हेलसिंकी के फिनप्रो में व्यापार बैठक के दौरान भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
फिनप्रो, हेलसिंकी, फिनलैंड : 16.10.2014
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महामहिमगण,
विशिष्ट अतिथिगण,
मुझे व्यापार प्रतिभागियों के इस विशिष्ट समूह को संबोधित करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। व्यापार सौदों पर कार्य करने के अलावा,ऐसे समारोह परस्पर सम्बन्ध और बातचीत में घनिष्ठता लाने तथा अपने रिश्तों की संभावनाएं पैदा करने के तरीकों के बारे में रचनात्मक ढंग से विचार करने के महत्त्वपूर्ण मंच होते हैं।
2. भारत और फिनलैंड के पारंपरिक रूप से हार्दिक और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। हमारे द्विपक्षीय सम्बन्ध निरंतर बहुआयामी हुए हैं तथा बढ़ते व्यापार और निवेशों से ये काफी अच्छे हो गए हैं। दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण के क्षेत्र में सहयोग की प्रचुर संभावनाएं हैं। हमने आर्थिक और वाणिज्यिक सूचनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने,विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और समझौतों की संभावनाओं की पहचान करने,व्यापार की विविधीकरण पर सूचना का आदान-प्रदान करने तथा वाणिज्यिक अवसरों के बारे में दोनों देशों के कारोबारी समुदाय के साथ मेलजोल के लिए संस्थागत तंत्रों की स्थापना की है। भारत-फिनिश संयुक्त आयोग ऐसा ही एक मंच है। इसके अतिरिक्त,सड़क परिवहन क्षेत्र में सहयोग-ज्ञापन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग-समझौता तथा भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण की फिनलैंड की वित्तीय एजेंसी,टेकेस के बीच समझौता-ज्ञापन जैसे अनेक क्षेत्र विशिष्ट पहलें हैं। 2011 में नवान्वेषण पर भारत-फिनिश कार्यदल की स्थापना की गई थी। दोनों देशों ने सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं। पर्यावरण पर एक संयुक्त कार्यदल नियमित बैठकें कर रहा है तथा स्वच्छ प्रौद्योगिकी और अपशिष्ट प्रबंधन पर एक अन्य संयुक्त कार्यदल की स्थापना की गई है।
3. हाल के वर्षों में, हमारे आर्थिक और वाणिज्यिक रिश्तों में काफी प्रगति हुई है। वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद,द्विपक्षीय व्यापार में काफी वृद्धि हुई है और यह 2013 में तकरीबन 1.5 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गया है, जो उत्साहजनक है। तथापि,मेरा यह दृढ़ मत है कि यह दोनों राष्ट्रों के बीच मौजूद आर्थिक और व्यापार सहयोग की पूर्ण क्षमता के अनुरुप नहीं है। हमें ऐसे अप्रयुक्त क्षेत्रों की तलाश करनी होगी जिनमें अवसर मौजूद हैं। विशिष्ट रुचि के क्षेत्रों में एक विशाल व्यापार शिष्टमंडल मेरे साथ आया है। ये उद्योग प्रमुख, वित्तीय सेवाओं, पत्तन और रक्षा, समुद्री भोजन,तेल और गैस,ऊर्जा, परामर्श सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा, रसायन,जल उत्पादों,सूचना प्रौद्योगिकी, अवसंरचना, सेवा तथा नवीकरणीय ऊर्जा, विनिर्माण तथा दवा निर्माण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
4. भारत एक विशालतम विश्व अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है तथा हमारी अर्थव्यवस्था का लचीलापन इस तथ्य से प्रदर्शित होता है कि वैश्विक वित्तीय संकट का प्रभाव अन्य देशों की अपेक्षा भारत पर बहुत कम रहा है। विगत दशक के दौरान,जब हमने प्रतिवर्ष 7.6प्रतिशत की औसत दर से विकास के साथ,अर्थव्यवस्था के तेजी से विकास का प्रदर्शन किया था, भारत में निवेशकों की रुचि जाग्रत हुई है। यद्यपि, पिछले दो वर्षों के दौरान हमारा सकल घरेलू उत्पाद पांच प्रतिशत से कम था जो अपेक्षाकृत कम था,परंतु चीन को छोड़कर बहुत सी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में यह फिर भी अधिक था। अब ऐसे सकारात्मक संकेत दिखाई दे रहे हैं जिनसे पता चलता है कि वापसी सन्निकट है। हमारी अर्थव्यवस्था2014-15 की प्रथम तिमाही के दौरान 5.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। हमारा बाह्य सेक्टर मजबूत हुआ है; विनिमय दर स्थिर हुई है; राजकोषीय सशक्तीकरण उपायों ने हमारी राजकोषीय स्थिति में सुधार किया है;कीमतें कम हुई हैं;हाल के महीनों के आंकड़ों से पता चलता है कि विनिर्माण क्षेत्र वापसी की प्रारंभिक अवस्था में है;खाद्यान्न उत्पादन पिछले वर्ष रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जिससे 2013-14 में मजबूत 4.7 प्रतिशत विकास करने में कृषि क्षेत्र को मदद मिली है। निवेशक दिलचस्पी को अधिक बढ़ाने,वृहत-अर्थव्यवस्था के मूल तत्त्वों को मजबूत बनाने तथा ढांचागत क्षेत्र में नई जान डालने के उपायों से भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार पुन:7-8 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त करने के कगार पर है।
