मुजिरिस धरोहर परियोजना के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

कोडुंगलूर, केरल : 27.02.2016

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sp1. मुझे पर्यटन मंत्रालय,भारत सरकार के सहयोग से केरल सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही मुजिरिस धरोहर परियोजना का उद्घाटन करने के लिए आज कोडुंगलूर के इस ऐतिहासिक शहर में आकर प्रसन्नता हो रही है।

2. यदि केरल ईश्वर का अपना घर है तो कोडुंगलूर वह शहर है जहां देवता एकता और समरसता के साथ एकत्रित होते हैं। इस शहर और इसका आसपास का क्षेत्र इस्लाम,ईसाई, यहूदी तथा हिन्दू धर्म का उन्नतशील केंद्र रहा है। यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि प्राचीन कुरुंब भगवती मंदिर तथा भारत की प्राचीनतम मस्जिद चेरामन मस्जिद दोनों कोडुंगलूर में है। पारावुर और चेन्नामंगलम के दो गिरजाघर, कोट्टाइल कोविलकाम का ऐतिहासिक क्षेत्र तथा पुर्तगाली,डच और मैसूर सुल्तान के साथ संबंध वाला कोट्टपुरम किला भी इसके पड़ोस में ही है। कोडुंगलूर के बारे में माना जाता है कि यहीं पर यीशु मसीह के दूत सेंट थॉमस यूरोप से पहले भारत में ईसाइयत लेकर आए।

3. छह वर्ष पूर्व आरंभ मुजिरिस धरोहर परियोजना एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसमें चेन्नामंगलम प्रसादों,चेरामन परांबु,उत्तरी पारावुर का गिरजाघर और तटीय भाग एक आगंतुक केंद्र,गोतुरुतु का प्रस्तुति केंद्र,पल्लीपुरम का संग्रहालय तथा पत्तनम में एक पर्यटन स्वागत सुविधा का विकास कार्य शामिल है। परियोजना में त्रिशूर और एरनाकुलम जिले में125 वर्ग किलोमीटर दायरे में स्थित पुरातात्विक स्मारकों के संरक्षण का भी प्रस्ताव है।

देवियो और सज्जनो,

4. भारत प्राचीनकाल में संभवत: सबसे वैश्वीकृत राष्ट्रों में से एक था। इस परियोजना का नाम मुजिरिस पर रखा गया है जो अपनी प्रसिद्धि के शिखर के दौरान एक सक्रिय बंदरगाह था जहां मूल्यवान पत्थरों से लेकर मसालों तक,प्रत्येक वस्तु का व्यापार होता था। मुजिरिस भारत में संस्कृतियों,धार्मिक पंथों और जातियों का भारत आने का द्वार था। यहां अरबी,मिस्रवासियों, यूनानियों,रोमन और चीनियों सहित विश्वभर के समुद्री व्यापारियों के विशाल जलयान आया करते थे।

5. ‘मछरीपत्तनम’का उल्लेख संगम साहित्य (जो ईसापूर्व 300से लेकर 300 ईस्वी तक था) में तमिझगम के पश्चिमी घाट पर एक समृद्धशाली पत्तन और बस्ती के रूप में किया गया है। संगम संकलन के सातवें ग्रंथ अकानानुरू में कवि ने मुजिरिस का वर्णन पेरियार नदी के तट पर स्थित समृद्ध चेरान नगर के रूप में किया है जहां यवन और यूनानी आते थे और स्वर्ण के बदले मसाले प्राप्त किया करते थे।

6. मुजिरिस का उल्लेख ईसा की प्रथम शताब्दी के मध्य में एक यूनानी भाषी मिस्र व्यापारी के ग्रंथ वॉयेज अराउंड द इरिथरेयन सी में पाया गया है। इसे उन चार बंदरगाहों में से एक बताया गया है जहां से काली मिर्च और अन्य वस्तुएं निर्यात की जाती थीं। ईसा की प्रथम शताब्दी के रोमन प्रकृतिवादी प्लानी,द एल्डर ने अपने विश्वकोश ‘नेचुरलिस हिस्टोरिया’में मुजिरिस का जिक्र भारत के प्रथम एंथोरियसम के रूप में किया। प्राचीन काल में एंपोरियम विदेशी व्यापारियों के कारोबारी हितों के लिए एक आरक्षित स्थान हुआ करता था।

