जुबिन मेहता को द्वितीय टैगोर सांस्कृतिक सद्भावना पुरस्कार 2013 प्रदान किए जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 06.09.2013

डाउनलोड : भाषण जुबिन मेहता को द्वितीय टैगोर सांस्कृतिक सद्भावना पुरस्कार 2013 प्रदान किए जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 226.84 किलोबाइट)

Speech by the President of India, Shri Pranab Mukherjee at the Presentation of the Second Tagore Award for Cultural Harmony 2013 to Shri Zubin Mehtaआज द्वितीय टैगोर सांस्कृतिक सद्भावना पुरस्कार, 2013 संगीत-विभूति जुबिन मेहता को प्रदान करने के लिए यहां उपस्थित होकर आज अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। मैं प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल को उनके सर्वसम्मत चुनाव के लिए बधाई देता हूं।

2. जुबिन मेहता को टैगोर पुरस्कार से सम्मानित करते हुए, हम न केवल भारत के एक विशिष्ट सपूत का सम्मान कर रहे हैं बल्कि पिछले कई दशकों के दौरान संगीत को शांति और सौहार्द के साधन में बदलने के उनके अथक प्रयासों का सम्मान भी कर रहे हैं। जहां भी संघर्ष और अशांति है, उन्होंने उसे उम्मीद और विवेक में बदलने को अपना मिशन बनाया है। विश्व भर के श्रोताओं को जुबिन मेहता ने मानवता के साझे भविष्य के बारे में आशा और विश्वास का संदेश दिया है। उनका नाम भाईचारा और आस्था का पर्याय है। वह संगीत जगत के पुरोधा हैं और राष्ट्रों के बीच सद्भावना दूत हैं। यह उपयुक्त ही है कि विश्व-बंधुत्व के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए आरंभ किया गया यह पुरस्कार उन्हें प्रदान किया जाए।

3. रवीन्द्र नाथ टैगोर की 150वीं जयंती मनाने के लिए राष्ट्रीय कार्यान्वयन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष के तौर पर, मुझे याद है कि यह पुरस्कार टैगोर की अधिक वैश्वीकृत और एक-दूसरे से जुड़ी हुई दुनिया की संकल्पना के प्रचार-प्रसार के लिए स्थापित किया गया था। रवीन्द्रनाथ टैगोर अपने जमाने से बहुत आगे एक अंतरराष्ट्रीयवादी थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, वह 19वीं और आरंभिक 20 शताब्दी के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के प्रकाश स्तंभ थे। राष्ट्र और समाज, विज्ञान और सभ्यता पर उनके लेख, दार्शनिक के रूप में उनका चिंतन, संगीतज्ञ के रूप में उनका कार्य और एक कलाकार के रूप में उनकी रचनाएं, बहुलवाद के प्रति उनके चिरंतन प्रेम और मानव हित के प्रति उनकी गहरी निष्ठा को प्रतिबिम्बित करते हैं।

4. रवींद्रनाथ टैगोर का समय, हमारे समाज के ताने-बाने के लिए खतरा प्रतीत हो रहे सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मतभेदों का साक्षी था। अपने प्रगतिशील लेखन से रवीन्द्रनाथ ने संकीर्णता की दीवारों को ध्वस्त करने तथा लोगों को मानव की अनिवार्य एकात्मता का स्मरण करवाने का प्रयास किया।

5. रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शांति और सौहार्द के अग्रदूत के रूप में कला और संगीत को स्पष्ट रूप से बढ़ावा भी दिया था जिससे समाज और राष्ट्र के सौहार्दपूर्ण सहअस्तित्व का एक वातावरण तैयार हुआ। उनके द्वारा स्थापित विश्व-भारती विश्वविद्यालय आज भी भारत और विश्व के सांस्कृतिक और सौंदर्यवादी मूल्यों का अनुभव करने के इच्छुक अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है।

