श्रीलंका के राष्ट्रपति, महामहिम श्री मैथ्रीपाला सिरिसेना के सम्मान में आयोजित राजभोज के अवसर पर माननीय राष्ट्रपति का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 16.02.2015
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महामहिम, राष्ट्रपति मैथ्रीपाला सिरिसेना,
श्रीमती जयंति सिरिसेना,
भारत के माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी,
विशिष्ट देवियो और सज्जनो,
मुझे, श्रीलंका लोकतांत्रिक समाजवादी गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति, श्री मैथ्रीपाला सिरिसेना, प्रथम महिला, श्रीमती जयंति सिरिसेना तथा उनके शिष्टमंडल के विशिष्ट सदस्यों का भारत की प्रथम राजकीय यात्रा पर स्वागत करते हुए अत्यंत प्रसन्न्ता हो रही है।
महामहिम, सर्वप्रथम मैं पिछले महीने चुनावों में आपकी विजय पर आपका हार्दिक अभिनंदन करना चाहूंगा। यह, श्रीलंका के लोगों की बदलाव के प्रति मुखर अभिव्यक्ति थी तथा सौहार्द और वास्तविक समाधान के मार्ग का अनुसरण करने का आह्वान था। आपकी सरकार द्वारा आरंभ किए गए सुधारों में श्रीलंका और इस क्षेत्र के बेहतर भविष्य की उम्मीदें निहित हैं। आपके निकटतम पड़ोसी तथा विश्व के विशालतम लोकतंत्र के रूप में, भारत को श्रीलंका में लोकतंत्र के मजबूत होने पर गर्व है तथा जब श्रीलंका अपने इतिहास के एक नए अध्याय की शुरुआत कर रहा है, वह सभी आवश्यक सहयोग देने के लिए तत्पर है।
महामहिम, जिस मरकत द्वीप से आप आए हैं, उसने अपने प्राचीन नाम सेरेन्दीपा से अंग्रेजी भाषा को ‘सेरेंडिपिटी’ शब्द उपहार में दिया है, जो कुछ रहस्यात्मकता तथा सुखद अनुभूति को व्यक्त करता है। श्रीलंका,भारत के वैश्विक नजरिए में एक विशिष्ट स्थान रखता है। मैं शास्त्रीय तमिल ग्रंथ तिरुक्कुरल में मित्रता संबंधी एक श्लोक को उद्धृत करना चाहूंगा,जिसका मोटा अर्थ है, ‘सच्ची मित्रता दुर्लभ है और कठिनता से प्राप्त होती है; एक बार प्राप्त होने पर,यह अप्रत्याशित कष्टों से बचाती है’। भारत और श्रीलंका के बीच पारस्परिक संबंधों का आधार केवल भौगोलिक नहीं है, जो खुद अपने आप में महत्त्वपूर्ण है, वरन् यह साझा धर्मों, सांस्कृतिक रीतियों, पारिवारिक संबंधों, भाषायी समानताओं, आर्थिक सहयोग, राजनीतिक सद्भावना तथा अन्य बहुत कुछ को अभिव्यक्त करते हैं।
हमारे दोनों देशों के बीच भाईचारे के इन संबंधों के प्रमाण के रूप में, हमने 2013 में स्वामी विवेकानंद तथा 2014 में अंगारिका धर्मपाल की 150वीं जयंती मिलकर मनाई। अधिकांश लोगों को ज्ञात नहीं होगा कि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के एक श्रीलंकाई विद्यार्थी आनंद समराकून ने श्रीलंका के राष्ट्रगान ‘श्रीलंका माता’ की रचना की थी।
समसामयिक दौर में, हमारे संबंध व्यापार और निवेश, विज्ञान, शिक्षा, सुरक्षा और रक्षा तथा इन सबसे बढ़कर जनता के बीच आदान-प्रदान सहित बहुआयामी हो गए हैं। क्रिकेट खेलने वाले दो देशों के रूप में, हम अपने खिलाड़ियों के समान ही सनत जयसूर्या और मुथैया मुरलीधरन की उपलब्धियों पर भी खुशी मनाते हैं। श्रीलंका में विदेशी पर्यटकों की संख्या के लिहाज से, भारत का पहला स्थान है।
भारत ने जिस देश के साथ पहला मुक्त व्यापार समझौता किया था, वह श्रीलंका था। हमारे आर्थिक संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने का यही समय है। मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि हम ज्ञान के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। विगत वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में पुन: उछाल आया है तथा श्रीलंका इसका पूरा लाभ उठाने की सही स्थिति में है। हमें दोनों राष्ट्रों के बीच संयोजकता को बढ़ाने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए।
क्षमता विकास, मानव संसाधन विकास तथा अवसंरचना सहयोग पर केंद्रित श्रीलंका के विकास प्रयासों में साझीदार बनने पर भारत को गर्व है। मुझे खुशी है कि श्रीलंका में प्रमुख भारतीय आवास परियोजना निरंतर शानदार प्रगति कर रही है। भारतीय सहायता से संचालित, उत्तर रेलवे बहाली परियोजना के माध्यम से जाफना और कोलंबो के बीच तीन दशक के बाद प्रतिष्ठित ‘याल देवी’ रेल सेवा की पुन: शुरुआत विशेष संतोष का विषय है। भारत में श्रीलंकाई निवेश ने वस्त्र के क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त की है।
महामहिम, आपकी चुनावी जीत ने हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ करने के नए अवसर खोले हैं। हमें इतिहास और संस्कृति के अपने घनिष्ठ और चिरस्थायी संबंधों को सुदृढ़ करना चाहिए तथा हमारे देशों और इस क्षेत्रों के लोगों की साझा समृद्धि की दिशा में कार्य करना चाहिए। सहयोग की विशाल संभावनाएं हमें आमंत्रित कर रही हैं।
महामहिम, देवियो और सज्जनो, आइए हम सब मिलकर:
- महामहिम राष्ट्रपति मैथ्रीपाला सिरिसेना के अच्छे स्वास्थ्य;
- श्रीलंका की जनता की निरंतर प्रगति और समृद्धि; तथा
- भारत और श्रीलंका लोकतांत्रिक समाजवादी गणराज्य के बीच अधिक घनिष्ठ मैत्री और सहयोग की, कामना करें।