म्यामां संघीय गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम यू हितन क्याउ एवं दाओ सू सू ल्विन के सम्मान में आयोजित राज-भोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 29.08.2016

डाउनलोड : भाषण म्यामां संघीय गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम यू हितन क्याउ एवं दाओ सू सू ल्विन के सम्मान में आयोजित राज-भोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 598.25 किलोबाइट)

म्यामां संघीय गणराज्य के राष्ट्रपति, महामहिम यू हितन क्याउ,

दाओ सू सू ल्विन,

महामहिमगण,

देवियो और सज्जनो,

मुझे भारत की यात्रा पर आए महामहिम राष्ट्रपति, दाओ सू सू ल्विन और आपके विशिष्ट शिष्टमंडल का स्वागत करने पर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

महामहिम,

हम म्यामां के राष्ट्रपति के रूप में अपनी प्रथम विदेशी राजकीय यात्रा के लिए भारत को चुनने के लिए आपकी सराहना करते हैं। हमारे दोनों राष्ट्र पुराने मित्र हैं। हमारा एक दीर्घ साझा इतिहास है- हमारे स्थायी सांस्कृतिक संपर्क, सामाजिक संबंध तथा औपनिवेशिक शासन के एक समान अनुभव हमें सूत्रबद्ध करते हैं। 1937 तक ब्रिटिश भारत का एक प्रांत होने के कारण अभी भी म्यामां में विशाल भारतीय समुदाय निवास करता है।

दोनों राष्ट्रों के सर्जनात्मक वर्षों के दौरान, हमारे संबंध हमारे नेताओं और संस्थापकों- महात्मा गांधी और जनरल ओंग सान, यू ओत्तामा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, पंडित जवाहरलाल नेहरू तथा प्रधानमंत्री यू नू द्वारा सुदृढ़ हुए। उनके बीच न केवल एक घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध था बल्कि उन्होंने औपनिवेशिक शासकों के विरुद्ध संघर्ष में अपने लोगों का नेतृत्व भी किया। उन सभी की एशियाई एकता के लिए एक गहरी प्रतिबद्धता थी। जनवरी 1947 में बर्मा की स्वतंत्रता की वार्ता के लिए लंदन जाते हुए ओंग सान भारतीय नेताओं के साथ विचार-विमर्श के लिए नई दिल्ली में रुके थे। यू नू और पंडित नेहरू 15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता तथा 04 जनवरी, 1948 को बर्मा की स्वतंत्रता से पहले घनिष्ठ संपर्क में थे। भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने स्वतंत्र बर्मा की प्रथम वर्षगांठ में भाग लिया। वह पवित्र बोधिवृक्ष का एक पौधा अपने साथ ले गए जिसे श्वेडेगोन पैगोडा में रोपित किया गया था। म्यामां के सैन्य से नागरिक शासन की ओर अग्रसर होने पर इन संबंधों ने एक व्यापक सद्भावना निर्मित की जिससे हमारे द्विपक्षीय रिश्ते कायम रहे। आज वे हमें हमारी भावी यात्रा की रूपरेखा के निर्माण में हमें प्रेरणा प्रदान करते हैं।

महामहिम,

2015 के महत्त्वपूर्ण चुनावों में आपकी पार्टी, नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी को एक स्पष्ट जनादेश प्राप्त हुआ। अपने मतों के माध्यम से, म्यामां की जनता ने दाओ आंग सान सू की के प्रति प्रेम और विश्वास को दर्शाया। भारत ने दशकों में पहली बार आयोजित बहुदलीय चुनावों में अपने मताधिकार प्रयोग में मतदाताओं के परिपक्व, शांतिपूर्ण तथा अनुकरणीय आचरण की प्रशंसा की। हम जनता की आकांक्षा का सम्मान करने तथा सत्ता के सुचारू अंतरण में सहायता के लिए म्यामां के नागरिक और सैन्य नेताओं के राजकौशल की सराहना करते हैं।

महामहिम,

एक मैत्रीपूर्ण पड़ोसी और विकास साझीदार के रूप में, भारत सदैव आवश्यकता होने पर समर्थन और सहायता सहित म्यामां की जनता के साथ खड़ा हुआ है। हमारी विकास सहयोग साझीदारी का दिशानिर्देशक सिद्धांत ‘प्रथम जनता’ है। हम आपके ढांचागत विकास, संयोजन, क्षमता निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तथा लघु विकास परियोजनाओं की स्थापना जैसे प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों में आपकी सरकार के साथ कार्य करने की उम्मीद करते हैं।