देवियो और सज्जनो,

6. संगीत में रवीन्द्रनाथ टैगोर की गहरी आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि पाश्चात्य और भारतीय संगीत की धाराओं को सहजता से समेटती है और उनके विविध सूत्रों को अपनी अनूठी संगीत रचनाओं में गूंथती है। रवीन्द्रनाथ टैगोर मल्लाहों के गीत भटयाली गीतों, बाऊल संगीत, कीर्तन और लोकधुनों से द्रवित हो उठते थे। उनका संगीत उनके प्रसिद्ध रवीन्द्र संगीत में निबद्ध काव्य में इन धुनों को कुशलता के साथ मिश्रित करता है। उनके असाधारण कार्य की वजह से उनका सम्मान आधुनिक भारत के प्रथम और महानतम संगीतकार के रूप में किया जाता है।

7. रवीन्द्रनाथ टैगोर ने भविष्यवाणी की थी कि चाहे उन्हें भुला दिया जाए पर उन्हें उम्मीद है उनका संगीत जीवित रहेगा। आज, एक सौ पचास वर्ष के बाद भी वह एक आदर्श हैं। जिस प्रकार बंगाली साहित्य के आलोचक और कदरदान उनकी कृतियों की सराहना करते हैं, उसी प्रकार उनके रवीन्द्र संगीत को इस उपमहाद्वीप के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी सीखते हैं और पूरी दुनिया में उसे पढ़ाया जाता है।

8. रवीन्द्रनाथ टैगोर को, वास्तव में विश्व की संगीत परंपराओं का गहरा ज्ञान था। अल्बर्ट आइंस्टाइन के साथ एक बातचीत में उन्होंने कहा था, ‘‘मैं पाश्चात्य संगीत से बहुत आह्लादित हो उठता हूं—मैं महसूस करता हूं कि यह महान है, अपनी बनावट में यह विशाल है और अपनी संगीत रचनाओं में यह भव्य है। हमारा अपना संगीत अपने मौलिक गीतात्मक आकर्षण के द्वारा मुझे कहीं अधिक प्रभावित करता है। यूरोपीय संगीत अपने स्वरूप में महाकाव्य है; इसकी एक व्यापक पृष्ठभूमि है और अपनी संरचना में यह गॉथिक है।’’

देवियो और सज्जनो,

9. जुबिन मेहता के संगीत में भी सीमाओं को पीछे छोड़ने की शक्ति है। उन्होंने पहले ही वियना, बर्लिन और इजराइल फिलहार्मोनिक ऑर्केस्ट्राओं के साथ यशस्वी और सफल संगीतमय सहयोग के 50 वर्ष पूरे कर लिए हैं और उन्होंने विश्व संगीत के इतिहास में एक विशिष्ट स्थान भी अर्जित किया है।

10. भारत के लिए यह गौरव की बात है कि भले ही उन्हें विश्व नागरिक माना जाता हो, उन्होंने अपनी भारतीय नागरिकता कायम रखी है तथा पांचों महाद्वीपों की यात्रा करते हुए अपनी संगीत लहरियों से मंत्रमुग्ध करते हुए वह भारत के सांस्कृतिक दूत हैं। जब वह अपने संगीत के माध्यम से विभिन्न देशों तथा उनके लोगों को सहिष्णुता तथा शांति का संदेश देने के लिए उन तक पहुंच रहे हैं, हम विश्व समुदायों के बीच एकता और समझ विकसित करने के उनके अथक प्रयासों की सराहना करते हैं। उनका जब्बा तथा समर्पण रवीन्द्रनाथ टैगोर के ‘स्वतंत्रता के उस स्वर्ग’ के स्वप्न की अभिपुष्टि है, जहां विश्व ‘संकीर्ण घरेलू दीवारों’ से विभाजित नहीं है।

11. उनका जज्बा तथा समर्पण रवीन्द्रनाथ टैगोर के ‘स्वतंत्रता के उस स्वर्ग’ के स्वप्न की अभिपुष्टि है जहां विश्व ‘संकीर्ण घरेलू दीवारों’ से विभाजित नहीं है।

12. मैं एक बार फिर संगीत-विभूति जुबिन मेहता को बधाई देता हूं तथा उनके लम्बे और स्वस्थ जीवन और शानदार संगीत की साधना के लम्बे वर्षों की कामना करता हूं।

धन्यवाद, 
जय हिंद! 
जय हिंद!

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.