पंजाब विश्वविद्यालय के चौंसठवें दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

चंडीगढ़ : 14.03.2015

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sp1.मुझे आज यहां आकर देश के सबसे पुराने और उच्च शिक्षा के अग्रणी केंद्रों में से एक पंजाब विश्वविद्यालय के चौंसठवें दीक्षांत समारोह का हिस्सा बनकर प्रसन्नता हो रही है। सबसे पहले मैं, यहां आमंत्रित करने तथा इस सम्माननीय समूह को संबोधित करने का अवसर प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय का धन्यवाद करता हूं।

2.पंजाब विश्वविद्यालय का एक लंबा इतिहास है जो उन्नीसवीं शताब्दी तक जाता है। इसे यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब के रूप में 1882 में लाहौर में स्थापित किया गया था। 1947 में, भारत की स्वतंत्रता के बाद, इसे पूर्वी पंजाब विश्वविद्यालय के रूप में शिमला में पुन: स्थापित किया गया। 1966 में पंजाब राज्य के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप पंजाब विश्वविद्यालय ने चंडीगढ़ में अपने प्रमुख परिसर के साथ एक ‘अंतर-राज्यीय निगमित संस्थान’ का दर्जा हासिल किया जो हमारे देश के किसी शैक्षिक संस्थान के लिए विशिष्ट बात है।

3. आज पंजाब विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का एक जीवंत केन्द्र है। इसके 78 विभाग, चार पीठ तथा चार क्षेत्रीय केन्द्र मानविकी से लेकर विज्ञान, विधि, प्रबंधन, इंजीनियरी,चिकित्सा और कृषि तक विविध विषयों में अध्ययन करवाते हैं। अध्यापन और अनुसंधान में उत्कृष्टता की दीर्घ परंपरा के कारण इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के अनेक विभागों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विशेष सहायता, कोष सहयोग और आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाता है। एक नैनो टेक्नोलॉजी पर तथा दूसरा लैंगिक ऑडिट पर दो उत्कृष्टता केन्द्रों को ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान सहयोग प्रदान किया गया था। स्टेम सैल अनुसंधान तथा औषधि विकास की सुविधाओं के कारण पंजाब विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा ‘‘जैव चिकित्सा विज्ञान में उत्कृष्ट॒ क्षमता से युक्त विश्वविद्यालय’’के रूप में मान्यता दी गई है। इस विश्वविद्यालय का भारत और विदेश के अग्रणी अनुसंधान और प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ अनुसंधान सहयोग है।

4. पंजाब विश्वविद्यालय से शिक्षित विद्यार्थियों की कई शिक्षित पीढ़ियों में से बहुतों ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त किया है। इसके विशिष्ट पूर्व विद्यार्थियों में एक पूर्व प्रधानमंत्री तथा नोबेल विजेता स्वर्गीय डॉ. हरगोबिंद खुराना जैसे अन्य लोग, सार्वजनिक जीवन की प्रमुख हस्तियां तथा सिविल सेवक शामिल हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए इस विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना की गई है। यह जानकर खुशी होती है कि टाइम्स हायर एजुकेशन सर्वे 2014-15के 276-300वें वर्ग में, पंजाब विश्वविद्यालय सर्वोच्च वरीयता वाला भारतीय संस्थान है। मैं इस उपलब्धि के लिए आप सभी की सराहना करता हूं। मुझे विश्वास है कि आप समर्पण और निष्ठा की उसी भावना के जरिए और अधिक ऊंचाइयों को छू लेंगे।

प्यारे स्नातक विद्यार्थियो,

5. मैं आपकी सफलता होने तथा अपने जीवन के इस खुशनुमा अवसर की प्राप्ति पर आपको बधाई देता हूं। मैं आपमें उल्लास की भावना देख सकता हूं। इस गौरवपूर्ण अवसर पर आपको अपने परिजनों तथा समग्र समाज और राष्ट्र की आशाओं को समझना होगा। भारत एक लोकतांत्रिक शासनतंत्र और बहुलवादी समाज का देदीप्यमान उदाहरण है। लोकतंत्र न केवल अधिकार देता है बल्कि जिम्मेदारियां भी लाता है। शिक्षित युवाओं को उभरते हुए नए भारत के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए। आपकी शिक्षा ने आपको बदलाव लाने का एक अवसर प्रदान किया है। अपने इस सुंदर, जटिल और कभी-कभार कोलाहलपूर्ण लोकतंत्र से जुड़ने का यही समय है। मुझे विशेष रूप से यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि पीएचडी स्नातकों में से दो तिहाई महिलाएं हैं। उन्हें मेरी विशेष बधाई।

