वस्तु और सेवा कर आरंभ करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नई दिल्ली : 30.06.2017
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1. अब से कुछ मिनटों में हम देश की एक समेकित कर प्रणाली वस्तु और सेवा कर के शुभारंभ के साक्षी बनेंगे। यह ऐतिहासिक क्षण चौदह वर्ष लंबी यात्रा की परिणति है जो दिसंबर, 2002 में आरंभ हुई, जब केलकर कार्यबल ने अप्रत्यक्ष कर निर्धारण पर मूल्य संवर्धित कर सिद्धांत पर आधारित एक व्यापक वस्तु और सेवा कर का सुझाव दिया था। वस्तु और सेवा कर शुरू करने का प्रस्ताव पहली बार वित्तीय वर्ष2006-07 के बजट भाषण में रखा गया था। चूंकि प्रस्ताव में न केवल केंद्र बल्कि राज्यों द्वारा भी लगाए गए अप्रत्यक्ष करों का पुनर्गठन व सुधार शामिल था,जबकि वस्तु और सेवा कर की रूपरेखा और कार्यान्वयन की कार्ययोजना तैयार करने का दायित्व राज्य वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति को सौंपा गया था जिसे मूल्य संवर्धित कर के कार्यान्वयन के लिए गठित किया गया था। अधिकार प्राप्त समिति ने नवंबर, 2009 में वस्तु और सेवा कर पर अपना पहला परिचर्चा पत्र जारी किया।
मित्रो,
2. वस्तु और सेवा कर की शुरुआत राष्ट्र के लिए एक ऐतिहासिक घटना है। यह मेरे लिए कुछ प्रसन्नता का क्षण भी है क्योंकि वित्त मंत्री के रूप में मैंने22 मार्च, 2011 को संविधान संशोधन बिल पेश किया था। मैं रूपरेखा और कार्यान्वयन के साथ नजदीकी से जुड़ा हुआ था तथा मुझे राज्य वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति से 16 बार औपचारिक और अनौपचारिक रूप से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ। मैं अनेक बार गुजरात,बिहार, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों से भी मिला। मुझे उन बैठकों तथा उठाए गए कई मुद्दों की साफ-साफ स्मृति है। कार्य की विराटता को देखते हुए जिसमें संवैधानिक,विधिक, आर्थिक और प्रशासनिक दायरे शामिल हैं,बहुत से विवादित मुद्दों का होना कोई आश्चर्य नहीं है। तथापि मुख्यमंत्रियों,वित्त मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठकों और चर्चाओं से पता चला कि उनमें से अधिकांश की वस्तु और सेवा कर आरंभ करने के प्रति एक रचनात्मक दृष्टिकोण और गहरी प्रतिबद्धता है। इसलिए मैं आश्वस्त बना रहा कि वस्तु और सेवा कर में समय लगेगा और यह अचानक कार्यान्वित हो जाएगा। मेरा आत्मविश्वास सही था जब 08सितंबर, 2016 को संसद के दोनों सदनों और पचास प्रतिशत से ज्यादा राज्य विधान सभाओं द्वारा बिल पारित हो गया,मुझे संविधान (101वां संशोधन) अधिनियम को स्वीकृति प्रदान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
मित्रो,
3. संविधान संशोधन के पश्चात् वस्तु और सेवा कर परिषद का संविधान के अनुच्छेद279ए के प्रावधानों के अनुसार गठन किया गया। परिषद जो वस्तु और सेवा कर के संबंध में केंद्र और राज्यों को आदर्श नियम, दर,छूट जैसी सभी सिफारिशों को करने के लिए जिम्मेदार थी,हमारे संविधान के लिए अनूठी बात है। यह केंद्र और राज्यों का एक संयुक्त मंच है जहां न तो केंद्र और न राज्य एक दूसरे के सहयोग के बिना कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं। यद्यपि संविधान में परिषद के निर्णय प्रक्रिया में एक विस्तृत मतदान ढांचा निर्मित किया गया है परंतु यह उल्लेखनीय है कि अब तक हुई 19 बैठकों में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए हैं। मैं उनको बधाई देता हूं। राज्यों में व्यापक अंतर को देखते हुए,यह शंका थी कि क्या हजारों वस्तुओं के लिए दर तय करने का कार्य वस्तु और सेवा कर परिषद द्वारा किया जा सकता है। परिषद ने इस कार्य को समय पर पूरा करके हममें से हरेक को आश्चर्य में डाल दिया है।
मित्रो,
