राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद की ‘जन रिपोर्ट’ 2012 ग्रहण करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 02.11.2012

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मुझे राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद की दूसरी वार्षिक ‘जन रिपोर्ट’ प्राप्त करके प्रसन्नता हो रही है। विभिन्न क्षेत्रों के प्रख्यात व्यक्तियों को लेकर इस परिषद का गठन, अगले दशक को भारत के नवान्वेषण दशक के रूप में स्वरूप देने की सरकार की संकल्पना को साकार करने के लिए किया गया था।

नवान्वेषण, तीव्र प्रौद्योगिक प्रगति के इस युग में, विकास और तरक्की की कुंजी है। जहां स्वास्थ्य, शिक्षा, जल, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में पूरी न होने वाली अपार मांगें हों वहां एक नवान्वेषी दृष्टिकोण और अधिक जरूरी हो जाता है। नवान्वेषण ऐसी चुनौतियों के लिए समाधान प्रदान कर सकता है और इस प्रक्रिया से बहुत से लोग भारत की विकास यात्रा से लाभान्वित हो सकते हैं।

भारत में नवान्वेषण की बहुत सारी संभावनाएं मौजूद हैं। हमारी अधिक जनसंख्या का फायदा और प्रगतिशील लोकतंत्र, नवान्वेषण की प्रचुर संभावना प्रस्तुत करते हैं परंतु 25 वर्ष से कम आयु के 550 मिलियन लोगों की हमारी जनसंख्या के लिए यह जरूरी हो जाता है कि हम उनके लिए नए अवसर पैदा करते हुए सतत् तरीके से उनकी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए नवान्वेषण करें।

जैसा कि राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद ने अपनी ‘जन रिपोर्ट’ में उल्लेख किया है कि हमें विकास का अपना ही मॉडल तैयार करना होगा जो हमारी विशिष्ट आवश्यकताओं विशेषकर समतापूर्ण विकास की चुनौती पर आधारित हो। हमें वहनीयता, निरंतरता और मात्रा पर ध्यान केंद्रित करना होगा। भारत को आज ऐसे उत्पादों और सेवाओं के नवान्वेषण करने की जरूरत है जो वहनीय हों और जिनकी कुशलता या गुणवत्ता किसी तरह कम न हो। यदि हम अपने राष्ट्र के लोगों को वास्तव में सशक्त बनाना चाहते हैं तो नवान्वेषण के इस मॉडल को हमें अपने कार्य परिवेश में शामिल करना होगा। यह शेष विश्व के लिए सतत् विकास के एक मॉडल के तौर पर भी कार्य कर सकता है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद ने समावेशी विकास पर विशेष बल देकर देश को नवान्वेषण के पथ पर मजबूती से अग्रसर करने के अनेक प्रयास किए हैं। परिषद द्वारा निम्नतम् आय वर्ग पर केन्द्रित नवान्वेषी उद्यमों को वित्त सहायता देने की प्रक्रियाएं निर्मित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है और यह भारत समावेशी नवान्वेषण कोष स्थापित करने की तैयारी कर रही है। यह फंड 500 करोड़ रुपए के शुरुआती कोष से चलाए जाने का प्रस्ताव है। भारत सरकार ने इस फंड की आरंभिक धनराशि के रूप में 100 करोड़ रुपए के आबंटन का प्रावधान कर दिया है।

भारत में लगभग 5000 लघु और मध्यम पैमाने के क्षेत्रीय औद्योगिक संकुल हैं जो अपनी पूर्ण क्षमता का प्रयोग नहीं कर पाते और उनकी उत्पादकता को इष्टतम किए जाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद्, लघु और मध्यम उद्यमों पर बल देते हुए नौकरी पैदा करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए उद्योग नवान्वेषण संकुलों के निर्माण में सहायता करके इन उद्योग संकुलों में नवान्वेषण के बीज अंकुरित कर रहा है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय तथा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद भी इस प्रयास में राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद को सहयोग दे रहे हैं। हमें इन प्रयासों से, समूहों की नवान्वेषण क्षमता तथा तेजी से नौकरियां बढ़ाने के क्षेत्र में परिणामों से उम्मीद है।

शैक्षिक संस्थानों में नवान्वेषण की भावना पैदा करके और उसे प्रोत्साहित करके समाज में नवान्वेषण का प्रभाव बढ़ाने तथा अपनी अधिक जनसंख्या से लाभ प्राप्त करने का आधार तैयार हो सकता है। राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद पाठ्यक्रमों में सुधार के माध्यम से स्कूलों और कॉलेजों में नवान्वेषण प्रोत्साहित करने, विद्यार्थियों के बीच प्रतिभावान नवान्वेषकों का पता लगाने तथा नवान्वेषण फैलोशिप प्रदान करने के कदम उठा रही है। परिषद इन प्रयासों को अमल में लाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ मिलकर कार्य भी कर रही है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि मंत्रालय शैक्षिक वर्ष 2013 से राष्ट्रीय नवान्वेषण छात्रवृत्ति योजना के तहत 1000 छात्रवृत्तियां शुरू करने की योजना बना रहा है।

मुझे बताया गया है कि राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय विश्व में पहली बार मेटा यूनिवर्सिटी के निर्माण की दिशा में मिलकर कार्य कर रहे हैं। मेटा यूनिवर्सिटी राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का स्थान लेगी और बहुविधात्मक शिक्षण को बढ़ावा देगी। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि मंत्रालय पहले ही दिल्ली में मेटा यूनिवर्सिटी की स्थापना में सहयोग कर चुका है। इसमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली भागीदारी कर रहे हैं।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सरकार की ग्रामीण ब्राडबैंड योजना पर कार्य कर रहा है जिसका लक्ष्य देश की 250000 पंचायतों को एक ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ना है। यह ग्रामीण ब्रॉडबैंड नेटवर्क ग्रामीण नागरिकों को न केवल सूचना सुलभ करवाने बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में सम्बंधित अनुप्रयोगों के जरिए उन्हें सशक्त बनाकर जमीनी स्तर पर नवान्वेषण के अभूतपूर्व अवसर पैदा करेगा।

जहां नवान्वेषण अनेक भागीदारों के बीच नेटवर्क और सहयोग का परिणाम है, वहीं सरकार एक ऐसा उपयुक्त ढांचा बनाने में प्रमुख भूमिका निभा सकती है जिसमें सभी भागीदार परस्पर संवाद कर सकते हैं। राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद भी प्रत्येक राज्य में राज्य नवान्वेषण परिषदों तथा केन्द्र सरकार के मंत्रालयों से जुड़ी क्षेत्रीय नवान्वेषण परिषदों की स्थापना में सहयोग द्वारा सरकारी नवान्वेषण प्रोत्साहित करने के लिए एक संस्थागत ढांचा तैयार करने हेतु कार्य कर रही है। मुझे उम्मीद है कि इससे सरकार के विभिन्न अंग नए ढंग से सोचने के लिए प्रोत्साहित होंगे।

मैं, इन अग्रणी प्रयासों के लिए श्री पित्रोदा और राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद की उनकी टीम को बधाई देता हूं। मैं परिषद के प्रयासों में पूर्ण सहयोग देने के लिए संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भी सराहना करता हूं। मैं देश में नवान्वेषण को प्रोत्साहित करने के कार्य की ओर अग्रसर राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद की सफलता की कामना करता हूं।

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