इन्फोसिस पुरस्कार 2015 प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नई दिल्ली : 13.02.2016
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1. मैं प्रतिभाशाली लोगों के इस समूह के बीच उपस्थित होने में प्रसन्न हूं। मैं इन्फोसिस पुरस्कार के विजेताओं को मुबारकबाद देकर अपनी बात आरंभ करना चाहूंगा। उनका अनुसंधान एक विकसित,समर्थ और संधारणीय विश्व की नींव रख रहा है।
2. मैं इस महत्त्वपूर्ण पहल के आरंभ के लिए श्री नारायण मूर्ति और इन्फोसिस साईंस फाउंडेशन को धन्यवाद देता हूं। इन्फोसिस पुरस्कार को आज अकादमियों के विशिष्ट सदस्यों द्वारा एक प्रमुख सम्मान और पहचान के रूप में माना जाता है। इन्फोसिस पुरस्कार जैसा पुरस्कार पूरे विश्व में वैज्ञानिकों और अकादमिकों द्वारा किए जा रहे अग्रणी अनुसंधान को मान्यता देने की दिशा में एक अहम कदम है।
3. इस वर्ष के पुरस्कार विजेता विविध समूह के हें। उनकी कार्य सीमा विश्लेषणात्मक भारतीय दर्शन की जटिलताओं को सुलझाने से लेकर सृष्टि और इसके घटकों के प्रति हमारी समझ बढ़ाने तक और मलेरिया परपोषी के शरीर विज्ञान तक है। उच्च तीव्रता लेज़र पदार्थ सहक्रियाओं, ज्यामितिक समूह सिद्धांत और पदार्थ भौतिकी के पीछे भौतिक-विज्ञान जैसे जटिल विषयों में पुरस्कार विजेताओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इन पुरस्कार विजेताओं की प्रेरणादायक यात्रा वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और अग्रणी विचारकों की अगली पीढ़ी को निरंतर प्रोत्साहित करती रहेगी। विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष राष्ट्रीय विकास के प्रमुख संचालक हैं। चूंकि हम द्रुत,संधारणीय और समाहित विकास की आकांक्षा करते हैं। अत: यह महत्त्वपूर्ण है कि हम युवाओं को अनुसंधान की भावना से पूरित करें।
4. प्रथम औद्योगिक क्रांति वह समयावधि थी जिस दौरान प्रमुखत: कृषक,ग्रामीण समाज ने औद्योगिकीकरण को अंगीकार किया। द्वितीय औद्योगिक क्रांति में विनिर्माण और उत्पादन प्रौद्योगिकी में आश्चर्यजनक सुधार हुए जो अंतत: चहुंओर प्रणालियों को अपनाने में परिवर्तित हो गए जैसे कि रेल सड़क नेटवर्क और टेलीग्राफ। रेल और टेलीग्राफ लाइनों का वृहत्त विस्तार कुछ समय बाद लोगों और विचारों की अपूर्व क्रांति का कारण बना और वैश्वीकरण की नई तरंग में समाप्त हुआ। पिछले दशक में संप्रेषण में नवोन्मेष और डिजिटल प्रौद्योगिकियां विश्व को कहीं अधिक निकट ले आयीं। इंटरनेट ने हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित किया है और हम नए विचारों, सूचना और समुदायों के एक नए संसार तक पहुंचने में कामयाब हो गए। वर्ल्ड वाइड वैब हम पर लगातार प्रभाव जमाए हुए है कि हम किस प्रकार व्यवहार करें,व्यापार चलाएं, सीखें और अपने चारों ओर के विश्व को समझें। यह कहना पर्याप्त होगा कि विज्ञान में प्रगति से हमारा जीने का और एक-दूसरे से संबद्धता का तरीका परिवर्तित हो गया है।
