राष्ट्रीय फलोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 12.05.2014

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Speech by the President of India, Shri Pranab Mukherjee at the Presentation of National Florence Nightingale Award1. मुझे अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर आप सभी को बधाई देते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। मैं आपको और आपके माध्यम से भारत के नर्सिंग पेशे के सदस्यों को अपनी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

2. आरंभ में, मैं उन पैंतीस विशिष्ट पुरुषों और महिलाओं को अपनी बधाई देता हूं जिन्हें वर्ष 2014 का राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्रदान किया गया है। उन्होंने रोगी और अशक्त लोगों की देखभाल में अपनी असाधारण सेवा और विशेष समर्पण के जरिए प्रतिष्ठा अर्जित की है। उन्होंने एक ऐसे व्यवसाय का नाम रोशन किया है जिसे हममें से सबसे नि:स्वार्थ और दयालू लोगों द्वारा अपनाया जाता है। उन्हें सम्मानित करके, हम भारत के नर्सिंग कर्मियों के पूरे समुदाय के प्रति आदर प्रकट कर रहे हैं।

देवियो और सज्जनो,

3. ईसा पूर्व छठी शताब्दी में सुश्रुत ने, जिनका स्मरण आज भारत में ‘शल्य चिकित्सा के जनक’ के रूप में किया जाता है, लिखा था, ‘‘चिकित्सक, रोगी, औषधि और परिचारक चिकित्सा के चार स्तंभ अथवा ‘पाद’ हैं जिन पर उपचार आधारित है।’’ यह वास्तव में दिलचस्प तथ्य है कि ईसा पूर्व 250 में, प्राचीन आयुर्वेद विज्ञान के एक प्रमुख योगदानकर्ता आचार्य चरक द्वारा स्थापित भारत के प्रथम नर्सिंग स्कूल में केवल पुरुष परिचारकों को ही प्रवेश दिया जाता था। यदि हम भारत के आधुनिक नर्सिंग के इतिहास पर गौर करें तो हमें पता चलेगा कि सोलहवीं सदी के मध्य में कोलकाता में ईस्ट इडिया कम्पनी द्वारा संचालित एक सैन्य अस्पताल को लन्दन के एक अस्पताल से नर्सें मंगानी पड़ती थी। लगभग दो शताब्दी के बाद, 1865 में फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने ‘भारत में अस्पतालों के लिए नर्सिंग प्रणाली पर विस्तृत सुझाव’ तैयार किए। यह उनकी अंतर्दृष्टि थी जिसने नर्सिंग सुधारों को दिशा दी तथा विश्व भर में अभी तक अनुकरण किए जाने वाले मॉडल का निर्माण करते हुए नए मापदंड और दृष्टांत स्थापित किए। 12 मई को उनकी जन्म वर्षगांठ को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। लगभग इसी दौरान 1867 में, यह अभिलिखित है कि नई दिल्ली के सेंट स्टीफेंस अस्पताल ने भारतीय महिलाओं के लिए प्रथम नर्स प्रशिक्षण स्कूल की स्थापना की। 1946 तक भारत में दिल्ली और वेल्लोर कॉलेज द्वारा प्रदान किया जाने वाला 4 वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स नहीं था। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात 1960 में नई दिल्ली में राजकुमारी अमृतकौर नर्सिंग कॉलेज में स्नातकोत्तर डिग्री कोर्स आरंभ किया गया था। भारत के नर्सिंग पेशे ने उसके बाद से निश्चित रूप से एक लम्बी यात्रा तय की है।

देवियो और सज्जनो,

4. आज नर्सें भारत में स्वास्थ्य सेवा उद्योग से संबद्ध सबसे बड़ा कार्यबल हैं। आजादी के बाद से नर्सिंग सेवाओं तथा उनकी क्षमता निर्माण में काफी विस्तार हुआ है तथा धीरे-धीरे उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों में कई गुना वृद्धि हुई है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस द्वारा चुना गया विषय ‘नर्सें : बदलाव की शक्ति—स्वास्थ्य के लिए अत्यावश्यक संसाधन’, पूरी तरह उपयुक्त है। परिषद ने यह सिफारिश ठीक ही की है कि भारत में नर्सिंग कार्यबल, बेहतर कार्यबल योजना, इसकी शिक्षा तथा कार्य परिवेश में सुधार के द्वारा तथा नर्सिंग के कार्यभार के आकलन तथा उसके समाधान की रचनात्मक प्रक्रिया के माध्यम से बदलाव का साधन हो सकता है।

