चीन जनवादी गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति श्री शी चिन्पिंग के सम्मान में आयोजित राज-भोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति का अभिभाषण

नई दिल्ली : 18.09.2014

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महामहिम, श्री शी चिन्पिंग,

चीन जनवादी गणराज्य के राष्ट्रपति,

महामहिमगण,

देवियो और सज्जनो,

मुझे आपका, श्रीमती पँग लियुआन और आपके शिष्टमंडल के विशिष्ट सदस्यों का आज की शाम राष्ट्रपति भवन में स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है।

आपकी, भारत की सरकारी यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और चीन अपने द्विपक्षीय संबंधों के नए युग में प्रवेश के लिए उत्सुक हैं।

महामहिम, भारत की जनता चीन को एक शानदार सभ्यता,एक ऐसे देश के रूप में देखती है जिसने अत्यंत कम समयावधि में अभूतपूर्व प्रगति और समृद्धि प्राप्त की है। आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन, अवसंरचना निर्माण तथा सूचना संयोजकता में चीन जनवादी गणराज्य की शानदार सफलता वास्तव में प्रेरणादायक है।

एक पड़ोसी के रूप में, चीन को मजबूत आर्थिक विकास तथा उत्पादकता के अपने मार्ग पर आगे बढ़ते हुए, तथा अधिक मजबूत वैश्विक अर्थव्यवस्था और इस क्षेत्र तथा विश्व में शांति के लिए, और अधिक योगदान देते हुए देखकर भारत को खुशी होगी।

भारत का यह दृढ़ विश्वास है कि जैसे-जैसे हमारे संबंध ऐसी साझीदारी में विकसित होते हैं, जो संतुलित तथा व्यापक आधार वाली हो,हम दोनों देशों के लिए द्विपक्षीय संदर्भ में आपसी लाभ के लिए पहल शुरू करने तथा एशिया के विकास और प्रगति से प्राप्त होने वाले फायदों को बढ़ाने के लिए भी पर्याप्त अवसरों का सृजन करेंगे।

महामहिम,

आज की शाम हमारे विचार-विमर्श के दौरान, हम सहमत हुए कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में और अधिक सहयोग की काफी संभावना मौजूद है। आज, हमारी दोनों सरकारों ने साझा हित के विभिन्न क्षेत्रों में, सहयोग के जिन करारों पर हस्ताक्षर किए हैं, वह हमारे संबंधों में बढ़ती परिपक्वता को दर्शाते हैं।

अब हमारा ध्यान अपने संयुक्त प्रयासों को ताजा प्रोत्साहन देने पर है। हम अपनी बहुत सी अनुपूरकताओं की पूर्ण क्षमता का उपयोग करना चाहेंगे। इसी के साथ, ऐसा होने तथा उसे बनाए रखने के लिए सकारात्मक माहौल तैयार करने और उसे जारी रखने के लिए, यह हमारे लिए जरूरी है कि हम एक-दूसरे की चिंताओं और आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील रहें।

महामहिम, हमारे व्यापार तथा आर्थिक सहयोग में बढ़ोत्तरी हम दोनों के हित में है। इसकी प्राप्ति के लिए, हम व्यापार घाटे के समाधान, एक-दूसरे के सामान के लिए बाजार तक बेहतर पहुंच प्रदान करने तथा अवसंरचना के क्षेत्र में सहयोग शुरू करने के अवसरों को ढूंढ़ने के अपने प्रयासों को और बढ़ा सकते हैं और हमें इन्हें बढ़ाना होगा।

महामहिम, हमारे देश, सीमा के प्रश्न सहित, अपने देशों के बीच बकाया मुद्दों के शीघ्र समाधान की साझा आकांक्षा रखते हैं। हम दोनों, अपनी सीमाओं पर अमन-चैन बनाए रखने के प्रति कृतसंकल्प हैं; हम दोनों ही यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि हमने इस उद्देश्य से जो संवाद-तंत्र स्थापित किए हैं वह त्रुटि-रहित हों। हमारे लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि हम अपनी दो सेनाओं के बीच संवाद और सहयोग के संबंधों में सुधार करें और उनके बीच सभी स्तरों पर संचार को बढ़ाने का निरंतर प्रयास करें।

महामहिम,

यह स्पष्ट है कि आज हम अपने द्विपक्षीय संबंधों के निर्णायक मोड़ पर हैं। हमें अब इसे ऐसे स्तर पर ले जाना होगा जहां हमारे कार्यक्रम और पहलें, हमारे दो देशों की प्रगति और समृद्धि के साझा लक्ष्यों को साकार करने में सहायक हों। हमारे दोनों ही देश उस दिशा में प्रयास करने के प्रति कृतसंकल्प हैं।

मैं एक बार फिर से महामहिम तथा श्रीमती पँग लियुआन का स्वागत करता हूं तथा भारत की आपकी बहुत आनंददायक तथा सफल यात्रा की कामना करता हूं।

महामहिम, इन्हीं शब्दों के साथ, हम सब मिलकर :

- अपनी दो प्राचीन सभ्यताओं के बीच शाश्वत मैत्री;

- हमारे दो समाजों के बीच चिरस्थाई शांति;

- हमारी दोनों सरकारों के बीच बहुआयामी संबंधों की प्रगाढ़ता; और

- आपके तथा श्रीमती पँग लियुआन के अच्छे स्वास्थ्य, प्रसन्नता तथा समृद्धि, की कामना करें।

धन्यवाद।

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