इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

अमरकंटक, मध्य प्रदेश : 07.06.2013

डाउनलोड : भाषण इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 249.03 किलोबाइट)

Speech by the President of India, Shri Pranab Mukherjee at the First Convocation of Indira Gandhi National Tribal University1. इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में भाग लेने के लिए यहां आकर मुझे वास्तव में बहुत प्रसन्नता हो रही है। यह उन सभी प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए एक चिरप्रतीक्षित तथा गर्व का क्षण है जिन्होंने उपाधियां प्राप्त की हैं। मैं सभी स्नातकों तथा उन लोगों को जिन्होंने उल्लेखनीय कार्य के लिए पुरस्कार प्राप्त किए हैं तथा उन संकाय सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं जिन्होंने उनको शिक्षा दी है।

2. वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार भारत की आदिवासी जनसंख्या 104 मिलियन है जो भारत की कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है। वे भौगोलिक तथा सांस्कृतिक पृथकता तथा अपर्याप्त भौतिक अवसंरचना की समस्या से पीड़ित हैं। इसके परिणामस्वरूप, आदिवासी अर्थव्यवस्था में, संस्थागत वित्त सहित फंड की सार्थक रूप से खपत की क्षमता कम है। आदिवासी समुदायों को मातृ तथा बाल मृत्युदर, कृषि की जोतों के आकार तथा शिक्षा की उपलब्धता के मामले में सामान्य जनसंख्या से पिछड़ा हुआ पाया गया है।

3. भारत में अनुसूचित जनजातियों के लिए नीति को तैयार करते समय यह दुविधा होती है कि उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए मुख्य धारा की शिक्षा में तथा स्वास्थ्य सेवा तथा आय सर्जन में उनकी पहुंच सुनिश्चित करते हुए बहुत विशिष्ट तथा समृद्ध संस्कृति एवं मूल्यों से युक्त आदिवासी अस्मिता का संरक्षण कैसे किया जाए। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय, आदिवासी समुदायों तक शिक्षा की बेहतर पहुंच की जरूरत को पूरा करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि इस विश्वविद्यालय में आरंभ से ही जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों की संख्या लगभग 46 प्रतिशत रही है। मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि इन विद्यार्थियों में से लगभग 40 प्रतिशत लड़कियां हैं। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि इस विश्वविद्यालय ने अपना क्षेत्रीय परिसर मणिपुर में खोला है जहां काफी संख्या में आदिवासी लोग रहते हैं। मुझे बताया गया है कि इस क्षेत्रीय केंद्र के स्नातक भी आज उपाधियां प्राप्त कर रहे हैं। यह तथ्य कि इस विश्वविद्यालय के शिक्षक भारत के 18 राज्यों से हैं, इसके राष्ट्रीय स्वरूप का प्रतीक है।

देवियो और सज्जनो,

6. आदिवासी समुदायों की संपूर्ण जीवनशैली में प्रकृति से समरसता तथा उसका संरक्षण विद्यमान है। आदिवासी प्रकृति संरक्षण में अग्रणी रहे हैं तथा आदिवासियों और जंगलों के बीच मजबूत पारस्परिक लाभदायक संबंध रहे हैं। तथापि, जंगलों में परंपरागत वन जोतों के बारे में आदिवासियों के अधिकार प्राय: विवादों में आते रहे हैं।

7. खराब भू-अभिलेख प्रणाली के चलते निरक्षरता, निर्धनता तथा अज्ञानता के कारण देश के बहुत से हिस्सों में आदिवासियों के संसाधनों का गैर-आदिवासियों को हस्तांतरण हो चुका है। प्राकृतिक संसाधनों तक कम पहुंच के कारण आदिवासी निर्धनता की ओर बढ़ते हैं तथा इससे प्राय: उनकी स्थिति प्रवासी मजदूरों की हो जाती है। कई मामलों में विस्थापित आदिवासियों के अपर्याप्त पुनर्वास से उनके कष्टों में बढ़ोत्तरी होती है तथा वे संपत्ति तथा रोजगार से वंचित हो जाते हैं।

8. आदिवासी समुदायों का गैर-सशक्तीकरण, उनके विकास के लिए चलाए गए आर्थिक अथवा अन्य सभी प्रयासों में अपेक्षा से कम परिणाम प्राप्त होने का एक प्रमुख कारण है। आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा तथा उनके कल्याण को बढ़ावा देने के लिए राज्य तथा केंद्र सरकारों को सतत् और संकेंद्रित प्रयास करने की तत्काल आवश्यकता है। विकास का लाभ भारत के सबसे अधिक वंचित समुदायों तक पहुंचना चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

10. इस समय, जब देश एक साथ मिलकर आगे बढ़ रहा है। यह अत्यंत जरूरी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि समाज के सभी वर्ग समावेशी और समतापूर्ण विकास में सहभागी और लाभभोगी बनें। भारत सरकार ने आदिवासी जनता के विकास के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। इसने आदिवासी जनता को मुख्यधारा के जनता क साथ लाने के लिए तीव्र शैक्षणिक विकास पर जोर दिया है। सरकार ने आदिवासियों द्वारा बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से छात्रवृत्ति, मुफ्त आवास एवं भोजन, मुफ्त वस्त्र, किताबें तथा स्टेशनरी आदि जैसी अवसंरचनाएं तथा अन्य प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए अनुवर्ती पंचवर्षीय योजनाओं में काफी अधिक धनराशि का आबंटन किया है। परंतु आदिवासियों की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति में वांछित परिवर्तन की गति अभी धीमी है।

देवियो और सज्जनो,

14. हमारी पूर्व प्रधानमंत्री, स्वर्गीय श्रीमती इन्दिरा गांधी, जिनके नाम पर इस विश्वविद्यालय का रखा गया है, ने अपने प्रथम स्वतंत्रता दिवस व्याख्यान में समाज के निर्बल वर्ग, खासकर आदिवासियों पर प्रयास केंद्रित करने की जरूरत पर बल दिया था। मुझे विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय उनके स्वप्न को पूर्ण करने का पूर्ण प्रयास रहेगा तथा आदिवासी जनता के लिए गुणवत्तायुक्त उच्च शिक्षा तथा अनुसंधान को मजबूत प्रोत्साहन देने और आदिवासी युवाओं को नई दिशा प्रदान करने के लिए हर संभव कदम उठाएगा। इस विश्वविद्यालय की शक्ति इसके विद्यार्थियों में निहित है। इसे उनकी शिक्षा, नैतिकता तथा वैयक्तिक विकास पर पर्याप्त निवेश करना चाहिए।

धन्यवाद, 
जय हिन्द!

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