भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी और सेंट जॉन एंबुलेस (इंडिया) की वार्षिक आम बैठक के समारोहिक सत्र में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 30.08.2016

डाउनलोड : भाषण भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी और सेंट जॉन एंबुलेस (इंडिया) की वार्षिक आम बैठक के समारोहिक सत्र में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 378.72 किलोबाइट)

sp1. मुझे भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी और सेंट जॉन एंबुलेस की वार्षिक आम बैठक में आपका स्वागत करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

2. मैं उन सभी विशिष्ट वक्ताओं का समर्थन करता हूं जिन्होंने मुझसे पहले डॉ. एस पी अग्रवाल,इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी और सेंट जॉन एंबुलेंस इंडिया के भूतपूर्व महासचिव के निधन पर मुझसे पहले सांत्वना व्यक्त की है। ये दोनों संगठन और लोग,सेवा के लिए उनके योगदान को हमेशा याद रखेंगे।

देवियो और सज्जनो,

3. मैं उन पुरस्कार विजेताओं को भी मुबारकबाद देता हूं जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया है। ये पुरस्कार उन व्यक्तियों और संगठनों को राहत और बचाव,स्वास्थ्यवर्धन, कमजोर लोगों की देखभाल करने और समुदायों को शिक्षा देकर इन उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए उनके उत्कृष्ट कार्य की उपयुक्त पहचान के लिए दिया गया है।

4. रेड क्रॉस सोसाइटी और सेंट जॉन एंबुलेंस, (भारत) के अध्यक्ष,माननीय श्री जे पी नड्डा ने विस्तृत वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें जो अलग से दृष्टिगत है वह है,कार्मिकों का रेड क्रॉस और सेंट जॉन एंबुलेंस के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता। उन्होंने सेवा और सफलता के नए स्तरों तक उनके चालू कार्यक्रमों को ले जाते हुए अनेक सराहनीय पहलेें की हैं। अनेक चुनौतिपूर्ण स्थितियों में उनकी सामयिक सहायता ने सरकार के प्रयासों का मजबूती के साथ समर्थन किया है।

5. उन्होंने जो कुछ भी किया है,उसके लिए उन्होंने हमारे पूरे समाज से प्रशंसा और आभार अर्जित किया है।

देवियो और सज्जनो,

6. हम ऐसे युग में रह रहे हैं जहां मानव निर्मित आपदाएं रोज होती है। जोखिम कम करने,क्षमता निर्माण, मानवीय संचालन तंत्र,विकास कार्य, विश्व में परेशानी या राहत सहायता प्रदान करने में रेड क्रॉस का कार्य महत्वपूर्ण रहा हॅ। प्रवास चाहे आंतरिक हो या सीमा के पार,वह हमेंशा चिंता का कारण रहा है। ऐसी परिस्थितियों में आवश्यकता केवल सामग्री राहत और सुप्रशिक्षित स्वेच्छा कार्यकर्ताओं को शामिल करने की नहीं है बल्कि समग्र समाज द्वारा सहायता के लिए बात आगे बढ़ाने की है जो एक संवेदनशील और मानवीय तरीके से संपन्न होनी चाहिए।

7. हमारे देश में,विशेषतः जहां राष्ट्रीय विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में आर्थिक,शैक्षिक और सामाजिक विविधताएं अकसर कठिनाइयां प्रस्तुत करती हैं,इन चुनौतियों के निपटान में वालिंटियर्स और संगठनों का शामिल होना सचमुच बहुत सहायक है।

8. इसलिए मैं इस से खुश हूं कि सामुदायिक स्तर पर रेड क्रॉस द्वारा फर्स्ट मेडिकल रेस्पोंडर का संवर्द्ध अब18 राज्यों में उपलब्ध है।

9. तथापि मैं इस बात पर बल देना चाहूंगा कि हमारे विशाल देश को अधिक संख्या में अधिक कुशल मानव संसाधन की आवश्यकता केवल संकट के समय में ही नहीं है बल्कि सामान्य स्थिति में भी है। सामाजिक समुदायों को लक्ष्य समुदायों के पहुंच के भीतर लाया जा सकता है। मैं ‘बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ’ और स्वच्छ भारत पहल कार्यक्रमों से जुड़ने के लिए भारतीय रेड क्रॉस द्वारा किए गए प्रयास की सराहना करता हूं।

10. इसी प्रकार डिसास्टर प्रिपेयर्डनेस एंड रिहैबिलिटेशन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स भारतीय रेड क्रॉस की एक बहुत अच्छी पहल है। आपदा के समय तैनाती के लिए तैयार जन शक्ति का एक नेटवर्क टीम है और यह तबाही के समय कुप्रभाव को कम करने की तैयारी करने में सहायक हो सकती है।

11. रेड क्रॉस का मातृत्व और बाल कल्याण कार्यक्रम भी समान रूप से महत्वपूर्ण है जो हमारे देश के सुदूर भागों में विशेष रूप से प्रभावी और लोकप्रिय है। इसके‘‘यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन-कैच अप प्रोग्राम’’और ‘‘मिशन इंद्रधनुष’’भी बहुत सफल रहे हैं।

