कॉयर बोर्ड के हीरक जयंती समारोहों के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल : 22.11.2013

डाउनलोड : भाषण कॉयर बोर्ड के हीरक जयंती समारोहों के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 232.16 किलोबाइट)

1. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दुर्गापुर के, जो पूर्वी भारत में तकनीकी शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है, नौवें दीक्षांत समारोह में आपको संबोधित करना मेरे लिए सम्मान की बात है।

2. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना गवर्नर बोर्ड के प्रथम अध्यक्ष के तौर पर, प्रख्यात डॉ. बी.सी. राय द्वारा वर्ष 1960 में क्षेत्रीय इंजीनियरी कॉलेज के रूप में की गई थी। उनकी दूरदृष्टि तथा भारत सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार के सहयोग से इस कॉलेज ने राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान बनने की प्रतिष्ठा अर्जित की है।

देवियो और सज्जनो,

3. शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जिससे मानव संकीर्णता की बेड़ियों से मुक्त होता है। इससे हमारी अनुभव सीमा का विस्तार होता है और हमारी विचारशीलता को स्वरूप मिलता है। इसके अलावा, जैसा कि अरस्तू ने कहा था, ‘‘हृदय को शिक्षित किए बिना मस्तिष्क को शिक्षित करना शिक्षा नहीं है।’’ युवा देश का भविष्य है और उनमें उपयुक्त मूल्य पैदा करना वास्तव में जरूरी है। स्कूलों के स्तर से ही शैक्षिक संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि मातृभूमि के प्रति प्रेम, कर्तव्य निर्वहन, सभी के प्रति सहृदयता, बहुलवाद के प्रति सहिष्णुता, महिलाओं का सम्मान, जीवन में ईमानदारी, आचरण में आत्मसंयम; कार्य में उत्तरदायित्व और अनुशासन जैसे प्रमुख सभ्यतागत मूल्य हमारे युवा विद्यार्थियों में पैदा हों।

4. पिछले कुछ वर्षों के दौरान, उच्च और तकनीकी शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं। ग्यारहवीं योजना अवधि के दौरान केन्द्रीय इंजीनियरी संस्थानों की संख्या में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की संख्या सात से बढ़कर पंद्रह हो गई है जबकि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की संख्या बीस से बढ़कर तीस हो गई है।

देवियो और सज्जनो,

5. इंजीनियरी शिक्षा ढांचे के निर्माण और विस्तार की आवश्यकता का अर्थ उत्कृष्ट शिक्षा को कम प्राथमिकता देना नहीं है। अतीत में नालंदा, ओदांतपुरी, सोमपुरा, तक्षशिला, वल्लभी और विक्रमशिला जैसे विश्व श्रेणी के उच्च शिक्षा संस्थानों की तुलना में आज हमारे यहां केवल थोड़े से श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले संस्थान हैं। आज, हमारे पास एक भी ऐसा विश्वविद्यालय या संस्थान नहीं है जो विश्व के सर्वोत्तम विश्वविद्यालयों के साथ प्रतिस्पर्द्धा कर सके। प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षणों में भारतीय संस्थानों को सर्वोच्च दो सौ स्थानों से बाहर रखा गया है।

6. हाल ही में, राष्ट्रपति भवन में पहली बार राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों का सम्मेलन आयोजित किया गया था। सम्मेलन में बहुत सी सिफारिशें की गईं और उन्हें पूरा करने के लिए सभी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और उनके भागीदारों के सहयोग एवं प्रयास की जरूरत होगी।

7. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को उत्कृष्टता की संस्कृति का अनुकरण करना चाहिए। उन्हें एक या दो प्रमुख विभागों की पहचान करनी चाहिए, जिनमें उनकी प्रमुख विशेषज्ञता है और उन्हें उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में निर्मित किया जाना चाहिए। यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि सरकार के तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दुर्गापुर में उन्नत सामग्री पर एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जा रहा है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को सूचना और ज्ञान के व्यापक विस्तार के लिए ई-कक्षा जैसे प्रौद्योगिकी सहायक शिक्षण को अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्हें तत्काल शिक्षकों की कमी पर ध्यान देना होगा ताकि शिक्षा स्तर को बढ़ाने के प्रयास बाधित न हों। उन्हें पाठ्यक्रम और मूल्यांकन में सुधार के लिए योगदान करना चाहिए। उन्हें उद्योग के साथ सम्पर्क को सुदृढ़ बनाना होगा ताकि पाठ्यक्रम और अनुसंधान पर उद्योग विशेषज्ञों के विचार निरंतर प्राप्त होते रहें। उन्हें उद्योगों के रुझान के आधार पर अपने कार्यक्रमों का समय-समय पर मूल्यांकन करना चाहिए। स्थानीय उद्योग और उद्योग संघों के सहयोग से एक उद्योग प्रकोष्ठ स्थापित करना ऐसा ही एक ठोस कदम हो सकता है। यह प्रकोष्ठ सहयोगी अनुसंधान परिसयोजनाओं के विकास, इंटर्नशिप, शिक्षकों के आदान-प्रदान और कार्यशालाओं के लिए औद्योगिक इकाइयों के साथ सम्पर्क स्थापित कर सकता है।

