राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार प्रदान किए जाने पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 16.12.2013
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1. राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार समारोह के लिए इस शाम यहां उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। ये पुरस्कार, ऊर्जा संरक्षण की दिशा में औद्योगिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वालों को सम्मानित करने के लिए आरंभ किए गए हैं। मैं इस वर्ष के उन सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं जिन्होंने अपने समकक्षों के लिए उत्कृष्ट्ता मानदंड स्थापित किए हैं।
2. आज जब हम राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मना रहे हैं, मैं देश में ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता की बेहतर पहचान और समझ पैदा करने के प्रयासों के लिए विद्युत मंत्रालय की सराहना करता हूं। मुझे कार्यक्रम के एक भाग के रूप में आयोजित पेंटिंग प्रतियोगिता में बच्चों द्वारा बनाए गए रंगीन और प्रेरणाजनक चित्रों को देखकर खुशी हुई है। ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने में स्कूली बच्चों को जोड़ने का यह अच्छा मौका है। महात्मा गांधी ने एक बार कहा था ‘धरती के पास प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त साधन हैं परंतु प्रत्येक व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए नहीं।’ हमें बचपन से ही संरक्षण का जज्बा पैदा करना होगा। बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए संसाधनों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए बच्चों को सक्रिय तौर पर शामिल किया जाना चाहिए। मैं सभी पुरस्कार विजेताओं तथा प्रतिभागी बच्चों को बधाई देता हूं।
देवियो और सज्जनो,
3. ऊर्जा को अब अधिकाधिक कार्यनीतिक वस्तु माना जाने लगा है। इसकी आपूर्ति में किसी भी बाधा से किसी भी देश की, खासकर विकासशील देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। भारत ने चहुमुंखी विकास प्राप्त करने के लिए एक उच्च विकास कार्यनीति आरंभ की है। भारत की ऊर्जा प्रबलता, जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की ऊर्जा दक्षता का मापदंड है, से पता चलता है कि जर्मनी, जापान और अफ्रीका के मुकाबले भारत सकल घरेलू उत्पाद की एक यूनिट पैदा करने के लिए ज्यादा ऊर्जा का प्रयोग करता है। हमारे द्वारा परिकल्पित उच्च विकास के लिए ऊर्जा की अधिक मात्रा की आवश्यकता है जबकि ऊर्जा के घरेलू संसाधनों का निरंतर अधिक संख्या में स्पर्द्धात्मक प्रयोग हो रहा है। आज के व्यापक आर्थिक संदर्भ में, हम विदेश से महंगी ऊर्जा खरीदने के लिए विशाल विदेशी मुद्रा खर्च की संभावना की ओर ताक रहे हैं। ऊर्जा सुरक्षा वास्तव में राष्ट्रीय सुरक्षा का पर्याय बन चुकी है।
4. अमरीका, चीन तथा रूस के बाद, भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। तेज औद्योगीकरण, बढ़ते शहरीकरण तथा उभरते हुए उपभोक्ता समाज के कारण ऊर्जा की मांग में काफी वृद्धि हुई है। सीमित आपूर्ति की समस्या के माहौल में जनता की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के मद्देनजर सतत् आर्थिक प्रगति के सामने एक भारी चुनौती उपस्थित हुई है। इस बढ़ती समस्या का सामना करने के लिए एक कारगर कार्ययोजना के रूप में बेहतर ऊर्जा दक्षता के माध्यम से सकल घरेलू उत्पाद के समक्ष ऊर्जा की मांग पर नियंत्रण करना होगा। समावेशी प्रगति तथा विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संसाधन उपयोग दक्षता तथा संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जिस तरह से हम अपने दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं उसको देखते हुए इनको उच्चतम प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऊर्जा संरक्षण में महंगी आयातित ऊर्जा के विकल्प के रूप में सस्ती ऊर्जा का उपयोग भी शामिल है। इससे हमारे विदेशी मुद्रा के व्यय में कमी आएगी। ऊर्जा संरक्षण एक ऐसी विकासात्मक जरूरत है जिसके बहुत से सकारात्मक परिणाम हैं।
दवियो और सज्जनो,
5. ऊर्जा संसाधनों के प्रयोग में सततता प्राप्त करने के लिए सरकार के सक्रिय प्रयास अत्यावश्यक हैं। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में समावेशी और सतत विकास के लिए न्यून कार्बन कार्यनीति तैयार करने के महत्व को स्वीकार किया गया है। ऊर्जा प्रयोग कौशल को बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किया है। इससे 2020 तक हमारे सकल घरेलू उत्पाद की ऊर्जा प्रबलता में 20 से 25 प्रतिशत की कमी होगी।
6. जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना में जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभावों के जोखिम को कम करते हुए विशाल संख्या में लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए उच्च विकास दर कायम रखने की आवश्यकता बताई गई है। भारत की जलवायु कार्यनीति के भाग के रूप में पहले ही अनेक पहलों की पहचान की गई है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि व्यापक कार्यक्रमों के माध्यम से व्यावहारिक स्तर पर कार्यनीतियां अमल में लाई जाएं।
7. राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा कौशल मिशन में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए उद्योग हेतु कार्य निष्पादन, उपलब्धि और व्यवसाय की व्यवस्था तय की गई। एक प्रमुख निष्पादन मापदण्ड के रूप में ऊर्जा दक्षता को शामिल करने के लिए ऐसे और प्रयासों की आवश्यकता है।
8. मुझे बताया गया है कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए प्रस्तावित ईंधन दक्षता मानदण्डों में 2009 के स्तर की तुलना में 2022 तक औसत ईंधन खपत में 20 प्रतिशत काटौती हासिल करने की उम्मीद है। ऐसे प्रयासों से हमारी अर्थव्यवस्था के कुछ सबसे ऊर्जा प्रबलता वाले क्षेत्रों की ऊर्जा की बढ़ती जा रही मांग में काफी कमी आएगी।
9. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि विद्युत मंत्रालय ने ‘ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम’ आरंभ किया है जिसका लक्ष्य निर्धारित क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता वाले घरेलू उपकरणों को उपनाने में तेजी लाना है। इस पहल के लिए ऐसे घरेलू उपकरणों के विकास की जरूरत है जो अधिक दक्षतापूर्ण और वहनीय हों। इससे भारत के विनिर्माण क्षेत्र में नवान्वेषण में और तेजी आएगी।
देवियो और सज्जनो,
10. भविष्य में हमारी प्रगति अधिकतर, प्रौद्योगिकी के उस स्तर से तय होगी जो हमारी अर्थव्यवस्था में प्रयोग होगी। नवान्वेषण और प्रौद्योगिकी से प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त मिलती है जिसकी हमारे औद्योगिक क्षेत्र को बहुत अधिक जरूरत है। नवान्वेषण के माध्यम से क्षमता विकसित करने और प्रणालियों की सुदृढ़ता के लिए डोमेन ज्ञान की आवश्यकता होगी। नवान्वेषण के लिए अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करना जरूरी है। इससे ऐसी लागत पर जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा दक्षता विकास दोनों आवश्यकता पर ध्यान देने वाली विभिन्न प्रौद्योगिकीयां मुहैया करवाने में मदद मिलेगी।
11. आज ऊर्जा के क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की और अधिक प्रबलता जरूरी है। अमरीका ने स्वयं को विशाल ऊर्जा आयातक से बदल कर शेल गैस की खोज के जरिए स्वयं को आत्मनिर्भर बना लिया है। यह शेल गैस की दक्षतापूर्ण प्राप्ति में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी सफलता के कारण संभव हुआ है। इसी प्रकार, भारत में भावी प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए मानदंड निर्धारित करने होंगे। हमारे वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को खुद को ऊर्जा के क्षेत्र में हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने में संलग्न करना होगा। नीतियों को भी समस्याओं का पता लगाने, प्रवृत्तियों पर नजर रखने, परिदृश्यों को निर्मित करने तथा नीति विकल्पों की सिफारिश करने के लिए सक्रियता से कार्य करना होगा ताकि किसी भी संकट को टाला जा सके।
12. अंत में, मैं यह कहना चाहूंगा कि हमें वास्तव में सतत ढंग से प्रयोग के जरिए अपने संसाधनों के संरक्षण के प्रति जागरूक बनना होगा। संसाधनों का दक्षतापूर्ण प्रयोग हमारे घर से शुरू होना चाहिए। सततता की आवश्यकता को सामाजिक व्यवस्थाओं में शामिल करने के लिए शैक्षिक प्रणालियों का व्यापक इस्तेमाल करना होगा। मैं उन स्कूली बच्चों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं जिन्होंने राष्ट्रीय ऊर्जा पेंटिंग प्रतियोगिता में सक्रिय भाग लिया है। मैं एक बार फिर सभी राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं और इस आयोजन से जुड़े सभी लोगों को शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!