5. भारत का वर्तमान स्वास्थ्य सेवा उद्योग 45 बिलियन डॉलर से अधिक है। हालांकि वैश्विक स्वास्थ्य सेवा उद्योग में इसका योगदान एक प्रतिशत से कम है तथापि यह विश्व जनसंख्या के 17 प्रतिशत हिस्से को सेवा देता है। वर्तमान में भारत में नर्सों की संख्या प्रति 1000 नागरिकों पर 0.8 नर्स है। यह प्रति 1000 पर 3 नर्स के विश्व औसत की तुलना में अत्यंत कम है। विश्व औसत के नजदीक आने के लिए, हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में लगभग 2 मिलियन और नर्सों को शामिल करना होगा। वर्तमान में हमारे यहां प्रतिवर्ष तकरीबन 180000 प्रशिक्षित नर्सें तैयार हो रही हैं। इस दर से भारत को दो मिलियन संख्या तक पहुंचने में संभवत: दशकों लगेंगे। इस पूर्वानुमान के बावजूद, हम अपनी क्षमता में सुधार और वृद्धि के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। नर्सें भारत में मौजूदा नर्सिंग नेटवर्क को मजबूत बनाने में सुनिश्चित सहभागिता कर सकती हैं। प्रशिक्षकों तथा प्रणाली नवान्वेषकों के रूप में वे बेहतर पद्धति को विकसित करने तथा जिन समुदायों में वह निवास और कार्य करती हैं, उन्हें शिक्षित करने में बहुत कुछ कार्य कर सकती हैं। मैं जोर देना चाहूंगा कि भारत के स्वास्थ्य सेवा सुधार के क्षेत्र में व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्यों के मद्देनजर, नर्सिंग समुदाय को, नीति विकास में योगदान देते हुए तथा यह सुनिश्चित करते हुए कि यह विकास सही दिशा में हो और विभिन्न समुदायों की जरूरतों का ध्यान रखते हुए, और आगे बढ़ना होगा। मैं उन्हें प्रोत्साहित करूंगा कि वे परिपाटियों के मॉडल फिर से तैयार करने और पद्धतियों को आधुनिक बनाने के कार्य से जुड़ें तथा चुनौतियों का सामना करने के लिए आगे आएं। उन्हें अपनी संकल्पना का विस्तार करना चाहिए।

6. भारत सरकार ने नर्सिंग क्षेत्र के सुधार में मदद के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इनमें नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना, मौजूदा नर्सिंग स्कूलों का सुदृढ़ीकरण और उन्नयन तथा नर्सिंग और पैराचिकित्सा शिक्षा के नए मॉडलों का निर्माण शामिल है। पुराने विनियमों और नीतियों के संशोधन के सरकार के प्रयासों का उद्देश्य नर्सिंग कौंसिल ऑफ इंडिया जैसे नर्सिंग एसोसिएशनों तथा संगठनो के प्रयत्नों और पहलों को सहयोग देना तथा हर प्रकार से विकास और सुधार के लिए उन्हें अवसर और सुविधाएं प्रदान करना है।

7. आज हमारे सरकारी और निजी क्षेत्र के नर्सिंग समुदाय ने भारत सरकार के महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य और परिवार कल्याण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहायता प्रदान की है। उन्होंने सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की क्षमता में वृद्धि करने के लिए अपने कौशल का प्रयोग किया है तथा विधा के सर्वोच्च मानदण्डों का कड़ाई से अनुपालन किया है। इसमें आश्चर्य नहीं है कि उन्होंने अपनी दक्षता और प्रतिबद्धता के लिए विश्वभर में सद्भावना और सराहना प्राप्त की है। मैं उन्हें बधाई देता हूं।

8. आज प्रदान किए गए पुरस्कार आपके योगदान की समुचित सराहना है। राष्ट्र आज आपको सम्मानित करते हुए आपको नमन करता है। मैं आपको भारतवासियों की ओर से आभार प्रेषित करता हूं तथा भावी वर्षों में आपके श्रेष्ठ कार्य के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद, 
जय हिंद!

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