क्षय रोग और संबद्ध रोगों पर राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन ऑडिटोरियम, नई दिल्ली : 23.02.2014

डाउनलोड : भाषण क्षय रोग और संबद्ध रोगों पर राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 228.53 किलोबाइट)

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विशिष्ट प्रतिनिधिगण, देवियो और सज्जनो,

मुझे वास्तव में आज की इस सुबह भारतीय क्षय रोग एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित क्षय रोग और संबद्ध रोगों पर 68वें राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए प्लेटिनम जयंती समारोह में आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। सबसे पहले मैं इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के आयोजन के लिए भारतीय क्षयरोग एसोसिएशन तथा राष्ट्रीय क्षय रोग और श्वसन रोग संस्थान को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। 1939 में स्थापित भारतीय क्षयरोग एसोसिएशन सबसे पुराना संगठन है जिसके साथ संपूर्ण देश में बहुत सी संबद्ध संस्थाएं हैं। 
जैसा कि हमें विदित है भारत में क्षय रोग के विश्व में सबसे अधिक मामले हैं। भारत में क्षयरोग से प्रति दो मिनट में एक व्यक्ति और प्रति दिन लगभग 750 लोग मर जाते हैं। भारत में क्षयरोग के मामलों पर नियंत्रण के बिना वैश्विक क्षय रोग नियंत्रण संभव नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा, क्षय रोग को एक वैश्विक जन-स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में घोषणा के लगभग 20 वर्ष के बाद, सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के संदर्भ में निर्धारित वैश्विक उद्देश्यों की प्रप्ति की दिशा में अच्छी प्रगति हुई है। भारत इस प्रगति में एक सक्षम साझीदार रहा है। संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम भारत की एक सबसे विशालतम जन-स्वास्थ्य उपलब्धि बन चुका है। संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम की समग्र संकल्पना ‘एक क्षयरोग मुक्त भारत’ है। यह इसके स्पष्ट प्रमाण हैं कि क्षय रोग के मामले में वास्तव में बाजी पलट चुकी है। क्षय रोग का भार कम हो रहा है, और अब पिछले वर्षों की तुलना में प्रत्येक वर्ष क्षय रोग संबंधी मृत्यु में कमी आई है। 
यह जानकर प्रसन्नता होती है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने पूर्व निदान और प्रभावी उपचार समग्र पहुंच के लक्ष्य सहित, क्षयरोग नियंत्रण की एक महत्वकांक्षी राष्ट्रीय कार्यनीतिक योजना 2012-17 तैयार की है। ये लक्ष्य पूर्ण रूप से प्राप्त किए जा सकते हैं क्योंकि क्षय रोग कार्यक्रम ने जनसंख्या के कमजोर और वंचित वर्गों के लिए प्रभावी कार्यान्वयन, रोगी अनुकूल सेवाओं के विकेंद्रीकरण पर ध्यान देकर तथा सभी के लिए उत्तम देखभाल में सुधार करके एक सुदृढ़ कार्यक्रम प्रबंधन ढांचा स्थापित कर लिया है। 
अब इसकी पहुंच बढ़ाकर, समाज के नाजुक वर्गों के बीच रोगियों को खोजने की कोशिशों के तीव्र विस्तार, बेहतर निदान तथा सार्वजनिक और निजी दोनों सेक्टरों द्वारा पहचाने गए तथा स्वस्थ हो चुके रोगियों तक सेवाओं के विस्तार के जरिए क्षय रोग के मरीजों के बेहतर निदान पर ध्यान केंद्रित करते हुए समग्र पहुंच का लक्ष्य बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। राष्ट्र भर में बहु-औषधि प्रतिरोधी क्षय रोग के उपचार में वृद्धि सहित क्षय रोग के सभी नैदानिक मामलों के श्रेष्ठ उपचार तक रोगी अनुकूल पहुंच को बढ़ाने पर बल दिया जाना चाहिए। इस संबंध में, मुझे यह देखकर प्रसन्नता हुई है कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ने अपनी पहुंच और जन-स्वास्थ्य प्रबंधन क्षमता का विस्तार कर लिया है। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम ने अस्पताल से ग्राम स्तर तक सेवा सुपुर्दगी ढांचे को बेहतर बना दिया है तथा सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों और कार्यकर्ताओं का एक ऐसा समूह तैयार कर दिया है जिसका इस्तेमाल क्षय रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लक्षणों का शीघ्र पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित, प्रभावी कार्यक्रम के कार्यान्वयन में नवान्वेषणों के विकास और समावेशन के लिए कार्यक्रम आधारित अनुसंधान भी सराहनीय है। क्षय रोग के लिए सिरो-डायग्नोस्टिक टेस्ट किट के निर्माण, बिक्री वितरण और प्रयोग के निषेध के दूरगामी नीतिगत परिणाम होंगे और इससे भारत में क्षय रोग निदान को कारगर बनाने में मदद मिलेगी। अब क्षय रोग एक सूचनीय रोग है। इसने सभी स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं को निदान या उपचार के प्रत्येक क्षय रोग मामले के बारे में नियमित रूप से स्थानीय प्रशासनों को सूचित करना जरूरी बना दिया है। केंद्रीय क्षय रोग प्रभाग ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के सहयोग से एक प्रकरण आधारित वेब मंच ‘निक्षय’ का निर्माण किया है, जिसे युवा राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाया जा रहा है। इससे क्षय रोग मामलों की बेहतर निगरानी और पहचान होगी तथा एक प्रभावी कार्यक्रम प्रबंधन साधन साबित होगा। 
मैं इस बात पर भी जोर देना चाहूंगा कि स्वैच्छिक संगठनों को सक्रिय साझीदारी के बिना कोई राष्ट्रीय स्तर का अभियान कामयाब नहीं हो सकता है। क्षय रोग की रोकथाम और नियंत्रण के सरकारी प्रयासों के साथ क्षय रोग एसोसिएशन की भूमिका वास्तव में प्रशंसनीय है। यह क्षयरोग पर पूरी तरह समर्पित एक त्रैमासिक ‘क्षय रोग का भारतीय जनरल’ प्रकाशित कर रही है। यह प्रत्येक वर्ष क्षय रोग पर राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन भी आयोजित करता है तथा इस वर्ष का राष्ट्रीय क्षय रोग संस्थान तथा श्वसन रोग संस्थान के साथ मिलकर प्लेटिनम जयंती के अवसर पर एक सम्मेलन दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। वार्षिक क्षयरोग सील अभियान क्षयरोग के बारे में जागरूकता फैलाने का एक नया तरीका है।

