समावेशी नवान्वेषण संबंधी वैश्विक गोलमेज सम्मेलन में प्रतिवेदकों द्वारा निष्कर्ष प्रस्तुत करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

पश्चिमी हॉल, राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र, नई दिल्ली : 07.03.2015

डाउनलोड : भाषण समावेशी नवान्वेषण संबंधी वैश्विक गोलमेज सम्मेलन में प्रतिवेदकों द्वारा निष्कर्ष प्रस्तुत करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 454.93 किलोबाइट)

spसर्वप्रथम, मैं समावेशी नवान्वेषण संबंधी वैश्विक गोलमेज सम्मेलन के विशिष्ट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत करता हूं। मैंने प्रोफेसर गुप्ता द्वारा प्रस्तुत इस मंच की परिचर्चाओं के परिणामों के सार को बड़े ध्यान से सुना है। मैं दो विशिष्ट प्रतिभागियों को भी उनके नजरिए प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद देता हूं। मेरे अनुसार, यह विषय ऐसे किसी भी देश के लिए प्रासंगिक है जो नवान्वेषण के माध्यम से समाज के सभी वर्गों के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित करना चाहता है।

देवियो और सज्जनो,

2. भारत में जमीनी नवान्वेषण की दीर्घ परंपरा रही है। इस देश के जनसाधारण ने समय-समय पर अपनी दिन-प्रतिदिन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए नए समाधानों को अपनाया है। बुनियादी अस्तित्व से लेकर विकास में तेजी लाने तक—नवान्वेषणों की खोज को प्रभावित करने के लिए बहुत सारे प्रेरक रहे हैं। हमारे समाज के विभिन्न क्षेत्रों के अनेक वर्गों तथा विविध स्तरों की नवान्वेषी क्षमता से फायदा उठाने के लिए एक श्रेष्ठ माहौल की आवश्यकता है।

3. समावेशी माहौल तैयार करने के लिए एक ओर जमीनी नवान्वेषकों के बीच तथा दूसरी ओर शैक्षिक संस्थाओं और बाजार की शक्तियों के बीच संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता है। ऐसे नेटवर्क के निर्माण में सफल रहने वाले देश नवान्वेषण में अग्रणी बन गए हैं। शैक्षिक संस्थानों तथा बुनियादी नवान्वेषणों को समावेशी नवान्वेषण प्रणाली के तहत लाने के लिए पिछले वर्ष राष्ट्रपति भवन में नवान्वेषी आवासी विद्वान कार्यक्रम शुरु किया गया था। मुझे प्रसन्नता है कि नवान्वेषी विद्वानों का दूसरा बैच आज हम लोगों के बीच उपस्थित है। राष्ट्रपति भवन में अपने दो सप्ताह के प्रवास के दौरान उन्हें अपने विचारों को उड़ान देने के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा तथा संबंधित स्टेकधारकों से जोड़ा जाएगा।

देवियो और सज्जनो,

4. शैक्षणिक संस्थानों को समाज में नवान्वेषणों को प्रोत्साहित करने में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है। 713विश्वविद्यालयों तथा 36000 से भी अधिक कॉलेजों के एक बड़े जाल के माध्यम से भारत नवान्वेषण का परिवेश विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाने की ओर अग्रसर है। इस प्रक्रिया में उच्च शिक्षा के संस्थानों को प्रेरित करने के लिए मैं उच्च शिक्षा सेक्टर के प्रमुखों से आग्रह करता रहा हूं कि वे अपने संस्थानों तथा बुनियादी नवान्वेषणों के बीच, उनके सुदूर स्थलों पर, संपर्क स्थापित करें तथा नवान्वेषण क्लबों की स्थापना करें। युवा-शक्ति को राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करना होगा। इस प्रकार विद्यार्थियों को जनसाधारण की अपूर्ण आवश्यकताओं का पता लगाने तथा नवान्वेषणों के अनुसंधान, प्रसार और उनका आनंद उठाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इन नवान्वेषण क्लबों के सदस्य नवान्वेषण उत्सव में भाग ले रहे हैं जो पहली बार राष्ट्रपति भवन में आयोजित हो रहा है। भारत तथा विदेशों से आए हुए विशिष्ट प्रतिभागियों की उपस्थिति निश्चय ही सभी नवान्वेषकों तथा इस महत्त्वपूर्ण उत्सव के प्रतिभागियों को वैश्विक मंच प्रदान करेगी।

