वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद—भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में नई प्रयोगशाला के उद्घाटन तथा वैज्ञानिकों को संबोधित करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

चेन्नै, तमिलनाडु : 26.08.2013

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Speech by the President of India, Shri Pranab Mukherjee on the Occasion of Inauguration of Laboratory and Address to the Scientists at the CSIR Indian Institute of Petroleum1. आज की शाम भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में एक नए कच्चा तेल अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन करने के लिए आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए बहुत खुशी का अवसर है। इस संस्थान में प्रवेश करते हुए मुझे भारतीय पेट्रोलियम संस्थान द्वारा वनस्पति ईंधन संबंधी जांच के निष्कर्षों की समीक्षा करने के लिए संसदीय समिति के अध्यक्ष के रूप में 1995 में अपनी यात्रा का स्मरण हो आता है। यह संस्थान 1960 में तेल उद्योग के तृतीय सोपान के लिए अनुसंधान एवं विकास पर कार्य करने के लिए स्थापित किया गया था। यह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। मुझे इस विशिष्ट सभा के समक्ष अपने कुछ विचारों को व्यक्त करने के लिए यह मौका प्रदान करने हेतु मैं डॉ. मधुकर ओंकारनाथ गर्ग को धन्यवाद देता हूं।

2. इस अवसर पर मैं डॉ. शांति स्वरूप भटनागर को सादर श्रद्धांजलि देता हूं। उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू के पूर्ण समर्थन से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद तथा उन्नत अनुसंधान को जारी रखने के लिए सैंतीस राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं की शृंखला की स्थापना की थी। मुझे वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के साथ संबद्धता की सुखद याद है जब मैं वित्त मंत्री के रूप में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद सोसाइटी का सदस्य था। मुझे वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के बारे में दी गई प्रस्तुतियों को तथा देश की वैज्ञानिक प्रगति के लिए इसके द्वारा किए जा रहे शानदार कार्यों के बारे में सुनने का स्मरण है। पिछले पचास वर्षों से अधिक की अवधि के दौरान वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने ट्रेक्टर से लेकर चर्म उत्पाद, रसायन, पैट्रोरसायन, स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, खाद, जल तथा अति महत्त्वपूर्ण सेक्टरों सहित, हमारे देश में वैज्ञानिक और औद्योगिक अवसंरचना के विकास का नेतृत्व किया है। मुझे खासकर, उत्तराखंड में हाल की अभूतपूर्व आपदा में प्रभावित लोगों की सहायता के लिए किए गए उनके प्रयासों पर बहुत प्रसन्नता है। मैं वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद को अपनी सभी प्रयोगशालाओं के उत्पादों, प्रौद्योगिकियों, संसाधनों तथा ज्ञान को, संकटग्रस्त लोगों को पीने योग्य पानी, उच्च ऊर्जा भोजन, चमड़ा रहित जूते तथा अस्थाई आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए लगाने के लिए बधाई देता हूं।

3. देवियो और सज्जनो, आज के संदर्भ में ऊर्जा तथा ऊर्जा सुरक्षा का महत्त्व सर्वोपरि है। कच्चे तेल के बढ़ते मूल्य, देश की मुद्रा का अवमूल्यन तथा तेल के आयात मे वृद्धि के मद्देनजर, हमारे सामने महंगी ऊर्जा को खरीदने के लिए बहुत अधिक विदेशी विनिमय के लगने की चुनौती है। आज ऊर्जा सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा का पर्याय बन चुकी है। यह आकलन किया गया है कि 2030 तक हमें कच्चे तेल का 90 प्रतिशत, प्राकृतिक गैस का 60 प्रतिशत तथा कोयले की जरूरत का 57 प्रतिशत हिस्सा आयात से पूरा करना होगा। मैंने अभी तक अपने वैज्ञानिकों तथा प्रौद्योगिकीविदों को ऐसी परिचर्चा करते नहीं सुना कि हमारा देश ऊर्जा में आत्मनिर्भर कैसे होगा। यहां तक कि अधिक आशावादी विशेषज्ञ भी यह बताते हैं कि भारत के पास पर्याप्त ऊर्जा संसाधन मौजूद हैं। कुछ वर्ष पहले, अमरीका में भी ऐसी ही परिचर्चा सुनाई दी थी। परंतु अमरीका ने सभी को गलत सिद्ध कर दिया क्योंकि उसने शेल गैस की खोज करके खुद को एक बड़े ऊर्जा आयातक से आत्मनिर्भर देश के रूप में रूपांतरित कर दिया। यह शेल गैस की दक्षतापूर्ण निकासी में अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकीय खोज के कारण संभव हो पाया।

