राष्ट्र को ‘रुपे’ कार्ड समर्पित करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

नई दिल्ली : 18.05.2014

डाउनलोड : भाषण राष्ट्र को ‘रुपे’ कार्ड समर्पित करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 219.31 किलोबाइट)

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मुझे आज अपराह्न में रुपे समर्पण समारोह में आपके बीच उपस्थित होकर वास्तव में खुशी हो रही है।

2. मुझे बताया गया है कि रुपे पांच वर्षों की कड़ी मेहनत का फल है। यह एक नई सेवा है जो देश में लोगों और संगठनों को नकद, चेक, ड्राफ्ट अथवा तार अंतरण के स्थान पर भुगतान कार्ड का प्रयोग करके आपसी भुगतान की सुविधा प्रदान करता है। मैं समझता हूं कि भारत विश्व के कुछ ऐसे देशों में से है जिसके पास देश की कार्ड आधारित भुगतान प्रणाली की जरूरतों को पूरा करने के लिए देश में निर्मित एक नेटवर्क मौजूद है। मैं भारतीय रिजर्व बैंक को वर्ष 2005 में स्वदेशी प्रबंधन के तहत इस सेवा की परिकल्पना करने तथा इस कार्य को राष्ट्रीय भुगतान निगम को 2010 में इसकी स्थापना के तुरंत बाद सौंपने के लिए बधाई देता हूं। मुझे बताया गया है कि पुरी तरह कार्यात्मक कार्ड भुगतान नेटवर्क को बनाने में प्राय: पांच से सात वर्ष लगते हैं। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि निगम ने अप्रैल 2013 में ही रुपे सेवा को आरंभ कर दिया था। आज रुपे कार्डों को सभी एटीएम में तथा 90 प्रतिशत बिक्री स्थल टर्मिनलों में तथा 10,000 से अधिक ई-कॉमर्स व्यापारियों द्वारा स्वीकार किया जाता है। यह भी प्रसन्नता की बात है कि कुछ बैंकों ने ऐसे कार्ड जारी करना शुरू कर दिया है जो अंतरराष्ट्रीय साझीदार के नेटवर्क के माध्यम से पूरी दुनिया में स्वीकार किए जाते हैं। रुपे स्कीम से कार्ड जारी करने वाले बैंकों को किसान कार्ड, खाद्यान खरीद कार्ड तथा वित्तीय समावेशन कार्ड जैसे विशेष उद्देश्य कार्ड जारी करने के लिए लचीलापन मिलता है।

3. मुझे सूचित किया गया है कि कार्ड भुगतान प्रणाली एक सुदृढ़ चार-पक्षीय प्रचालन प्रक्रिया पर कार्य करती है जो कि विश्व के सभी देशों द्वारा एकसमान रूप से अपनाई गई है। चार पक्षों अर्थात जारीकर्ता बैंक, उपभोक्ता, व्यापारी तथा प्राप्तकर्ता बैंक की भूमिका तथा उत्तरदायित्व अच्छी तरह से निर्धारित हैं तथा यह प्रक्रिया सभी देशों में एक सी है। इस स्कीम के केंद्र में ‘राष्ट्रीय भुगतान निगम’ जैसे कार्ड स्कीम प्रदाता होते हैं जो समाशोधन तथा भुगतान करते हैं। सृजनात्मकता इस बात में निहित है कि जारीकर्ता बैंकों द्वारा उपभोक्ता की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने वाले उत्पाद विकसित किए जाएं। जब एक बार कार्ड भुगतानों के लिए रास्ता तैयार हो जाता है तो उसी कार्ड को नकदी निकालने तथा लेन-देन के प्रेषण के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसी तरह उसी कार्ड का उपयोग इंटरनेट पर बिलों के भुगतान तथा ई-कॉमर्स लेन-देन के लिए भी किया जा सकता है।

4. भारत जैसे विशाल देश के लिए, जिसकी अर्थव्यवस्था प्रगतिशील है, आने वाले वर्षों में भुगतान के लेने-देन की मात्रा, खासकर कार्ड के माध्यम से, काफी अधिक रहेगी। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था अधिक परिपक्व होगी तथा इंटरनेट की उपलब्धता बढ़ेगी, आज जो लेन-देन नकद अथवा चेक से होते हैं वह धीरे-धीरे कार्ड आधारित लेन-देन में बदल जाएंगे। आशा है कि रुपे जैसी स्वदेशी प्रणाली भुगतान के माध्यम के रूप में न केवल नकदी और चेक पर निर्भरता को कम करेगी वरन् इससे देश के अंदर विभिन्न उपभोक्ता समूहों की विशिष्ट जरूरतों के आधार पर उत्पादों की पेशकश करने में भी आसानी रहेगी।

5. मुझे बताया गया है कि रुपे का एक ऐसा ही नवान्वेषण किसान कार्ड है जो किसानों को बिना बैंकों की शाखा में गए, किसी भी एटीएम से नकदी निकालने में सक्षम बनाता है। यह कार्ड उर्वरक/खेती के उपकरण की दुकानों अथवा किसान कार्ड में बताई गई आम खपत के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। मैं बैंकों को किसान कार्ड स्कीम के क्रियान्वयन में सक्षम बनाने के लिए राष्ट्रीय भुगतान निगम को बधाई देता हूं। अभी तक जो सत्तर लाख कार्ड जारी किए गए हैं वह इसकी क्षमता का केवल अंशमात्र है। दुग्ध खरीद एजेंसियों द्वारा दुग्ध खरीदने के लिए जारी प्रीपेड कार्ड तथा पंजाब में खाद्यान्न खरीद एजेंसियों द्वारा जारी प्रीपेड कार्ड आदि कार्ड भुगतान तंत्र के कुछ अन्य संस्करण हैं, जिसका महत्व केवल देश में विकसित भुगतान प्रणाली ही समझ सकती है तथा उसका तेजी से कार्यान्वयन कर सकती है।

6. इस पृष्ठभूमि में राष्ट्र को रुपे का समर्पण किया जाना, भारत में विकसित भुगतान प्रणाली की परिपक्वता तथा देश के निर्माण में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के योगदान का प्रतीक है। मुझे राष्ट्र को अपने कार्ड रुपे को समर्पित करते हुए खुशी हो रही है तथा मैं आने वाले वर्षों में इसकी बड़ी सफलता की कामना करता हूं।

धन्यवाद, 
जय हिन्द!

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