देवियो और सज्जनो,

8. भारत में उच्चतर शिक्षण संस्थानों का अनुसंधान की ओर अभिमुखीकरण नहीं है जिसके कारण विश्व के सर्वोत्तम संस्थानों में उनका दर्जा ऊँचा नहीं है। हमारे संस्थानों को ज्ञान के मोर्चों को चुनौती देने में सक्षम होना चाहिए तथा विभिन्न विधाओं में क्रांतिकारी योगदान देने में समर्थ होना चाहिए। उन्हें ऐसे समाधान ढूंढ़ने चाहिए जिनसे आम आदमी को बेहतर जीवन जीने में सहायता मिल सके। उन्हें ऊर्जा सुरक्षा से लेकर पर्यावरण के क्षरण, स्वच्छता, शहरीकरण, स्वास्थ्य सेवा तथा शिक्षा जैसे मुद्दों पर नीति निर्माताओं को मार्गदर्शन देने में समर्थ होना चाहिए।

9. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे प्रमुख तकनीकी संस्थानों का दायित्व विज्ञान की अनेक शाखाओं में अनुसंधान को बढ़ावा देना है। शिक्षा संस्थानों के अलावा, उन्हें अनुसंधान संस्थान बनना होगा। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दुर्गापुर शिक्षा और अनुसंधान को बराबर महत्त्व दे रहा है। मुझे बताया गया है कि इस संस्थान में अनुसंधान और शिक्षण के मूलभूत ढांचे के विस्तार का अभियान कार्यान्वित किया जा रहा है। शिक्षकों को सक्रिय अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जबकि विद्यार्थियों की शुरुआत से अनुसंधान की ओर उन्मुख किया जाता है तथा अनुसंधान संबंधी यात्राओं के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है। यह संस्थान बहुत बढ़िया कार्य कर रहा है और मुझे यह उल्लेख करते हुए खुशी हो रही है कि पिछले वर्ष चार सौ ग्यारह पर्चे प्रतिष्ठित जर्नलों में प्रकाशित हुए। शिक्षकों द्वारा लगभग साठ परियोजनाएं वर्तमान में कार्यान्वित की जा रही हैं। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दुर्गापुर द्वारा नियमित रूप से सम्मेलन, कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। इस वर्ष ऐसे सतरह कार्यक्रम आयेजित किए गए थे। मैं इस संस्थान से आग्रह करता हूं कि वह अनुसंधान पर बल देना जारी रखे।

देवियो और सज्जनो,

10. हमारी भावी प्रगति अधिक से अधिक नवान्वेषण करके औद्योगिक सेक्टर के लिए दक्षतापूर्ण प्रक्रियाओं का तथा शासन के बेहतर समाधानों का विकास करने पर निर्भर करेगी। व्यापार, सरकार, शिक्षा तथा समाज जैसे सभी सेक्टरों तक नवान्वेषण की भावना का समावेश होना जरूरी है। भारतीय नवान्वेषण कार्यनीति में ऐसे विचारों की उत्पत्ति पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जो समावेशी विकास को बढ़ावा दें तथा सामाजिक-आर्थिक सोपान पर सबसे नीचे स्थित लोगों को लाभ पहुंचाए। ऐसे बहुत से जमीनी स्तर के नवान्वेषण हैं जिन्हें प्रौद्योगिकी सहयोग से उपयुक्त उत्पादों में निर्मित किया जा सकता है। हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों को ऐसे नवान्वेषी प्रयासों में परामर्श देने की महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों के सम्मेलन के दौरान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में नवान्वेषण क्लब स्थापित करने की एक सिफारिश की गई है। मैं, इस संस्थान से आग्रह करता हूं कि वह नवान्वेषण को अपनी प्रापथमिकताओं में पहला स्थान देने का प्रयास करे।

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