पैट्रोटेक-2012 के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 15.10.2012
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श्री एस. जयपाल रेड्डी, माननीय पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री,
श्री आर.पी.एन. सिंह, माननीय पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री,
श्री जी.सी. चतुर्वेदी, सचिव, पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय,
श्री आर.एस. बुटोला, अध्यक्ष, इंडियन ऑयल,
श्री सुधीर वासुदेवा, अध्यक्ष, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम,
विशिष्ट प्रतिनिधिगण, अतिथि एवं आमंत्रितगण,
देश तथा विदेश की तेल एवं गैस उद्योग के उद्योग प्रमुख,
देवियो और सज्जनो,
1. मुझे आज पैट्रोटेक-2012 के उद्घाटन के लिए आपके बीच आकर बहुत खुशी हो रही है। मैं, भारत में हाइड्रोकार्बन सेक्टर के विकास तथा वैश्विक हाइड्रोकार्बन उद्योग के साथ उसके एकीकरण के लिए पैट्रोटेक सोसायटी को बधाई देता हूं। इस सेक्टर में पांच प्रमुख अग्रणियों को, भारत में तेल एवं प्राकृतिक गैस सेक्टर को उनके नेतृत्व तथा महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए ‘आजीवन उपलब्धि पुरस्कार’ के रूप में दिए जा रहे सम्मान का भी मैं स्वागत करता हूँ। मैं समझता हूं कि पैट्रोटेक-2012 में पैट्रोलियम उद्योग के तकनीकी, आर्थिक, पर्यावरणीय तथा सुरक्षा संबंधी पहलुओं पर विचार होगा तथा इसमें भारत के हाइड्रोकार्बन सेक्टर की उपलब्धियों का प्रदर्शन किया जाएगा।
2. विशिष्ट प्रतिभागीगण, मुझे याद है कि पहला पैट्रोटेक सम्मेलन 1995 में उस समय आयोजित हुआ था जब भारतीय अर्थव्यवस्था एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही थी। आज, भारत का ऊर्जा सेक्टर फिर से एक नाजुक मोड़ पर है। एक विकासशील देश के रूप में, जिसकी जनसंख्या 1.2 बिलियन से ऊपर है और जिसकी अर्थव्यवस्था प्रगतिशील है, आयातित तेल पर हमारी अधिक निर्भरता के कारण कच्चे तेल का हमारा आयात 150 बिलियन डालर से ऊपर पहुंच चुका है। आयात पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है और फिलहाल यह 75 प्रतिशत है। जहां एक ओर, ऊर्जा की बढ़ती मांग है, वहीं कई तरह की चुनौतीपूर्ण संसाधनों की कमियों के चलते, हमें अपनी ऊर्जा नीति के ढांचे में बदलाव लाने की जरूरत है। यह निश्चय ही धीरे-धीरे तथा अंतत:, अगले दशकों के दौरान हो पाएगा परंतु इससे आज हमारे सामने तात्कालिक प्रश्न खड़े हुए हैं। हमारे देश की प्रतिक्रिया तथा नई प्रौद्योगिकियों के विकास तथा समग्र ऊर्जा ढांचे के पुन:निर्धारण के लिए अपेक्षित समय में बहुत सावधानी से सामंजस्य बिठाना होगा। भारत में, और पूरे विश्व में, इसके लिए समुचित प्रयास, दक्षतापूर्ण योजना-निर्माण तथा बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत होगी।
3. भारत में पिछले दिनों, तेल एवं गैस के नए भंडारों की खोज ने हमारी हिम्मत बढ़ाई है। वर्ष 1997-98 के दौरान, भारत सरकार ने जो नवीन एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी शुरू की थी, उसके तहत 14 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का निवेश प्राप्त हुआ तथा परिणामस्वरूप हमें 87 स्थानों पर तेल एवं गैस का पता लगा। नवीन एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी में निवेश का अनुकूल माहौल, वित्तीय स्थिरता, कानून व्यवस्था की पारदर्शिता, संविदा का स्थायित्व, नीतियों के कारण कम से कम अनिश्चितता तथा मजबूत कानूनी तथा विनियामक ढांचा, जैसे सभी तत्त्व मौजूद हैं।