इन दोनों संगठनों को सफलता की शुभकामनाएं देते हुए मैं सभी भागीदारों से आग्रह करता हूं कि वे इस नेक कार्य में योगदान दें ताकि क्षयरोग की बुराई को भारत की एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनने से रोका जा सके तथा हमारे देश का प्रत्येक नागरिक राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी करते हुए समाज का एक उपयोगी नागरिक बन सके।

अस्थमा, सीओपीडी, फेफड़े का कैंसर सिलिकोसिस जैसे गैर क्षय श्वसन रोग, धूम्रपान के स्वास्थ्य के खतरे, भारत में जन स्वास्थ्य सेवाओं पर एक अतिरिक्त भार के रूप में सामने आ रहे हैं। क्षय रोग और संबद्ध रोगों पर राष्ट्रीय सम्मेलन इन स्थितियों पर चर्चा के लिए तथा इन क्षेत्रों की रोकथाम और नियंत्रण की राष्ट्रीय नीतियों का मार्गदर्शन करने की सिफारिश करने का एक सर्वोत्तम माध्यम है। आइए, देश में स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों, जो समाज के सभी वर्गों तक समान, वहनीय और सुगम्य हों, की स्थापना के लिए पूरी प्रयास जारी रखने के लिए स्वयं को समर्पित कर दें।

मुझे विश्वास है कि जब हम अपने दिल-दिमाग को मिला देंगे तो हम क्षय रोग और अन्य प्रतिरोधी रोगों से युक्त भारत का निर्माण कर पाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ, मैं सम्मेलन और इसकी परिचर्चाओं को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद, 
जय हिन्द!

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