दक्ष शिल्पकारों को वर्ष 2012, 2013 और 2014 के शिल्पगुरु और राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 09.12.2015
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1. उत्कृष्ट दक्ष शिल्पकारों को वर्ष 2012, 2013 और 2014के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार और शिल्पगुरु पुरस्कार प्रदान करने के लिए आज आपके बीच उपस्थित होना वास्तव में मेरे लिए एक सुखद अवसर है।
2. सर्वप्रथम,मैं सभी पुरस्कार विजेताओं और दक्ष शिल्पकारों को बधाई देता हूं। मैं भारतीय हस्तशिल्प परंपराओं के संरक्षण और प्रोत्साहन तथा देश की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाने में उनके विशिष्ट योगदान की अत्यंत सराहना करता हूं।
देवियो और सज्जनो,
3. हमारा देशी हस्तशिल्प हमारी जीवनशैली का एक मूल्यवान पहलू है। इनका विस्तृत क्षेत्र हमारे राष्ट्र की विविधता और असीम सर्जनात्मकता को प्रतिबिंबित करता है। प्रत्येक भौगोलिक क्षेत्र और उपक्षेत्र की अपनी अलग शैली और परंपरा है जो इसके समाज की प्राचीन जीवनचर्या से उत्पन्न होती है। हमारे शिल्पकारों ने शताब्दियों से पाषाण और धातु,चंदन और मिट्टी में प्राण फूंकने के अपने प्राय: अनूठे तरीके और तकनीक विकसित की है। उन्होंने अनेक शताब्दियों पहले अपने समय से काफी आगे की वैज्ञानिक और इंजीनियरी प्रक्रियाओं को उत्कृष्ट बनाया था। तत्कालीन कृतियां उनके परिष्कृत ज्ञान और विकसित सौंदर्यबोध को दर्शाती हैं।
4. हस्तशिल्प वस्तुओं का निर्माण ग्रामीण इलाकों में रह रहे लाखों लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करता है। हस्तशिल्प में कम पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है तथा पर्यावरणीय संरक्षण में मदद मिलती है। इनसे अनुसूचित जातियों,अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक जैसे वंचित वर्ग भी सशक्त बनते हैं,जिससे विकास समावेशी और सतत बन रहा है। हस्तशिल्प वस्तुओं का निर्माण ग्रामीण इलाकों में रह रही महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण में विशेष महत्व रखता है क्योंकि निर्माण अन्य घरेलू कार्यों के साथ घर में ही किया जाता है। महिलाएं कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा हैं और आधे से अधिक दस्तकारी क्षेत्र पर उनका प्रभुत्व है। यह अनुमान है कि 70 लाख से अधिक लोग हस्तशिल्प और संबंधित कार्यकलापों से अपनी आजीविका अर्जित कर रहे हैं।
5. हस्तनिर्मित कालीन छोड़कर,कुल निर्यात में 11 प्रतिशत हिस्सा हस्तशिल्प निर्यात का है तथा यह2013-2014 के रु. 23,504करोड़ से बढ़कर 2014-2015 में रु. 27,747 करोड़ हो गया। हस्तनिर्मित कालीन भारत के कुल निर्यात का3 प्रतिशत था और उसका मूल्य 2013-2014 के रु. 7,110करोड़ से बढ़कर 2014-2015 में रु. 8,442 करोड़ हो गया जो वर्ष दर वर्ष19प्रतिशत वृद्धि दर हासिल कर रहा है। धातुकला समान,काष्ठ की वस्तुएं, कृत्रिम आभूषण,कशीदाकारी और क्रोशिए से कढ़े हुए सामान तथा हस्तमुद्रित वस्त्र और दुपट्टे हमारे हस्तशिल्प निर्यात का प्रमुख भाग हैं। यह वाकई संतोष का विषय है कि हस्तनिर्मित कालीन सहित हस्तशिल्प निर्यात ने रु.30,614 करोड़ से बढ़कर रु. 