कुलाध्यक्ष पुरस्कार 2016 प्रदान किए जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
सभागार, राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र : 14.03.2016
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शुभ संध्या और राष्ट्रपति भवन में हार्दिक स्वागत!
1. सबसे पहले मैं सर्वोत्तम विश्वविद्यालय वर्ग में तेजपुर विश्वविद्यालय तथा अनुसंधान और नवान्वेषण दोनों में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को कुलाध्यक्ष पुरस्कार 2016 जीतने पर बधाई देता हूं। ये पुरस्कार आपके वर्षों के सच्चे प्रयास और परिश्रम का सम्मान हैं।
देवियो और सज्जनो,
2. शिक्षा, अनुसंधान और नवान्वेषण उच्च विकास और सतत प्रगति के तीन महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। जिन देशों ने उद्योग और अनुसंधान निकायों जैसे अन्य प्रमुख भागीदारों के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों के सुदृढ़ नेटवर्क तैयार किए हैं उन्होंने तीव्र नवान्वेषण, उत्पाद विकास और औद्योगिकीकरण किया है। इस प्रक्रिया से लोगों को ज्ञान, संपत्ति प्राप्त हुई है और उनकी बेहतरी हुई है।
3. उच्च शिक्षा अनुसंधान और नवान्वेषण के महत्व की दृष्टि से मैंने 2014 में वार्षिक कुलाध्यक्ष पुरस्कार की स्थापना की घोषणा की थी। मेरे सचिवालय ने पुरस्कारों के कार्यान्वयन की प्रक्रिया को तेज कर दिया और 2015 में पहली बार पुरस्कार प्रदान किए गए। आज, मुझे तीन वर्गों में योग्य प्राप्तकर्ताओं को द्वितीय कुलाध्यक्ष पुरस्कार प्रदान करते हुए प्रसन्नता हुई है।
4. तेजपुर विश्वविद्यालय ने मेरा यह विश्वास पुष्ट कर दिया है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र का उच्च शिक्षा परिदृश्य न केवल संभावनाओं से भरपूर है बल्कि इसे साकार भी किया जा रहा है। मुझे इस क्षेत्र के कुछ उच्च शिक्षा संस्थानों की यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है और मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि जितना हम पूर्वोत्तर की रचनात्मकता का प्रयोग करेंगे उतना ही हम इस क्षेत्र और देश के विकास से लाभान्वित होंगे। मैं उपलब्धियों के लिए तेजपुर विश्वविद्यालय के नेतृत्व को बधाई देता हूं और भविष्य में और ऊंचे शिखर छूते हुए देखना चाहता हूं।
5. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को अनुसंधान और नवान्वेषण दोनों में पुरस्कार इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में नवान्वेषण, अनुसंधान और सहयोग की गहनता का संकेत है। मैं उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार विजेता टीमों के सदस्यों को बधाई देता हूं तथा अनुसंधान और नवान्वेषण के क्षेत्र में निरंतर सफलता और प्रगति के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।
देवियो और सज्जनो,
6. जब मैंने भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में पद संभाला तो मैं एक सौ से अधिक केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों का कुलाध्यक्ष भी बन गया। मैंने कुलाध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति की भूमिका समझने में कुछ समय लिया। मैंने अपने देश में उच्च शिक्षा की स्थिति की जानकारी हासिल की। मैंने पाया कि अपनी क्षमता के बावजूद एक भी संस्थान सर्वोच्च 200 वैश्विक वरीयताओं में शामिल नहीं है। एकाग्रता में कमी तथा पद्धतिनुमा दृष्टिकोण के अभाव के कारण हमारा कोई भी संस्थान इस उपलब्धि को अर्जित न कर सका।
7. मेरे निरंतर आग्रह और प्रोत्साहन के अब परिणाम आने आरंभ हो गए हैं। बेहतर फल आने लगे हैं। पहली बार दो भारतीय संस्थानों को एक प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय वरीयता एजेंसी द्वारा प्रकाशित सूची में विश्व के सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों में शामिल किया गया है। एक अन्य प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा आईआईटी गुवाहटी को लघु विश्वविद्यालयों की वरीयता में बारहवां स्थान दिया गया है। यह एक विशिष्ट उपलब्धि है तथा इससे हाल के वर्षों में स्थापित संस्थानों सहित सभी संस्थानों को प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
8. सर्वोच्च उच्च शिक्षा संस्थान बनने के लिए, एक संस्थान को कुछ मूलभूत पूर्वशर्तों को पूरा करना पड़ता है। मेरे विचार से उनमें से कुछ सबसे प्रमुख हैं, शिक्षा और गुणवत्ता को सुनिश्चित करना,संकाय स्तर को बढ़ाना तथा अंतरराष्ट्रीय और घरेलू संगठनों के साथ सहयोग/संयोजन स्थापित करना। शैक्षिक श्रेष्ठता पर बल देना तथा देशप्रेम, करुणा, ईमानदारी, सहिष्णुता, कर्तव्य निर्वहन तथा महिलाओं के प्रति सम्मान जैसे प्रमुख सभ्यतागत मूल्यों का संचार सदैव होते रहना चाहिए।
9. ज्ञान सृजन और व्यापक सामाजिक अनुप्रयोग की दृष्टि से अनुसंधान महत्वपूर्ण है। हमारे संस्थानों के अनुसंधान के पीछे अधिक से अधिक संख्या में अधिक से अधिक भलाई की प्रेरणा होनी चाहिए। हमारी अनुसंधान प्राथमिकताओं की दिशा को सुनिश्चित करने का मापदण्ड समाज के लिए इसकी प्रासंगिकता है। इसी प्रकार, नवान्वेषण कार्यकलाप को सामान्यजन के कल्याण के लिए तैयार करना होगा। नवान्वेषण से जीवन सरल होना चाहिए, दुखी लोगों को राहत मिलनी चाहिए तथा उद्यमशील और परिश्रमी लोगों को उद्यम के साधन हासिल होने चाहिए। आज सर्वोत्तम विश्वविद्यालय, सर्वोत्तम अनुसंधान तथा सर्वोत्तम नवान्वेषण के तीन वर्गों में प्रदान किए गए कुलाध्यक्ष पुरस्कार इस दर्शन के अनुरुप हैं।
10. इन पुरस्कारों से केंद्रीय विश्वविद्यालयों तथा उनके शैक्षिक समुदायों को और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की प्रेरणा और प्रोत्साहन प्राप्त होगा। आप सभी को ज्ञान और शिक्षा के मंदिर बनने के लिए के लिए कार्य करना चाहिए। मैं आपके प्रयासों के सफल होने की कामना करता हूं।
धन्यवाद।