाइन की अवधारणा के कई आयाम हैं और एनआईडी ने उन सभी में उत्कृष्टता हासिल की है और इनमें ‘समाज की बेहतरी के लिए एक सेवा के रूप में डिज़ाइन’ पर ज़ोर दिया गया है। हमारे चारों ओर बहुत सी समस्याएं हैं, और उनमें से बहुत सी समस्याओं को बहुत अधिक संसाधनों से नहीं बल्कि उनके मूल में जाकर बदला जा सकता है। सृजनात्मक विचारों से ऐसे समाधान निकाले जा सकते हैं, जिनसे जीवन आसान बन सके, विशेषकर वंचित समुदायों के लोगों का जीवन। दूसरे शब्दों में कहें तो डिज़ाइन पर अक्सर हम कम ध्यान देते हैं लेकिन हमारे देश के सामाजिक और आर्थिक विकास का यह एक महत्वपूर्ण कारक है।
परंपरागत रूप से हमारे देश में, डिज़ाइन सभी समुदायों के रोजमर्रा के जीवन के ताने-बाने में शामिल है। कुछ ऐतिहासिक तथ्य अच्छी तरह से ज्ञात हैं, और मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि एनआईडी ने कम प्रचलित डिज़ाइन परंपराओं का अध्ययन करने में अनुकरणीय कार्य किया है। मुझे विश्वास है कि इस संबंध में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। हमें अधिक पारंपरिक समाजों की डिज़ाइन प्रणालियों सहित ज्ञान प्रणालियों का अध्ययन और दस्तावेज़ीकरण करने की आवश्यकता है। मेरा मानना है कि उनकी सांस्कृतिक प्रथाएँ, इक्कीसवीं सदी में दुनिया के सामने आने वाली कुछ चुनौतियों का समाधान दे सकती हैं। इसलिए, भारत की विविध संस्कृतियों के ऐतिहासिक समाधानों को पुनर्जीवित करने और उनका नवाचार सहित उपयोग करने से न केवल राष्ट्र को लाभ मिलेगा बल्कि वैश्विक प्रगति में भी योगदान मिलेगा।
डिज़ाइन, परंपरा और आधुनिकता के बीच एक सेतु की तरह कार्य करता है। यह एक तरफ ग्रामीण और आदिवासी समुदायों का समय की कसौटी पर परखा गया ज्ञान, शिल्प और कलात्मक प्रथाओं को एक साथ लाता है, और दूसरी ओर समकालीन तकनीकों और डिज़ाइन सिद्धांतों को भी जोड़ता है। इससे नवाचार को बढ़ावा मिलता है और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी संरक्षण होता है। यह ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष महत्व रखता है, जहाँ स्थायी आजीविका सृजित करने के लिए पारंपरिक कौशल को आधुनिक आवश्यकताओं तक बढ़ाने, अनुकूलित करने और एकीकृत करने की आवश्यकता है। एनआईडी के आउटरीच कार्यक्रम ने पूरे भारत में पारंपरिक और सामाजिक क्षेत्रों के साथ विशेषज्ञता साझा करके इसका उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह कारीगरों के साथ सहयोग करके शिल्प के लिए नए बाजार की संभावनाओं का पता लगाने को बढ़ावा देता है।
हमारे डिज़ाइनरों ने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए डिज़ाइन की क्षमता को साबित किया है। वे समाज के लिए प्रभावशाली डिज़ाइन तैयार कर रहे हैं और स्वास्थ्य सेवा, आवास और स्वच्छता जैसे अहम क्षेत्रों में सुधार ला रहे हैं। वे अपने कौशल और विशेषज्ञता का उपयोग दुनिया की वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए कर रहे हैं, जिसका प्रभाव अक्सर हाशिए पर रह रहे समाज पर पड़ रहा है। इस तरह, वे शहरी-ग्रामीण दूरी को कम करने में भी सहयोग कर रहे हैं। डिज़ाइनरों की विशेषज्ञता का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचना जरुरी है, जिससे न्यायसंगत और संतुलित विकास को बढ़ावा मिले।
एनआईडी ऐसे सभी सराहनीय कार्यों में सबसे आगे रहा है। इसके अलावा, इसने डिज़ाइन शिक्षा की समस्या पर भी उसी रचनात्मक सोच को अपनाया है और अपना स्वयं का एक मॉडल बनाया है। समस्या के समाधान के लिए इसका अंतःविषयक, समग्र दृष्टिकोण अन्य शैक्षणिक संस्थानों को मूल्यवान सीख देता है। वास्तव में, शिक्षा प्रणाली में डिज़ाइन शिक्षाशास्त्र को जोड़ देने से सीखना और भी अधिक सार्थक हो सकता है।
आप में से जो आज पढ़ाई पूरी कर रहे हैं, वे भाग्यशाली रहे हैं कि इस महान संस्थान के प्रख्यात शिक्षकों और चिकित्सकों ने पढ़ाया है। आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर, मैं आपसे कुछ कहना चाहूँगी। इस जगह ने आपको कौशल सिखाया है और आपकी प्रतिभा को निखारा है। जैसे ही आप दुनिया में कदम रखेंगे और अपना करियर शुरू करेंगे, आपको निश्चित रूप से याद आएगा कि यह असाधारण शिक्षा हमारे समाज द्वारा संभव हुई है और जब भी आपको समाज के लिए कुछ करने का अवसर मिलेगा, तो आप उसे प्रसन्नता से करेंगे, चाहे वह किसी भी रूप में किया जाए।
डिज़ाइन में, जैसा कि मैं इसे समझती हूँ, पहले इसका स्वरूप बनता है और फिर उस पर कार्य किया जाता है। आकर्षक चीजें तैयार करना एक रचनात्मक कार्य है और इससे प्रसन्नता तो होती ही है, आर्थिक लाभ भी मिलता है। लेकिन आपको इसका कार्यात्मक पहलू भी याद रखना चाहिए। कुछ समस्याएं होती हैं जो केवल समाधान की प्रतीक्षा करती हैं। आपकी सृजनात्मक सोच लोगों के जीवन को बदल सकती है। गांवों में कुछ समय बिताएँ, और यदि संभव हो तो दूरदराज के इलाकों में लोगों के साथ समय बिताएं। इससे दुनिया को देखने के नए तरीके सामने आएंगे, और यदि आप अपनी शिक्षा से वहाँ के लोगों की मदद कर सकते हैं, तो यह और भी बेहतर होगा। आप छोटे से 'चरखे' के बारे में विचार करें और फिर गांधीजी के बारे में सोचें जिन्होंने इसे पुनः स्थापित किया और इसके डिज़ाइन को बेहतर बनाने के लिए लोगों का आह्वान किया। उनका एकमात्र उद्देश्य लाखों लोगों को गरीबी से मुक्ति दिलाना था। डिज़ाइन के बारे में उनकी अवधारणा अपने आप में बहुत सुंदर थी।
मैं इस अवसर पर विद्यार्थियों के साथ-साथ अध्यापकों, प्रशासकों, निदेशक और शासी निकाय बधाई देती हूं। आप सभी को मेरी शुभकामनाएँ।
धन्यवाद।
जय हिंद!
जय भारत!