नवान्वेषण उत्सव 2017 के दौरान पिच@ राष्ट्रपति भवन के समापन सत्र में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र : 07.03.2017

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speechमुझे पिच@ राष्ट्रपति भवन के समापन सत्र में आपके साथ मिलकर और स्टार्ट अप प्रणाली के उद्यमियों,निवेशकों, उद्योग सदस्यों,स्टार्ट अप और अन्य सहायकों को संबोधित करते हुए प्रसन्नता हो रही है। मुझे युवा और नवान्वेषी प्रतिभाओं,जो अधिक अनुभवी नहीं होंगे परंतु जिनमें सफलता प्राप्त करने का उत्साह है,के इस समूह को देखकर हर्ष हो रहा है।

पिच@ राष्ट्रपति भवन एक अनूठा कार्यक्रम है जिसे राष्ट्रपति भवन में सीआईआई के साथ मिलकर आयोजित किया है। मैं इसके लिए सीआईआई को धन्यवाद देता हूं। पिच@राष्ट्रपति भवन नवान्वेषकों और संभावित स्टार्ट अप को सहृदय निवेशकर्ता और उद्यमपुंजी समुदाय के चुनिंदा सदस्यों को अपने विचारों की बिक्री हेतु एक मंच उपलब्ध करवाता है। मुझे बताया गया है कि पहले सत्र में नवान्वेषकों और निवेशकों के बीच उपयुक्त संवाद हुआ है जिससे कुछ स्टार्ट अप के निधिकरण पर समझौते हुए हैं। इस संदर्भ में,मैं उद्यमशील व्यवसाय शुरू करने के लिए इस मंच पर प्रलेखों के आदान-प्रदान या हस्ताक्षर करने वाली संस्थाओं की सराहना करता हूं।

जैसा कि राष्ट्रपति की सचिव ने पहले स्पष्ट किया है पिच@राष्ट्रपति भवन सत्र नवान्वेषण उत्सव के संपूर्ण उद्देश्य में पूरी तरह सही बैठता है जिसका लक्ष्य नवान्वेषकों,उद्यमियों और वित्त प्रदाताओं के नवान्वेषण मूल्य शृंखला के प्रमुख भागीदारों के बीच संपर्क बनाना है। इसलिए मैं इस उत्सव में बहुमूल्य योगदान के लिए आप सभी का धन्यवाद करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

ऐतिहासिक रूप से कहा जाए तो भारत व्यापार और वाणिज्य तथा स्वदेश उत्पादन का केंद्र रहा है। यह विदेशी व्यापारियों के लिए अवसरों की भूमि रहा है। इसमें यूरोप के आर्थिक परिदृश्य को बदलने वाली औद्योगिक क्रांति में सहयोग दिया है। हमारी कारोबारी प्रतिभाएं और व्यापारी ने आर्थिक अवसरों को प्राप्त करने की उल्लेखनीय क्षमता उन्हें हासिल करने की अपनी सहनशक्ति और विभिन्न उद्योगों और भौगोलिक स्थलों को विश्व स्तरीय उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने के मामले में सदियों तक विश्व का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहे हैं।

अतीत के उपलब्धिकर्ताओं पर गौरवान्वित होते हुए यह उचित होगा कि हम वर्तमान चुनौतियों के नवान्वेषी समाधान के लिए अभिनव,प्रतिभावान, जिज्ञासु और रचनात्मक युवाओं को सहयोग देने की संकेंद्रित नीति अपनाएं। नवान्वेषी विचारों और समाधानों के माध्यम से सामायिक चुनौतियों को हल करने के उत्साह से युक्त उद्यमशीलता सामाजिक-आर्थिक प्रगति का एक प्रमुख उपाय है।

हमें अपने युवाओं की कल्पना को पंख प्रदान करने और नए विचारों को आगे लाने के लिए उन्हें अनुकूल वातावरण प्रदान करना होगा। इसका अर्थ है विचारों की अनुकूलता,कंपनी पंजीकरण, वित्त तक सुगम्यता और परामर्शक ढूंढने में सहायता करना। इस उद्देश्य के लिए,सरकार ने 2015 में राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता नीति आरंभ की। इसकी संकल्पना है‘उच्च मानदंडों से युक्त व्यापक और गतिशीलता के साथ कौशल द्वारा सशक्तीकरण का वातावरण निर्मित करना,धन और रोजगार पैदा करने वाली नवान्वेषण आधारित उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देना ताकि देश के सभी नागरिकों के लिए सतत आजीविका सुनिश्चित हो सके।’

