भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2020 बैच के अधिकारियों से भेंट के अवसर पर संबोधन
राष्ट्रपति भवन : 25.08.2022
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युवा साथियों,
2020 बैच के IAS अधिकारियों के आपके समूह से मिलकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।
मैं राष्ट्रपति भवन में आप सभी का हार्दिक स्वागत करती हूं। मैं आप में से प्रत्येक को अपने जीवन में उस मुकाम पर पहुंचने के लिए भी बधाई देती हूं जहां से आप अपनी भावी मंजिल की ओर बढ़ेंगे।
एक सुंदर कहावत है "Well begun is half done”। मैं, सभी सिविल सेवाओं के लिए बुनियादी ‘आरंभ’कार्यक्रम, एक प्रशंसनीय कदम मानती हूं। यह हमारे युवा सिविल सेवकों को व्यापक अनुभव और क्रॉस-फंक्शनल विमर्श के साथ अपना करियर शुरू करने का अवसर देता है। आपने जो सीखा है और जो बॉन्डिंग आपने विकसित की है, वह आपके करियर के दौरान आपको लाभ पहूंचाएगी।
मुझे बताया गया है कि 2015 के बैच से लेकर,आईएएस के सभी बैच के अधिकारियों को भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में तीन महीने के लिए सहायक सचिवों के रूप में तैनात किया जाता है। मैं समझती हूं कि वर्तमान बैच ने इस पोस्टिंग का पर्याप्त हिस्सा पहले ही पूरा कर लिया है। मुझे यकीन है कि जब आप अपनी पोस्टिंग पर जाएंगे और इस तरह के कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर लागू करेंगे तब प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों के बारे में आपका ज्ञान आपको बेहतर योगदान देने में मदद करेगा । केंद्रीय मंत्रालयों के कामकाज के बारे में आपका अनुभव आपको अपने कामकाज में राष्ट्रीय उद्देश्यों को शामिल करने में भी सहायता करेगा। आपको जो बड़ा दायरा देखने को मिल रहा है, वह आपको स्थानीय प्रणालियों और योजनाओं को कुशलतापूर्वक चलाने में मदद करेगा।
मित्रों,
आप एक ऐतिहासिक क्षण में सिविल सेवाओं में शामिल हुए हैं। स्वतंत्र देश के रूप में हमने 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं। हम, अगले 25 वर्षों को भारत को नए रूप में देखने और इसे एक विकसित देश बनाने के काल के रूप में देख रहे हैं। आज आप अपने करियर के आरंभिक दौर में हैं। वर्ष 2047 तक, आप वरिष्ठतम निर्णयकर्ताओं में शामिल होंगे। उत्साह और गौरव के साथ काम करते हुए, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि 2047 का भारत अधिक समृद्ध, सुदृढ़ और खुशहाल भारत हो।
पिछले 75 वर्षों में, हम सब भारत के लोगों ने अपनी जीवन प्रत्याशा को 32 वर्ष से बढ़ाकर लगभग 71 वर्ष कर लिया है, और यह स्वतंत्रता के बाद की बेस लाइन के दोगुने से भी अधिक है। हमारी साक्षरता दर में चार गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है और यह 18 फीसदी से कुछ अधिक से बढ़कर करीब 78 फीसदी हो गई है। हमारी जीडीपी 10 गुना बढ़ गई है और हमारी 3.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन गई है। और भी बहुत कुछ है जो हमें भारत के नागरिक होने पर गर्व अनुभव कराता है। स्वतन्त्रता के बाद के सिविल सेवकों की पीढ़ियों ने भी इन सभी उपलब्धियों में योगदान दिया है। मैं इसके लिए सिविल सेवा-फ्रेटरनिटी की सराहना करती हूं।
लेकिन नया भारत और भी बहुत कुछ चाहता है। यह वृद्धि और विकास के सभी प्रमुख मानकों पर वैश्विक समुदाय में वृहत्तर स्थान चाहता है। सिविल सेवकों के रूप में, ज्ञान, आपूर्ति-श्रृंखला, नवाचार, प्रौद्योगिकी-विकास और विभिन्न अन्य क्षेत्रों के वैश्विक केंद्र के रूप में भारत के उभरने में आपको महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। साथ ही, सामाजिक रूप से समावेशी और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ विकास के क्षेत्रों में भारत ने जो नेतृत्वकारी स्थिति निर्मित की है, उसे भी मजबूत करना है।
2047 के उस भारत को आकार देने के लिए आपको आधुनिक और सेवा-भावी सोच के साथ काम करना होगा। मिशन कर्मयोगी हमारे सिविल सेवकों को अपनी कार्यनीति में अधिक आधुनिक, गतिशील और संवेदनशील बनाने की दिशा में एक प्रमुख पहल है।
मित्रों,
मैं अपने देश के एक दूरस्थ और कम विकसित हिस्से में पली-बढ़ी हूं। मेरे बचपन से लेकर सार्वजनिक सेवा के दिनों तक, मैंने सभी प्रकार के सिविल सेवकों को देखा है। मैंने प्रतिबद्ध सिविल सेवकों को देखा है जो उत्साह से दूर-दराज के गांवों में लोगों की मदद करने के लिए पहुंचते थे। मैंने यह भी देखा है कि यदि किसी कार्यक्रम में अधिक से अधिक लोग भाग लेते हैं तो वह अधिक सफल होता है। सार्वजनिक सेवा के अपने जीवन में, मैंने देखा है कि लोगों की भागीदारी स्वच्छता, शिक्षा, स्वरोजगार और कई अन्य क्षेत्रों के क्रियाकलापों की सफलता की कुंजी रही है। आपको सार्वजनिक सेवा के प्रमुख कार्यक्रमों में आम लोगों को शामिल करने का प्रयास करना चाहिए।
