भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशिक्षण अकादमी में 126वां प्रवेश प्रशिक्षण कार्यक्रम कर रहे राज्य सिविल सेवाओं से भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए अधिकारियों द्वारा मुलाकात के अवसर पर संबोधन
राष्ट्रपति भवन : 07.03.2025
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भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रिय अधिकारियो,
मैं आप सभी को पदोन्नत होकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने पर बधाई देती हूँ। यह आपके करियर में एक महत्वपूर्ण अवसर है।
मुझे बताया गया है कि आप पहले से ही अपने-अपने राज्य की सरकारों में 2 दशकों से अधिक समय तक सेवा कर चुके हैं। आप सबका काफी अनुभव है और शासन की बारिकियों की समझ रखते हैं। आपने अपने राज्यों के प्रशासन में योगदान दिया है और नागरिकों की आवश्यकताओं के बारे में आप अवगत हैं।
अब आप एक नई भूमिका में प्रवेश करने जा रहे हैं, आपकी भूमिक ऐसी हो जिससे आपके साथ काम करने वालों को सार्वजनिक सेवा में उत्कृष्टता से कार्य करने के लिए प्रेरणा मिले। आईएएस अधिकारियों के रूप में, आपको प्रशासनिक कार्य और सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने में राष्ट्रीय और समावेशी दृष्टिकोण अपनाना है। मुझे विश्वास है कि प्रवेश प्रशिक्षण से आपके दृष्टिकोण में निखार आएगा और प्रभावी शासन के लिए आप सब आवश्यक नवीनतम ज्ञान और कौशल का उपयोग कर पाएंगे।
प्रिय अधिकारियो,
आज के नागरिकों में बढ़ती जागरूकता और तकनीकी प्रगति के परिवर्तनशील माहौल में आपसे आशा की जाती है अपना कार्य सर्वश्रेष्ठ तरीके से करें और पारदर्शी, जवाबदेह, त्वरित और कुशल शासन के नए मानक स्थापित करें। इन अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए, डिजिटल शासन को अपनाना और उभरती हुई तकनीकों का पूरा लाभ उठाना आवश्यक है। इन तकनीकों से प्रशासनिक क्षमता बढ़ती है तथा अधिक उत्तरदायी, नागरिक-केंद्रित और पारदर्शी शासन में इनसे सहायता मिलती है।
उत्कृष्ट नतीजों के लिए व्यक्तियों, विभागों और संगठनों की ताकत और मुख्य क्षमताओं का लाभ उठाना सदा बेहतर होता है। इसका अभिप्राय है कि अलग- थलग रहकर कार्य करने की अपेक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। आपको नए विचारों, सोच और लीक से हटकर विचार करने के भाव को बढ़ावा देना चाहिए। आपको अंतर-विभागीय सहयोग को भी बढ़ावा देना है और चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार की समग्र सोच को अपनाते हुए नागरिकों को निर्बाध सेवाएं प्रदान करनी हैं।
इसके अलावा, शासन का मूल मंत्र लोगों की आवश्यकताओं के प्रति जवाबदेही और संवेदनशीलता में निहित है। नागरिक-केंद्रित प्रशासन में लोगों के कल्याण को प्राथमिकता दी जाती है, जिसमें गरीबों और वंचितों वर्गों पर ध्यान दिया जाता है। आपको यह सुनिश्चित करना है कि नीतियों और कार्यक्रमों को इस तरह से लागू किया जाए की जनता के सरोकारों के लिए प्रभावी तरीके से कार्य किया जा सके। इसके लिए एक सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण, मजबूत फीडबैक तंत्र तथा त्वरित और कुशल निवारण प्रणाली की आवश्यकता होती है।
प्रिय अधिकारियो,
विश्व में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं। भारत परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य की ओर अग्रसर है। देश की प्रगति को बढ़ाने के लिए निर्णायक रूप से कार्य करने और अटूट प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ने की तत्काल आवश्यकता है। आप जो निर्णय लें और जो नीतियां लागू करें उनसे हमारे देश और लोगों के विकास में योगदान मिलना चाहिए। आपके कार्य का आउटपुट और परिणाम सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के होने वाले समग्र परिणाम में साफ-साफ दिखेगा। आपका कार्य महत्वपूर्ण है और आप सब को इसे स्मरण रखना है। महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभाते समय आपको शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना है।
मैं आप सब से अपने कामकाज में स्थिरता और समावेशिता के सिद्धांतों को बनाए अपील करती हूं। आज जब हम जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तो पर्यावरण अनुकूल पहलों को बढ़ावा देना आवश्यक है। साथ ही, विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से वंचितों और हाशिए पर पड़े लोगों को मिलना चाहिए।
आपको अपने जीवन और करियर के हर आयाम में सत्यनिष्ठा और करुणा के मूल्यों को बढ़ाते चलना चाहिए। इन मूल्यों का आपके आस-पास के लोगों और हमारे देश के लोगों के जीवन पर सार्थक प्रभाव होता है।
मैं, आप सब के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ।
धन्यवाद!
जय हिंद!