‘राष्ट्रीय एजेंडे में भागीदारी’ विषय पर राष्ट्रीय कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व सम्मेलन में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 29.04.2015
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1.राष्ट्रीय कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। सर्वप्रथम, मैं भारतीय उद्योग परिसंघ को देश में एक सुदृढ़, सतत् कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व अभियान का निर्माण करने पर केंद्रित इस वार्षिक कॉन्क्लेव के आयोजन हेतु बधाई देता हूं। मैं राष्ट्रीय कॉरपोरेट शासन प्रतिष्ठान की भी सराहना करता हूं जिसके साथ भारतीय उद्योग परिसंघ ने इस 2015 के सम्मेलन के आयोजन के लिए साझीदारी की है। सरकार ने पिछले कुछ महीनों के दौरान कुछ प्रमुख राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और कार्यक्रमों की घोषणा की है। इसलिए यह उपयुक्त है कि इस समय यह सम्मेलन ‘राष्ट्रीय एजेंडे में भागीदारी’ विषय पर आयोजित किया गया है।
2.मुझे इस महत्वपूर्ण समारोह में अनेक प्रमुख उद्योग प्रमुखों को भाग लेते देखकर खुशी हुई है। आप मेधावी कारोबारी, दक्षता,बहुमूल्य अनुभव और व्यापक विशेषज्ञता युक्त प्रमुख हैं। आपको अपने कारोबार को उत्कृष्टता के मॉडलों के रूप में विकसित करने का दायित्व सौंपा गया है। याद रखें कि इसके लिए न केवल प्रबंधन सिद्धांतों का उपयोग बल्कि उस सामाजिक-आर्थिक वास्तविकता की बेहतर समझ की भी जरूरत होगी जिसमें आपकी कंपनी कार्य कर रही है। आपका उद्देश्य मात्र लाभ कमाने से कहीं ज्यादा बड़ा है। शेयरधारकों की संपत्ति को बढ़ाने की तरह आपके लिए संपूर्ण समाज को उन्नत बनाना भी जरूरी है। जागरूक उद्योग प्रमुखों के रूप में अच्छा होगा कि आप कारोबार के इस नए सिद्धांत को अपनी कॉरपोरेट कार्यनीति में भली-भांति शामिल कर लें।
देवियो और सज्जनो,
3. कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व का विचार भारत के लिए नया नहीं है। महात्मा गांधी ने संरक्षण के सामाजिक-आर्थिक दर्शन का समर्थन किया था। इससे धनी लोगों को जनसाधारण के कल्याण का ध्यान रखने के लिए संरक्षक बनने का अवसर उपलब्ध करवाया गया। कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व धीरे-धीरे कॉरपोरेट ढांचे में विकसित हुआ। कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व का संबंध किसी कंपनी की उस उत्तरदायित्व भावना से है जो शेयरधारकों से आगे बढ़कर सभी भागीदारों, विशेषकर उन लोगों और परिवेश तक पहुंचती है जो उसके कार्य के दायरे के तहत आते हैं। यह कॉरपोरेट नागरिकता की भावना को परिलक्षित करता है। इसमें यद्यपि कोई व्यावसायिक प्रतिष्ठान प्रत्यक्ष वित्तीय लाभ के बिना अल्पकालिक लागत वहन करता है परंतु दीर्घकाल में वह सामाजिक और पर्यावरणीय फायदों के जरिए लाभ अर्जित करता है।
4.भारतीय उद्योग ने समाज की बेहतरी में योगदान के प्रति गहरी रुचि प्रदर्शित की है। सामाजिक-आर्थिक विकास के कार्य की जिम्मेदारी को धीरे-धीरे सरकार और उद्योग की साझी जिम्मेदारी माना जाने लगा है। इस कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व संबंधी जागरूकता को कंपनी अधिनियम 2013 के कानूनी ढांचे के माध्यम से और अधिक प्रोत्साहन हासिल हुआ है। अधिनियम की धारा 135 में निर्धारित किया गया है कि निवल संपत्ति, कुल बिक्री अथवा विशुद्ध लाभ के आधार पर पात्र प्रत्येक कंपनी विनिर्दिष्ट कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व कार्यकलापों के निर्वाह के लिए नीति तैयार करने हेतु बोर्ड की एक समिति गठित करेगी। अधिनियम में यह भी प्रावधान किया गया है कि ऐसी कंपनियां पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान अर्जित औसत विशुद्ध लाभ का कम से कम दो प्रतिशत वित्तीय वर्ष के दौरान खर्च करेंगी।