5. यहां उपस्थित बहुत से सामाजिक,शैक्षणिक तथा कारपोरेट प्रमुखों ने भारतीय बुनियादी गाथा को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कई पहलें शुरु की हैं। हमारे परंपरागत ज्ञान ने बहुत सी लोकप्रिय आयुर्वेदिक औषधियों तथा अन्य ऐसे ही उत्पादों की शुरुआत में योगदान दिया है। इसी के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के आधुनिक अनुप्रयोग ने जनता के जीविकोपार्जन के अवसर बढ़ाए हैं। विकास और प्रगति की दिशा में हमारी यात्रा में महत्त्वपूर्ण नवीन खोज संभव है; परंतु इनके साथ चुनौतियां भी हैं और उनका सामना करने के लिए सभी स्टेकधारकों के सहयोगात्मक प्रयास जरूरी हैं।

6. नोबेल विजेता प्रो. यूनुस ने सूक्ष्म वित्त के लिए एक ऐसा असाधारण मॉडल तैयार किया है जो विकसित देशों में गरीबों का उत्थान कर रहा है। मेरे विचार से, अगली प्रमुख नवीन खोज सूक्ष्म उद्यम वित्त के माध्यम से आएगी जिसे हनीबी नेटवर्क तथा राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान द्वारा प्रारंभ किया गया है। भारत और विदेशों में कंपनियों और कॉलेजों के साथ साझीदारी करने से हमारे बुनियादी नवान्वेषक एक अलग किस्म के वैश्वीकरण को प्रेरित करेंगे। बुनियादी ज्ञान और रचनात्मकता पर आधारित उत्पाद और सेवाएं वहनीय, सुगम्य और जिम्मेदार तरीके से विश्व बाजार में पहुंचेंगी।

विशिष्ट प्रतिभागीगण,

7. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन द्वारा प्रधानमंत्री,श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नवान्वेषी विकास के लिए वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकी कार्यनीतियों की अगुआई की जा रही है। भारत में निर्माण, स्वच्छ भारत तथा समावेशी भारत, जिनके तहत वित्तीय समावेशन प्रमुख तत्त्व है, पर काफी अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है। आप में से बहुत से लोगों ने अपने अनुभव सुनाए हैं कि किस तरह आपके देशों और संस्थाओं ने समावेशी नवान्वेषण की दिशा में प्रगति की है। मुझे भारत में स्टेकधारकों से विचार-विमर्श करने के लिए आप द्वारा दिखाई गई रुचि पर प्रसन्नता हो रही है। आप में से कुछ लोग कल अपने अनुभाव सुनाएंगे। आप इस अवसर पर और अधिक समावेशी तथा नवान्वेषी बनने की दिशा में भारत के लिए एक कार्यनीतिक खाका तैयार करने के लिए अपने सुझाव दें। मैं आपको आपके सुझावों और विचारों के प्रति हमारे पूर्ण सम्मान का आपको विश्वास दिलाता हूं।

8. हाल ही में अकादमिकों, उद्यमियों तथा अनुसंधानकर्ताओं को जोड़कर ‘अटल नवान्वेषण मिशन’ नामक नवान्वेषण प्रोत्साहन मंच शुरू किया गया है। यह भारत में नवान्वेषण, अनुसंधान एवं विकास तथा वैज्ञानिक अनुसंधान की संस्कृति के विकास के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अनुभवों से फायदा उठाएगा यह मंच हमारे देश के समक्ष बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए विश्वस्तरीय नवान्वेषण केंद्रों के जाल भी बढ़ावा देगा। मैं आप सभी से भारतीय विकास गाथा में भाग लेने का आह्वान करता हूं जो अन्य देशों और समुदायों को मितव्ययी और सतत् मार्ग दिखाएगी। वैश्वीकरण के इस युग में, भारतीय नवान्वेषण और विकास न केवल भारत बल्कि शेष विश्व को भी लाभ पहुंचाएगा। समावेशी नवान्वेषण तथा वहनीयता, सुगम्यता, स्वीकार्यता और उपलब्धता के सम्मिश्रण से विकसित उत्कृष्ट वस्तुओं और सेवाओं में वैश्विक परिदृश्य को बदलने की क्षमता होगी।

9. अंत में, मुझे उम्मीद है कि इस मंच पर विभिन्न नवान्वेषकों से आपका विचार-विमर्श उपयोगी रहेगा तथा इससे विश्व में शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए दीर्घकालीन साझीदारी शुरू होगी। मैं विदेशों से आए अतिथियों के सुखद प्रवास की कामना करता हूं। मैं आपको राष्ट्रपति भवन के मुगल उद्यान के भ्रमण के लिए भी आमंत्रित करता हूं। मैं आपके सुखद भविष्य की कामना करता हूं।

धन्यवाद,

जय हिंद!

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