मोबाइल गवर्नेंस परियोजना, ‘कर्नाटक मोबाइल वन’ के लोकार्पण के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

बेंगलुरु, कर्नाटक : 08.12.2014

डाउनलोड : भाषण मोबाइल गवर्नेंस परियोजना, ‘कर्नाटक मोबाइल वन’ के लोकार्पण के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 325.5 किलोबाइट)

1. मुझे, कर्नाटक सरकार की मोबाइल गवर्नेंस परियोजना ‘कर्नाटक मोबाइल वन’, के लोकार्पण के लिए इस अपराह्न यहां उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। एक समेकित मोबाइल सक्षम सेवा सुपुर्दगी प्रणाली आरंभ करने के इस अग्रणी प्रयास के लिए मैं राज्य सरकार की सराहना करता हूं। मुझे बताया गया है कि यह देश में अपनी तरह की अद्वितीय पहल है और शासन में नए युग के सूत्रपात का प्रतीक है।

2. यह मोबाइल गवर्नेंस परियोजना, मोबाइल फोन के माध्यम से बिल भुगतान, यातायात चेतावनी, यातायात जुर्माना भुगतान तथा अन्य उपयोगिता सुविधाओं जैसी सेवाएं उपलब्ध करवाएगी। यह सेवाओं की समयबद्ध सुपुर्दगी के लिए ‘सकल’ नामक प्लेटफार्म के साथ ही शिकायतों के त्वरित समाधान भी प्रदान करेगी। यह प्रशंसनीय है कि सूचना प्रौद्योगिकी के एक अग्रणी केन्द्र कर्नाटक ने नागरिक-सरकार संबद्धता की नवीन प्रक्रिया के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी, नवान्वेषण और शासन को आपस में एकीकृत किया है।

3. अच्छा निर्णय लेने के लिए नागरिकों सहित, सभी भागीदारों के ज्ञान, अनुभव और विचारों को समेकित करने की जरूरत होती है। शासनकला के इस मंत्र को पहचानते हुए, कर्नाटक द्वारा शासन और शासित के बीच संबंधों को घनिष्ठ बनाने का प्रयास किया जा रहा है। मेरे लिए, यह शासन के उस दर्शन का प्रतीक है जिसका भगवद्गीता,अर्थशास्त्र तथा मनुस्मृति जैसे हमारे प्राचीन ग्रंथों में प्रतिपादन किया गया था। इन बहुमूल्य ग्रंथों में सरकार और नागरिकों के बीच सहयोगात्मक प्रणाली पर आधारित शासन के उपाय बताए गए हैं।

देवियो और सज्जनो,

4. नागरिकों की खुशी एक कल्याणकारी राज्य का सबसे प्रमुख लक्ष्य होता है। यह वह आधार होता है जिस पर उसके अन्य लक्ष्य निर्भर होते हैं। इसको पूरा करने के लिए सुशासन की आवश्यकता होती है, जिसके तहत कानून का शासन, सहभागितापूर्ण नीति निर्माण, समता, समावेशिता, प्रतिसंवेदनात्मकता, पारदर्शिता तथा जवाबदेही जैसे पावन तत्व शामिल होते हैं।

5. भारत का संविधान सुशासन सिद्धांतों का मॉडल है। इसकी उद्देशिका, मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में शासन के नियम निहित हैं। ये हमारे देश के मूल्य आधारित शासन के लिए संदर्भ बिन्दु उपलब्ध करवाते हैं। मौलिक अधिकार प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास तथा मानव गरिमा को कायम रखने के लिए आवश्यक है।