7. यह माना जाता है कि 14वीं शताब्दी में आई विनाशकारी बाढ़ से पेरियार नदी के रास्ता बदलने या भूकंप के कारण मुजिरिस का पतन हो गया। परंतु मालाबार तट विश्व के विभिन्न भागों के विदेशी व्यापारियों और आगंतुकों के लिए प्रमुख गंतव्य बना रहा। इब्नबतूता और मार्कोपोलो जैसे यात्रियों ने यहां आकर मालाबार के बंदरगाहों का वृतांत लिखा। अरबवासियों ने मसालों के अपने फलते-फूलते व्यापार को जारी रखा और चीनी यहां निरंतर आया करते थे।

देवियो और सज्जनो,

8. दो सौ से अधिक वर्षों से विभिन्न पंथों के लोग इस क्षेत्र में शांति और सौहार्द से रहते हैं। केरल के हिन्दू राजाओं ने विदेशी तथा उनके पंथों पारसी,इस्लाम और ईसाइयत का स्वागत किया। राजाओं ने पूजा स्थल स्थापित करने के लिए भूमि उपहार में दी तथा विभिन्न धर्मावलंबियों को सुरक्षा और संरक्षण प्रदान किया। आज केरल ऐसा राज्य है जहां पंथों की साझी परंपराएं हैं। बहुत से गिरजाघर हिन्दू मंदिरों की भांति दीप जलाते हैं और ध्वज फहराते हैं। इसी प्रकार चेरामन मस्जिद में हमेशा अखंड दीप जलता रहता है।

9. मुझे प्रसन्नता है कि मुजिरिस धरोहर परियोजना समग्र रूप से सांस्कृतिक प्रभावों के इस शानदार परिदृश्य को जीवित बनाना चाहती है। यह प्रदेश विशिष्ट रूप से समृद्ध और विविध इतिहास का स्थान था। यह महत्वपूर्ण है कि इस शानदार वृतांत को सुन्दर और कुशल तरीके से विश्व और भारत को बताया जाए और उसका विवरण दिया जाए। मुझे प्रसन्नता है कि मुजिरिस धरोहर परियोजना के तहत सहस्राब्दि की घटनाओं और अनुभवों से दर्शकों को रूबरू करवाते हुए संग्रहालयों और प्रस्तुति केंद्रों की श्रृंखला के द्वारा ऐसा करने का प्रस्ताव है। मैं मानता हूं कि परियोजना का उद्देश्य ऐतिहासिक स्थलों को एक दूसरे से जोड़ने वाले जलमार्गों के जाल का प्रयोग करते हुए,इस क्षेत्र के सामान्यजन के जीवन की झलकी दर्शकों को दिखाना है। मुझे विश्वास है कि यह परियोजना इस क्षेत्र के लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाते हुए तथा दर्शकों को ज्ञान और आनंद प्रदान करते हुए भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए नए गंतव्यों की शुरुआत करेगी।

मित्रो,

10. देश की विशालतम संरक्षण परियोजना तथा केरल सरकार की पहली हरित परियोजना होने के कारण,मुजिरिस धरोहर परियोजना,धरोहर संरक्षण अथवा पर्यटन के क्षेत्र में बहुत ही गर्व करने योग्य पहलू है। राज्य के मसालों के व्यापार और प्राचीन बंदरगाहों ने केरल में बहुत से विरासत द्वीप और इतिहास की रचना की परंतु पर्यटन अनुभव सदैव भिन्न रहा है। मुजिरिस धरोहर परियोजना वैश्विक यात्रियों को सर्वोत्तम विरासत पर्यटन प्रस्तुत करता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह परियोजना भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए नए गंतव्य खोलती है,क्षेत्र के लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाती है तथा आगंतुकों को ज्ञान और आनंद प्रदान करती है।