6.हमारे सपनों के देश के निर्माण के लिए योग्य और समर्पित लोगों की आवश्यकता है। हमारे विश्वविद्यालयों को चरित्रवान और ईमानदार पुरुष और महिलाएं तैयार करनी होंगी। महात्मा गांधी ने कहा था, ‘‘वास्तविक शिक्षा अपने अंदर से सर्वोत्तम प्रतिभा को सामने लाना है। मानवता की पुस्तक से श्रेष्ठ और कौन सी पुस्तक हो सकती है?’’ मानवता की पुस्तक पर अमल करने का बापू का आह्वान वर्तमान समाज के द्वंद्वों का समाधान कर सकता है। मुझे विश्वास है कि आप अपने तथा अपने देश और देशवासियों के सपनों को पूरा करेंगे।

मित्रो,

7.किसी समाज का उत्थान काफी हद तक मानवपूंजी द्वारा निर्धारित होता है। इसलिए, शिक्षा राष्ट्रों के भविष्य के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाती है। शिक्षा प्रणाली में विश्वविद्यालय का स्थान सबसे ऊंचा है। भारतीय विश्वविद्यालयों में विश्व के अग्रणी संस्थान बनाने की क्षमता है। इसके लिए शैक्षिक प्रबंधन में तत्काल सुधार करने की आवश्यकता है। शिक्षण को और अर्थिक प्रभावी बनाने के लिए अध्यापन पद्धति को परिष्कृत होना चाहिए, पाठ्यक्रम नियमित रूप से अद्यतन होना चाहिए, अंतर-विद्यात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए तथा मूल्यांकन तंत्र में सुधार होना चाहिए। संकाय को अपने ज्ञान के क्षेत्र में अद्यतन बनाने के लिए संकाय पुनर्नवीकरण कार्यक्रम संचालित किए जाने चाहिए। उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए, बुनियादी क्षमताओं की पहचान की जानी चाहिए तथा उत्कृष्टता केन्द्रों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। गुणवत्ता बोध पैदा करने के लिए प्रत्येक संस्थान को मानकीकृत तथा प्रत्यायित किया जाना चाहिए।

मित्रो,

8.ऐसे चार प्रकार के भागीदार हैं जिनके द्वारा कोई उच्च शिक्षा संस्थान विश्वस्तरीय संस्थान के तौर पर विकसित होने के लिए अपने संयोजनों से सार्थक लाभ प्राप्त कर सकता है:

-एक, यह संकाय और विद्यार्थियों के आदान-प्रदान,सेमिनारों और कार्यशालाओं में भागीदारी; संयुक्त शोधपत्रों; सहयोगात्मक अनुसंधान तथा पाठ्यक्रम सामग्री और संसाधन कर्मियों व्यक्ति जैसे शैक्षिक स्रोतों के आदान-प्रदान के जरिए भारत और विदेश के अन्य शैक्षिक संस्थानों के साथ आदान-प्रदान से फायदा हासिल कर सकता है। इन प्रयासों में राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का पूरा प्रयोग उपयोगी रहेगा।

-दो, पाठ्यक्रम डिजायन और परियोजना मार्गदर्शन में उद्योग कार्मिकों को भागीदारी; पीठों में नियुक्तियों के प्रायोजन तथा विकास केन्द्रों और प्रयोगशालाओं की स्थापना के संबंध में उद्योग संयोजन लाभकारी हो सकता है। इन्हें एक उद्योग से संयोजन प्रकोष्ठ के माध्यम से तथा संचालन तंत्रों में उद्योग विशेषज्ञों की नियुक्ति के द्वारा सुविधाजनक बनाया जा सकता है।

-तीन, संस्थान अपने उन पूर्व विद्यार्थियों से संपर्क बना सकता है जो अपनी मातृ संस्था के साथ भावात्मक संबंध रखते हैं। उनमें से कुछ को शासी निकायों के जरिए शैक्षिक प्रबंधन से, तथा कारोबार और परियोजना परामर्श तथा पाठ्यक्रम डिजायन से संबद्ध किया जा सकता है।