6. राज्य के नीति निर्देशक तत्व सुशासन की रूपरेखा हैं। संसदीय विधान तथा सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों ने इन निर्देशकों को शासन के कार्य योग्य बिन्दुओं में बदलने में मदद की है। उदाहरण के लिए, कानूनी गारंटी के साथ भोजन, शिक्षा और रोजगार के हक से नागरिक सशक्त बने हैं। सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा की योजनाओं ने बढ़िया परिणाम दर्शाएं हैं। हाल ही में, सरकार ने पूर्ण वित्तीय समावेशन, डिजीटल अवसंरचना के प्रावधान,स्वच्छता अभियान तथा आदर्श गांवों के निर्माण के लक्ष्य से युक्त अनेक नवान्वेषी योजनाओं के माध्यम से समावेशी विकास को और गति प्रदान की है।

7. जनता की अपेक्षाओं का पूरा होना जन कार्यक्रमों की सफलता का मापदंड है। सुशासन के संदर्भ में इसका अर्थ है कारगर सुपुर्दगी तंत्र की उपलब्धता। नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के प्रति प्रतिसंवेदनात्मकता वह चुनौती है जिसका उत्तर हमारे देश के लोक प्रशासकों को ढूंढना होगा। जन संस्थाओं की कारगरता सुपुर्दगी तंत्र तथा नियमों, विनियमों तथा प्रक्रियाओं के संस्थागत ढांचे पर निर्भर करती है। जिसे बदलते समय के साथ, लगातार विकसित होना पड़ेगा। एक ओर जहां सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा करने तथा सेवा सुपुर्दगी की गुणवत्ता में सुधार के लिए संगठनात्मक क्षमताओं में सुधार की जरूरत है वहीं दूसरी ओर पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार भी जरूरी है। इससे प्रौद्योगिकी पर आधारित नवान्वेषी समाधानों की जरूरत की महत्व का पता चलता है। एक खगोल-भौतिकविद्, लेखक और विज्ञान वार्ताकार स्वर्गीय कार्ल सैगन ने कहा था, ‘हमने एक ऐसी सभ्यता बनाई है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण तत्त्व प्रमुखत: विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर पूर्णत: निर्भर हैं।’

8. प्रत्येक नागरिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करते हुए लाभों और सेवाओं की उपलब्धता सुधारने तथा सुगम्यता के लिए आधार परियोजना को आरंभ किया गया था। जनवरी, 2013 में शुरू की गई प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना में लक्ष्य सुधारने, अपशिष्ट समाप्त करने, अधिक पारदर्शिता आरंभ करने, आदन-प्रदान लागत कम करने तथा कुशलता बढ़ाने के लिए आधार प्रणाली को प्रयोग किया गया। इस पहल ने दर्शाया कि किस प्रकार उचित प्रौद्योगिकी मॉडलों का प्रयोग करते हुए सुशासन के तरीकों को सुदृढ़ बनाया जा सकता है। ई-शासन में शासन मानदंडों में अत्यधिक प्रगति की संभावनाएं छुपी हैं। शासन के प्रौद्योगिकी-सघन समाधान आरंभ करने के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी में भारत की अग्रणी स्थिति से फायदा उठाना समय की जरूरत है।

देवियो और सज्जनो,

9. सूचना प्रौद्योगिकी में भारी प्रगति ने समाज की कायापलट कर दी है। इसने जन-साधारण के लाभ के लिए शासन के क्षेत्र में प्रयोग हेतु प्रौद्योगिकी सक्षम समाधानों के इस्तेमाल के मामले में सरकार के लिए एक माहौल तैयार कर दिया है। कर्नाटक एक ऐसा सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र है जो सफलता की एक ऐसी कहानी गढ़ रहा है जो बेजोड़ है। यह हमारे देश के कुल सॉफटवेयर निर्यात में तीस प्रतिशत योगदान देता है।