11. मैं इस परियोजना में दायित्वपूर्ण पर्यटन पर बल देने तथा स्थानीय आबादी को शामिल करने के लिए हुए राज्य सरकार की सराहना करता हूं। स्थानीय स्वामित्व से इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए बुनियादी ज्ञान और विचार सामने लाने में मदद मिल सकती है। यह इस क्षेत्र के लोगों को यह सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपता है कि अतिथि देवो भव: की भारतीय परंपरा को साकार रूप दिया जाए। परियोजना के नियोजन और कार्यान्वयन में लोगों की भागीदारी से उन आर्थिक और रोजगार संभावनाओं को और साकार किया जा सकेगा जो पर्यटन विकास से इस क्षेत्र में पैदा होंगी।

12. मुझे ज्ञात है कि परियोजना का अगला चरण स्पाइस रूट इनीसियेटिव है जो उन अंतरराष्ट्रीय संपर्कों और संयोजनों की खोज करेगा जो मालाबार तट के विश्व के बहुत से हिस्सों के साथ थे। इस चरण को यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन की सहायता से कार्यान्वित किया जाना है। स्पाइस रूट इनीसियेटिव महत्वपूर्ण और भारत के लिए प्रासंगिक है,जो एक बार पुन: अंतरराष्ट्रीय व्यापार और परिवहन तथा समुद्र शक्ति के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरना चाहता है। स्पाइस रूट इनीसियेटिव एशिया और यूरोप के41 देशों को भारत के साथ जोड़ेगा तथा इन राष्ट्रों के साथ हमारे सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान का पुन: नवीकरण करेगा। इसका लक्ष्य एक बहुराष्ट्रीय सांस्कृतिक गलियारे का विकास करना है जो न केवल भारत की गौरवशाली विरासत पर प्रकाश डालेगा बल्कि राष्ट्रों और लोगों को जोड़ने के लिए शांति मार्ग भी खोलेगा।

मित्रो, देवियो और सज्जनो,

13. केरल ने युगों-युगों से मानव विचार और प्रयास के प्रत्येक क्षेत्र में नई परंपराएं और मूल्यों को अपनाने की उल्लेखनीय योग्यता दर्शाई है। केरल के लोगों की सहिष्णुता की भावना तथा उदार दृष्टिकोण देश के लिए एक आदर्श है। मुजिरिस धरोहर परियोजना हमारे देश की शानदार विरासत का गौरव है जहां विभिन्न,पंथों, जातियों और भाषाओं के लोग सौहार्द के साथ रहते हैं। यह परियोजना हमें ध्यान दिलाती है कि हमारा इतिहास समावेशन,परस्पर सम्मान और असहमति के गौरव से युक्त है, इसमें एक दूसरे के विश्वास और मूल्यों का आदर किया जाता है।

14. समुद्री और काफिला मार्ग मिलने के कारण भारत सदैव विश्व के उस सबसे सार्वभौमिक समाज में से है जो विविधता तथा नए विचारों और संस्कृतियों के स्वागत में सहज रहा है। मैं आशा करता हूं कि मुजिरिस हेरिटेज परियोजना भारतीय सार्वभौमिकता को सदैव सुदूर तक फैलाएगा और उसके द्वारा विश्वभर में भारत की सौम्य शक्ति को बढ़ाएगा।

15. मैं परियोजना अधिकारियों और लोगों से उन चिरस्थायी सभ्यतागत संबंधों और सांस्कृतिक अपनत्व को उजागर और उल्लेख करने का आग्रह करता हूं जिनका भारत शेष विश्व के साथ आदान-प्रदान करता है। यह मुजिरिस धरोहर परियोजना नूतन विश्व और उदीयमान भारत के बीच एक अमूल्य कड़ी के रूप में उभरे।


धन्यवाद।

जयहिन्द।

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