भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का आईआईटी दिल्ली के हीरक जयंती समारोह के समापन समारोह के अवसर पर संबोधन

नई दिल्ली : 03.09.2022

डाउनलोड : भाषण भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का आईआईटी दिल्ली के हीरक जयंती समारोह के समापन समारोह के अवसर पर संबोधन(हिन्दी, 420.72 किलोबाइट)

मुझे, इस ऐतिहासिक अवसर पर आज यहां आपके बीच आकर प्रसन्नता हो रही है। यह दिन सिर्फ आईआईटी दिल्ली के लिए ही नहीं,बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है। अतीत और वर्तमान के सभी शिक्षक, छात्र और प्रशासक, शैक्षिक उत्कृष्टता के मानक को बढ़ाने के लिए प्रशंसा के पात्र हैं। वास्तव में, उनके योगदान को 2018 में मान्यता दी गई थी जब सरकार ने इसे Institution of Eminence घोषित किया था।

आईआईटी देश का गौरव रहे हैं। जब इस संस्थान ने 1961 में छात्रों को प्रवेश देना शुरू किया, भारत एक युवा गणराज्य था, और उस समय गंभीर गरीबी और अशिक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहा था। फिर भी, भारत बहुत क्षमतावान था। आईआईटी ने दुनिया के सामने शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की क्षमता प्रदर्शित की है। एक प्रकार से आईआईटी की कहानी स्वतंत्र भारत की कहानी है।

आईआईटी ने आज वैश्विक मंच पर भारत की बेहतर स्थिति में बहुत योगदान दिया है। आपकी फैकल्टी और एल्यूमिनी ने दुनिया को हमारी दिमागी ताकत दिखाई है। जिन्होंने यहां और अन्य आईआईटी में पढ़ाई की है उनमें से कुछेक अब दुनिया में छाई हुई डिजिटल क्रांति की अगुवाई कर रहेहैं। इसके अलावा, आईआईटी का विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी प्रभाव है। आईआईटियन जीवन के हर क्षेत्र में शिक्षा, उद्योग, उद्यमिता, नागरिक समाज, सक्रियता, पत्रकारिता, साहित्य और राजनीति में अग्रणी हैं। हाल ही में मैं आईएएस प्रशिक्षुओं के एक समूह सेमिली, मैंने देखा की उनमें कई आईआईटीयन हैं। आपका प्रभाव ऐसा है कि जीवन के सभी क्षेत्रों को छूता है। आंशिक रूप से इसके पीछे यह कारण भी है कि आईआईटी ने विज्ञान और इंजीनियरिंग में अपनी पारंपरिक ताकत के साथ-साथ बाहर भी प्रगति की है। आईआईटी में humanities, सामाजिक विज्ञान, डिजाइन, प्रबंधन और जन-नीति में गुणात्मक कार्यक्रम उपलब्ध हैं। यह बहु-विषयक दृष्टिकोण नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से मेल खाता है।

IIT दिल्ली ने, विशेष रूप से, शिक्षण और अनुसंधान के उच्च मानकों को बरकरार रखा है। आपके संकाय सदस्य समाज में योगदान के अलावा अत्याधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के लिए भी जाने जाते हैं। उनमें से कई को पद्म पुरस्कार, भटनागर पुरस्कार और अन्य उल्लेखनीय सम्मानों से नवाजा गया है। उन्होंने फैलो के रूप में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अकादमियों में भी योगदान दिया है।

अतीत और वर्तमान में IIT दिल्ली के छात्र अपनी पीढ़ी के कुशल बुद्धिमानों में से एक रहे हैं। इस संस्थान में सीट पाने की प्रतिस्पर्धा दुनिया के कुछ बेहतरीन विश्वविद्यालयों की तुलना में कठिन है। ऐसी चयन प्रक्रिया गुणवत्ता की मांग को दर्शाती है।

मूल IIT में से एक होने के नाते, यह संस्थान IIT समूह के कुछ नए सदस्यों, अर्थात् IIT रोपड़ और IIT जम्मू का mentor भी है। इस प्रकार, IIT दिल्ली ने दुनिया भर में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में IIT की छवि बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मित्रों,

ऐसे संस्थान को अक्सर आइवरी टावरों के रूप में अलग-थलग रहने का जोखिम रहता है। इसलिए यह जानकार और भी खुशी होती है कि IIT दिल्ली ने हमेशा अपने को वृहत्तर समुदाय का हिस्सा माना है और यह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी के प्रति संवेदनशील रही है। इसके सामाजिक सरोकार का ताजा उदाहरण महामारी के शुरुआती दौर में देखने को मिला। वायरस को रोकने की चुनौती को देखते हुए, IIT दिल्ली ने महत्वपूर्ण अनुसंधान और विकास परियोजनाएँ शुरू कीं। इसने रैपिड एंटीजन टेस्ट किट, पीपीई, antimicrobial fabrics, high efficiency face masks और कम लागत वाले वेंटिलेटर सहित अन्य चीजों को डिजाइन और विकसित किया। कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई में IIT दिल्ली का योगदान इस बात का उदाहरण रहा है कि कैसे इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट में भूमिका निभा सकते हैं।