देवियो और सज्जनो,

एक गतिशील और सुदृढ़ उद्यमशील वातावरण प्रत्येक अर्थव्यवस्था की पूंजी है। विशेषकर नवान्वेषण प्रमुख उद्यमशीलता में औद्योगिक विकास को तेज करने की पर्याप्त क्षमता है। उद्योग और कारोबार के प्रमुख साधन के रूप में उद्यमी,श्रम और पूंजी सहित उत्पादन के साधनों को इकट्ठा करता है,आर्थिक गतिविधि को तेज करता है और रोजगार पैदा करता है। अपनी दूरदृष्टि और जोखिम क्षमता के कारण नए और नवान्वेषी उत्पाद और सेवाएं बाजार में उतारी जाती हैं। प्रायः एक नवान्वेषी उत्पाद स्टार्ट अप के माध्यम से बाजार में लाया जाता है।

भारत में 4500 स्टार्ट अप प्रणाली हैं जो विश्व में तीसरी सबसे विशाल है। फिर भी भारत में नया उद्यम आरंभ करना आसान नहीं है। धन और परामर्श प्राप्त करना बाधा बने हुए हैं। कारोबार करने की आसानी और अनुसंधान व विकास निवेश जैसे प्रमुख साधनों में सुधार की बहुत गुंजाइश है। नवान्वेषण में प्रमुखता प्राप्त करने के लिए हमें अनुकूल कारोबार वातावरण के निर्माण,शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार तथा उच्च गति वाले इंटरनेट संयोजन सहित सूचना प्रौद्योगिकी ढांचे के विस्तार जैसे पहलुओं के लिए अथक प्रयास करने की आवश्यकता है। स्टार्ट अप इंडिया और अटल नवाचार मिशन जैसी हमारी नीतियां स्टार्ट अप वातावरण को सहयोग देने के लिए तैयार की गई हैं। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों को ऐसे वातावरण के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

देवियो और सज्जनो,

निवेशक समुदाय-सहृदय निवेशक और व्यवसाय पूंजीपतियों की नवान्वेषी विचारों को सफल कारोबारी मॉडल में बदलने में एक अहम भूमिका है। हर एक स्टार्ट अप सफल नहीं होता। अध्ययनों से पता चलता है कि90 प्रतिशत नए उद्यम जो निवेशकों को आकर्षित नहीं करते हैं,तीन वर्ष में ही समाप्त हो जाते हैं। निवेशक निवेश और उसे बढ़ाने से पहले सफल कारोबारी मॉडल को पसंद करते हैं। नवान्वेषण आधारित परियोजनाओं के अनिश्चित परिणाम होते हैं। उनके परिणाम प्रायः असंभावित होते हैं क्योंकि उन्हें अवसान स्थिति का सामना करना पड़ता है। आरंभ और स्टार्ट अप अवस्थाओं के प्रथम चरण में शामिल है 1.एक नया विचार या संकल्पना को विकसित किया जाता है। 2.इसकी तकनीकी व्यवहार्यता, बाजार क्षमता और आर्थिक व्यवहारिकता तय की जाती है। 3.उत्पाद के प्रायोगिक रूप का निर्माण किया जाता है और 4. एक औपचारिक कारोबार संगठन स्थापित किया जाता है। इन शुरुआती कार्यकलापों में डुबी हुई लागत शामिल होती है जिससे नई फर्म को ऋणात्मक नकदी प्रवाह प्राप्त होता है।

निवेशक प्रायः नवान्वेषण स्टार्ट अप के निधियन में संकोच करते हैं क्योंकि वे सफलता के प्रति आश्वस्त नहीं होते हैं। परंतु उन्हें यह समझना चाहिए कि जिन दस उद्यमों में निवेशक धन लगाते हैं उनमें से9 असफल हो सकते हैं। फिर भी एक सफल उद्यम से बाकी के नुकसान की भरपाई हो जाएगी। यहीं इस खेल के ऐसे नियम हैं। हमारे निवेशकों के पास साधारण विचारों से श्रेष्ठ विचार चुनने की दृष्टि होनी चाहिए। उनमें जोखिम क्षमता होनी चाहिए और नवान्वेषी विचारों को सफल उत्पाद और सेवा में बदलने की पिपासा होनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि निवेश समुदाय हमारे युवा नवान्वेषकों की दक्षता और उद्यमशीलता के बराबर खड़ा हो जाएगा।

देवियो और सज्जनो,

विख्यात प्रबंधन गुरु स्वर्गीय पीटर ड्रकर के इन शब्दों को याद रखें, ‘प्रत्येक सफल गाथा में आपको कोई न कोई ऐसा जरूर मिलेगा जिसने साहसिक निर्णय किए हैं।’मैं चाहता हूं कि आप में से हरेक साहसी बने,आशावादी बने, जोखिम लेने वाला बने और अपनी अलग सफलता की गाथा लिखने वाला बने। आइए हम सब अपने संकल्प,सकारात्मक रवैये और परिश्रम के माध्यम से रचनात्मक भावना में योगदान दें। यह इस राष्ट्र की सच्ची भावन के अनुरूप होगा। आपके प्रयासों की सफलता के लिए शुभकामनाएं।

धन्यवाद, 
जय हिन्द!

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