5. इस प्रावधान से भारतीय कंपनियों को सामाजिक क्षेत्र में भागीदारी के लिए अनुमानित रु. 8000 से20,000 करोड़ तक की बड़ी धनराशि जारी करने में मदद मिलेगी। अब यह सुनिश्चित करने के लिए एक ढांचागत विकास कार्यनीति की जरूरत है कि इस धन को समाज के लिए सबसे लाभकारी क्षेत्रों में लगाया जाए। भारत जैसे विशाल देश में,कार्यक्रमों की सफलता के लिए व्यापकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय उद्योग परिसंघ जैसे अग्रणी उद्योग संघों को व्यापक उच्च प्रभाव वाले कार्यक्रमों के निर्माण के लिए कंपनियों द्वारा निधियों को एकजुट करने को प्रोत्साहित करना चाहिए। इस संदर्भ में, विभिन्न व्यावसायों की कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पहलों को सशक्त बनाने के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा स्थापित फाउंडेशन सराहनीय है।
देवियो और सज्जनो,
6.समावेशी विकास हमारी सरकारी नीति का एक घोषित उद्देश्य है। हमारे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए जरूरी ढांचा मुहैया करवाने हेतु सरकार और कॉरपोरेट क्षेत्र के सघन सहयोगी प्रयास आवश्यक हैं। कॉरपोरेट सेक्टर को स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व संबंधी पहलों को और अधिक प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए। सरकार ने इस दिशा में अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं आरंभ की हैं। उदाहरण के लिए,स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर अर्थात 02 अक्तूबर 2019 तक भारत को स्वच्छ बनाना है; सांसद आदर्श ग्राम योजना में चुनिंदा गांवों के समेकित विकास की परिकल्पना की गई है। कॉरपोरेट सेक्टर इन योजनाओं में तालमेल विकसित करने के लिए अनेक मॉडलों पर कार्य कर सकता है।
7.स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सी कंपनियों ने प्रतिष्ठित संस्थान स्थापित किए हैं। निजी सेक्टर, सरकारी स्कूलों में ढांचागत आवश्यकताओं को पूरा करने तथा अध्यापकों के कौशल उन्नयन में निवेश करके अपने कल्याणकारी कार्य का विस्तार ग्रामीण इलाकों तक कर सकता है। कंपनियां ऐसे प्रयासों के लिए कुछ निश्चित विकास खंडों और जिलों को गोद ले सकती हैं। इसे कुपोषण जैसी बुराइयों और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के हल करने के प्रयासों के साथ जोड़ा जा सकता है। यह जानकर खुशी होती है कि भारतीय उद्योग परिसंघ ने अपनी सदस्य कंपनियों के माध्यम से स्कूलों में लगभग 10,000 शौचालय निर्माण का वादा किया है। इस प्रयास से न केवल गुणवत्तापूर्ण संस्कृति विकसित करने बल्कि बच्चों, विशेषकर बालिकाओं को स्कूल तक लाने में मदद मिलेगी।
8.भारत में एक जनसांख्यिकीय बदलाव जारी है और 125 करोड़ में से हमारी आधी आबादी 25 वर्ष से कम आयु की है। एक दशक से भी कम समय में हमारे यहां दुनिया की सबसे अधिक कामकाजी आयु वाली जनसंख्या होगी। भारत की यह विशाल युवा जनसंख्या तभी लाभदायक फायदा बन सकती है जब वह सशक्त हो और अपनी क्षमता को साकार करने में सक्षम हो। हम सभी पर 2025 तक 50करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित और कुशल बनाने की जिम्मेदारी है। मुझे विश्वास है कि उद्योग, सरकार के इन प्रयासों में सक्षम साझीदार से कहीं बढ़कर साबित होगा।
