प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अपने स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित प्रवर्तन दिवस समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 01.05.2014

डाउनलोड : भाषण प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अपने स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित प्रवर्तन दिवस समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 217.83 किलोबाइट)

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मुझे आज प्रवर्तन दिवस के अवसर पर यहां उपस्थित होकर बहुत खुशी हो रही है। स्थापना दिवस को मनाया जाना इसलिए उपयोगी है क्योंकि इससे हमें थोड़ा रुककर यह चिंतन करने का मौका मिलता है कि इसने कहां से शुरुआत की थी, आज हम कहां हैं तथा हमारी भावी कार्ययोजना क्या है।

2. मैं इस अवसर पर रूसी फेडरेशन के श्री ब्लादिमिर नेचाएव, प्रेजिडेंट ऑफ द फॉइनेन्सियल एक्शन टॉक्स फोर्स तथा स्विस कॉन्फेडरेशन के फेडरल ऑफिस ऑफ जस्टिस के श्री मारियो मिचेल एफेन्ट्रेन्जर का स्वागत करता हूं। श्री नेचाएव की उपस्थिति से फॉइनेन्सियल एक्शन टॉस्क फोर्स में भारत की भूमिका रेखांकित होती है। मुझे इस अवसर पर याद आ रहा है कि तत्कालीन वित्तमंत्री के रूप में मैंने वह कार्य योजना अनुमोदित की थी जो भारत ने फॉइनेन्सियल एक्शन टॉस्क फोर्स को प्रस्तुत की थी, जिसके परिणामस्वरूप भारत इस अंतर-सरकारी संगठन का सदस्य बना था। मुझे संसद में धनशोधन रोक अधिनियम से संबंधित संशोधन विधेयक 2011 को भी प्रस्तुत करने का अवसर मिला था, जिसके द्वारा हमारे देश ने फाइनेन्सियल एक्शन टॉस्क फोर्स की सिफारिशों के अनुरूप धनशोधन कानून को मजबूती प्रदान की थी। श्री एफेन्ट्रेन्जर की उपस्थिति से स्विटजरलैंड एवं भारत के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों तथा दोनों देशों की एजेंसियों के बीच साझीदारी भी रेखांकित होती है। धनशोधन एक वैश्विक समस्या है तथा विश्वभर की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इसका सामना करने के लिए सहयोग करना होगा।

देवियो और सज्जनो,

3. किसी भी लोकतंत्र की आधारशिला देश में कानून और व्यवस्था के प्रति सम्मान होता है, जिसमें आर्थिक कानूनों का पालन भी शामिल है। यह जरूरी है कि आर्थिक कार्यकलाप कानूनी ढांचे तथा राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के दायरे के अनुरूप हों। प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी विनिमय बाजार के सुव्यवस्थित विकास तथा रखरखाव में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। निदेशालय को यह सुनिश्चित करते रहना चाहिए कि विदेशी व्यापार को सुविधा मिले तथा सही विदेशी विनिमय के लेन-देन को धोखाधड़ी तथा अवांछित लेनदेनों से अलग करते हुए निवेश के वातावरण को प्रोत्साहन दिया जाए।

4. धनशोधन तथा आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ कारगर उपाय आज के वैश्विक आर्थिक तथा सुरक्षा परिवेश में जरूरी है तथा इन्हें अधिकांश देशों द्वारा उचित प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह के उपायों से और अधिक व्यापार अनुकूल परिवेश बनता है तथा विधिपूर्ण निवेशों तथा वित्तीय आवागमन को सुविधा प्राप्त होती है। भारत ने भी एक मजबूत धनशोधन कानून, धनशोधन रोक अधिनियम बनाया है।

5. मैं समझता हूं कि निदेशालय इस अधिनियम के तहत प्रकरणों की जांच करने, अपराध की शोधित आय की कुर्की करने तथा इसका उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध अभियोग शुरू करने की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है। कुछ मामलों में, निदेशालय को हमारे देश की सीमाओं से बाहर शोधित आय का पता लगाने तथा उस पर रोक लगाने में सहायता मिली है। अपराध की शोधित आय की इस तरह की कुर्की से उसमें जनता का विश्वास बढ़ा है।

