भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर के प्रथम दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
काशीपुर, उत्तराखण्ड : 17.03.2013
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मेरे लिए, तीन वर्ष पूर्व स्थापित भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर के प्रथम दीक्षांत समारोह में उपस्थित होना एक सुखद और गौरवपूर्ण अवसर है। आज, जब स्नातकोत्तर कार्यक्रम के 37 विद्यार्थियों के प्रथम बैच ने अपना प्रबंधन डिग्री पाठ्यक्रम पूरा किया है, इस संस्थान को अपनी स्थापना के बाद एक प्रमुख उपलब्धि प्राप्त करने पर गौरवान्वित होना चाहिए।
मैं, संस्थान के प्रबंधन और संकाय को बधाई देता हूं जिनकी शुरुआती दौर में इस संस्थान के विकास में एकाग्रता और गहन समर्पण, प्रबंधन कार्यक्रमों की शुरुआत और तीव्र प्रगति के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहा है। मुझे खुशी है कि भारतीय प्रबंधन संस्थान लखनऊ ने एक मार्गदर्शक संस्थान की भूमिका निभाई और मैं भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ की टीम की सराहना करता हूं जो भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर की स्थापना में शामिल था। सबसे नया भारतीय प्रबंधन संस्थान होने के नाते, भारतीय प्रबंध संस्थान, काशीपुर को, वह उच्च गुणवत्ता बनाए रखते हुए जिसके लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान जाने जाते हैं, अपनी एक नायाब छवि बनाने का प्रयास करना चाहिए।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर द्वारा सतत् विकास और प्रतिस्पर्धात्मकता पर दो उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना पर विचार किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि ये केन्द्र अपने-अपने प्रमुखता क्षेत्रों में नई विचारशीलता, अनुसंधान और कार्यों को प्रेरित करेंगे।
बहुत से लोगों ने, हमारे प्रबंधन संस्थानों द्वारा उद्यमशीलता पर पाठ्यक्रमों पर और अधिक बल दिए जाने की जरूरत जताई है। इस समय जब भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर द्वारा अपने पाठ्यक्रम ढांचे को तैयार किया जा रहा है, इस अवसर का लाभ उठाया जाना चाहिए और प्रबंधन कार्यक्रमों को इस प्रकार बनाया जाना चाहिए जिनसे ये दूसरों के लिए अनुकरणीय बन जाएं।
प्रमुख रूप से ग्रामीण इलाके से घिरी हुई इस औद्योगिक पट्टी में आपके संस्थान की अनूठी भौगोलिक स्थिति से आपको ‘प्रसार शिक्षा’ पाठ्यक्रम विकसित करने का अवसर मिलेगा। विद्यार्थियों को अपने अकादमिक पाठ्यक्रम के भाग के रूप में, क्षेत्र के लोगों को खेती, लघु व्यवसायों और अन्य सामुदायिक उद्यमों को चलाने के बेहतर तरीके सिखाने में मदद करते हुए सकारात्मक सामाजिक विकास में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे विद्यार्थियों में समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी जिसे वे अपने सम्पूर्ण पेशेवर जीवन में कायम रखेंगे।
मुझे विश्वास है कि आपका संस्थान, उच्च प्रशिक्षित प्रबंधकों का एक प्रमुख स्रोत, उद्यमशीलता का प्रेरक और सामाजिक आर्थिक विकास का एक संसाधन केन्द्र बनेगा।
मित्रो, हमें भारतीय उद्योग को, विश्व के सर्वोत्तम उद्योगों से सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए सक्ष्म बनाने हेतु एक कार्यनीति बनानी होगी। इस कार्यनीति में कुशल जनशक्ति को एक प्रमुख भूमिका निभानी होगी। भारतीय व्यवसाय के स्वस्थ विकास में, प्रबंधन पेशेवरों के एक सक्षम कैडर की उपलब्धता से काफी मदद मिलेगी।
दुर्भाग्यवश, हमारे उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसे पेशेवरों की पर्याप्त संख्या मौजूद नहीं है। वाणिज्य और प्रबंधन विषयों में वार्षिक विद्यार्थियों की संख्या 2006-07 में लगभग 23 लाख से बढ़कर 2011-12 में लगभग 34 लाख हो गई है। इन विषयों के स्नातकों और स्नातकोत्तरों की आवश्यकता भविष्य में और अधिक बढ़ जाएगी और हमें इस मांग को पूरा करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
मित्रो, विश्वविद्यालयों की अंतरराष्ट्रीय वरीयता सूची के अनुसार, कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय विश्व के सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं है। हमारे प्रयासों का लक्ष्य भारतीय विश्वविद्यालयों को सर्वोच्च समूह में शामिल करने का होना चाहिए। नवान्वेषण भी विकास का एक महत्त्वपूर्ण उत्प्रेरक है। दुर्भाग्यवश, हम इस मामले में अपने प्रमुख प्रतिस्पर्द्धियों से पिछड़े हुए हैं। भारत में 2011 में पेटेंट के लिए आवेदनों की संख्या करीब 42000 थी जो चीन और अमेरिका दोनों के 5 लाख से अधिक आवेदनों से बहुत ही कम है। हमारे देश में नवाचार की संस्कृति पैदा की जानी चाहिए और इसके लिए हमें सहयोगात्मक अनुसंधान के अवसर पैदा करने होंगे, शिक्षण संस्थानों में उद्योग विकास पार्क स्थापित करने होंगे तथा अधिक अनुसंधान अध्येतावृत्तियां प्रदान करनी होंगी।