4. पिछले दशक के दौरान, भारतीय तेल एवं गैस उद्योग में घरेलू उत्पादन में अच्छी वृद्धि हुई। भारत में शोधन सेक्टर में भी मूक क्रांति देखी गई। धीरे-धीरे, भारत एक महत्त्वपूर्ण निर्यात केन्द्र के रूप में विकसित हो गया है। 215 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष की शोधन क्षमता के साथ, पैट्रोलियम उत्पादों का निर्यात अब 60 मिलियन टन से ऊपर हो गया है तथा इससे लगभग 60 बिलियन अमीरकी डॉलर की आय प्राप्त होती है। यह भारत से सामान निर्यात का एक सबसे बड़ा हिस्सा बन गया है।
5. भारत का तेल उद्योग, बेहतर गुणवत्ता के तेल की शुरुआत करने के लक्ष्यों को पूरा करने में सफल रहा है। इससे हमारे शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार पर अच्छा प्रभाव पड़ा है। प्रदूषण कम करने तथा पर्यावरण में सुधार लाने की दिशा में तेल उद्योग द्वारा उठाया गया एक अन्य महत्त्वपूर्ण कदम है, पैट्रोलियम उत्पादों के स्थान पर प्राकृतिक गैस का प्रयोग। 31 मार्च 2012 की स्थिति के अनुसार 776 सीएनजी स्टेशन, देश के दस राज्यों के लगभग 1.7 मिलियन वाहनों को सीएनजी उपलब्ध करा रहे हैं। दिल्ली का प्राय: पूरा सार्वजनिक परिवहन फिलहाल सीएनजी से चल रहा है। इसके अलावा, तेल कंपनियां लगभग 1.9 मिलियन घरों को प्राकृतिक गैस उपलब्ध करा रही हैं।
6. हाइड्रोकार्बन सेक्टर में तेजी से बदलाव के मौजूदा परिवेश में हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता कोल बेड मीथेन, शेल गैस, भूमिगत कोल गैस, गैस हाइड्रेट्स तथा बायोफ्यूल की पूरी क्षमता का दोहन करने की है। सरकार द्वारा इस बात पर विचार किया जा रहा है कि जो प्रोत्साहन तेल की खोज के लिए दिए जाते हैं, उसी प्रकार के प्रोत्साहन हर तरह के प्राकृतिक गैस की खोज तथा उसके दोहन के लिए दिए जाएं। भारत सरकार इस समय उन कंपनियों को भी पूरा सहयोग दे रही है जो विदेशों में तेल एवं गैस परिसंपत्तियों की अधिप्राप्ति कर रहे हैं और एलएनजी का आयात कर रहे हैं। इस संदर्भ में, यह जरूरी होगा कि देश भर में गैस पाइप लाइन परिवहन अवसंरचना के विकास को उचित प्राथमिकता दी जाए।
7. विशिष्ट, प्रतिभागीगण, भारत की 12वीं योजना के दौरान, 8 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद विकास दर प्राप्त करने के लिए यह जरूरी होगा कि हम अपने देश में बेहतर मांग प्रबंधन सुनिश्चित करें। पैट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते मूल्यों के मौजूदा अंतरराष्ट्रीय माहौल में, विश्व में मौजूद मूल्यों से हमारे मूल्यों की बेहतर समानता उपभोक्ता तथा निवेशक दोनों के हित में है। भारत सरकार इस समानता को प्राप्त करने के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम अपनाने के लिए कटिबद्ध है। मैं अपेक्षा करता हूं कि यह उद्योग सरकार के इन उद्देश्यों को पूरा करने में सहयोग देगा। इस सच्चाई को और अच्छी तरह से समझना होगा कि अधिक सतत् भविष्य के लिए हमारे समाज को ऊर्जा की अपनी खपत तथा लागत तथा उपलब्धता के बीच बेहतर संतुलन बनाना होगा।