5. क्लोज़र होम,प्रौद्योगिकी भी महत्त्वपूर्ण सेवाओं जैसे वित्तीय समावेश और स्वास्थ्य लाभ की महत्त्वपूर्ण समर्थक बन गई हैं। ऊर्जा और जिनोमिक्स में प्रगति सहित डिजिटल प्रौद्योगिकी का प्रसार,आंशिक रूप से व्यवसाय और कृषि उत्पादकता में वृद्धि कर रहा है। डिजिटल प्रौद्योगिकी भी पुन: परिभाषित कर रही है कि स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सेवाएं कैसे की जानी चाहिए,जिससे लाखों भारतीयों के उच्च जीवन स्तर में योगदान हो सके।
6. प्रौद्योगिकीय प्रगति द्वारा प्रमाणित डिजिटल बैंकिंग समावेशी प्रगति को बढ़ावा दे रहा है। भारत में210 लाख से अधिक कुटुंब हैं जिनमें से140 लाख से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में है। ग्रामीण भीतरी प्रदेशों में रहने वाले लोगों की बैंकिंग सेवाओं और संबद्ध सुविधाओं तक आसान पहुंच नहीं होती। एक हथियार के रूप में मोबाइल बैंकिंग में लगातार वृद्धि हो रही है जिसके पास बैंकीय और गैरबैंकीय व्यक्तियों की बीच अंतर समाप्त करने की शक्ति विद्यमान है।
7. वैज्ञानिक नवोन्मेष में श्रेष्ठता प्राप्त करने में भारत ने एक लंबी और कठिन यात्रा तय की है। हमारे प्रथम प्रधान मंत्री,श्री जवाहरलाल नेहरू के मार्ग निर्देशन में,भारत ने स्वतंत्रता के आरंभ के दिनों से ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाया। नए शैक्षिक और अनुसंधान संस्थाओं के सृजन की शुरुआत1950 से ही हो गई थी। 1951के आरंभ में ही, देश ने एक परमाणु ऊर्जा आयोग स्थापित करने का निर्णय लिया जिसने भारत को अपना रियेक्टर बनाने के लायक बनाया। शीघ्र ही अंतरिक्ष कार्यक्रम भी आरंभ किया गया जिसने हमें अंतरिक्ष में राकेट और सैटेलाइट लांच करने लायक बनाया। वर्ष 1958में भारत की संसद ने एक विज्ञान नीति संकल्प लिया जिसमें विज्ञान को सभी आयामों में‘‘पालना,बढ़ाना और स्वीकार करना’’ बद्ध था। वर्ष 2013 में,सरकार द्वारा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण नीति की पहल की गई जिसका उद्देश्य एक महत्त्वाकांक्षी भारत के भविष्य को साकार करना था। आज हम मौलिक विज्ञान में लगातार निवेश करने के लिए दृढ़संकल्प और प्रतिबद्ध है क्योंकि हम विज्ञान को अपनी सोसायटी को परिवर्तित करने के लिए उपयोग करते हैं।
8. स्वतंत्रता के समय में,हमारा कृषि क्षेत्र विकासाधीन था और हम खाद्यान्न के निवल आयातक थे। यह विज्ञान और लोक नीति का समन्वय है जिसके परिणामस्वरूप हमारी कृषि प्रणाली का प्रौद्योगिकीय रूप से उन्नयन हुआ। हमारे वैज्ञानिकों की उत्कृष्टता और हमारे किसानों के परिश्रम ने साथ मिलकर छठे दशक की हरित क्रांति को जन्म दिया। आज हम खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हैं और एक बड़े निर्यातक भी बन गए हैं। इस प्रकार के परिवर्तन की मानव इतिहास में बहुत कम समानता है। उसके बाद के वर्षों में,भारत आधारित अनुसंधान ने एक सशक्त दवा निर्माण उद्योग को जन्म दिया। अभी हाल ही में हमने जैव प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में बड़े कदम उठाए हैं।
9. अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में हमारा देश विश्व के सर्वोच्च पांच देशों में से एक है। अभी हमने इतिहास रचा है जब भारतीय मार्स आरबिटर मिशन ने सफलतापूर्वक मार्शियन आरबिट में प्रवेश किया।