9.कॉरपोरेट सेक्टर को भी कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए निर्धारित व्यय से आगे बढ़कर ऊर्जा संरक्षण; पर्यावरण सुरक्षा तथा उत्पादकता और औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कर्मिकों के बीच नवान्वेषी भावना के विकास जैसे कार्यकलापों की दिशा में आगे कदम बढ़ाना चाहिए। मेरे विचार से, धन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों के तेजी से कार्यान्वयन के लिए नवान्वेषी विचार, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन जरूरी है भारतीय उद्योग को अपनी विशेषताओं और क्षमताओं का उपयोग करते हुए विभिन्न प्रकार से कार्यक्रमों में अपनी विशेषज्ञता प्रदान करनी चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
10.हमारे देश के विभिन्न भागों में विविधता और विकास के स्तर को देखते हुए कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व सभी के लिए उपयुक्त उपाय नहीं हो सकता। कार्यक्रम तैयार करते समय, उद्योग प्रमुखों और कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व विशेषज्ञों को उन मुद्दों पर गौर करना चाहिए जो विभिन्न इलाकों के लिए प्रासंगिक हैं। इसी प्रकार, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कंपनियां समूचे भारत को देखें न कि कुछ ही हिस्से पर ध्यान केंद्रित करें। उद्योग को गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए। उन्हें जमीनी स्तर पर विकास आवश्यकताओं की जानकारी है और वे कार्यक्रमों की सुपुर्दगी में अंतिम छोर पर सहयोग प्रदान कर सकते हैं।
11.कॉरपोरेट क्षेत्र को ऐसे स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं का समर्पित कैडर भी तैयार करना चाहिए जो आधारभूत परिवर्तन के लिए व्यक्तिगत ऊर्जा और रचनात्मकता का उपयोग कर सकें। भारतीय उद्योग परिसंघ के इंडिया @ 75कार्यक्रम को 2022 तक आर्थिक मजबूती, प्रौद्योगिक ऊर्जस्विता और नैतिक नेतृत्व के जरिए भारत को विश्व के मुखिया के रूप में उभरते हुए देखने की संकल्पना के साथ आरंभ किया गया था। यह उन युवा उद्यमियों को एकजुट करने का मंच है जो देश में कुछ नया करना चाहते हैं। कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व को इस पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
12.कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के बारे में सकारात्मक वातावरण तैयार करने के लिए कंपनियों द्वारा किए गए कार्य की जानकारी का प्रचार-प्रसार आवश्यक है। उतना ही महत्वपूर्ण उस कार्य को जारी रखना है जिसे एक कंपनी ने इस क्षेत्र में शुरू किया है। मुझे बताया गया है कि भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज तथा भारतीय उद्योग परिसंघ ने विश्व के प्रथम कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व एक्सचेंज का विकास करने के लिए हाथ मिलाया है। इससे कॉरपोरेट क्षेत्र को सामाजिक रूप से जिम्मेदार बनाने, कार्यान्वयन साझीदारों के साथ जोड़ने तथा नई सामाजिक उत्तरदायित्व अपेक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। मैं इसके लिए आप सभी की सराहना करता हूं।
13.मुझे विश्वास है कि यह कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व सम्मेलन भारत में एक समावेशी, सुहृदय और दायित्वपूर्ण समाज के निर्माण के लिए बहुत से नवान्वेषी विचार और पद्धतियां सामने लाएगा। मुझे आगामी वर्ष के दौरान इसके निष्कर्ष और कार्य योजना की प्रतीक्षा रहेगी। मैं सम्मेलन की भारी सफलता की कामना करता हूं। मैं आपके प्रयासों की कामयाबी के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं। मैं महात्मा गांधी के शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं, ‘व्यक्ति उसी अनुपात में महान बनता है जिस अनुपात में वह अपने साथी मनुष्यों के कल्याण के लिए कार्य करता है।’
धन्यवाद!
जयहिन्द।