राजकीय टी डी मेडिकल कॉलेज के स्वर्ण जयंती समारोहों के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 22.03.2013

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सबसे पहले मैं उन सभी युवा और उदीयमान वैज्ञानिकों तथा इंस्पायर पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं जो देश के विभिन्न स्थानों से यहां आए हैं। प्यारे युवा विद्यार्थियो, मैं आप में भारत का भविष्य देखता हूं, यह निश्चित है कि भावी भारत का स्वरूप देश के युवाओं द्वारा निर्धारित होगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण विकास की नई इबारत लिखेंगे।

प्यारे बच्चो, औद्योगिकीकरण के बाद की दुनिया को पिछली सदियों से जिसने अलग किया है, वह है विज्ञान और प्रौद्योगिकी। आज हम पृथ्वी पर जिस प्रकार रहते हैं, उसमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने बहुत बदलाव किया है। इक्कीसवीं सदी में जो देश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का प्रयोग करेंगे, उनकी वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने की संभावना होगी। ज्ञान के विश्व में परिवर्तन के अगले कारक के रूप में भी आगे आने की संभावना है। आपमें से बहुत से उस परिवर्तन के कारक बनेंगे जो कि भारत तथा विश्व में होने जा रहे हैं।

भारत के पास अपनी मजबूत वैज्ञानिक तथा तकनीकी मानवशक्ति के सहारे, आने वाले समय में एक बड़ी ज्ञान शक्ति के रूप में उभरने का अवसर है। इस स्वप्न को साकार बनाने के लिए हमें अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना होगा। कोई देश यदि कोई सर्वोत्तम निवेश कर सकता है, तो वह है अपनी युवा शक्ति में। बड़ी जनसंख्या तथा वृहत वैज्ञानिक प्रतिभा से प्राप्त बढ़त का फायदा उठाने के लिए हमने विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवाचार नीति 2013 घोषित की है। इंस्पायर स्कीम इस नव-घोषित नीति के कार्यान्वयन में उत्प्रेरक का काम करेगी।

प्यारे बच्चो, आप भारत का भविष्य हैं। इसलिए, देश ने आप में निवेश करने का फैसला लिया है। ‘प्रेरक अनुसंधान के लिए विज्ञान के प्रयासों में नवान्वेषण’ (इंस्पायर), भारत द्वारा अपने युवाओं में एक महत्त्वपूर्ण निवेश है। मैं मंत्रालय को इस पहल के लिए बधाई देता हूं। मुझे बताया गया है कि आप सभी, जो यहां एकत्र हुए हैं, वह ऐसे 5.2 लाख बच्चों में से छांटे गए हैं जिन्हें इंस्पायर पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। मुझे खासकर यह जानकर खुशी हो रही है कि इंस्पायर पुरस्कारों की स्थापना से अब तक कुल 8 लाख अनुमोदित पुरस्कारों में से लगभग 48 प्रतिशत इंस्पायर विजेता लड़कियां हैं। मुझे बताया गया है कि आप सबने राष्ट्रीय स्तर की परियोजना प्रदर्शन प्रतियोगिता में भाग लिया तथा राज्य क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों के लिए चुने गए हैं। इस स्तर तक पहुंचने के लिए आपने बहुत से स्तरों को पार किया है। मैं आप सभी में से हर एक को, तथा युवाओं के एक ऐसे समूह के रूप में भी बधाई देता हूं जो कि संभवत: इस देश का नया भविष्य रचने वाले हैं।

मुझे बताया गया है कि आप में से कई व्यक्तियों की परियोजना प्रविष्टियां इतनी शानदार हैं कि विभाग इनमें से कुछ को पेटेंट करवाने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। आपने अच्छी प्रतिभा दशाई है। आपमें से कई वैज्ञानिक, इंजीनियर, चिकित्सक तथा पेशेवर अनुसंधानकर्ता बन सकते हैं। आप विज्ञान के नए पहलुओं की खोज उसी तरह कर सकते हैं जिस तरह सी.वी. रमन, जे.सी. बोस, एस.एन., बोस तथा श्रीनिवास रामानुजन ने की थी। विज्ञान में खोज प्रक्रिया मनुष्य की सबसे आकर्षक गतिविधि बनी रहेगी।

भारत एक विकासशील देश है तथा हमें समाज की कई चुनौतीपूर्ण समस्याओं का हल ढूंढ़ना है। हमें अपनी खाद्य, ऊर्जा, जल तथा स्वास्थ्य देखभाल संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए नई प्रौद्योगिकियों की तलाश करनी होगी। भारत को समाधानों के डिजायनकर्ताओं की नई पीढ़ी की जरूरत होगी तथा यह ऐसा क्षेत्र है, जहां आप सभी योगदान दे सकते हैं।

एडिसन का उदाहरण लें। उन्होंने बिजली के बल्बों को बनाने का ऐसा आविष्कार किया जो प्रकाश दे। उनके इस आविष्कार ने पूरी दुनिया में लोगों का जीवन बदल दिया और आज हम बिजली के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। हम ऐसे असंख्य अविष्कारों की सूची बना सकते हैं जिन्होंने हमारे काम करने के तथा आधुनिक समाज में हमारे रहने के तरीके में कायापलट कर दिया।