10. वर्ष2012में हिंग्स बोसन कणों की खोज करके भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने को गौरवान्वित साझेदार के रूप में महसूस किया। हम जीवन विज्ञान में वैश्विक सहयोग के भागीदार थे जिसके परिणामस्वरूप रोटा वाइरस के लिए एक कम लागत वैक्सीन सामने आया जिसे शीघ्र ही हमारे राष्ट्रीय प्रतिरक्षा कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। हम रोग जैविकी समुद्र जैविकी,कम लागत निदान, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और बायोइन्फॉरमैटिक्स में भी शीघ्र ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग कार्यक्रमों को लांच करने की उम्मीद करते हैं।
11. इस उभरते क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन देने के लिए‘नैनो मिशन’नाम से एक छत्रक कार्यक्रम लांच किया गया है। नैनो मिशन यह जानने हेतु अध्ययन का एक अच्छा विषय है कि केंद्रित सरकारी पहल के द्वारा विज्ञान के विशिष्ट क्षेत्र में किस प्रकार क्षमता और योग्यता को मजबूत किया जा सकता है। वैज्ञानिक प्रकाशनों की संख्या में आज देश के सर्वोच्च 7 में हमारा स्थान है।
12. कुछेक क्षेत्रों,सौर ऊर्जा, विद्युत गतिशीलता,उच्च निष्पादन अधिसंगणना, बिग डाटा, उच्च ऊर्जा भौतिक विज्ञान,ज्योतिष, वैक्सीन,अपशिष्ट प्रौद्योगिकी और औषध खोज,समुद्र जैविकी, में कई नई पहलें सन्दान में है। हम भिवष्य में तीन प्रकार के वैज्ञानिक प्रयासों पर केंद्रित होने की उम्मीद करते हैं :
i. अग्रिम सामग्री,उच्च निष्पादन संगणना और चिकित्सा-जैविकी सहित मौलिक विज्ञान में महत्त्वपूर्ण विकास के साथ नीला आकाश अनुसंधान।
ii. भारत में विशेष रूप से मानव की जटिल समस्याओं जैसे कि जल,स्वच्छ ऊर्जा, अपशिष्ट प्रौद्योगिकी,ग्रामीण सूक्ष्म औद्योगिकीकरण और रोग से संबंधित अनुसंधान और विकास।
iii. वे क्षेत्र जिनमें भारत विश्व में अग्रणी हो सकता है। हम ऐसे क्षेत्रों की पहचान कर उन्हें पर्याप्त समर्थन दे सकते हैं।
13. सरकार ने वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रोत्साहन हेतु विभिन्न कदम उठाए हैं,जिनमें से कुछ हैं, वैज्ञानिक विभागों के बजट आवंटन में अनवरत वृद्धि और अनुसंधान विज्ञान शिक्षा के लिए नई संस्थाओं की स्थापना,अकादमिक और राष्ट्रीय संस्थानों में उभरते हुए और फ्रंट लाइन विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अनुसंधान और असुविधाओं के लिए श्रेष्ठ केंद्रों का सृजन।
14. केंद्र सरकार शीघ्र ही प्रथम सार्वजनिक पहुंच वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति के विकास की दृष्टि से एक संपूर्ण राष्ट्रीय परामर्श प्रक्रिया स्थापित करने की योजना बना रही है। नीति‘दूरदृष्टि एस एण्ड टी 2020’ 27वीं शताब्दी में प्रौद्योगिकीय स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की दिशा में देश का भविष्य निर्धारित करेगी।
15. भारत और जर्मनी शीघ्र ही स्वास्थ्य अनुसंधान और जैव चिकित्सा विज्ञान के प्राथमिक क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान आरंभ करेंगे। नए यूके-इंडिया स्किल प्लैज के अंतर्गत, 11यू.के. आधारित कंपनियां भारत में कौशल विकास को समर्थन देने के लिए प्रतितबद्ध हैं। इसके साथ ही यू.के. सरकार और देश के अग्रणी व्यवसाय,पुणे में आटोमोटिव के लिए केंद्र और अग्रिम इंजीनयरिंग आरंभ कर प्रमुख क्षेत्रों में नए सर्वोच्च केंद्र स्थापित करेंगे। भारत के अग्रणी अनुसंधान केंद्र देश के सुदूर क्षेत्रों विशेषकर पूर्वोत्तर भारत में इंडो-फ्रैंच अग्रिम अनुसंधान प्रगति केंद्र के द्वारा वैज्ञानिक भागीदारी की तलाश कर रहे हैं।