36,189 करोड़ होने से वर्ष 2014-2015के दौरान प्रभावी वृद्धि दर्ज की। शहरी मध्यवर्ग में बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार भी आकार ग्रहण कर रहा है। यद्यपि,इन बेहतर वृद्धि आंकड़ों के बावजूद,भारत का हस्तशिल्प उद्योग अत्यधिक बिखरा हुआ है तथा प्रमुख रूप से अभिकल्पना,नवान्वेषण, प्रौद्योगिकी उन्नयन,कच्चे माल की कमी,अपर्याप्त वित्त,तथा मिल और कारखाने में निर्मित सामान से बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा के कारण यह बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
6. इसलिए मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि हस्तशिल्प क्षेत्र के विकास की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की गई है तथा एक व्यापक राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम आरंभ किया गया है। कार्यक्रम में हस्तशिल्प समूहों के विकास के समेकित दृष्टिकोण पर बल दिया गया है। प्रमुख बल,समूह स्तर पर सुगम्य सार्वजनिक सुविधा केंद्रों के माध्यम से कौशल और प्रौद्योगिकी उन्नयन,अभिकल्पना विकास तथा कच्चे माल की आपूर्ति, के द्वारा दस्तकारों के सशक्तीकरण पर केंद्रित परिणामोन्मुख प्रयासों पर दिया जा रहा है। सीधी बिक्री,विक्रय एक्सपो में भागीदारी तथा ई-कॉमर्स जैसे अनेक विकल्पों के जरिए विपणन संयोजनों के निर्माण और सुदृढ़ता नए दृष्टिकोण का एक अन्य प्रमुख अवयव है। आधार से जुड़े बैंक खातों के माध्यम से सीधे दस्तकारों को सहायता प्रदान करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का भी प्रयोग किया जा रहा है।
7. हस्तशिल्प क्षेत्र में तेजी लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इनमें बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण की सुगम्य प्राप्ति तथा घरेलू और विदेशी बाजारों में इन उत्पादों का प्रोत्साहन शामिल है। विश्वविद्यालय, कॉरपोरेट घराने और सरकारी विभाग अनुसंधान करने और उसके प्रायोजन में योगदान कर सकते हैं,जिससे उत्पन्न नई और नवान्वेषी प्रौद्योगिकियां स्थानीय दस्तकारों के पारंपरिक औजारों तथा डिजायनों को उन्नत बनाने में मदद मिलेगी। के उन्नयन में मदद मिलेगी। एक हस्तकला अकादमी स्थापित करने की योजना इस दिशा में स्वागत योग्य कदम है।
8. हमारी ‘गुरु शिल्प परंपरा’हमारी पारंपरिक कला और शिल्प का एक असाधारण पहलू है। युगों-युगों से दक्ष शिल्पकारों ने हर आने वाली पीढ़ियों को अपना कौशल प्रदान करने में गौरव अनुभव किया है। गांधीजी के कथन से और बेहतर कुछ नहीं है, ‘यदि हम अपने सभी सात लाख गांवों, उनमें से कुछ केवल कुछ को नहीं,को बनाए रखना चाहते हैं तो हमें अपने ग्रामीण हस्तशिल्प का पुन: उत्थान करना होगा और आप विश्वास करें कि यदि हम इन शिल्प के माध्यम से शैक्षिक प्रशिक्षण दें तो हम एक क्रांति ला सकते हैं।’
9. आज राष्ट्रीय पुरस्कार और शिल्प गुरु पुरस्कार प्रदान करना हमारे उन कारीगरों के उल्लेखनीय योगदान का सम्मान है जिन्होंने अपनी रचनात्मकता से संपूर्ण विश्व में भारत का एक स्थान बनाया है। इन पुरस्कारों के अस्सी गौरवपूर्ण विजेता शिल्पकार इस सम्मान के विशेष हकदार अधिकारी हैं। मैं इस अवसर पर एक बार पुन: सर्जनात्मक प्रयासों के लिए पुरस्कार विजेताओं तथा संपूर्ण हस्तशिल्प समुदाय को बधाई देता हूं तथा भावी प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। ॒
जयहिन्द।