भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय विदेश सेवा प्रशिक्षु अधिकारियों द्वारा मुलाकात के अवसर पर संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 29.09.2022

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मैं आप सभी का राष्ट्रपति भवन में स्वागत करती हूँ। सर्वप्रथम मैं आप सभी को भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने पर बधाई देती हूं! मैं आपके उत्साह और सपनों को महसूस कर सकती हूं। आप आगे बढ़ने और अपनी पहचान बनाने के लिए जरूर उत्सुक होंगे। मैं आपके स्वभाव की सराहना करती हूं क्योंकि यही भारत में परिवर्तन लाएगा।

जब हम युवा थे, तब की तुलना में आज युवाओं के पास करियर के कहीं अधिक विकल्प उपलब्ध हैं। आप अपनी पीढ़ी के प्रतिभाशाली बुद्धिमानों में से हैं। आप कोई भी आकर्षक पेशा चुन सकते थे। लेकिन आपने देश की सेवा कोचुना है। IFS, विशेष रूप से, करियर में सेवा करने का अवसर प्रदान करता है और यह करियर उतना ही चुनौतीपूर्ण है जितना कि यह अच्छा है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करना बड़े सम्मान और सौभाग्य की बात है। आने वाले दशकों में आप दुनिया के साथ भारत के संबंधों को आकार देंगे। वास्‍तव में, आप इसके लिए भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे कि भारत भी कैसे विश्‍व को नया स्वरूप देता है।

प्रशिक्षु अधिकारियों,

मुझे बताया गया है कि 2021 बैच के 35 IFS प्रशिक्षु अधिकारियों में 15 महिला प्रशिक्षु अधिकारी हैं। हालांकि, मैं चाहती हूं कि ये संख्या और भी अधिक हो, फिर भी यह देखकर खुशी है कि हम बेहतर gender balance की ओर बढ़ रहे हैं। आप पूरे देश के विभिन्न भागों से हैं। आप सेवा में engineeringऔर medicine से लेकर management और humanities जैसी विविध पेशेवर पृष्ठभूमि से आए हैं। आप में से कई लोगों के पास काम करने का अनुभव है और कुछ ने सरकार में भी काम किया है।

मुझे यकीन है कि जब आपने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में फाउंडेशन कोर्स में भाग लिया तो आपने सीखने के सुअवसर का सर्वोत्तम उपयोग किया होगा। प्रशासन की कला और तरीके के बारे में जानने के लिए कक्षा में सीखने के अलावा, आप में से कुछ पहले ही 'aspirational districts' का दौरा कर चुके हैं और बाकी जल्दी ही दौरा करेंगे। यह आपको जमीनी हकीकत की बारीकियों और नागरिकों की अपेक्षाओं को समझने में सहायता करेगा। आपने सुषमा स्वराज इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन सर्विसेज में इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, और अब विदेश में language postings के लिए तैयार हैं।

इस प्रकार,आप अपने करियर के एक रोमांचक चरण में प्रवेश करने वाले हैं। विभिन्न भाषाओं के ज्ञान होने पर आपको कार्य के स्थान पर आसानी होगी। आप अन्य संस्कृतियों और दुनिया को अन्य नजरिए से देख पाएंगे। आप दुनिया भर में भारतीय डायस्पोरा द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान से विकसित करेंगे और बढ़ावा देंगे।

आपकी सेवा और भी रोमांचक होने वालीहै क्योंकि आप ऐसे समय में विदेश सेवा में अपना करियर आरंभ कर रहे हैं जब भारत एक नए आत्मविश्वास के साथ विश्व मंच पर उभरा है। आज दुनिया भारत को प्रशंसाभरी निगाह से देखती है। हाल के वर्षों में हमारे द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों में नई पहल हुई हैं। अनेक वैश्विक मंचों पर भारत ने निर्णायक पहल की है। कई क्षेत्रों में भारत की नेतृत्व क्षमता अब निर्विवाद है। भारत विकासशील दक्षिण एशिया में और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी देश के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

प्रशिक्षु अधिकारियों,

भारत की मजबूत स्थिति अन्य कारकों के साथ-साथ इसकी आर्थिकगतिविधियों के आधार पर बनी है। जहां दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं आज भी उनकी अर्थव्यवस्था पर महामारी के पड़े प्रभावों से निपटने की कोशिश कर रही हैं, वहीं भारत ने इस पर काबू पा लियाहै और यह विकास की ओर अग्रसर है। परिणामस्वरूप, भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेज विकास दर दर्ज कर रही है। वास्तव में, वैश्विक आर्थिक बहाली एक हद तक भारत पर टिकी हुई है।