अवसंरचना क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय बढ़ोतरी के बल पर, देश के दूरदराज के हिस्सों तक पहुंचना आसान हो गया है। मैं अपेक्षा करती हूं कि आप अपनी जिम्मेदारी वाले क्षेत्र में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति या सर्वाधिक वंचित व्यक्ति तक पहुंच बनाएं और उसके जीवन में सुधार लाने का कार्य करें। वे उन लोगों के लिए अवसर के द्वार खोल सकते हैं जिन्हें कल्याणकारी योजनाओं या विकास कार्यक्रमों की जानकारी नहीं होती है। युवा साथियों, याद रखें कि किसी भी कल्याणकारी पहल को वास्तव मेंतभी सफल माना जा सकता है जब उसका लाभ गरीबों, वंचितों और हमारे समाज के सबसे निचले वर्ग के अन्य लोगों तक पहुंच सके। वास्तव में आपको ऐसे वंचित लोगों तक पहुंच बनाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि मदद के लिए वंचित लोगों को अधिकारियों तक पहुंच बनाने की परेशानी से गुजरना पड़े।
मित्रों,
आपने केंद्र सरकार में टीम वर्क देखा है। साइलो टूट रहे हैं। सिविल सेवकों के ऐसे उदाहरण हैं जो बिना किसी अनुचित प्रचार के सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से काम करते हैं।
सिविल सेवाओं का गहन विश्लेषण करने वाले विशेषज्ञों ने कहा है कि सिविल सेवकों को निम्नलिखित मार्गदर्शन में कार्य करना चाहिए:
- सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पण,
- कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति और करुणा,
- सत्यनिष्ठा और आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखना,
- निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठा।
मैं उम्मीद करती हूं कि हमारे सिविल सेवक निम्नलिखित के संबंध में विशेष रूप से जागरूक और सक्रिय हों:
- पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित संवैधानिक प्रावधान,
- अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों का प्रशासन और नियंत्रण, तथा
- छठी अनुसूची में उल्लिखित उत्तर-पूर्व के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन संबंधी प्रावधान।
मित्रों,
आधुनिक भारत के कई पक्षों के जनक के रूप में राष्ट्र सरदार पटेल का आभारी है। उन पक्षों में से एक ब्रिटिश साम्राज्य के "स्टील फ्रेम" को बदलना और इसे एक ऐसी सेवा बनाने का उनका दृढ़ विश्वास था जो पूरी तरह से भारतीय दृष्टिकोण और कार्यशैली वाला हो। सरदार पटेल ने कहा था, "आपके पूर्ववर्तियो का पोषण ऐसी परम्पराओं में हुआ था, जिनमें उन्होंने खुद को लोगों की आम दौड़ से अलग रखा। यह आपका परम कर्तव्य होगा कि आप भारत के आम लोगों को अपना मानें”। सरदार पटेल की अपेक्षा के अनुरूप, आप अपने उप-मंडलों में सबसे कम विकसित क्षेत्रों और लोगों की सेवा करने का संकल्प ले। आपमें मानव विकास सूचकांकों की दृष्टि से अपने क्षेत्र को 'नंबर वन' बनाने के उत्साह से भरा होना चाहिए। और आपको वंचितों के जीवन में परिवर्तन लाने में गर्व का अनुभव होना चाहिए। आपको उन सभी लोगों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए जिनकी सेवा करने के लिए आप कर्तव्यबद्ध हैं।। "वसुधैव कुटुम्बकम" – अर्थात संपूर्ण विश्व ही एक वृहद् परिवार है – यह मंत्र महान भारतीय लोकाचार का हिस्सा है। उसी प्रकार "भारतमेव कुटुम्बकम" - समूचा भारत ही मेरा परिवार है –यह मंत्र भी अखिल भारतीय सेवाओं से जुड़े सिविल सेवकों के लोकाचार का अभिन्न अंग होना चाहिए।
मेरा आपको एक परामर्श है। आप जो कुछ भी करेंगे, वह आम जनता, मीडिया और अन्य हितधारकों द्वारा चौबीसों घंटे बारीकी से नजर रखी जाएगी। अगले कुछ वर्षों में आम जनता और अन्य लोग आपके प्रदर्शन, योगदान, जीवनशैली और अन्य पहलुओं के बारे में अपनी राय बनाएंगे। वह छवि, आपके करियर और जीवन के लिए आपकी पेशेगत और सामाजिक पूंजी होगी। आप सौभाग्यशाली हैं कि आप अमृत काल में अधिकारियों के पहले बैच में हैं। आपको वर्ष 2047 के बैच तक आने वाले सफल बैचों का पथप्रदर्शक बनना होगा। यह आप सबके लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। मुझे विश्वास है कि आप इस अवसर का लाभ उठाएंगे और भविष्य के श्रेष्ठ भारत को आकार देने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे। मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामनाकरती हूँ।
धन्यवाद!
जय हिन्द!