कृषि कर्मण पुरस्कारों के वितरण के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 15.01.2013
डाउनलोड : भाषण (हिन्दी, 208.74 किलोबाइट)
मुझे, आज खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य के लिए राज्य सरकारों को वर्ष 2011-12 के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार वितरित करने के लिए यहां उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि वर्ष 2011-12 में जो रिकार्ड उत्पादन हुआ वह देश के 18 राज्यों के समस्त फसल क्षेत्र के 2/3 क्षेत्र से प्राप्त हुआ था जो कि काफी विस्तृत क्षेत्र है। यह वास्तव में एक प्रशंसनीय शानदार उपलब्धि है।
मैं इन पुरस्कारों की स्थापना करने की पहल के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार को बधाई देता हूं। इन पुरस्कारों का कृषकों और राज्य प्रसार मशीनरी द्वारा उत्साहपूर्वक स्वागत किया गया है जो कि 2010-11 तथा 2011-12 में लगातार दो वर्षों के दौरान खाद्यान्न के रिकार्ड उत्पादन से प्रतिबिंबित होता है। यह उपलब्धि इसलिए और भी महत्त्व रखती है क्योंकि इस वर्ष मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, नागालैंड तथा मणिपुर जैसे नए राज्यों को पुरस्कार दिए गए हैं।
कृषि एक चुनौतीपूर्ण सेक्टर है जो जलवायु संबंधी कारकों तथा प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता पर अत्यंत निर्भर है। इस चुनौती में भोजन, चारा, रेशा, ईंधन तथा उर्वरक की मांग के लगातार बढ़ते दबाव के कारण बढ़ोतरी होती है। आज पर्यावरण की दृष्ट से सतततापूर्ण ढंग से अधिक उत्पादन प्राप्त करने की अधिक जरूरत है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर यह सार्वजनिक तथा निजी दोनों सेक्टरों के हमारे वैज्ञानिकों तथा स्टेकधारकों को श्रेय जाता है कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर प्रौद्योगिकियों का विकास करके उन्हें उपलब्ध संसाधनों से इष्टतम लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों के बीच बढ़ावा दिया जा रहा है।
देवियो और सज्जनो,
हम फसल के विविधीकरण, उच्च उत्पाद एवं बीमारी प्रतिरोधक बीजों का विकास, जल प्रबंधन तकनीकों में सुधार, उर्वरकों तथा कीटनाशकों के संतुलित प्रयोग जैसे उपायों द्वारा 12वीं योजना अवधि के लिए परिकल्पित कृषि में 4 प्रतिशत प्रतिवर्ष की वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, मौसम की भविष्यवाणी के लिए उपग्रह संचार का बेहतर और अधिक प्रयोग करके तथा कृषि समुदाय को कारगर सूचना देकर फसल खराब होने से बचाने में सहायता मिलेगी।
कृषि तथा संबद्ध सेक्टरों में समग्र प्रगति देश में सर्वांगीण ग्रामीण विकास के लिए अपरिहार्य है। केन्द्रीय वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मैंने कृषि सेक्टर में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए 2010-11 के केंद्रीय बजट के तहत एक चार-सूत्रीय कार्ययोजना तैयार की थी। इस चार सूत्रीय कार्ययोजना में देश के पूर्वी हिस्से तक हरित क्रांति का विस्तार, भंडारण एवं मौजूदा खाद्य आपूर्ति शृंखलाओं के संचालन में होने वाले अन्न की भारी बरबादी को कम करना, किसानों को ऋण की उपलब्धता में सुधार तथा अत्याधुनिक अवसंरचना उपलब्ध कराकर खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर के विकास को बढ़ावा देना शामिल थे। इन कार्य योजनाओं का सकारात्मक परिणाम निकला है तथा हमें कृषि सेक्टर में आगे सुधार लाने के लिए इन पहलों को आगे बढ़ाना होगा।
हम सभी को ज्ञात है कि, विशेषकर जब संचार क्रांति दुनिया को एक विश्व ग्राम में बदल रही है तब किसानों को अनेक मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। अर्थव्यवस्थाएं ज्ञान और पूंजी प्रधान बनती जा रही हैं। हमारे किसानों को स्वयं को बदलते समय के अनुसार शीघ्रता से ढालना होगा। उन्हें जीवन निर्वाह के लिए खेती करने से आगे बढ़ते हुए उसे वाणिज्यिक उद्यम के रूप अपनाना होगा। अधिकांश लघु और सीमांत किसान समृद्धि के निचले पायदान पर स्थित हैं इसलिए यह काम विशाल है और इसके लिए सरकार का पूरा सहयोग चाहिए।
सरकार को, अपने गुजर-बसर के लिए अव्यवहार्य भू-जोतों पर निर्भर ग्रामीण परिवारों को आय विविधता प्रदान करने के लिए अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने पर भी ध्यान देना होगा। पैदावार के एकीकरण के माध्यम से मात्रा बढ़ाकर ग्रामीण इलाकों में अतिरिक्त कृषि और गैर-कृषि रोजगार अवसर के सृजन द्वारा बदलाव लाया जा सकता है। इस संबंध में, भारत सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों का यह सामूहिक दायित्व है कि वे एकजुट होकर ऐसे स्तर पर कार्य करें जिससे अपेक्षित परिणम हासिल किया जा सकें।
कृषि को ऊर्जा, ऋण, जल और उर्वरकों की प्राप्ति में प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए। किसानों की लाभदायक आय सुनिश्चित करने के लिए, पक्की सड़कें, विविध परिवहन साधन, पर्याप्त विद्युत आपूर्ति, पारदर्शी बाजार, विकासशील वित्तीय संस्थान आदि के रूप में ग्रामीण ढांचागत सुविधाएं निर्मित करना अत्यावश्यक है। हमें कृषक-हित समूह स्थापित करने की जरूरत है जिससे किसान बाजार से जुड़ें, सूचना विषमता कम हो तथा कच्चे माल की आपूर्ति और पैदावार की बिक्री के लिए किसानों को सूचना और प्रभावी विकल्प दोनों प्रदान कए जा सकें। यह दोहराने की आवश्यकता नहीं है कि हमारी विशाल आबादी और अत्यंत निर्धनता में रह रहे अधिकांश अल्पपोषित और कुपोषित लोगों को देखते हुए, खाद्य और पोषण सुरक्षा जरूरी है। बढ़े हुए खाद्य उत्पादन से न केवल सभी की पहुंच खाद्य तक बढ़ाने के हमारे प्रयास में तेजी आएगी बल्कि घरेलू खाद्य उपलब्धता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मैं, एक बार पुन:, कृषि कर्मण पुरस्कार की स्थापना के लिए कृषि मंत्रालय के प्रयासों की सराहना करता हूं तथा खाद्यान्न की रिकॉर्ड पैदावार के समर्पित, सच्चे और अथक प्रयासों के लिए राज्य सरकारों को बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि इन प्रयासों से सभी भागीदार, उच्च कृषि उत्पादकता तथा अधिक सतत् एवं स्थाई आर्थिक विकास के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में और ज्यादा एकजुट होकर कार्य करेंगे। मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं और आपके प्रयासों के सफल होने की कामना करता हूं।
धन्यवाद,
जय हिंद!