ग्वांग्झू में भारत-चीन व्यवसाय मंच समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

ग्वाग्झा, चीन : 25.05.2016

डाउनलोड : भाषण ग्वांग्झू में भारत-चीन व्यवसाय मंच समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 261.59 किलोबाइट)

sp1.मैं आपको आपके स्वागत योग्य शब्दों के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं ग्वांग्झू में चीन की राजकीय यात्रा आरंभ करके बहुत प्रसन्न हूं। यह ऐतिहासिक शहर भारतीय व्यवसाय के लिए सदैव एक महत्वपूर्ण विश्राम स्थल रहा है। भारत और चीन के बीच विद्यमान आज के संपन्न व्यापार और आर्थिक संबंध,जो आज बने हुए हैं की स्थापना यहीं से हुई। दूसरी शताब्दी बी सी ई की हं शू (हन वंश की पुस्तक) में दक्षिणी भारत में ग्वांगडोंग से कांचीपुरम तक सीधा समुद्री मार्ग के बारे में जिक्र किया गया है। चौथी शताब्दी बीसीई में कौटिल्य की पुस्तक अर्थशास्त्र में चीनी सिल्क का उल्लेख है। यह ध्यान देने योग्य है कि स्थल और समुद्र के मार्गों द्वारा हमारे लोगों के बीच बहुत पुराने वाणिज्यिक संबंध इतने सफलतापूर्वक विकसित,समृद्ध और विस्तारित हुए हैं- और बिना किसी हस्तक्षेप के शताब्दियों से चले आ रहे हैं। वर्ष2014 में भारत के गुजरात राज्य और चीन के ग्वांग्डोंग के बीच एक एक सिस्टर-प्रोविंस संबंध पर हस्ताक्षर हुए थे। वर्ष2015 में शेन ओन और गुजरात इंटरनेशनल फाइनांस टेक-सिटी के बीच स्मार्ट सिटी को-ऑपरेशन पाइलट प्रोजेक्ट की घोषणा हुई है। आज जो मैं आपके समक्ष खड़ा हूं,सर्वप्रथम मैं यह कहना चाहूंगा कि भारत और चीन के लिए पुराने संपर्कों को लागू करने और नई कडि़यों के लिए हाथ मिलाने के लिए यह एक उत्साहवर्धक समय है।

2.भारत एक युवा देश है। हमारा प्राथमिक लक्ष्य आधुनिक अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है जो सतत विकास के लिए एक प्रिमियम है। हम इस लक्ष्य को पाने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और हमारे देश में एक गहन सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हो रहा है। चीन की आर्थिक उपलब्धियां हमारे लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। हम विश्वास करते हैं कि हमारे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश प्रवाह हमारे दोनों देशों के लिए परस्पर लाभकारी सिद्ध होंगे। हम भारत सरकार के‘मेक इन इंडिया’और अन्य प्रमुख पहलों में साझीदारी के लिए चीन के निवेश और उद्यम का स्वागत करते हैं। भारत चीनी निवेशकों के निवेश को लाभकारी बनाने के लिए उनके प्रयासों में सुविधा पहुंचाएगा। हमें अवसर का लाभ अवश्य उठाना चाहिए जो हमारी अर्थव्यवस्थाओं के विकास के लिए लाजमी है।

3.भारत ने एक दशक से भी अधिक समय तक प्रत्येक वर्ष7.6 प्रतिशत की दर पर तेजी से विकास रिकॉर्ड किया है। हम विश्वास करते हैं कि भारत अकेला विकास नहीं कर सकता। बढ़ते हुए अंतरसंबंद्ध विश्व में ही भारत अलग-अलग देशों के प्रौद्योगिकी विकासों और सर्वोत्तम प्रयासों से लाभ उठाना चाहेगा। हमारी अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र में आरंभ किए गए व्यापक सुधारों ने भारत में व्यवसाय करने की सुविधा में संवर्धन किया है। हमारी विदेश निवेश व्यवस्था सरलीकृत प्रक्रियाओं और विदेश निवेश पर पाबंदी हटाने के द्वारा व्यवस्था में उदारीकरण आया है। इन सुधारों ने भारत में वैश्विक निवेशकों के रूझानों को बहाल किया है। वर्ष 2014 में निवेश की वृद्धि 32प्रतिशत थी और2015में भारत एक सर्वाधिक सबसे बड़े वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है।