4. प्रौद्योगिकी में बड़े बदलाव लाने की विशाल शक्ति निहित है। प्रौद्योगिकी की ताकत के कारण बहुत से अपेक्षाकृत कमजोर देश कम समय में ही उभरती हुई अर्थ व्यवस्थाओं में बदले हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को, भारत को सबसे आगे के देशों की पंक्ति में ले जाने वाले उपाय के रूप में विधिवत् मान्यता दी गई है। हमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण को अपनी प्रगति में साझीदार बनाना होगा। हमारी भावी प्रगति औद्योगिक सेक्टर के लिए कुशल प्रक्रिया तथा शासन के लिए बेहतर समाधान तैयार करने की हमारी क्षमता पर निर्भर करेगी। यद्यपि, नवान्वेषण बहुत प्राचीन समय से हमारी सभ्यता की विशेषता रही है; यद्यपि, हमारे लोगों में पटुता की कोई कमी नहीं है; फिर भी हम आज नवान्वेषण गतिविधियों में उन्नत देशों से पीछे हैं। इस वर्ष अपनाई गई नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण नीति में, ज्ञान के ऊर्जा स्रोत के रूप में भारत के रूपांतर के लिए सभी शक्तियों को एकजुट करने का प्रयास किया गया है। हमारे नवान्वेषणों का उद्देश्य ज्ञान को आर्थिक संपत्ति तथा सामाजिक भलाई में बदलने का होना चाहिए; उनसे ऐसी प्रौद्योगिकियां विकसित होनी चाहिए जिससे आम आदमी को सहायता मिले। कृपया अल्बर्ट आइंस्टाइन की इस उक्ति को याद रखें कि, ‘व्यक्ति तथा उसके भविष्य के बारे में चिंता सभी तकनीकी प्रयासों का मुख्य ध्येय होना चाहिए’। यह जानकर खुशी हो रही है कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने गरीबों के हित के लिए प्रौद्योगिकियों, उत्पादों तथा सेवाओं को विकसित करने के लिए सीएसआईआर-800 मिशन शुरू किया है।

5. इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने हाल ही के संदेश में मैंने उल्लेख किया था कि प्रकृति और व्यक्ति के बीच संतुलन बरकरार रखा जाना चाहिए। हाल ही में उत्तराखंड में आई बाढ़ हम सभी के लिए चेतावनी है। हमें विकास की निरंरता बनाए रखने के लिए ऊर्जा चाहिए परंतु इसे पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित होना चाहिए। यह हमारे देशवासियों के लिए वहनीय भी होनी चाहिए। भावी प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए ये प्रमुख मानदंड हैं। ये चुनौतियां कठोर हैं परंतु यह इस महान संस्थान के वैज्ञानिकों सहित हमारे अनुसंधानकर्ता समुदायों के लिए यह रोमांचक अवसर भी है। उन्नत कच्चा तेल अनुसंधान केंद्र में अपने भ्रमण के दौरान बहुत से पर्यावरण अनुकूल नवान्वेषणों को, खासकर खराब प्लास्टि को ईंधन में बदलने तथा अखाद्य वनस्पति तेलों से जेट ईंधन बनाने की प्रौद्योगिकी देखकर मुझे बहुत खुशी हुई।

