राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

विज्ञान भवन : 11.05.2017

डाउनलोड : भाषण राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 244.84 किलोबाइट)

speech1. मुझे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित किए जा रहे19वें राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस समारोह में इस दोपहर में आपके बीच होने में सचमुच बड़ी प्रसन्नता है। जब हम प्रौद्योगिकी दिवस मनाते हैं तो हम केवल दर्शनीय प्रौद्योगिकी,उद्योगों का स्मरण नहीं करते। यह उन उभरते हुए नवान्वेषकों और उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए भी है जिनके प्रयास विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लाभ में बड़ी संख्या में समाज और विशेषकर सामान्य आदमी तक पहुंचाने में सहायता कर रहे हैं।

2. वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय विकास किसी भी देश की सफलता की कुंजी है। भारत मौलिक अनुसंधान के क्षेत्र में उच्च स्थान प्राप्त देशों में से एक है। भारतीय विज्ञान प्रति कर ज्ञान का सबसे मजबूत साधन हो गया है। फिर भी आर्थिक विकास की नई आवश्यकताओं को देखते हुए अवसंरचना, कृषि, स्वास्थ्य,संवाद और शिक्षा जैसे सभी क्षेत्रों में विज्ञान एवं तकनीकी को विकासात्मक आवश्यकताओं में बदलने के लिए यह आवश्यक है।

3. मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि हमारा देश तीव्र प्रगति कर रहा है। पिछले वर्ष हमने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में असंख्य उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का समय था जब इसरो के पोलर सेटेलाइट लाँच वेहिकल ने सफलतापूर्वक ग्रह पथ में 104उपग्रह लाँच किए जिससे पीएसएलवी का निरंतर 38वां सफल मिशन पूरा हुआ। भारतीय एयरफोर्स में भारत का प्रथम लाइट कंबैट एयरक्राफ्ट तेजस प्रवेश कराया गया जिससे कष्टकारी अनुसंधान और कठिन परिश्रम के अनेक वर्षों की परिणति हासिल हुई। एयर मिसाइल में मिडियम और लाँग रेंज सरफेस की सफलतापूर्वक अग्नि परीक्षण जो इजराइल के सहयोग से डीआरडीओ द्वारा संचालित किया गया है। रुस्तम-2,अनमैंड एरियल वेहिकल का प्रथम परीक्षण फ्लाइट सफलतापूर्वक डीआरडीओ द्वारा संपन्न किया गया।

4. जबकि हम इन महत्वपूर्ण उपलब्धियों की सराहना करते हैं,हमें इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि क्या प्रौद्योगिकीय विकास केवल कुछेक क्षेत्रों तक ही सीमित रहा है। विज्ञान एवं तकनीकी में हमारी चेष्टाएं अधिक समावेशी और व्यापक होनी चाहिए जिससे हमारी बड़ी आबादी के जीवन में सुधार हो। ऐसा दृश्य निर्मित करने में, विज्ञान एवं तकनीकी विभाग एक प्रमुख भूमिका निभाता है। यह वैज्ञानिक विकास के नए क्षेत्रों को प्रोत्साहित करता है और बीज बोने और क्षमता निर्माण संबंधी आधुनिक अनुसंधान से अनुवादकीय अनुसंधान तक समस्त पारितांत्रिक का समर्थन करता है। विज्ञान एवं तकनीकी विभाग प्रौद्योगिकीय विकास और तैनाती;नवान्वेषण और स्टार्ट अप्स; और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में गहन रूप से कार्य करता है। वे ऐसा अनुसंरचना,पूरे देश में अकादमी में वैज्ञानिकों और छात्रों,अनुसंधान और विकास संस्थानों की सहायता करके संपन्न करते हैं। विज्ञान एवं तकनीकी विभाग में भारतीय विकासात्मक अभिलाषा से जुड़े उत्कृष्टता और नेतृत्व को कायम रखने के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रणाली और यांत्रिकी की स्थापना की है।

5. यह जानना खुशी की बात है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की पहलों जैसे‘राष्ट्रीय विकास और नवान्वेषण उपयोग पहल’,जिसे निधि कहा जाता है, का लक्ष्य संपत्ति और रोजगार सृजन के लिए नवान्वेषण संचालित उद्यमीय पारितंत्र निर्मित करना है। इंस्पायर कार्यक्रम,अथवा यह प्रेरणादायक अनुसंधान के अनुसरण में नवान्वेषण छात्रों को उनके जीवन की शुरुआत में ही चुन लेता है और अनुसंधान में विज्ञान एवं कैरियर अनुसरण की शुरुआत कराता है।उच्चतर शिक्षा में छात्रवृत्ति अथवा शी छात्रवृत्ति देकर और ग्रीष्म संलग्न कार्यक्रमों में उच्चतर शिक्षा का आरंभ करने के लिए प्रोत्साहित करता है। पोषण द्वारा अनुसंधान विकास में ज्ञान का समावेश’ जिसे किरण कहा जाता है,उन महिला वैज्ञानिकों को सशक्त करता है जिन्हें अपने कैरियर में सफलता मिली है। मैं विज्ञान एवं तकनीकी विभाग को देश में एक मिशन और कैरियर के रूप में विज्ञान एवं तकनीकी को प्रोत्साहित करने की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए बधाई देता हूं।