10. राज्य ने न केवल सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विस्तार के लिए एक अनुकूल वातावरण निर्मित किया बल्कि इसने नागरिकों के जीवन से जुड़े सुधारों के लिए नवान्वेषण और सरकारी संकल्पना को कुशलतापूर्वक एकीकृत कर दिया है। भूमि—जो भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन की एक ऑनलाइन प्रणाली है, कावेरी—जो स्टांप और पंजीकरण विभाग की एक मूल्यांकन और ई-पंजीकरण प्रणाली है;ई-स्वाथु—एक ऐसा सॉफटवेयर है जो शहरी स्थानीय निकायों में संपित्तयों को सूचीबद्ध करता है और जिसे अब कावेरी के साथ समेकित कर दिया गया है तथा ई-प्रापण जैसी ई-पहलों ने शासन के मापदंड स्थापित कर दिए हैं। कर्नाटक को ई-शासन के लिए समर्पित सचिवालय से युक्त प्रथम भारतीय राज्य होने की प्रतिष्ठा प्राप्त है। मैं शासन में प्रौद्योगिकी को प्रयोग करने के उत्साह के लिए आपकी सराहना करता हूं। इस संदर्भ में, मैं 3डी होलोग्राफी, जो एक एक अग्रणी प्रौद्योगिकी है,के प्रदर्शन के साथ जुड़ने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

11. मोबाइल फोन ने संचार प्रणाली में किसी अन्य प्रणाली से कहीं अधिक आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है। यह लोगों को नजदीक लाया है, दूरी कम की है और भौगोलिक अलगाव को घटाया है। भारत में 75 प्रतिशत सघनता के साथ मोबाइल फोन ग्राहकों की कुल संख्या 93 करोड़ है। 41 प्रतिशत ग्राहक ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। ग्रामीण इलाकों में 0.76 प्रतिशत मोबाइल फोन ग्राहकों की मासिक वृद्धि दर शहरी इलाकों के 0.55 प्रतिशत से अधिक है। शासन के नीतिगत परिप्रेक्ष्य से ये आंकड़े उल्लेखनीय हैं।

12. इस वर्ष अगस्त में शुरू किए गए ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम में डिजिटल ‘सुविधाप्राप्त’ और ‘सुविधाहीन’के बीच के अंतर को पाटते हुए एक डिजिटल सशक्त समाज तथा ज्ञानजीवी अर्थव्यवस्था की परिकल्पना की गई है। इस कार्यक्रम का एक अवयव मोबाइल प्लेटफॉर्म से तत्क्षण सरकारी सेवाओं की उपलब्धता है। इस संदर्भ में मैं ‘कर्नाटक मोबाइल वन’ एक बड़ी दूरदृष्टिपूर्ण पहल समझता हूं। यह जानकर प्रसन्नता होती है कि लगभग पांच सौ जी2सी (सरकार से नागरिक) और चार हजार से ज्यादा बी2सी (व्यवसाय से ग्राहक) सेवाएं इस मंच पर समेकित कर दी गई हैं और मुझे बताया गया है कि और सेवाओं पर कार्य जारी है। मुझे लगता है कि यह सार्थक शासन में बदल जाएगा और ई-शासन को अगले स्तर तक ले जाएगा।

देवियो और सज्जनो,

13. कर्नाटक नाम, एक व्युत्पत्ति के अनुसार ‘कारू नाडू’ से निकला है। मुझे उम्मीद है कि अपने अर्थ ‘उन्नत भूमि’ के अनुरूप यह राज्य अपने ऊंचे लक्ष्यों को प्राप्त करता रहेगा। तेजी से बदल रही दुनिया में विद्यार्थी, अन्वेषक और कार्य करने वाले ही नागरिकों के लिए एक नए युग की शुरुआत करेंगे। आपने अपने प्रयासों के माध्यम से यह दर्शा दिया है और मैं इसके लिए आपकी सराहना करता हूं। अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट न हो जाएं; शासन में सुधार के अपने प्रयास जारी रखें। मैं इसी विचार के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं कि बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए वर्तमान में रचनात्मकता जरूरी है। मैं मोबाइल गवर्नेंस कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन के लिए आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद, 
जयहिन्द !

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.