16. प्रौद्योगिकी प्रगति के संबंध में विश्व के निरंतर नेतृत्व को सुनिश्चित करने के लिए हमें तय करना होगा कि हमारे युवाओं को एक ऐसा सहायक वातावरण,शिक्षा प्रणाली सुलभ हो जिससे उन्हें अपनी अनुसंधान दक्षता को तीव्र करने तथा उद्योग परामर्शकों के व्यापक नेटवर्क प्रयोग करने में मदद मिले। मुझे यह बताने में खुशी है कि भारतीय युवाओं के ज्ञान प्राप्ति और कौशल परीक्षण के लिए उनको सर्वोत्तम सुविधाएं प्रदान करके उनकी वैज्ञानिक प्रवृत्ति को उभारने पर लगातार बल दिया जा रहा है। वर्तमान में देश में कुल16 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, 30राष्ट्रीय प्रौद्योगिककी संस्थान, 162विश्वविद्यालय हैं जिन्होंने लगभग 4,000डाक्टरेट और 35,000 स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान की हैं,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी द्वारा समर्थित कुछ 20अनुसंधान संस्थान और 40 से अधिक अनुसंधान प्रयोगशालाएं हैं जिन्हें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान द्वारा संचालित किया जा रहा है।
17. हम एक युवा देश हैं। भारत अपनी 64 प्रतिशत कार्यशील आयु समूह आबादी के साथ2020 तक विश्व का सबसे युवा देश बनने वाला है। यह जनसांख्यिकीय क्षमता भारत और इसकी बढ़ रही अर्थव्यवस्था को असाधारण फायदा पहुंचा रही है जिससे देश के सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय योगदान मिल सकेगा। हमारे देश के युवाओं को अपने चुने हुए क्षेत्रों में नवान्वेषण करने के लिए निरंतर प्रोत्साहन की आवश्यकता है। इन्फोसिस पुरस्कार विजेताओं की अद्वितीय यात्रा से युवाओं को अनुसंधान करने तथा राष्ट्रीय प्रगति में भागीदार बनने की प्रेरणा प्राप्त होगी।
18. मैं यह भी कहना चाहूंगा कि वैज्ञानिक उत्कृष्टता मानवता के प्रति सरोकार द्वारा प्रोत्साहित की जानी चाहिए। गांधी जी मानते थे कि यदि विज्ञान सर्वतकनीकी और प्रौद्योगिकी बन जाएगा तो इससे मनुष्य शीघ्र मानवता के विरुद्ध हो जाएगा। प्रौद्योगिकियां विज्ञान के उदाहरणों से उत्पन्न होती है। यदि प्रौद्योगिकी में मानवीय उद्देश्य की समझ कम होगी तो,हम अपने ही तकनीकी ज्ञान के शिकार बन जाएंगे।
19. मुझे विश्वास है कि भारत का भविष्य अभिन्न रूप से प्रगति से जुड़ा हुआ है,जिसे हम हमारे देश में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए ठोस नींव डालकर पा सकते हैं।
20. अग्रणी अनुसंधान को उत्कृष्टता प्रदान करके,इन्फोसिस विज्ञान प्रतिष्ठान युवा वैज्ञानिकों में सफल नवान्वेषण के प्रयासों को आगे बढ़ा रहा है। नवान्वेषण राष्ट्र और समग्र समाज के आर्थिक विकास का अभिन्न अंग है। इन्फोसिस पुरस्कार हमारे देश के नवान्वेषण वातावरण के प्रोत्साहन में इन्फोसिस पुरस्कार अत्यंत लाभप्रद होंगे तथा इससे युवा वास्तविक जगत की समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित होंगे।
धन्यवाद।