-चौथा, एक उच्च शिक्षा संस्थान समग्र रूप से समाज के साथ जुड़ा होता है। क्योंकि विश्वविद्यालय का प्रभाव कक्षा और अध्ययन से और आगे होने के कारण यह सामाजिक-आर्थिक विकास में शामिल होने के लिए एक आदर्श के तौर पर कार्य कर सकता है। केन्द्र सरकार ने (1) 2019 तक स्वच्छ भारत लक्ष्य के साथ, स्वच्छ भारत अभियान (2) डिजिटल रूप से सशक्त ज्ञानसंपन्न समाज की स्थापना के लिए डिजीटल भारत कार्यक्रम; तथा (3) सर्वांगीण विकास के जरिए आदर्श गांवों के निर्माण के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना आरंभ की है। हमारे शैक्षिक संस्थानों को इन पहलों में सक्रिय भाग लेना चाहिए। उन्हें कम से कम पांच गांवों को गोद लेना चाहिए तथा उनकी समस्याओं के समाधान और उन्हें आदर्श गांवों के रूप में विकसित करने के लिए सभी शैक्षिक और अन्य संसाधनों का प्रयोग करना चाहिए।

मित्रो,

9.यह अच्छा रहेगा कि उच्च श्क्षि संस्थान ऐसी उभरती हुई वैश्विक प्रवृत्तियों की भली-भांति पहचान करें जो ज्ञान प्रदान करने के नए मॉडलों का निर्माण कर रही हैं। उच्च शिक्षा की बढ़ती लागत तथा शिक्षा के लिए इच्छुक लोगों के बदलते स्वरूप के कारण प्रौद्योगिकी के सहयोग से युक्त व्यापक मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम आरंभ हो गए हैं। इसकी गति, मात्रा और कौशल के गुणों के कारण यह शिक्षण की पसंदीदा पद्धति के रूप में तेजी से अपनाई जा रही है। आवधिक कक्षा संपर्क के साथ ऑन-लाइन अनुदेश मिश्रित व्यापक मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में विस्तार की क्षमता है। विकल्प आधारित के्रडिट प्रणाली आरंभ की गई है जो उच्च शैक्षिक प्रणाली में विद्यार्थियों को गतिशीलता प्रदान करेगी। विश्वविद्यालयों को शिक्षा में इन बदलावों पर ध्यान देना चाहिए तथा अधिकतम लाभ प्राप्ति के लिए कदम उठाने चाहिए।

मित्रो,

10.बहुत से नवान्वेषी विचार सामान्य व्यक्ति की कल्पना शक्ति से पैदा होते हैं। उनके विचारों को पुष्ट करने तथा व्यावहारिक उत्पादों के डिजायन तैयार करने के लिए उन्हें परामर्श देने हेतु नवान्वेषण मूल्य शृंखला का विकास करने की आवश्यकता है। अपने बहुविध संयोजनों के कारण उच्च शिक्षण संस्थान इस परिवेश को प्रेरित कर सकते हैं। बहुत से केन्द्रीय संस्थानों ने नवान्वेषण संस्कृति पैदा करने के लिए नवान्वेषण क्लब आरंभ कर दिए हैं तथा ‘नवान्वेषण में समावेशन’ को एक व्यवहार्य ढांचे में तब्दील कर दिया है। आपका विश्वविद्यालय बहुत से मोर्चों पर अग्रणी है। आप भी ऐसा क्लब खोल सकते हैं तथा इस क्षेत्र के बुनियादी नवान्वेषकों के कुछ कल्पनाशील विचारों से तकनीकी और अनुसंधान संस्थानों के नवान्वेषण विकास स्थलों के साथ जोड़ सकते हैं।

11.ऐसी वैज्ञानिक प्रवृत्ति, जो कल्पना को ग्रेड और कक्षा के दायरे से परे ले जाती है, हमारे विद्यार्थियों के लिए अत्यावश्यक है। हमारे संस्थानों को अपने विद्यार्थियों में कल्पना शक्ति जाग्रत करनी चाहिए। शिक्षक को पुस्तकों से अलग सोचने, संकल्पनाओं पर सवाल उठाने तथा जांच के पश्चात् ही किसी विचार को स्वीकार करने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। विद्यार्थियों के पास एक बड़ा सपना होना चाहिए जिसे वे अनुसंधान और जांच के माध्यम से वास्तविकता में बदल सकते हैं।

12.इन्हीं शब्दों के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। मैं एक बार पुन: स्नातक बनने जा रहे विद्यार्थियों को बधाई देता हूं और उनके सुनहरे भविष्य की कामना करता हूं। मैं पंजाब विश्वविद्यालय के प्रबंधन और संकाय को भी भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद

जयहिन्द!

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