इंस्पायर का उद्देश्य है इस देश के युवाओं को वैज्ञानिक तथा अनुसंधानकर्ता बनने में सहायता देना। भारत ने अनुसंधान एवं विकास तथा शिक्षा सेक्टर में काफी निवेश करना शुरू कर दिया है। कई नए अकादमिक तथा अनुसंधान संस्थान पिछले दस वर्षों के दौरान स्थापित किए गए हैं। मेधावी युवाओं को अनुसंधानकर्ता बनने के नए अवसर मिलेंगे। हमारे औद्योगिक तथा कृषि सेक्टर ने भी अब अनुसंधान एवं विकास में अधिक निवेश शुरू कर दिया है। पूरी दुनिया में, भारतीय प्रतिभा का सम्मान किया जाता है। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने वैश्विक अनुसंधान एवं विकास केंद्र भारत में स्थापित किए हैं। एक तरह से, भारत की अनुसंधान एवं विकास क्षमता नियेजित निवेश के लिए अभी खुल ही रही है। इन कार्यों से उन लोगों के लिए नए अवसर और नई चुनौतियां सामने आ रहे हैं जो कि स्वप्न देख सकते हैं और उनकी उपलब्धि के लिए कोई सीमा नहीं है।

सर सी.वी. रमन ने भारत में अपने कार्य के लिए विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। एस. चंद्रशेखर, हरगोविंद खुराना तथा हाल ही में वैन्की रामकृष्णन जैसे लोगों को विदेशों में किए गए अपने कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुए। भारत करोड़ों मस्तिष्कों के, करोड़ों नवान्वेषी विचारों का देश है और यदि हम इन मस्तिष्कों को प्रेरित कर सकें और इनमें से कुछ को वास्तविकता में बदल सकें तो इससे न केवल व्यक्तियों का, बल्कि पूरे देश का नाम ऊंचा होगा। मुझे भरोसा है कि यहां उपस्थित युवा वैज्ञानिक, भारत को राष्ट्रों के उस समूह में परिवर्तित कर देंगे जिन्हें विभिन्न खोजों तथा उत्पादों के पेटेंट होने का गौरव हासिल है और इस प्रक्रिया से भारत का एक ऐसी ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में उदय होगा जिसमें उसके पास अपनी जरूरतों के लिए खुद के समाधान होंगे।

वैज्ञानिक सर्जनात्मकता जीवन के आरंभिक वर्षों में पुष्पित होती है। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि आप सभी ने सही उम्र में अपने सर्जनात्मक परियोजनाएं शुरू की। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि हमारे अपने सी.वी. रमन ने अपना पहला पर्चा 18 वर्ष की उम्र में लिखा, रामानुजन ने अपना अनुसंधान 17 वर्ष की उम्र में शुरू कर दिया था तथा खगोल भौतिकीविद् चंद्रशेखर ने नोबेल पुरस्कार विजेता संबंधी अपना कार्य तब कर लिया था जब वे 19 या 20 वर्ष के थे। यह सूची लंबी है परंतु रुझान साफ है। आप सभी ने वैज्ञानिक बनने की क्षमता दिखाई है।

यह सुनिश्चित करने की समाज की तथा हम सभी की जिम्मेदारी है कि राष्ट्र के रूप में हम आपकी वैज्ञानिक क्षमताओं को आगे बढ़ाएं। मुझे खुशी है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय पूरे देश में फैले स्कूलों के साथ सहयोग करते हुए, इस कार्य में लगा है और यह कार्य इंस्पायर पुरस्कारों के ई-प्रबंधन से और सुचारू रूप से होगा। समाज के सर्जनात्मक मस्तिष्कों के सदुपयोग का यह एक तरीका है। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए कई तरीके ढूंढ़ने होंगे कि इस देश में कोई भी सर्जनात्मक विचार बिना प्रोत्साहन पाए न रहे। इससे यह सुनिश्चित हो पाएगा कि एक देश के रूप में हम अपनी वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकीय जरूरतों के प्रति आत्मनिर्भर हैं तथा इस प्रक्रिया में हम ज्ञान आधारित उत्पादों के निर्यातकों के रूप में उभरें।

राष्ट्रपति भवन में हाल ही में आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में मैंने राष्ट्रीय नवान्वेषण क्लबों की स्थापना करने तथा जमीनी नवान्वेषकों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों से जोड़ने के लिए कहा था। इससे जमीनी नवान्वेषण मूल्य संवर्धित प्रौद्योगिकियों में बदल जाएंगे। इन केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अपनी यात्राओं के दौरान मुझे क्षेत्रीय नवान्वेषकों से मिलने तथा यह देखने का मौका मिलेगा कि नवान्वेषकों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के बीच संबंध अच्छी तरह स्थापित हुए हों, जिससे समाज और कुल मिलाकर पूरे देश को लाभ पहुंचे।

मैं, एक बार फिर से इंस्पायर पुरस्कार विजेताओं को उनकी प्रतिभा, कठोर परिश्रम तथा विज्ञान के प्रति उनके समर्पण के लिए बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि अपने समर्पण तथा कठोर परिश्रम से आप वह सब पा सकते हैं जिसकी आपको आकांक्षा है।

मैं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा सभी सहयोगी स्कूलों को भी युवा वैज्ञानिकों की संभावनाओं को साकार करने में उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए बधाई देता हूं।

जय हिंद!

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