संघीय गणराज्य जर्मनी के राष्ट्रपति, महामहिम श्री जोकिम गौक के सम्मान में आयोजित राज-भोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 05.02.2014
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महामहिम राष्ट्रपति जोकिम गौक, संघीय गणराज्य जर्मनी के राष्ट्रपति
मादाम डेनियला स्कैड्ट,
श्री मोहम्मद हामिद अंसारी, भारत के माननीय उपराष्ट्रपति,
डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के माननीय प्रधानमंत्री,
विशिष्ट देवियो और सज्जनो,
1. मुझे, भारत की आपकी प्रथम राजकीय यात्रा पर महामहिम और मादाम डेनियला स्कैड्ट तथा आपके शिष्टमंडल के विशिष्ट सदस्यों का स्वागत करते हुएअत्यंत प्रसन्नता हो रही है। हम आपकी इस यात्रा को, जर्मनी और भारत के लिए मैत्री और सहयोग के हमारे चिरस्थायी संबंधों को सुदृढ़ करने के एक और अवसर के रूप में देखते हैं।
2. महामहिम, हमारे कूटनीतिक संबंध 60 वर्षों से भी पहले उस समय आरंभ हुए थे जब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू आधुनिक भारत की नींव रख रहे थे। आज ये ‘कार्यनीतिक साझीदारियों’ में विकसित हो चुके हैं। यह, दशकों के दौरान परस्पर लाभकारी संबंधों की पूर्ण क्षमता को साकार करने की, हमारे दोनों राष्ट्रों की निरंतर प्रतिबद्धता का प्रतिफल है। आज हमारी सरकारें, हमारे साझे उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए, अनेक क्षेत्रों में संयुक्त प्रयासों पर मिलकर कार्य कर रही हैं। हम क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर खुल कर विचार-विमर्श कर रहे हैं। हमारे साझे मूल्य, हमारे अपने-अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने तथा वैश्विक प्रगति और समृद्धि के लिए, हमारे प्रयासों को महत्व और दृष्टि दोनों प्रदान करते हैं। हम विश्व व्यापार और वित्तीय स्थिरता, जलवायु परिवर्तन तथा सतत् विकास से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने नियमित संवाद को महत्वपूर्ण मानते हैं। हम दोनों देश संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार के प्रति वचनबद्ध हैं ताकि वे वर्तमान वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करें और हमारे समय की चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटने में सक्षम हों।
3. वास्तव में, हमारे द्विपक्षीय संबंध समय की कसौटी पर खरी, परस्पर सम्मान और सद्भावना की नींव पर निर्मित हैं। हमारे दार्शनिकों, शिक्षाविदों और साहित्यिक विभूतियों के बीच वर्षों के बीच बौद्धिक आदान-प्रदान ने इसमें योगदान दिया है। कान्ट और हीगल जैसे जर्मन दार्शनिकों ने 19वीं सदी में यूरोप को भारतीय दर्शन से परिचय कराने में अहम् भूमिका निभाई। रवीन्द्र नाथ टैगोर और एलबर्ट आइंस्टीन को आपसी विचार-विमर्श में आनंद का अनुभव होता था और उन्होंने एक दूसरे को बहुत प्रभावित किया। 19वीं शताब्दी के आरंभ में बोन विश्वविद्यालय भारत विद्या विभाग की स्थापना कर चुका था। एक दूसरे में हमारी दिलचस्पी, जर्मनी में योग, आयुर्वेद, भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत तथा ‘बॉलीवुड’ फिल्मों की लोकप्रियता में भी झलकती है।
4. महामहिम, व्यापार और वाणिज्य में हमारे पारंपरिक संपर्क 1505 से चले आ रहे हैं, जब ऑग्सबर्ग के व्यापारी समुद्री मार्ग से गोवा के तट पर पहुंचे थे। हाल ही के वर्षों में, जर्मनी ने भारत के आधुनिकीकरण और विकास में प्रमुख भूमिका निभाई है। 1860 के दशक में सीमेंस द्वारा लंदन और कोलकाता के बीच प्रथम टेलीग्राफ लाइन बिछाना एक युगांतकारी घटना थी। क्रुप और डिमैग द्वारा निर्मित राउरकेला इस्पात संयंत्र, बैंगलोर में बोस्क द्वारा स्थापित स्पार्क प्लग निर्माण संयंत्र, बायर की पेंट फैक्ट्रियां, टाटा मोटर्स के साथ डेमलर-बेंज का सहयोग तथा चेन्नै में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भारत-जर्मन सहयोग की अनेक सफलताओं में से कुछ हैं।
5. महामहिम, हमारे व्यवसाय और उद्योग के बीच इतना विश्वास है कि भारतीय कंपनियां जर्मनी में अधिकाधिक निवेश और अधिग्रहण कर रही हैं और हम इसके बदले में, देश की भौतिक अवसंरचना में और अधिक जर्मन निवेश के अपार अवसर देख रहे हैं। हम भारत के बढ़ते उपभोक्ता बाजार में जर्मनी के लघु और मध्यम उद्यमों की भागीदारी की भी अपेक्षा रखते हैं।
6. आज, हमें न केवल यूरोप में अपने सबसे बड़े साझीदार के रूप में जर्मनी पर नाज हैं बल्कि हम जर्मन विकास सहायता को भी बहुत महत्व देते हैं जिससे भारत में उन्नत प्रौद्योगिकी लाने तथा नवीकरणीय ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का विकास करते हुए, भारत के ऊर्जा कौशल को बढ़ाने में मदद मिली है।
7. महामहिम, जैसा कि आपको ज्ञात है, यद्यपि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अभी बहुत कठिन मंदी से उभरना है परंतु सौभाग्यवश भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक सकारात्मक गति बनाए रखी है। हमने अपने सम्मुख उपस्थित आर्थिक चुनौतियों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण सुधार किए हैं और हमें विकास की तेज गति की वापसी का भरोसा है। मुझे विश्वास है कि हमारे दोनों देशों के व्यवसायी, शिक्षाविद्, वैज्ञानिक और शोधकर्ता और अधिक सहयोग के क्षेत्रों तथा सफलता के और ऊंचे स्तरों की पहचानने में कामयाब होंगे।
8. हमारे दोनों देश लोकतंत्र और स्वतंत्रता के गढ़ हैं। हम दोनों, व्यक्ति के अधिकारों, विधि के शासन तथा स्वतंत्र मीडिया का सम्मान करते हैं। मैं, इस अवसर पर लोकतंत्र और मानव अधिकारों को बढ़ावा देने में आपकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता तथा योगदान के लिए आपको बधाई देता हूं।
9. महामहिम, मुझे विश्वास है कि आपकी यात्रा हमारी कार्यनीतिक साझीदारी में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी और इससे आने वाले दिनों में हमारे संयुक्त प्रयासों की कार्यसूची निर्धारित होगी।
10. इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार पुन: आपका स्वागत करता हूं और भारत में आपके सुखद प्रवास की कामना करता हूं।
11. महामहिमगण, देवियो और सज्जनो, आइए हम सब मिलकर:
- महामहिम, राष्ट्रपति जोकिम गौक के अच्छे स्वास्थ्य,
- जर्मन लोगों की निरंतर प्रगति और समृद्धि, तथा
- भारत और संघीय गणराज्य जर्मनी के बीच घनिष्ठ मैत्री आौर सहयोग की कामना करें।