इस संस्थान का गौरवशाली अतीत हमें आश्वासन देता है कि यह भविष्य में, भारत के अमृत काल में प्रवेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वर्ष 2047 तक, जब हम स्वतन्त्रता शताब्दी मनाएंगे, हमारे आस पास की दुनिया में चौथी औद्योगिक क्रांति के कारणभारी बदलाव हो चुका होगा। जिस तरह हम 25 साल पहले आज की दुनिया की कल्पना नहीं कर सकते थे, उसी तरह आज हम कल्पना नहीं कर सकते कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन कैसे जीवन को बदलदेंगे। हमारी बड़ी जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए, हमें भविष्य में सामान्यतौर पर आ खड़े होने वाले व्यवधानों से निपटने के लिए दूरदर्शिता और रणनीति की आवश्यकता होगी। रोजगार का स्वरूप तब पूरी तरह बदल जाएगा।

यदि हम भविष्य की अनिश्चितताओं से देश को बचाने के लिए कदम उठाते हैं, तो हमें rich demographic dividends प्राप्त हो सकते हैं। हमें अपने संस्थानों को, भविष्य को ध्यान में रखते हुए तैयार करने की जरूरत है। इसके लिए भविष्योन्मुखी नए teaching-learning matrix, pedagogy और कंटैंट की आवश्यकता होगी। मुझे विश्वास है कि प्रसिद्ध आईआईटी के साथ, हम चुनौती का सामना करने के लिए आवश्यक ज्ञान आधार और सही कौशल के साथ युवा पीढ़ी का प्रशिक्षण कर पाएंगे। तकनीकी क्रांति की अगली लहर से भारत को अत्यधिक लाभ होगा।

मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आईआईटी दिल्ली में बड़े पैमाने पर अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। आज उद्घाटन किए गए अनुसंधान और नवाचार पार्क(केंद्र), का उद्देश्य एक इको सिस्टम बनाना है जिसमें विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए छात्र, संकाय और उद्योग जगत विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

वर्ष 2047 को देखते हुए, जलवायु परिवर्तन एक गंभीर चुनौती पेश करता है। उच्च जनसंख्या आधार वाले एक विकासशील देश केतौर पर आर्थिक विकास के लिए हमें energy की बहुत आवश्यकता है। इसलिए हमें fossil fuels से renewable energy को अपनाने की आवश्यकता है। जैसा कि आप जानते हैं, भारत, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी आगे है। आने वाले वर्षों में, जब दुनिया उत्सुकता वश पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए तकनीकी समाधान तलाश रही होगी, मुझे विश्वास है कि भारत के युवा इंजीनियर और वैज्ञानिक सफलता हासिल करने में मानव जाति की मदद करेंगे।

सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में, देश को आईआईटी के इनपुट की अपेक्षाएं रहेंगी।

मित्रों,

मेरा मानना ​​है कि भारत में बहुत प्रतिभाएँ हैं जिनकी क्षमता का अभी पूरी तरह से उपयोग किया जाना बाकी है। समाज के दो वर्गों से समृद्ध प्रतिभा आती है, लेकिन इन विद्यार्थियों ने स्वतंत्रता के बाद ही बड़ी संख्या में शैक्षिक अवसरों तक पहुंच बनाना शुरू किया है।मैं यहां महिलाओं और वंचित समुदायों की बात कर रही हूं। शीर्षस्थ संस्थानों में उनकी संख्या आजकल बढ़ रही है। मुझे, आज यहां युवा छात्राओं को देखकर खुशी हो रही है। मैं समझती हूं कि आईआईटी दिल्ली की छात्राओं ने शुरुआती वर्षों से ही शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने सफलतापूर्वक इस मिथक को गलत साबित कियाहै कि बहुत कम महिलाएं 'स्टेम', यानी विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में उत्कृष्टता प्राप्त करती हैं। उनकी सफलता ने अधिक से अधिक लड़कियों को 'स्टेम’ में करियर बनाने और अन्य कुछ बाधाओं को तोड़ने के लिए प्रेरित किया है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने में, युवा महिलाओं का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है।

मैं,आज यहां सभी छात्रों से कहना चाहती हूं कि आप भाग्यशाली हैं की आप इस संस्थान में अपने जीवन के सबसे अच्छे समय में यहाँ आए हैं। कृपया अपने समय का सर्वोत्तम उपयोग करें, क्योंकि जिस तरह से आप अपने करियर और जीवन को निर्धारित करते हैं, वही भविष्य में भारत का भविष्य निर्धारित करेगा। मैं, आपसे आग्रह करूंगी की सभी नागरिकों के सरोकारों को ध्यान में रखें।

आज मुझे यहां आमंत्रित करने और हीरक जयंती समारोह में भाग लेने के लिए, मैं आईआईटी दिल्ली का धन्यवाद करती हूं। मैं एक बार फिर आप सभी प्रशासकों, शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों को आईआईटी दिल्ली इस स्तर पर लाने के लिए बधाई देती हूं। मेरा मानना ​​है कि इसका सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाकी है, और यह तय है की यह और भी अधिक ऊंचाइयों को छूएगी। आपके सुखद भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएं।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.