6. प्रौद्योगिकी विकास जो विज्ञान एवं तकनीकी विभाग का एक वाणिज्यि स्कंध है,स्वदेशी और आयातित प्रौद्योगिकियों के विकास और वाणिज्यिकरण में अहम भूमिका निभा रहा है। अपने20 वर्ष के अस्तित्व में बोर्ड ने भारतीय कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के अपने जनादेश का बड़े उत्साह से अनुसरण किया है। इस संबंध में इसकी भूमिका सरकार की‘मेक इन इंडिया’से संलग्न है। डीडीबी के के कुछ परियोजनाओं ने का सार्वभौमिक प्रभाव है विशेषकर फर्मास्युटिकल्स और वैक्सीन के क्षेत्र में। इसके प्रयासों के कारण भारत युनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन को बच्चों की वैक्सीन का वैश्विक प्रदायक के रूप में उभरा है।

देवियो और सज्जनो,

7. अमीर और गरीब,शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों और वर्जन अथवा कुछेक समूहों का सीमांतीकरण के बीच असमानता सामाजिक विषमताओं को जन्म दे सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि इन असमानताओं और अंतर के उन्मूलन की दिशा में और अधिक नवान्वेषों को अग्रेषित किया जाए। हमारी वैश्विक उत्कृष्टता के हमारे प्रयास में कोई भी नागरिक पीछे नहीं छूटना चाहिए। ‘सतत और समावेशी विकास प्रौद्योगिकी’समय की मांग है और यहां आप सब नवान्वेषकों,टेक्नोक्रेट्स, उद्यमी और नीति निर्धारकों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका है। आपको सुनिश्चित करना है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केवल कुछ वर्गों तक सीमित न रह जाए। देश की प्रगति और विकास निरंतर तभी बना रहेगा यदि जब सबके विकास का बड़ा लक्ष्य निर्धारित है। इसके लिए हमें सुनिश्चित करना होगा कि समाज के सभी वर्ग प्रौद्योगिकीय नवोन्वेष और वैज्ञानिक प्रगति के लाभ समान रूप से उठा सकें।

8. भारत एक समृद्ध अनेकता की भूमि है जिसमें सुदूर क्षेत्रों और छोटे से छोटे ग्रामों में भी छुपी हुई उत्कृष्ट प्रतिभाएं निहित हैं। ऐसी क्षमता को खोजने और उसे पोषित किए जाने की आवश्यकता है। हमारा देश जीवन के सभी वर्गों से दूर दराज क्षेत्रों और एकीकृत लोगों और संगठित लोगों के बीच बढ़ते हुए संपर्क की दिशा में प्रत्यक्ष प्रगति कर रहा है। यह अनिवार्य है कि हम इस दिशा में निरंतर आगे बढ़ते रहें और स्थाई रोजगार अवसरों,उद्यमिता प्रोत्साहन और विकास मॉडल निर्मित करने के लिए आगे बढ़ें जो महिलाओं और वंचितों के समावेश की अनुमति दें। इससे नागरिकों का सशक्तीकरण होगा जो कि एक सशक्त देश का और मजबूत देश की पहचान है।

देवियो और सज्जनो,

9. हमारे समक्ष अनेक चुनौतियां हैं। मुख्य क्षेत्रों जैसे ऊर्जा,शिक्षा, स्वास्थ्य लाभ और कृषि में आवश्यक ग्राउंड ब्रेकिंग नवान्वेषण की आवश्यकता है। इन क्षेत्रों में प्रौद्योगिकीय पहल के वृहत प्रयोग होंगे। इसलिए मैं यहां पर उपस्थित प्रधान से आग्रह करता हूं कि वे इन क्षेत्रों में एकल रूप से बल दें। इस अवसर पर मैं हमारे उन कृषि वैज्ञानिकों को भी मुबारकबाद देना चाहूंगा जिन्होंने रिकॉर्ड स्तर तक भारत में खाद्यान बढ़ाने में योगदान दिया है।

10. तथापि मैं यह भी कहना चाहूंगा कि रैडिकल नवान्वेषों जो विकास के दीर्घावधि संचालक हैं को हमारे पर्यावरण की लागत पर नहीं आना चाहिए। तीव्र औद्योगीकरण और अलग-अलग क्षेत्रों के परिणामी यांत्रिकीकरण से कार्बन प्रसारण में रोक लगाना अनिवार्य हो गया है। तकनीकी सर्वोच्चता के लिए हमारी जिज्ञासा में हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि एक देश की सही मायने में प्रगति आर्थिक आवश्यकताओं और प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण की पूर्ति के बीच संतुलन बनाने में है। वैश्विक जलवायु परिवर्तन के बारे में उभरते हुए हित चिंता को इस उद्देश्य की प्राप्ति में नई प्रौद्योगिकी समाधानों की प्राप्ति में प्रेरक होनी चाहिए।

11. समावेशी और सतत विकास में तैयार रणनीतियों में सार्वजनिक निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच सहयोगी प्रयासों की आवश्यकता होगी। पुष्ट और प्रभावी नीतियों से समर्थित सशक्त राजनीतिक अभिलाषा और प्रतिबद्धता;अवसंरचना और शिक्षा में निवेश; और अर्थव्यवस्था युक्त प्रौद्योगिकीयों के अधिग्रहण पर केंद्रीत होकर सशक्त राजनीतिक अभिलाषा हमें सततता पर बिना किसी समझौते के समावेशी विकास को बढ़ाने में सहायता करेगी।

12. मैं नवान्वेषकों,नीति निर्धारकों, और प्रौद्योगिकीय अग्रणी और आज यहां पर एकत्रित प्रौद्योगिकीय अग्रणियों का मिलकर चलने और विकास की ऊंचाइयों तक देश को ले जाने के लिए उन्हें प्रोत्साहन देता हूं। भारत को विश्व के साथ चलने के लिए सुदृढ़ करो। मैं यहां पर उपस्थित आप सभी को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद। 
जय हिंद

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