5. विदेशी निवेश पर धीरे-धीरे नियंत्रण समाप्त किए जाने तथा प्रक्रियाओं को सरल बनाने के द्वारा भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश व्यवस्था क्रमिक रूप से उदार हो गई है। वर्तमान में,हमारी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति को व्यापक रूप से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक सबसे उदार अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता है जिसके तहत हमारे अनेक सेक्टरों और कार्यकलापों में ऑटोमटिक रूट के अंतर्गत100 प्रतिशत तक की विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी जा रही है। इन कारणों से,भारत को 2014-16 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के चौथे सबसे आकर्षक स्थान माना गया है। हमने हाल ही में बीमा और रक्षा विनिर्माण जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश सीमा को बढ़ाया है तथा रेल अवसंरचना में100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी है। विदेशी निवेशकों को इससे और अधिक प्रोत्सान मिलने की उम्मीद की जाती है। इसलिए मुझे आश्चर्य है कि अप्रैल, 2000के बाद से फिनलैंड से भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का केवल 288मिलियन अमरीकी डॉलर रहा है जो इस अवधि के दौरान हमारे देश में कुल228बिलियन अमरीकी डॉलर के कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का मात्र0.13प्रतिशत है। मुझे विश्वास है कि व्यवसायों के बीच बेहतर सम्बन्धों से हमारी अर्थव्यवस्था में निहित विशाल आर्थिक अवसरों की बेहतर जानकारी पैदा होगी। फिनिश कंपनियों को यहां आना और हमारे जैसे विकासशील अर्थव्यवस्था में निवेश करना अत्यंत लाभकारी लगेगा।
6. हमने भारत के विनिर्माण क्षेत्र पर अपना प्रयास बढ़ा दिया है। हमने एक नीति आरम्भ की है जिससे हमारे सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण का योगदान वर्तमान15 प्रतिशत से बढ़ाकर 2022 तक 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। हम भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाने के अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे। हम विनिर्माण केन्द्र तथा कृषि उत्पादों से लेकर ऑटोमोबाइल पुर्जों,उच्च स्तरीय सेवाओं तक, विविध सामानों का निर्यात केन्द्र बनने की राह पर हैं। आज हमारे बहुत से औद्योगिक क्षेत्र वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी हैं तथा अपनी गुणवत्ता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात हैं। भारत सरकार निर्बाध,अनुमानयोग्य,सहायक और पारदर्शी कारोबार अनुकूल माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस उद्देश्य के लिए एकल खिड़की स्वीकृति,ई-व्यवसाय पोर्टल तथा निवेशक सुविधा प्रकोष्ठों की स्थापना द्वारा भारत को एक निवेशक अनुकूल गंतव्य बनाने के लिए भारत ने‘मेक इन इंडिया’ महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आरंभ किया है। मुझे विश्वास है कि फिनिश निवेशक इन नई नीतियों से अधिकतम लाभ उठाएंगे।
7. ढांचागत क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख क्षेत्र है। अगले कुछ वर्षों में,ढांचागत क्षेत्र पर एक ट्रिलियन अमरीकी डॉलर खर्च करने का प्रस्ताव है। अवसंरचना में अधिक से अधिक निवेश को सुचारु बनाने के लिए हमने औद्योगिक गलियारे,औद्योगिक अवसंरचना उन्नयन योजना,राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र, औद्योगिक समूह तथा स्मार्ट शहर जैसी सुविधाएं और योजनाएं आरंभ की हैं। ढांचागत विकास से न केवल हमारे देश के आर्थिक विकास को बल मिलेगा बल्कि भारत में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियों को भागीदार बनाने तथा हमारे विकास के लाभ में हिस्सा प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