मित्रो, प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा में एक ओर जहां शिक्षा की पहुंच बढ़ाने की बहुत संभावना है वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों के शिक्षण अनुभव को गहन बनाने की भी भरपूर संभावना है। अन्य संस्थानों के साथ ई-कक्षाओं के माध्यम से, आपसी सहयोग के द्वारा ज्ञान व सूचना आदान-प्रदान से विद्यार्थी लाभान्वित हो सकते हैं।
मुझे विश्वास है कि भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर देश की प्रबंधन शिक्षा में अग्रणी बनेगा। मुझे, गुणवत्तापूर्ण प्रबंधन शिक्षा प्रदान करने की आपकी प्रतिबद्धता, निष्ठा और योग्यता में पूरा विश्वास है।
आज भारत महानता के मुहाने पर खड़ा है—आगे जहां बहुत सी चुनौतियां हैं वहीं असीम अवसर भी हैं। हम अभूतपूर्व जनसांख्यिकी परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं, जिससे श्रम बल में वृद्धि की संभावना है। इसमें वृद्धि की अधिक संभावना 20-35 वर्ष की अपेक्षाकृत युवावस्था की है जिससे भारत विश्व का एक सबसे युवा राष्ट्र बन जाएगा। 2020 में, चीन और अमरीका के औसत 37 वर्ष, पूर्वी यूरोप के 45 और जापान के 48 वर्ष की तुलना में एक औसत भारतीय मात्र 29 वर्ष का होगा। यह स्पष्ट है कि भारत के युवा, जो भविष्य के नेता हैं, रहन सहन के उच्च स्तर, बेहतर सेवा उपलब्धता तथा अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की आकांक्षा करेंगे।
भारत की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि हमारे यहां सच्चा समावेशी विकास हो, जिससे देश के प्रत्येक नागरिक, विशेषकर समाज के पिछड़े और सामाजिक आर्थिक व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर स्थित लोगों को लाभ हो। चुनौतियां विशाल और विविध हैं, इसलिए भारत को ऐसे जमीनी स्तर के नेताओं की जरूरत है जो लोगों और उनकी समस्याओं को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक विमर्श के केन्द्र में रखें। जब हम एकजुट होकर कार्य करेंगे और प्रत्येक भारतीय राष्ट्र निर्माण के कार्य में योगदान करने के लिए सशक्त महसूस करेंगे, तभी हम गरीबी, कुपोषण, भूख और रोगों से लड़ सकेंगे। मैं भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर के शिक्षकों और विद्यार्थियों से आग्रह करता हूं कि वे निचले पायदान के लोगों की समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करें और उनकी चिंताओं के समाधान के लिए नवान्वेषी समाधान तैयार करें।
गत वर्ष, भारत के 66वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, 14 अगस्त को, मैंने कहा था कि आधुनिक भारत का गिलास आधे से अधिक भरा हुआ है। मैंने कहा था कि हम अपनी माता के लिए एक जैसे बच्चे हैं और भारत हम में से प्रत्येक से, चाहे राष्ट्र निर्माण के जटिल कार्य में हमारी कोई भी भूमिका हो, हमारे संविधान में निहित मूल्यों के अनुसार ईमानदारी, निष्ठा और अडिग वफादारी के साथ अपना कर्तव्य निभाने की उम्मीद करता है। यदि हममें से हर एक इस सिद्धांत का पालन करे तो मुझे विश्वास है कि भारत एक अधिक जीवंत, गतिशील और समृद्ध राष्ट्र बन जाएगा।
प्यारे विद्यार्थियो, सम्पूर्ण विश्व के अग्रणी विश्वविद्यालयों के विकास में पूर्व विद्यार्थियों द्वारा निभाई गई भूमिका को सभी स्वीकार करते हैं। ये पूर्व विद्यार्थी हार्वर्ड सहित, अमेरिका के सर्वोच्च विश्वविद्यालयों के कार्यों में सक्रिय सहभागी हैं। मुझे उम्मीद है कि इस संस्थान से आज उत्तीर्ण होकर निकलने वाले तथा भावी विद्यार्थी अपनी मातृ संस्था से जुड़े रहेंगे तथा सार्थक और महत्त्वपूर्ण तरीके से इसके विकास में योगदान देंगे।
जब आप पेशेवर जगत में कदम रख रहे हैं, आपको यह याद रखना होगा कि सीखने की संभावना कभी समाप्त नहीं होती। शिक्षा एक आजीवन प्रक्रिया है। मुझे उम्मीद है कि यहां प्राप्त शिक्षा से आपको जीविकोपार्जन के प्रत्येक स्तर पर ज्ञान अर्जित करने के लिए प्रेरणा मिलेगी। मैं आपके प्रयासों के लिए आपके तथा भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर के प्रबंधन और संकाय को भावी जीवन में सफलता की कामना करता हूं।
धन्यवाद,
जय हिंद!