6. देवियो और सज्जनो, भारतीय पेट्रेलियम संस्थान हमारे देश का एक प्रमुख संस्थान है। यह हाइड्रो कार्बन उद्योग को प्रौद्योगिकीय सहायता प्रदान करता है। इसके पास क्रूड ऑयल फीड स्टाक्स के मूल्यांकन की खास दक्षता मौजूद है। इस संस्थान के उन्नत कच्चा तेल अनुसंधान केंद्र द्वारा किए गए व्यापक हाइड्रोकार्बन विश्लेषण का प्रयोग कच्चे तेल के मूल्यनिर्धारण, परिवहन तथा तेलशोधक कारखानों में नए कच्चे तेल की खपत, नए तेलशोधक कारखानों के डिजायन तैयार करने, तथा मौजूदा तेलशोधक कारखानों के विस्तार में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। यह गर्व की बात है कि इस प्रयोगशाला ने अब तक पांच सौ से अधिक कच्चे तेलों का मूल्यांकन किया है। इससे स्वदेशी तेलशोधन क्षमताओं को बहुत प्रोत्साहन मिला है। मुझे बताया गया है कि मुंबई हाई क्षेत्र से प्राप्त कच्चे तेल में शुरु में ढुलाई की कठिनाइयां थी परंतु इस प्रयोगशाला में इसके तत्त्वों के व्यापक रूप से विश्लेषण के बाद अब इसकी बहुत मांग बढ़ गई है। घरेलू तेल सेक्टर को इस प्रयोगशाला की गहन विशेषज्ञता तथा अनुभव से बहुत फायदा पहुंचा है।

7. इस प्रयोगशाला के सराहनीय कार्य से उद्योग की अपेक्षाएं बढ़ी हैं। जैसे-जैसे हमारे देश का तेल उद्योग विकसित हो रहा है, इसे और अधिक भारी तथा और अधिक जटिल कच्चे तेलों का शोधन करने की जरूरत होगी। भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में एक ऐसे नए उन्नत कच्चा तेल अनुसंधान केंद्र की स्थापना से हमारी जरूरतों को पूरा करने में सहायता मिलेगी जिसमें कच्चे तेल तथा संबद्ध उत्पादों के तत्त्वों के व्यापक रूप से विश्लेषण की सुविधा हो तथा भावी ईंधन को विकसित करने के लिए नवान्वेषी उपायों को खोजने के लिए अद्यतन अवसंरचना मौजूद हो। मुझे विश्वास है कि यह तेल उद्योग को महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान करने तथा हमारे देश की प्रौद्योगिकीय महत्वाकांक्षा में सहयोग देने के अपने प्रयोजन को पूरा करेगा।

8. देवियो और सज्जनो, महान संस्थाएं महान देश का निर्माण करती हैं। हमारे दूरदर्शी नेताओं ने भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों, भारतीय प्रबंधन संस्थान तथा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की प्रयोगशालाओं सहित बहुत सी राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित की थी। आपका प्रयास होना चाहिए कि इस संस्थान को विश्व स्तर का संस्थान बनाएं। हमारे उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों के विकास का उत्तरदायित्व ऊर्जा सेक्टर के अनुसंधान संस्थानों पर है। यह याद रखें कि जापान जैसा देश, जो अपनी ऊर्जा की जरूरतों के लिए पूरी तरह दूसरों पर निर्भर है, खुद में उन्नत प्रौद्योगिकियों का निर्यातक है। राष्ट्र के रूप में हमें प्रौद्योगिकीय सुरक्षा प्राप्त करनी होगी। आपको इस स्वप्न को सच्चाई में बदलने के लिए बड़ा योगदान देना होगा। वैज्ञानिक बिरादरी के साथ अपने ज्ञान को बांटकर अपने प्रयासों में अनुपूरकता लाएं। मैं वैज्ञानिकों को उनके भावी प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

धन्यवाद, 
जय हिंद!

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