सिविल लेखा दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

नई दिल्ली : 10.03.2016

डाउनलोड : भाषण सिविल लेखा दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 255.58 किलोबाइट)

sp1. मुझे भारतीय सिविल लेखा सेवा की 40वी वर्षगांठ के अवसर पर आज आपके बीच उपस्थित होकर वास्तव में प्रसन्नता हुई है। इस सेवा की शुरुआत1976में किए गए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन के प्रमुख संस्थागत सुधार,जिसमें लेखापरीक्षा को लेखा से अलग करना था,से हुई थी। उस समय पर संघ सरकार स्तर पर लेखांकन प्रणाली को जमीनी वास्तविकताओं को और स्पष्ट करने तथा प्रभावी वित्तीय प्रबंधन प्रदान करने के लिए तैयार करने की आवश्यकता अनुभव की गई थी।

2. चालीस वर्ष के पश्चात्,लेखाओं का विभागीकरण तथा भारतीय सिविल लेखा सेवा के सृजन के बाद से आरंभ किए गए उल्लेखनीय सुधारों और पहलों से मैं प्रसन्न हूं। मैं लेखा महानियंत्रक तथा भारतीय सिविल लेखा सेवा के कर्मियों को राष्ट्र सेवा में अपना दायित्व प्रभावी और कुशल तरीके से निभाने के लिए बधाई देता हूं।

3. हमारे संविधान के संस्थापकों ने संघ सरकार और राज्यों के खातों और लेखापरीक्षा को अत्यंत महत्व दिया। संसद के प्रति कार्यपालिका की वित्तीय जवाबदेही तथा संघ और राज्यों के मामले के वित्तीय प्रबंधन के लिए अनेक संवैधानिक प्रावधान किए गए हैं। भारत का लेखांकन के साथ संबंध वास्तव में प्राचीनकाल से है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में लेखांकन,बजट निर्माण तथा वित्तीय प्रबंधन के उन सिद्धांतों की चर्चा की गई है जिन्हें राज्य को सुशासन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करने चाहिए। भारतीय इतिहास में बेहतर प्रबंधन,सार्वजनिक वित्त के संरक्षण और नियंत्रण तथा व्यय और आय के प्रतिवेदन के लिए राज्यों और प्रबुद्ध शास्त्रों द्वारा दिया गया महत्व दर्ज है।

4. औपनिवेशिक शासन के दौरान,नियंत्रण और अनुपालन के नियमों के आधार पर देश में भुगतान और लेखांकन प्रणाली स्थापित थी। औपनिवेशिक प्रशासन ने भुगतान और लेखांकन के जटिल नियम और प्रक्रियाएं बनाई। सार्वजनिक व्यय की कुशलता और प्रभावशीलता महत्वपूर्ण नहीं थी। इसका कारण यह था कि अधिकार एकत्रित धन को सेना या जनसेवकों के वेतन पर खर्च किया जाता था। देश के रेल और सड़कों के नेटवर्क के विस्तार जैसे बुनियादी ढांचे पर व्यय औपनिवेशिक प्रशासन के हितों को पूरा करने तथा स्थानीय संसाधनों के विदोहन के लिए किया जाता था। अन्य शब्दों में,सार्वजनिक वित्त का उद्देश्य विकास नहीं बल्कि शासन के नियंत्रण को कायम रखना था। स्वतंत्रता के बाद,शासन के उद्देश्य में परिवर्तन आया और यह स्वाभाविक ही था कि हमारी लेखांकन और वित्तीय प्रणालियों को स्वतंत्र भारत की उन नई प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए बदला जाए जिन्हें उसने अपने लिए तय किया था।

5. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि विगत चालीस वर्षों के दौरान लेखा महानियंत्रक ने स्वचलन तथा सूचना प्रौद्योगिकी में मानव संसाधनों के प्रशिक्षण में काफी निवेश किया है। परिणामस्वरूप,निर्णयकर्ताओं को उच्च गुणत्तापूर्ण समयबद्ध रिपोर्टें तथा धन और राजस्व की मासिक और वार्षिक स्थिति का विश्लेषण उपलब्ध करवाने के अलावा संघ सरकार के भुगतान और लेखांकन दोनों कार्यों में समग्र सुधार आया है। जब मैं वित्त मंत्री था तो मुझे2011में जीईपीजी नामक सरकार के ई-भुगतान गेटवे की शुरुआत की याद है जिससे निर्बाध सूचना प्रौद्योगिकी माहौल में लाभार्थी के खाते में सीधे इलेक्ट्रॉनिक भुगतान हो जाता था। इस प्रणाली ने ई-भुगतान लेन-देन में अत्यधिक पारदर्शिता और कुशलता पैदा की है। हाल के समय में, जन वित्तीय प्रबंधन प्रणाली पोर्टल ने तत्क्षण एमआईएस आगतों सहित सरकार के भीतर और बाहर लाभार्थियों को बैंकिंग माध्यमों के जरिए संबंधित मंत्रालयों द्वारा निधियों को जारी करना और सुविधाजनक बना दिया है।