चीन का समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश 100करोड़ अमरीकी डॉलर की सीमा को पार कर चुका है- हम भारत पहुंचने तक इसे और अधिक देखना चाहते हैं। जैसा कि आप अवगत हैं भारत आज एक अच्छा जनसांख्यिकीय परिदृश्य प्रस्तुत करता है। आबादी की औसत आयु2020 तक 29वर्ष हो जाएगी। इस युवा आबादी को एक संपदा में परिवर्तित करने के लिए हमें वर्ष2022 तक 400करोड़ युवाओं और महिलाओं को कुशल बनाने के लिए ‘स्किल इंडिया’पहल करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए हमारी अर्थव्यस्था के सभी क्षेत्रों में नवान्वेष्ज्ञण और उद्यमिता की भावना जगाना महत्वपूर्ण है। स्टार्ट अप इंडिया पहल नवोन्वेषण और उद्यमिता के माध्यम से रोजगार सृजन में मदद करेगा। इसके साथ साथ एक समयबद्ध और लागत प्रभावी तरीके से विश्व स्तर की अवसंरचना का विकास करने को उच्च प्राथमिकता दी गई है। मेरी सरकार इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए औद्योगिक कॉरीडोर,राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र और समर्पित फ्रेट कारीडोर स्थापित कर रही है। इसकी100 स्मार्ट सिटीज पहल हमारे सैकड़ों शहरों और कस्बों को विकास के इंजन में परिवर्तित कर देगी। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का लक्ष्य भारत को डिजीटल रूप से एक सशक्त समाज बनाना और अर्थव्यवस्था की जानकारी देना है। भारत इन कार्यक्रमों में आपकी भागीदारी का स्वागत करता है। चीनी कंपनियां अवसंरचना और विनिर्माण में अंतर्निहित शक्ति के द्वारा अपनी‘गोइंग ग्लोबल’रणनीति में भारत को एक महत्वपूर्ण गंतव्य के रूप में देख सकती है। उनकी ओर से भारतीय कंपनियां उनके इंटरनेट के क्षेत्र में चाइनीज उद्यमों के साथ साझीदार हो सकती हैं जो कि मेड इन चाइना2525 रणनीति के तहत है।

5.मैं यह जानकर प्रसन्न हूं कि चीनी व्यवसायिकों द्वारा एक अच्छी शुरुआत की गई है जो भारत में अवसंरचना परियोजनाओं और औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं। भारत के रेलवे क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग भी अच्छी प्रगति कर रहा है। अच्छी संख्या में प्रीमियम भारतीय आईटी फार्म और अन्य विनिर्माण चीन में मौजूद हैं। हमारे लोग भी अन्य देशों में संयुक्त रूप से अवसर तलाशने की संभावना पर विचार कर रहे हैं।

देवियो और सज्जनो,

6.भारत का विश्वास है कि हम दोनों देशों के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग की विशाल क्षमता है,जिन्होंने समान अवसरों और चुनौतियों का सामना किया है। हाल के वर्षों में हमारे संबंधों की स्थिरता ने इन अवसरों का लाभ उठाने और एकजुट होने के लिए योग्य आधार प्रदान किया है। हमारी आर्थिक साझीदारी की क्षमता का पूर्ण रूप से दोहन करने के लिए हमारे व्यवसाय समुदायों के बीच सूचना अंतराल को कम करना महत्वपूर्ण है। भारत चीन से और अधिक निवेश के लिए अनुकूल वातावरण की व्यवस्था करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम अलग-अलग क्षेत्रों में दोनों देशों के उद्योग और व्यवसाय के बीच अनेक प्रकार से और अधिक सहयोग की सुविधा देने के लिए तैयार है। भारत विकास कहानी में चीन के निवेशकों को साझीदार होने का आमंत्रण देता है।

देवियो और सज्जनो,

7.मैं ग्वांग्झू प्रांत के भारतीय व्यवसायिक यात्रियों के पर्याप्त संख्या में उन लोगों को जानता हूं जिन्होंने यहां रहना और कार्य करना चुना है। मैं इस अवसर पर महामहिम श्री ग्वांग्डोंग प्रांत के गवर्नर श्री झू ज्योडान और उनके आवासियों तथा भारत के लोगों को आरामदायक महसूस कराने के लिए और स्वागत करने के लिए धन्यवाद देता हूं।

8.इन शब्दों के साथ मैं एक बार फिर भारत-चीन व्यवसाय मंच का भारत और चीन के बीच आर्थिक संबंध मजबूत करने में योगदान देने के लिए धन्यवाद करता हूं। मैं इस मंच की महान सफलता और इसके आज के विचार-विमर्श के लिए शुभकामनाएं देता हूं और इसके कार्य और पहलों के सकारात्मक परिणाम की उम्मीद करता हूं।


धन्यवाद।

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