विश्व मंच पर भारत के खड़े होने का दूसरा कारण भारत की लोकनीति है।विश्व के साथ हमारे संबंध हमारे सदियों पुराने मूल्यों पर आधारित हैं। भारतीय विदेश सेवा आपको भारत की गौरवशाली सभ्यता, विरासत और संस्कृति के साथ-साथ भारत की विकासात्मक आकांक्षाओं को बाकी देशों के समक्ष रखने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। जब हम कहते हैं कि हम विश्व को कुटुंब के रूप में देखते हैं, तो यह केवल एक कहावत नहीं है। महामारी के पहले दो वर्षों के दौरान, हमने बड़ी संख्या में देशों को साजो-सामान से सहायता प्रदान की, चाहे वह जीवन रक्षक उपकरणों की आपूर्ति हो या भारत में निर्मित टीके प्रदान करके सहायता करनी हो। हम इसी करुणा और संवेदनशीलतासे सभी के साथ व्यवहार करते हैं।

साथ ही राष्ट्रहित हमारे लिए सर्वोपरि है। आत्मनिर्भर भारत का आह्वान 'इंडिया फर्स्ट' के सिद्धांत पर आधारित है। मेरा मानना ​​है कि आत्मनिर्भरता के इस आह्वान की जड़ें गांधीजी के स्वदेशी के आह्वान से जुड़ी हैं। राष्ट्रपिता नागरिकों के प्रति हमारी जिम्मेदारी के साथ दुनिया के प्रति हमारी जिम्मेदारी में संतुलन बनाए रखने में विश्वास करते थे। भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है, और गरीबी मिटाने के लिए इसे संसाधनों की आवश्यकता है।

प्रशिक्षु अधिकारियों,

ये कोई नई बात नहीं है कि दुनिया दिन-प्रतिदिन और अधिक जटिल होती जा रही है। खैर, परिवर्तनही निश्चित है, लेकिन पिछली दो शताब्दियों में परिवर्तन की गति तेज हुई है। कम से कम कहे तो इस शताब्दी में अब तक परिवर्तन की गति नाटकीय रही है। कई मोर्चों पर हो रहे परिवर्तन अच्छे अवसर तो प्रस्तुत करते हैं साथही बड़ी चुनौतियाँ भी सामने लाते हैं। उदाहरण के लिए नई प्रौद्योगिकियां हमें बेहतर स्वास्थ्य सेवा की उम्मीद देती हैं, किन्तु साथ ही वे मौजूदा व्यावसायिक पद्धतियोंको खतरे में भी डालती हैं। हम प्रौद्योगिकी का उपयोग अंतिम सिरे पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचने के लिए कर सकते हैं। साथ ही, प्रौद्योगिकी नए खतरों के साथ सुरक्षा प्रतिमान का भी पुनः निर्धारण करती है। राष्ट्र के रूप में, हमें अवसर प्राप्त हुआ है की हम अपने विकल्पों को फिर से स्थापित कर सकें।

यह समय जलवायु परिवर्तन का भी समय है। दुनिया पर्यावरण के दोहन से होने वालेखतरों के प्रति सजग हो गई है। आज मानवता को तत्काल ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों से निपटने और इस धरा को बचाने के तरीकों का पता लगाने की आवश्यकता है। सभी देशों को प्रौद्योगिकियों का आविष्कार करने और इन्हें साझा करने के इस मिशन में मिलकर कार्य करना चाहिए। भारत ने ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर ध्यान देकर विश्व में अग्रणी भूमिका निभाई है।

इस तेजी से बदलती दुनिया के बीच, उपलब्धअवसरों और खतरों के साथ, आपकी भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। यह आपकी बुद्धिमता की परीक्षा होगी कि आप इन कठिन परिस्थितियों को कैसे आसानी से पार करते हैं तथा भारत और दुनिया के लिए कैसे सर्वश्रेष्ठ सुनिश्चित करते हैं। लेकिन मुझे आपकी शिक्षा और आपके प्रशिक्षण पर पूरा भरोसा है। मुझे विश्वास है कि आप अपने साथी नागरिकों के सर्वोत्तम हित में भविष्य की चुनौतियों का हरसंभव तरीके से उत्तर देंगे।

इस पथ पर पहला कदम उठाने के लिए मैं आपको बधाई देती हूं और आपके आगे के जीवन के लिए शुभकामनाएं देती हूं।

धन्यवाद!  
जय हिन्द! 

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