8. वित्तीय बाजार की ही तरह, विश्व ऊर्जा बाजार मूलत: वैश्विक और एक-दूसरे पर निर्भर हैं और कोई भी एक देश स्वयं को बाजार से अलग-थलग नहीं रख सकता। ऊर्जा सुरक्षा के लिए परस्पर निर्भरता अनिवार्य है। एशिया में प्रमुख उपभोक्ताओं, विशेषकर भारत और चीन के उभरने से, विश्व ऊर्जा समीकरण बुनियादी तौर पर बदल चुके हैं। इन चुनौतियों के ‘वैश्विक स्वरूप’ तथा उत्पादन, खपत और पारगमन करने वाले देशों के बीच बढ़ते व्यवस्थित सहयोग को देखते हुए, विश्व ऊर्जा सुरक्षा में सुधार हेतु, सभी राष्ट्रीय भागीदारों के बीच एक मजबूत साझीदारी की आवश्यकता है।
9. कीमत निर्धारण और अधिप्राप्ति के अलावा, नई प्रौद्योगिकियों का अनुसंधान और विकास एक ऐसा अन्य क्षेत्र है, जिस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। परंपरागत ‘प्रमुख’ तेल उत्पादक देश अब व्यापक भण्डारों, शोधन कारखानों और वितरण नेटवर्क को अपना मुख्य आधार मानकर आराम से नहीं बठ सकते। वास्तव में, आज की विजेता वे कंपनियां हैं जिन्होंने उभरती हुई नई प्रौद्योगिकियों पर पकड़ बना ली है। विश्वविद्यालयों को संयुक्त रूप से धन उपलब्ध कराकर किए जा रहे अनुसंधानों द्वारा बहुत से उद्योग समाधान उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार अकादमिक संस्थानों और उद्योग भागीदारों द्वारा शुरू की गई अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में सक्रिय सहयोग कर रहे हैं।
10. हमें दूसरे उत्पादक देशों तथा उनके तेल एवं गैस उद्योगों के साथ, एक दूसरे के आपसी लाभ के लिए, मजबूत आर्थिक साझीदारी करनी होगी। हमें दूसरे देशों के साथ, खासकर उनके साथ, जो तेल एवं गैस सेक्टर में कार्य कर रहे हैं, मिलकर काम करने के प्रयास करने होंगे। मैं पैट्रोटेक-2012 के प्रतिभागियों को सुझाव देना चाहूंगा कि वे इस तरह के, साझा रुचियों वाले मुद्दों पर विचार के लिए तेल एवं गैस कंपनियों की एक एसोसिएशन पर विचार करें।
11. मुझे विश्वास है कि पैट्रोटेक-2012, ऐसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस सेक्टर के सामने बहुत सी चुनौतियां हैं परंतु मुझे विश्वास है कि हमारे तेल सेक्टर ने, वर्षों के दौरान, इन चुनौतियों पर विजय पाने के लिए परिपक्वता तथा परिकल्पना विकसित कर ली है। मैं आह्वान करता हूं कि आप ऐसी उन्नत एवं नवीन लेकिन किफायती प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग को अपनाने पर ध्यान दें जो कि हमारी अपनी परिस्थितियों के लिए अनुकूलित हों। स्वस्थ एवं व्यवहार्य हाइड्रोकार्बन सेक्टर से हमारी विकास यात्रा में सहायता मिल सकती है। पैट्रोटेक जैसे सम्मेलन, प्रबंधकों एवं प्रौद्योगिकियों सहित, हमारे पेशेवरों को विश्व स्तर पर हो रही अद्यतन प्रगति से अवगत कराने में सहायता प्रदान करते हैं। भारतीय हाइड्रोकार्बन क्षेत्र को दायित्वपूर्ण ढंग से अधिक स्वच्छ, पहले से अधिक विश्वसनीय तथा पहले से अधिक किफायती ऊर्जा प्रदान करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
12. मैं अपेक्षा करता हूं कि घरेलू तेल और गैस उद्योग, सतत् विकास को अपने कारोबारी निर्णयों के केन्द्र में रखेंगे। इसका अर्थ है, अपनी नीतियों के केन्द्र में सुरक्षा, पर्यावरण और सामुदायिक हितों को रखना। मुझे उम्मीद है कि आपके सम्मेलन में हुए विचार-विमर्शों से, भारत में एक सक्रिय ऊर्जा सेक्टर के निर्माण में योगदान मिलेगा जो कि विकास और समृद्धि का आधार हो सकता है।
मैं इस सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं।
इन्हीं शब्दों के साथ, मैं पैट्रोटेक-2012 के शुभारंभ की घोषणा करता हूं।