4. कर निर्धारण के नए युग जिसे हम कुछ क्षणों में आरंभ करने जा रहे हैं,केंद्र और राज्यों के बीच व्यापक सर्वसम्मति का परिणाम है। इस सर्वसम्मति में न केवल समय लगा बल्कि इसे बनाने का प्रयास भी किया गया। यह प्रयास राजनीतिक दायरे के लोगों द्वारा किया गया जिन्होंने संकीर्ण पक्षपाती विचारों को एक तरफ कर दिया और राष्ट्र के हितों को सबसे आगे रखा। यह भारत के लोकतंत्र की परिपक्वता और प्रज्ञा के प्रति एक सम्मान है।
मित्रो,
5.मेरे जैसे व्यक्ति के लिए,जो कर निर्धारण और वित्त के मामलों के साथ गहराई से जुड़ा रहा है और जो बदलाव हम करने जा रहे हैं,वास्तव में प्रसन्नतादायक है। केंद्रीय उत्पाद कर का एक लंबा इतिहास रहा है। वित्त मंत्री के रूप में मेरे विभिन्न कार्यकालों के दौरान यह केंद्रीय राजकोष का एक सबसे बड़ा योगदानकर्ता रहा है। सेवा कर,अपेक्षाकृत रूप से नया है परंतु राजस्व के मामले में इसमें बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। वस्तु और सेवा कर के दायरे के बाहर कुछ वस्तुओं को छोड़कर अब इन दोनों से अतिरिक्त सीमा शुल्क,अतिरिक्त विशेष सीमा शुल्क और असंख्य उपकर और प्रभार समाप्त हो जाएंगे। वस्तु और सेवा कर के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं पर अंतरराज्यीय बिक्री पर केंद्रीय बिक्री कर समाप्त हो जाएगा। राज्य स्तर पर परिवर्तन का परिमाण कम नहीं है। समाप्त किए गए प्रमुख कर मूल्य संवर्धित कर अथवा बिक्री कर, प्रवेश कर,विज्ञापन कर और विलासिता कर, राज्य स्तरीय मनोरंजन कर और अनगिनत उपकर और प्रभार हैं।
मित्रो,
6.वस्तु और सेवा कर से हमारे निर्यात और प्रतिस्पर्धी बनेंगे और आयातों के साथ स्पर्धा करने के लिए घरेलू उद्योगों को बराबरी का स्तर मिलेग। वर्तमान में गिरावट का कारण,हमारे निर्यातों में कुछ कर हैं जिनसे वे कम प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं। इसी प्रकार गिरावट का छिपा हुआ प्रभाव यह है कि घरेलू उद्योग पर कुल कर समीक्षा पारदर्शी नहीं है। वस्तु और सेवा कर के अंतर्गत कर समीक्षा पारदर्शी बनेगी जिससे निर्यातों पर कर का भार पूरी तरह समाप्त हो जाएगा और आयातों पर घरेलू करों की पूरी समीक्षा होगी।
मित्रो,
7.मुझे बताया गया है कि वस्तु और सेवा कर एक आधुनिक विश्व स्तरीय सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली के माध्यम से संचालित की जाएगी। मुझे याद है कि जुलाई, 2010 में मैंने श्री नंदन नीलकेणी की अध्यक्षता में वस्तु और सेवा कर प्रणाली के लिए आवश्यक सूचना प्रौद्योगिकी तंत्र के विकास के लिए एक अधिकार प्राप्त समूह स्थापित किया था। तत्पश्चात् अप्रैल, 2012में वस्तु और सेवा कर कार्यान्वयन के लिए सरकार द्वारा एक विशेष उद्देश्य माध्यम अनुमोदन किया गया। यह सुनिश्चित करना था कि हम समय न गवाएं और जब भी वैधानिक रूपरेखा तैयार हो जाए वस्तु और सेवा कर को आगे बढ़ाने के लिए तकनीकी ढांचा तैयार होना चाहिए। मुझे बताया गया है कि प्रणाली की प्रमुख विशेषता यह है कि के्रता वस्तुओं पर अदा किए गए कर को तभी प्राप्त करेगा जब विके्रता वास्तव में सरकार को कर अदा करेगा। इससे क्रेता को तुरंत कर अदा करने वाले ईमानदार और अनुपालक विक्रेता से व्यवहार करने में अत्यंत लाभ होगा।
मित्रो,
8.वस्तु और सेवा कर बड़ा परिवर्तन है। यह वैट आरंभ करने की तरह है जिसका भी शुरुआत में विरोध किया गया था। जब इस प्रकार का बड़ा परिवर्तन किया जाता है तो यह चाहे कितना भी सकारात्मक हो इसके आरंभिक स्तरों पर थोड़ी बहुत समस्याएं और परेशानियां आती हैं। हमें समझदारी और तेजी के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए इनका समाधान करना होगा कि इनसे अर्थव्यवस्था की विकास गति पर प्रभाव न पड़े। ऐसे प्रमुख परिवर्तनों की सफलता सदैव इसके प्रभावी कार्यान्वयन पर निर्भर करती है। आने वाले महीनों में वास्तविक कार्यान्वयन के अनुभव के आधार पर वस्तु और सेवा कर परिषद तथा केंद्र और राज्य सरकारों को अब तक प्रदर्शित इसी रचनात्मक भावना के साथ लगातार इस रूप-रेखा की समीक्षा करनी होगी और सुधार करना होगा।
9. निष्कर्षतः,मैं, इस ऐतिहासिक विधान का निर्माण करने के शानदार प्रयास के लिए सभी की गहरी सराहना करता हूं।
धन्यवाद
जय हिंद।