देवियो और सज्जनो,

6. सीमाओं के आर-पार हो रहे धनशोधन तथा आतंकवाद के वित्तपोषण का पता लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जरूरी है। निदेशालय को दूसरे देशों की धनशोधन जांच एजेंसियों के साथ सक्रियता से सहयोग की दिशा में अपने प्रयासों में तेजी लानी चाहिए। हमारे अधिकारियों को दूसरे देशों की अच्छी जांच तकनीकों से सीखना चाहिए। मुझे विश्वास है कि बहुत से अन्य देशों को हमारी अच्छी परिपाटियों से लाभ पहुंच सकता है। निदेशालय को अपने अंतरराष्ट्रीय साझीदारों के साथ मिलकर ऐसे तौर-तरीकों का विकास करना चाहिए, जिससे विदेशों को भेजी गई चोरी की परिसंपत्ति की वापसी में तेजी लाई जा सके। प्रवर्तन निदेशालय को फाइनेन्सियल एक्शन टॉक्स फोर्स, द यूरोपियन ग्रुप ऑन कम्बैटिंग मनी लॉन्डरिंग एंड फाइनांसिंग ऑफ टेररिज्म, तथा द एशिया पेसिफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्डरिंग जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों की सेवाओं का अधिकाधिक उपयोग भी द्विपक्षीय आदान-प्रदान के लिए तथा धनशोधन विरोधी तथा आतंकवाद वित्तपोषण निरोध के क्षेत्र में बेहतर आपसी सहयोग के लिए समकक्ष विदेशी प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष अनुवर्ती कार्रवाई के लिए किया जाना चाहिए।

7. मुझे बताया गया है कि प्रवर्तन निदेशालय ने विभिन्न प्रकार की शोधित परिसंपत्ति को पता लगाकर उसकी कुर्की की है। मैंने मीडिया की रिपोर्टों में देखा है कि इस तरह की परिसंपत्तियों में नकद राशि से लेकर बैंक खाते, वाहन, भूमि, आवासीय एवं कार्यालय भवन तथा औद्योगिक यूनिटें शामिल हैं। ये परिसंपत्तियां कानूनी प्रक्रिया पूर्ण होने पर सरकार में ही निहित होंगी। इस अवधि के दौरान निदेशालय को इन परिसंपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए प्रोटोकोल तैयार करने और उसका कार्यान्वयन करने पर ध्यान देना चाहिए, जबकि उनकी जब्ती की कानूनी प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।

8. वैश्वीकरण की प्रक्रिया तथा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी में उन्नति ने दुनिया को छोटा कर दिया है। आज धन राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार तेजी से आ-जा सकता है। सबसे आगे बने रहने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को वित्तीय जांच करने तथा सीमा आर-पार के आदान-प्रदान का पता लगाने में दक्षता का विकास करना होगा। निदेशालय को संचार, तकनीकी अवसंरचना तथा कंप्यूटर अपराध विज्ञान के संबद्ध क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी अपनाने पर विचार करना चाहिए।

9. प्रवर्तन निदेशालय पर संवेदनशील कार्य का दायित्व है जिसके लिए उच्च उत्तरदायित्व तथा गोपनीयता की जरूरत होती है। प्रवर्तक निदेशालय को धन तथा जनशक्ति, प्रौद्योगिकी और कानूनी दक्षता संबंधी समुचित संसाधन प्राप्त होने चाहिएं, जिससे यह धनशोधन से कारगर ढंग से निपट सके। वर्ष 2011 में इस निदेशालय की नकदी 745 से तीन गुणा बढ़ाकर 2064 कर दी गई थी ताकि इसकी जांच क्षमता बढ़ाई जा सके। निदेशालय में कार्य का माहौल ऐसा होना चाहिए जो सर्वोत्तम लोगों को इसमें आने और कार्य करने की प्रेरणा दे। प्रवर्तन अधिकारियों को अपने दायित्व को संपूर्ण दक्षता तथा सत्यनिष्ठा के साथ पूरा करना चाहिए और मुझे खुशी है कि उनमें से अधिकांश ऐसा कर रहे हैं। उन्हें समुचित प्रेरणा और पुरस्कार दिया जाना चाहिए। मैं आज प्रशस्तिपत्र पाने वाले निदेशालय कर्मियों को उनके विशिष्ट तथा प्रशंसनीय सेवाओं के लिए बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि पुरस्कार प्राप्तकर्ता इस संगठन में बहुत से अन्य लोगों के लिए आदर्श बनेंगे तथा उन्हें उच्चतम पेशेवराना मानदंडों को बनाए रखने तथा अपने कर्तव्यों को बिना डर तथा पक्षपात ईमानदारी तथा सत्यनिष्ठा से करने की प्रेरणा देंगे।

10. प्रवर्तन दिवस पर मैं प्रवर्तन निदेशालय से अपने दायित्वों को पूर्ण करने, अधिक दक्षता प्राप्त करने, निष्पक्ष रूप से जांच करने तथा धनशोधकों और आर्थिक अपराधियों को कटघरे में खड़ा करने तथा इस कार्य को समयबद्ध ढंग से पूर्ण करने का आग्रह करता हूं। मैं इसके सभी कार्मिकों का आह्वान करता हूं कि वे इसकी अब तक की उपलब्धि से संतुष्ट न हो जाएं बल्कि और ऊँचा लक्ष्य रखते हुए अपनी प्रक्रियाओं और कार्यवाहियों को अंतरराष्ट्रीय बेहतरीन परिपाटियों के समकक्ष ले जाएं। इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर से आपको धन्यवाद देता हूं तथा आपके भावी प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

धन्यवाद, 
जय हिन्द!

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