हमें विश्वास है कि कालादान तथा त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजनाओं से संबंधित क्षेत्रों में संपर्क, व्यापार तथा आर्थिक समृद्धि में अत्यधिक वृद्धि होगी; मंडाले के म्यामां सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान तथा ने पी ता के उन्नत कृषि अनुसंधान और शिक्षा केंद्र में संपूर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया के लाभ के लिए उत्कृष्टता तथा कृषि अनुसंधान केंद्र बनने की क्षमता है।

महामहिम,

हम म्यामां को अपनी ‘प्रथम पड़ोस’ तथा ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में एक प्रमुख साझीदार के रूप में देखते हैं। भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा वाणिज्यिक संपर्कों को पुन: सशक्त करने के लिए पूरब की ओर देखने पर हमारी दृष्टि में पहले म्यामां आता है।

हम अपने साझे विकास लक्ष्यों की दिशा में मिलकर कार्य कर रहे हैं इसलिए, भारत को सतत तरीके से विद्युत उत्पादन तथा प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन में अपने अनुभव और विशेषज्ञता को म्यामां के साथ बांटने पर अत्यंत प्रसन्नता होगी।

हम शासन, संघवाद तथा उनके सहयोग के लिए आवश्यक संवैधानिक और प्रशासनिक व्यवस्थाओं हेतु अपने आजमाए हुए और परीक्षित मॉडल की पेशकश करते हैं।

हम अपने क्षेत्र में स्थिरता, शांति और प्रगति की हमारी साझी संकल्पना को प्राप्त करने में म्यामां के योगदान तथा संवर्धित भूमिका को अत्यंत महत्व देते हैं। हम 21वीं शताब्दी के पैंगलोंग सम्मेलन के माध्यम से शांति के लिए एक समावेशी प्रक्रिया आरंभ करने के लिए राष्ट्रीय परामर्शक दाओ आंग सान सू की द्वारा उठाए गए साहसिक कदम का स्वागत करते हैं। सीमा प्रबंधन के क्षेत्र में हमारी साझी सुरक्षा चिंताओं और संयुक्त प्रयासों के संबंध में, हम अपने सीमा क्षेत्र की आर्थिक प्रगति जिससे वे शांति और समृद्धि के क्षेत्र में बदल जाएंगे, की ओर विशेष ध्यान देने पर सहमत हो गए हैं।

हम म्यामां को आसियान के लिए भारत का द्वार तथा भारत को दक्षिण एशिया के लिए म्यामां के सेतु के रूप में देखना चाहते हैं।

महामहिम,

आपकी राजकीय यात्रा उपयुक्त अवसर है क्योंकि यह आपकी सरकार के कार्यकाल के आरंभ में हो रही है जिससे म्यामां अपने इतिहास के एक आशाजनक नए अध्याय को शुरू कर रहा है। मेरी सरकार आपकी जनता की आकांक्षाओं तथा आपकी सरकार की नीतियों को पूरा करने के लिए आपकी इच्छा पर जब भी, जहां भी और जैसे भी दृढ़ सहयोग देने के लिए तैयार है।

आपकी यात्रा का शुभारंभ बोधगया से हुआ है। हम प्रसन्न हैं कि आप प्रसिद्ध ताज महल की यात्रा करेंगे और आशा करते हैं कि आप नई दिल्ली के कुछ रोचक पहलुओं को भी देख सकेंगे।

वास्तव में आपकी यात्रा से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक नए और जीवंत अध्याय का सूत्रपात होगा। हम म्यामां की जनता और सरकार को लोकतंत्र, प्रगति और समृद्धि की दिशा में अत्यधिक सफलता के लिए शुभकामनाएं देते हैं।

महामहिमगण, देवियो और सज्जनो, आइए हम सब मिलकर:

• महामहिम राष्ट्रपति, यू हितन क्याउ एवं दाओ सू सू ल्विन के स्वास्थ्य और खुशहाली;

• हमारी जनता और देशों की प्रगति और समृद्धि; तथा

• भारत और म्यामां की स्थायी मैत्री और सहयोग की कामना करें।

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