देवियो और सज्जनो,

6. सरकार भुगतान के प्रत्यक्ष लाभ अंतरण तरीके को अत्यंत महत्व देती है क्योंकि यह हमारी आबादी के वित्तीय रूप से पिछड़े और उपेक्षित वर्गों तक पहुंचने की बेहतर विधि है। लाभार्थी के बैंक खाते में निधियों की प्रत्यक्ष अंतरण की यह पद्धति पारदर्शिता सुनिश्चित करती है, विलंब को समाप्त करती है तथा भ्रष्टाचार के स्तर में बहुत कमी लाती है। मुझे विश्वास है कि सरकार भविष्य में पीएफएमएस पोर्टल पर और अधिक कल्याण योजनाएं आरंभ करेगी। हम गरीब और जरूरतमंद के जीवन को सुधारने तथा भारत को अधिक समतामूलक और वित्तीय रूप से समावेशी समाज में बदलने के लिए हमारी ई-शासन क्षमताओं का प्रयोग करते रहेंगे और उनका लाभ उठाते रहेंगे।

7. आज भारत क्रय शक्ति के मामले में विश्व की तीसरी विशालतम अर्थव्यवस्था है। अर्थव्यवस्था का आकार,पैमाना और जटिलता हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रहा है क्योंकि यह विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समेकित हो रही है। तेजी से बदलते ये घटनाक्रम अर्थव्यवस्था के विभिन्न भागीदारों की असंख्य आवश्यकताओं के सम्मुख हमारे वित्तीय प्रबंधन और लेखांकन प्रणालियों की क्षमता सहित अनेक मार्चों पर नीतिगत और प्रशासनिक चुनौतियां प्रस्तुत कर रहे हैं। इस संदर्भ में आपके संगठन की सबसे प्रमुख चुनौती सार्वजनिक वित्त की समयबद्ध और विश्वसनीय रिपोर्टिंग है जो एक कुशल और ठोस वित्तीय प्रबंधन प्रणाली का आधार है।

8. मैं इसी वर्ष संसद के समक्ष केंद्र सरकार की2014-15की लेखापरीक्षा रिपोर्ट सहित वार्षिक वित्तीय विवरण की तीव्र प्रस्तुति सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रक और महालेखापरीक्षक तथा लेखा महानियंत्रक दोनों को बधाई देता हूं। मुझे ज्ञात है कि स्वतंत्रता के बाद से यह दूसरी बार है कि दोनों ने मिलकर कार्य करके यह उपलब्धि हासिल की है। यह अपवाद की बजाय एक नियम बन जाना चाहिए। इसी प्रकार,सांसदों और आम जनता दोनों की सुबोधता के लिए वित्तीय आंकड़ों को सरल और प्रयोक्ता सहायक तरीके से प्रस्तुत करना चाहिए। मुझे विश्वास है कि आप इस दिशा में कार्य करेंगे।

9. अन्य तात्कालिक आवश्यकता संबंधित मंत्रालयों द्वारा परियोजनाओं और योजनाओं के कार्यान्वयन में निगरानी तंत्रों को मजबूत बनाने की है। आज आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य अधिकतर अनुपालन लेखा परीक्षा तक सीमित है। इसमें परिवर्तन लाने की आवश्यकता है, आंतरिक लेखा परीक्षा को कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन में प्रबंधन की मदद करनी चाहिए तथा लागत और विलंब को कम करने में सहायता करनी चाहिए। इसके अलावा,अनुपालन के स्थान पर जोखिम प्रबंधन उसे कम करने और नियंत्रण पर बल देना होगा। मुझे ज्ञात है कि लेखा महानियंत्रक ने इस प्रयोजन के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इस प्रक्रिया को जारी रखना होगा।

देवियो और सज्जनो,

10. एक कुशल भुगतान प्रणाली के परिणामस्वरूप सरकार के लेखांकन समुदाय के समक्ष नई चुनौतियां और अवसर भी पैदा होते हैं। आज सरकार और इसकी एजेंसियां वित्तीय और सांख्यिकीय आंकड़ों के विशाल खण्डों का भंडार बन गई हैं। आंकड़ों के ऐसे भंडार को कल्याणकारी कार्यक्रमों के विश्लेषण और मूल्यांकन तथा सामाजिक क्षेत्र के व्यय के दीर्घकालिक परिणामों के बारे में नई अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। आंकड़ों के विश्लेषण से कल्याण कार्यक्रमों की तैयारी,लक्ष्य तथा ढांचा निर्माण में मदद मिल सकती है ताकि सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता और कुशलता को सुधारा जा सके।

11. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारतीय सिविल लेखा सेवा ने अपेक्षाकृत चालीस वर्ष की संक्षिप्त अवधि में अनेक उपलब्धियां अर्जित की हैं। मुझे विश्वास है कि आप सभी इन सफलताओं को जारी रखेंगे तथा भारत को सुदृढ़ और अत्याधुनिक जनवित्तीय प्रबंधन प्रणाली मुहैया करवाते रहेंगे। मैं सेवा तथा सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं।

जयहिन्द।

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