महामहिम नार्वे नरेश द्वारा आयोजित राज-भोज के अवसर पर भारत के माननीय राष्ट्रपति का अभिभाषण

ओस्लो, नॉर्वे में : 13.10.2014

डाउनलोड : भाषण महामहिम नार्वे नरेश द्वारा आयोजित राज-भोज के अवसर पर भारत के माननीय राष्ट्रपति का अभिभाषण(हिन्दी, 448.02 किलोबाइट)

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महामहिम नार्वे नरेश हराल्द द फिफ्थ

माहामान्या महारानी सोन्या,

महामहिम युवराज और महामान्या युवराज्ञी,

महामहिमगण,

देवियो और सज्जनो,

भारत से नार्वे की प्रथम राजकीय यात्रा के अवसर पर यहां उपस्थित होना वास्तव में सौभाग्य की बात है। महामहिम,मैं गर्मजोशी भरे उद्गारों के लिए आपका धन्यवाद करता हूं। मुझे और मेरे शिष्टमंडल को प्रदान किए गए हार्दिक स्वागत तथा गर्मजोशी से भरे आतिथ्य की हृदय से सराहना करता हूं। सर्वप्रथम,मैं महामहिम तथा नार्वे की सरकार और जनता को आपके संविधान का द्विशताब्दी समारोह मनाए जाने के अवसर पर बधाई देता हूं। मैं इस अवसर पर,नार्वे की उस सक्रिय भूमिका की सराहना करता हूं जो उसने शांति और विकास के वैश्विक प्रयासों में निभाई है। नोबेल पुरस्कार की स्थापना के माध्यम से,सभी प्रकार के कार्यकलापों में असाधारण मानवीय कार्यों को सम्मानित करने में नार्वे का योगदान,मानव और सभ्यतागत मूल्यों के उत्थान में आपके द्वारा किए गए नेतृत्व का एक उल्लेखनीय उदाहरण है।

महामहिम, भारत नार्वे के साथ अपनी दीर्घकालीन मैत्री को अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानता है। यद्यपि हमारे दोनों देश भौगोलिक रूप से एक दूसरे से दूर हैं परंतु हम लोकतांत्रिक मूल्यों और पद्धतियों के प्रति अपनी समान प्रतिबद्धता से बंधे हुए हैं। हम दोनों देश मुक्त, बहुलवादी समाज हैं जो मानव अधिकारों और कानून के शासन के संरक्षण के प्रति वचनबद्ध हैं। हमने वर्षों के दौरान ऐसे आपसी विश्वास और सद्भावना को विकसित किया है जिससे हमारी जनता बहुत से क्षेत्रों में हमारे समान लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एकजुट हुई है। हमारे द्विपक्षीय सम्बन्ध इससे बेहतर कभी नहीं रहे हैं और हम दोनों अपने सहयोग को इसकी पूर्ण क्षमता के साथ बढ़ाने के इच्छुक हैं।

हम भारत में हमारे शानदार सम्बन्धों के निर्माण और उनकी घनिष्ठता में महामहिम तथा नार्वे के शाही परिवार के अन्य सदस्यों के योगदान को स्वीकार करते हैं और उसे अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानते हैं।

महामहिम, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्त्व के अधिकांश मुद्दों पर हमारे देशों के समान दृष्टिकोण हैं। हम संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर निकट से सहयोग कर रहे हैं और नार्वे द्वारा दिए गए तथा जारी समर्थन की भारत सराहना करता है। हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के प्रति भारत की न्यायोचित दावेदारी को आपके समर्थन के लिए तथा उन सक्रिय प्रयासों के प्रति आभारी हैं जिनसे भारत को आर्कटिक परिषद में प्रेक्षक का पद हासिल करने में मदद मिली।

हमारा द्विपक्षीय सहयोग भी कम उपयोगी नहीं रहा है। हमारी तेल अन्वेषण और वैज्ञानिक अनुसंधान में बेहद लाभदायक साझीदारी है और हम दोनों भू-विज्ञान,जैव-प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, मछली पालन और स्वास्थ्य देखभाल में अपने सहयोगपूर्ण प्रयासों को बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। मैं,स्वालबार्ड में ध्रुवीय अनुसंधान केंद्र की स्थापना में भारत को प्रदत्त सहायता और सहयोग के लिए नार्वे की सरकार को धन्यवाद देता हूं।

महामहिम, आपने करीब तीन दशक पूर्व भारत की यात्रा की थी। भारत ने तब से अनेक प्रकार से प्रगति और विकास किया है। तथापि,ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जहां भारत सरकार और अधिक विकास और समावेशी प्रगति देखना चाहती है। नई सरकार निवेश को प्रोत्साहित करने,भारत में विनिर्माण क्षेत्र को पुन: ऊर्जस्वित करने, कौशल विकास को बढ़ावा देने, स्मार्ट शहरों को विकसित करने तथा इसके लिए भारत और विदेश के सभी इच्छुक साझीदारों और निवेशकों को नजदीक लाने के लिए अनेक उपाय कर रही है। व्यापार वातावरण सकारात्मक और मजबूत है। भारत और नार्वे के बीच व्यापार बढ़ रहा है परंतु यह स्पष्ट है कि काफी संभावनाओं को साकार किया जाना बाकी है। भारत सरकार,भारत के अवसंरचना क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं तलाश करने के लिए नार्वे के निवेशकों और उद्यमियों को आमंत्रित करती है। हम अपनी रेल,सड़कों और पत्तनों, विद्युत और संचार क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का स्वागत करते हैं;हम नई सरकार की ‘भारत में निर्माण’ पहल में अपने भारतीय समकक्षों के साथ जुड़ने के लिए नार्वे की कंपनियों को आमंत्रित करते हैं तथा हम वर्तमान में भारतीय विकास गाथा में उनकी भागीदारी में मदद करने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बना रहे हैं। हम2009 में नार्वे द्वारा शुरू की गई ‘इन्डिया स्ट्रेटजी’का स्वागत करते हैं तथा अपने साझे हित के क्षेत्रों में नई साझीदारियों और सहयोग के लिए तत्पर हैं।

मुझे विश्वास है कि हमने जिन द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं,उनसे ऐसे बहुत से क्षेत्रों में जहां भारत और नार्वे की आपसी अनुपूरकताएं हैं,हमारे उपयोगी सम्बन्ध बढ़ेंगे।

इन्हीं शब्दों के साथ, महामहिमगण,मैं एक बार पुन: आपके गरिमापूर्ण आतिथ्य के लिए आपका धन्यवाद करता हूं तथा आपको अपनी सुविधानुसार भारत की यात्रा करने के लिए आमंत्रित करता हूं। नई दिल्ली में आपका स्वागत करना सम्मान और सौभाग्य होगा।

देवियो और सज्जनो, आइए हम सब मिलकर :

- नार्वे के महामहिम,नरेश और महामान्या महारानी के स्वास्थ्य,

- नार्वे की जनता की निरंतर प्रगति और समृद्धि, तथा

- भारत और नार्वे के बीच स्थायी मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों की कामना करें।

स्कोल! 
धन्यवाद।

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