12. मैं यह देखना चाहूंगा कि इन कार्यों की प्रासंगिकता और दक्षता बनाए रखने के लिए इनकी निरंतर समीक्षा हो और इन्हें अद्यतन किया जाए।

13. मैं छोटे बच्चों और वृद्धों के कार्यक्रमों में युवा पीढ़ी को भी शामिल करने को प्रोत्साहन देना चाहूंगा। भारतीय रेड क्रॉस और सेंट जॉन एंबुलेंस से जुड़ने वाले छात्रों की अधिक संख्या से उनकी समग्र शिक्षा का एक प्रमुख पहलू हासिल होगा। स्कूल स्तर पर क्षमता विकास में कम आयु में समाज की निःस्वार्थ सेवा के मूल्य को मन में बैठाना चाहिए;ये मूल्य हमारे बच्चों को सामाजिक बुराइयों के प्रति संवेदनशील और सचेत बनाएं ताकि वे सकारात्मक तरीके से इन पर केंद्रित हो सके और नवोन्वेषी समाधानों के विकास में योगदान दे सकें।

14. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी और सेंट जॉन एंबुलेंस (इंडिया) दोनों संगठन अंततः समुचित हैं;तथापि मैं कॉरपोरेट और परोपकारी संगठनों द्वारा सभी स्तरों पर उनको समर्थन देने की आवश्यकता पर जोर देना चाहूंगा।

15. उल्लिखित नई परियोजनाओं के संबंध में मुझे यह देखकर प्रसन्नता है कि पिछले दो वर्षों में भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी और सेंट एंबुलेंस ने लगभग साढ़े सात लाख वॉलेंटियर्स को प्राथमिक चिकित्सा में प्रशिक्षण दिया है। मुझे यह जानकर भी खुशी हुई है कि आज अब उनके पास नई दिल्ली के नजदीक प्राथमिक उपचार में विश्व स्तर का एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार करने की भी योजना है।

16. इसी बीच मुझे बताया गया है कि सेंट जॉन एंबुलेंस के2500 विविध प्रभाग निरंतर हताहतों की सहायता करते हैं और रोजमर्रा के आधार पर जीवन बचाते हैं। धार्मिक सभाएं,राष्ट्रीय दिवस के समारोह और प्रदर्शनियां उनके कठिन परिश्रम के वृहद स्कोप के उदाहरण हैं।

17. उनके प्रयासों के लिए मैं भारतीय रेड क्रॉस और सेंट एंबुलेंस (इंडिया) और आज दिए जाने वाले पुरस्कार की शुरुआत करने और हमारे देश में माननीय कार्यों में उनके योगदान के लिए उनके कार्य और उनकी दृष्टिकोण के लिए उनको धन्यवाद देता हूं।

18. मैं रेड क्रॉस की उसके ब्लड बैंक के बड़े नेटवर्क के लिए सराहना करता हूं - जिसमें इसका राष्ट्रीय मुख्यालय मॉडल ब्लड बैंक शामिल है। ये हमारे देश में स्वैच्छिक रक्तदान बढ़ाने के लिए सफलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं।

19. मैं स्वैच्छिक सदस्यों की भावी पीढ़ीयों के प्रशिक्षण और पंजीकरण की ओर विशेष ध्यान देने की पहल और प्रत्येक परिवार में कम से कम एक प्रशिक्षित उपचारक सुनिश्चित करने के लिए भी उनके प्रयास का स्वागत करता हूं।

20. अंतिम पंरतु अत्यंत महत्वपूर्ण,मैं ऐसे हजारों अकीर्तिक नायकों को भी सम्मान देना चाहूंगा जिन्हें आज पुरस्कृत नहीं किया गया है परंतु जिनकी अनमोल सेवा कार्य और प्रतिबद्धता पूरे भारत में जीवन बचाने में और जरूरतमंदों को सहायता पहुंचाने में प्रमुख रही। ये वे हैं जो पर इन संगठनों की अनेक बुलंद उपलब्धियों को साकार करने के लिए जमीनी सतह पर अनेक संभव प्रयास करते हैं।

21. राष्ट्र की सेवा में आपके परिश्रम में महान सफलता के साथ मैं महात्मा गांधी के प्रेरणादायक शब्दों को आपके समक्ष रखना चाहूंगा जो इस समय मेरे मस्तिष्क में है। उद्धृत

‘जानबूझकर और अनजाने में हममें से प्रत्येक कोई न कोई सेवा करता है,यदि हम विचारपूर्वक यह सेवा करने की आदत बना लें,तो सेवा के लिए हमारी अभिलाषा प्रत्यक्ष रूप से अधिक मजबूत हो जाएगी और इससे न केवल हमें बल्कि पूरे विश्व को भी प्रसन्नता होगी।’

आपकी स्वेच्छा से एक बूंद सागर में परिवर्तित हो सकती है और यदि हमारा यह दृष्टिकोण होगा तो समाज के कमजोर वर्गों के लिए करुणा,सहानूभूति, विवेक का एक सागर तैयार करने के लिए किसी प्रकार की कमी नहीं होगी।

धन्यवाद।

जयहिन्द!

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.