8. हमारे दोनों देशों ने 2010में आर्थिक सहयोग संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किए,जो द्विपक्षीय सहयोग और साझीदारी का विस्तार करने के हमारे महत्त्व को दर्शाता है। बहुत सी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी फर्में फिनलैंड में अनुबंधों को पूरा कर रही हैं।130 से ज्यादा फिनिश कंपनियां भारत में विद्युत उपस्कर,भारी मशीनरी, दूर संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, जल शोधन,जैव ईंधन,शिक्षा, पर्यावरण,नवीकरणीय ऊर्जा तथा विनिर्माण क्षेत्र सहित अनेक क्षेत्रों में कार्यशील हैं।
9. फिनलैंड में विश्व की एक सर्वोत्तम नवान्वेषण प्रणाली है। फिनलैंड ने संचार और सूचना प्रौद्योगिकी,ऊर्जा, पोत निर्माण, विनिर्माण,जैव प्रौद्योगिकी, पर्यावरण,स्वास्थ्य सेवा तथा ढांचागत सेवा जैसे क्षेत्रों में परिष्कृत प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं। इसलिए नवान्वेषण,स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और अपशिष्ट प्रबंधन, पर्यावरण, नवीकरणीय ऊर्जा तथा कौशल विकास और प्रशिक्षण के क्षेत्रों में सहयोग की प्रचुर संभावना है। भारत सरकार अब तक अनखोजे क्षेत्रों में सहयोग के अवसर तलाश करने के लिए दोनों देशों की कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए उत्सुक है। अप्रैल, 2013 में आरंभ की गई फिनलैंड की ‘इन्डिया एक्शन प्लान’,भारत के साथ आर्थिक सहयोग का विस्तार करने की फिनलैंड की पहल का प्रमाण है। सितम्बर, 2014में दिल्ली में फिन-नोड केंद्र की शुरुआत द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को फिनलैंड सरकार द्वारा दिए गए महत्त्व का एक अन्य संकेत है। पर्यटन हमारे द्विपक्षीय सम्बन्धों में अपार संभावना का एक अन्य क्षेत्र है। आपको जानकर हर्ष होगा कि फिनलैंड के पर्यटक अब भारतीय हवाई अड्डों पर आगमन पर वीजा प्राप्त कर सकते हैं।
10. व्यवसाय के अलावा, भारत का उच्च शिक्षा क्षेत्र भी तीव्र गति से बढ़ रहा है तथा अनेक नए संस्थान स्थापित किए गए हैं। अब जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन और उसके प्रभाव को कम करने,हमारी जनता के लिए खाद्य और पेय जल सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा सतत ऊर्जा स्रोतों जैसे मुद्दों के बेहतर प्रबंधन में मदद के लिए हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में मौलिक अनुसंधान पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
11. आधुनिक सभ्यताओं में, ज्ञान ही शक्ति है। मैं जानता हूं कि फिनिश शिक्षा प्रणाली दुनिया की एक सर्वोत्तम प्रणाली है और अंतरराष्ट्रीय वरीयता में इसका ऊंचा स्थान है। भारत और फिनलैंड को शैक्षिक क्षेत्र में गहन सहयोग करना चाहिए ताकि हमारे शिक्षा परिसरों की विविधता बढ़े और क्षमता का निर्माण हो। मुझे इस बात की विशेष प्रसन्नता है कि इस यात्रा के दौरान,भारतीय शैक्षिक और वैज्ञानिक संस्थानों तथा फिनिश विश्वविद्यालयों के बीच अनेक समझौता ज्ञापनों और करारों को औपचारिक रूप दिया गया है। उम्मीद है कि इससे हमारे देशों के बीच एक माहौल तैयार हो पाएगा तथा विद्यार्थियों और शिक्षकों के आदान-प्रदान और संयुक्त पाठ्यक्रमों एवं डिग्रियों के जरिए नवान्वेषण के भरपूर अवसर पैदा करने में भी मदद मिलेगी।
12. एक विकासशील भारत फिनिश कंपनियों के लिए एक निवेशक अनुकूल वातावरण के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों में अवसर प्रस्तुत कर रहा है। भारत अपनी नवगठित सरकार के तहत,जिसने अवसंरचना और विनिर्माण के दो प्रमुख क्षेत्रों के रूप में चुना है,द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक ऊर्जावान बनाने के लिए उत्सुक है। मुझे फिनिश व्यावसायियों को2015की प्रथम तिमाही के दौरान भारत में आयोजित किए जाने वाले भारत-मध्य यूरोप व्यापार मंच में भाग लेने के लिए आमंत्रित करने पर खुशी हो रही है।
13. मैं एक बार पुन: भारत की विकास यात्रा पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित करने पर आपको धन्यवाद देता हूं तथा आप सभी को बेहतर विचार-विमर्श के लिए श्ुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद