चंडीगढ़ में वायुसेना केंद्रीय चिकित्सा अवस्थापना तथा 3 बेस रिपेयर डिपो को ध्वज प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
चंडीगढ़, पंजाब : 15.03.2013
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मुझे आज वायुसेना केंद्रीय चिकित्सा अवस्थापना तथा 3 बेस रिपेयर डिपो को ध्वज प्रदान करने के लिए वायुसेना के इस प्रमुख डिपो में उपस्थित होकर बहुत खुशी हो रही है। इन दोनों अवस्थापनाओं ने देश की सेवा में नाम कमाया है। इनकी पेशेवर उत्कृष्टता का एक समृद्ध इतिहास है तथा उन्होंने देश की गौरव और उत्कृष्टता के साथ सेवा की है। उनके समर्पण, पेशेवर रवैये तथा असाधारण सेवा के लिए देश द्वारा उन्हें आज ध्वज प्रदान करके सम्मानित किया जा रहा है। यह देश को उनके द्वारा प्रदान की गई असाधारण सेवा के लिए कृतज्ञता तथा सम्मान स्वरूप है। मैं वायुसेना केंद्रीय चिकित्सा अवस्थापना तथा 3 बेस रिपेयर डिपो के कार्मियों को इस सम्मान के लिए बधाई देता हूं। देवियो और सज्जनो, हमारे संप्रभुतासंपन्न आकाश के गौरवशाली अभिरक्षक के रूप में भारतीय वायुसेना अपनी दायित्व धैर्य के साथ निभाता रहा है। ये वीर हवाई लड़ाके देश के लिए बहुत से मिशनों को पूरा करने में सन्नद्ध रहे है। इनमें आपदा प्रबंधन अभियानों से लेकर उग्रवाद विरोधी अभियानों में सहयोग भी शामिल है। अब जब हमारा देश आर्थिक प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है। यह जरूरी है कि उस शांति की रक्षा की जाए, जिसकी एक कारगर निवारक तथा मजबूत रक्षा क्षमता के रखरखाव के लिए हमें जरूरत है। एक राष्ट्र के रूप में हम शांति बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है तथा हमारा यह दृढ़-विश्वास है कि विवादों का समाधान विचार-विमर्श के द्वारा होना चाहिए। परंतु इसी के साथ, हमें किसी भी प्रकार के आक्रमण का सामना करने तथा अपनी भूमि की अखंडता के लिए अपनी पूरी क्षमता के साथ तैयार रहना होगा तथा भारतीय वायुसेना को इस प्रयास में अति-महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है। वे पहले में भी हमारे देश की रक्षा के लिए वीरता, साहस, समर्पण तथा निर्भीकता के साथ खड़े रहे हैं। मेरे सामने आज खड़े ये पुरुष एवं महिलाएं भारत माता के गर्व से भरे हुए बेटे और बेटियां है। उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर करने की शपथ ली है और इस प्रकार वे अत्यंत उच्चतम कोटि की देशभक्ति का प्रतीक हैं। वे रक्षा सेनाओं के उच्चतम मानदंडों पर खरे उतरे हैं तथा मैं उनको उनके इस समर्पण तथा अनुशासन के लिए बधाई देता हूं। मैं इन हवाई लड़ाकों को आज की परेड के लिए भी बधाई देता हूं, जिसमें उन्होंने अनुकरणीय आदर्श कवायद, वेशभूषा तथा अनुशासन का प्रदर्शन किया है। देवियो और सज्जनो, वायुसेना केंद्रीय चिकित्सा अवस्थापना भारतीय वायुसेना की एक प्रमुख चिकित्सा अवस्थापना है। इस यूनिट को सबसे पहले 1940 में लाहौर में केंद्रीय चिकित्सा बार्ड के रूप में, रायल एयर फोर्स ने स्थापित किया था। इस अवस्थापना की रचना वायुसैनिकों के चयन तथा बाद में चिकित्सा मूल्यांकन के लिए मानक प्रक्रिया की जरूरतों को देखते हुए की गई थी। इस संगठन की प्रमुख भूमिका रक्षा सेनाओं, अर्धसैनिक बलों तथा नागर विमान न उद्योग के वायुकर्मियों को समग्र चिकित्सा मूल्यांकन प्रदान करना है। इसके भूतपूर्व तथा वर्तमान कार्मिक लगातार उत्कृष्टता के साथ काम करते रहे हैं तथा उन्होंने ऐसे मापदंड बनाए हैं जो अनुकरणीय हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस यूनिट ने 2005 में आईएसओ 9001:2000 प्रमाणीकरण प्राप्त करने वाली पहलीसशस्त्र बल चिकित्सा सेवा यूनिट बनने की विशेष उपलब्धि हासिल की है। यूनिट ने गुणवत्तापूर्ण वायु-चिकित्सा देखभाल प्रदान करने में श्रेष्ठता प्राप्त की है तथा लगन और मेहनत उच्च मापदण्ड प्रस्तुत करती रही है। मुझे विश्वास है कि यूनिट आने वाले वर्षों में राष्ट्र की नि:स्वार्थ सेवा करती रहेगी। देवियो और सज्जनो, नं. 3 बेस रिपेयर डिपो ने राष्ट्र सेवा के शानदार पचास वर्ष पूरे कर लिए हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि 1962 में अपनी स्थापना के बाद से, डिपो ने उत्साहपूर्वक अपने कर्तव्य का निर्वाह किया है तथा भारतीय वायुसेना की प्रमुख मरम्मत और अनुरक्षण सहयोग यूनिट के रूप में काम किया है। राष्ट्र की रक्षा तैयारी में इसने जो भूमिका निभाई है, वह अकथनीय है। राष्ट्रों के पास अत्यंत परिष्कृत प्लेटफार्म हो सकते हंउ परंतु उनकी प्रभावपूर्ण तैनाती युद्धक विमानों और उनके विभिन्न उपस्करों की मरम्मत और रखरखाव की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। युद्धक विमान और उनकी वैमानिकी के बढ़ते परिष्करण से, मरम्मत और सहयोग संगठनों की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है। हमारे द्वारा तैनात किए गए युद्धक विमान और उनकी मारकता ऐसे ही संगठनों के कौशल पर निर्भर करेगी। 3 बेस रिपेयर डिपो ने 1965 और 1971 में, जब राष्ट्र को अपनी रक्षा करने के लिए बाध्य किया गया था, महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाकर एक विशेष स्थान बनाया है। मरम्मत और सहयोग की महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के अलावा, 3 बेस रिपेयर डिपो के खाते में अनेक उपलब्धियां है। बेस रिपेयर डिपो ने स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भर रहते हुए, मूल निर्माता को शामिल किए बिना एयरो इंजिनों की उम्र बढ़ाने का मुश्किल कार्य सफलतापूर्वक किया है। देश में प्रथम बार 3 बेस रिपेयर डिपो में बहुत सी आधुनिक प्रौद्योगिकियां हेलिकॉप्टर और एयरो इजनों में प्रयोग की गई हैं और इससे विदेशी साधनों पर हमारी निर्भरता कम करने की दिशा में प्रमुख योगदान मिला है। यह डिपो, हेलिकॉप्टर रखरखाव में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और क्षेत्र यूनिटों को श्रेष्ठ रखरखाव सहयोग प्रदान करने का प्रयास कर रहा है। मुझे बताया गया है कि वर्तमान में डिपो अभी खरीदे गए अत्याधुनिक एमआई-17 वी5 हेलिकॉप्टरों की तैनाती का कार्य कर रहा है और इसे उनकी प्रमुख मरम्मत एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है, यह एक ऐसा कार्य है जिसके बारे में मुझे विश्वास है कि वह उल्लेखनीय कार्य कौशल और निष्ठा के साथ करेगा। असाधारण प्रदर्शन के सम्मान और सराहना स्वरूप, मुझे वायुसेना केंद्रीय चिकित्सा अवस्थापना और 3 बेस रिपेयर डिपो को ध्वज प्रदान करके प्रसन्नता हुई है। इस अवसर पर, मैं दोनों अवस्थापनाओं के सभी पूर्व और वर्तमान कर्मियों और उनके परिवारों के योगदान और बलिदान, उनके समर्पण, निष्ठा और सेवा के लिए सराहना और सम्मान करता हूं। राष्ट्र को वास्तव में आप पर गर्व है। मैं आपको और आपके परिवार को शानदार भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं। हमें, वास्तव में, आप पर और आपकी उपलब्धियों पर गर्व है। जय हिंद।