भारतीय प्रबंध संस्थान के चतुर्थ दीक्षांत समारोह के अववसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

रायपुर, छत्तीसगढ़ : 07.04.2015

डाउनलोड : भाषण भारतीय प्रबंध संस्थान के चतुर्थ दीक्षांत समारोह के अववसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 281.37 किलोबाइट)

1.मुझे आज भारतीय प्रबंध संस्थान, रायपुर के चतुर्थ वार्षिक दीक्षांत समारोह के लिए आपके बीच उपस्थित होकर गौरव का अनुभव हो रहा है।

मित्रो, देवियो और सज्जनो,

शिक्षा से जीवन समृद्ध होता है, चिंतन परिष्कृत होता है, नए विचारों का प्रसार होता है तथा मानवीय क्षमता में वृद्धि होती है। शिक्षा भविष्य में विकास को बढ़ावा देगी इसलिए यह जरूरी है कि हम कुशल तथा सक्षम मानवशक्ति को ऐसी भारी संख्या में तैयार करें जो हमारे देश की तीव्र आर्थिक प्रगति को संचालित कर सके तथा गरीबी, अभाव तथा पिछड़ेपन से छुटकारा दिलाने में हमें सक्षम बना सके।

अधिकांश देशों और समाजों ने अपनी आर्थिक सफलता सशक्त शिक्षा प्रणाली तथा अनुसंधान की समृद्ध संस्कृति की आधारशिला पर खड़ी की है। 21वीं सदी में सफलता नवान्वेषण तथा ज्ञान के स्पर्धात्मक उपयोग पर अधिक निर्भर करेगी। एक ज्ञानजीवी समाज के निर्माण की जरूरत को ध्यान में रखते हुए, 2010 में रायपुर में भारतीय प्रबंधन संस्थान की स्थापना की गई थी। मुझे खुशी है कि भारतीय प्रबंधन संस्थान रायपुर अध्यापन, अध्ययन तथा मानव संसाधन विकास में उत्कृष्टता के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निरंतर प्रयासरत है। मैं समझता हूं कि नया रायपुर का नवीन अत्याधुनिक परिसर किसी भी विश्व स्तरीय संस्थान के समतुल्य सुविधाएं उपलब्ध कराएगा।

मित्रो, देवियो और सज्जनो,

उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए अधिक से अधिक संस्थाओं की स्थापना महत्वपूर्ण है। वास्तव में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने घोषणा की है कि 22 नए उच्च शिक्षा संस्थान स्थापित किए जाएंगे। इनमें छह नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सात नए भारतीय प्रबंध संस्थान, तीन भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, चाए नए केन्द्रीय विश्वविद्यालय/जनजातीय विश्वविद्यालय तथा एक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और एक भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान है, जो देश के विभिन्न राज्यों में हैं।

तथापि, यह भी उतना ही जरूरी है कि शैक्षणिक अवसंरचना के भौतिक विस्तार के साथ ही, हमारे विद्यार्थियों को दी जा रही शिक्षा भी उच्च गुणवत्तायुक्त होनी चाहिए। सरकार यह सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़कर प्रयास कर रही है कि विद्यार्थियों को वह जरूरी ज्ञान और कौशल प्राप्त हों जो नई जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी हैं। इस संबंध में हाल ही में लिया गया एक निर्णय उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए राष्ट्रीय वरीयता प्रणाली की स्थापना है। मुझे उम्मीद है कि इससे भारतीय प्रबंधन संस्थानों सहित, हमारे उत्कृष्टता संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा होगी।

अतिरिक्त कौशल प्राप्त करने के इच्छुक सभी व्यक्तियों के लिए भारत सरकार की 2015-16 से आनलाइन प्लेटफार्म फॉर एजुकेशन (ओपन) पर स्मार्ट वैब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माईंड्स पाठ्यक्रम (स्वयम) शुरू करने की योजना है। इससे हमारे देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में उच्च शिक्षा की पहुंच के मुद्दों का समाधान करते हुए हमारे विद्यार्थी और शिक्षक बहुत कम खर्च पर गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त करने में सफल होंगे। इससे संकाय सदस्यों की कमी का भी समाधान होगा जो हमारे प्राय: सभी संस्थानों में एक निरंतर समस्या बनी हुई है।

सरकार द्वारा भारतीय बैंक एसोसियेशन के साथ मिलकर प्रत्येक संभावनायुक्त विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देशों में संशोधन किया जा रहा है ताकि किसी को भी उच्च शिक्षा से वंचित न रहना पड़े। इससे कम आय वर्ग के मेधावी विद्यार्थी आप जैसे प्रमुख संस्थानों में उपलब्ध गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से लाभ उठाने में सक्षम होंगे।

प्रबंधन समाधान सभी क्षेत्रों में उपयोग होते हैं। भारतीय प्रबंध संस्थान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ सहयोग करते हुए ऐसे अनुसंधान लक्ष्यों की पहचान कर सकते हैं जो अधिक सामाजिक प्रासंगिकता वाले हों। जहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान उनके लिए तकनीकी समाधान दे सकते हैं वहीं भारतीय प्रबंधन संस्थान अपने प्रबंधकीय कौशल प्रदान कर सकते हैं। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि भारतीय प्रबंधन संस्थान रायपुर ने स्वास्थ्य देखभाल प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यक्रमों के विकास के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के साथ सहयोग से एक नवीन पहल आरंभ की है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि भारतीय प्रबंधन संस्थान रायपुर में प्रस्तावित उत्कृष्टता केंद्र संसाधन प्रबंधन, ऊर्जा प्रबंधन,आपदा प्रबंधन, प्रत्यायन तथा शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल प्रबंधन, नवान्वेषण तथा उद्यमिता प्रबंधन जैसे सामाजिक रूप से प्रासंगिक मुद्दों के समाधान के लिए स्थापित किए जा रहे हैं।

मित्रो, देवियो और सज्जनो,

हमारे शिक्षा संस्थानों को नवीन चुनौतियों का सामना करने के लिए गतिशील और क्रियाशील होना चाहिए। आज के विद्यार्थी शिक्षक द्वारा दी जा रही शिक्षा के निरपेक्ष प्राप्तकर्ता होने के बजाए ऐसे सक्रिय मांग केन्द्र बन रहे हैं जो ज्ञान की जरूरतों का पुन:निर्धारण करने की मांग कर रहे हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों को उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए प्रमुख दक्षताओं को विकसित करना चाहिए। उन्हें और अधिक विद्यार्थियों के लिए क्षमता का विस्तार करना चाहिए तथा इसी के साथ पढ़ाई की गुणवत्ता को बनाए रखना चाहिए। उन्हें विचारों के आदान-प्रदान के लिए ई-क्लासरूम तथा ज्ञान जैसे प्रौद्योगिकी साधनों तथा व्याख्यान तथा ट्यूटोरियल जैसे बौद्धिक संसाधनों को उपयोग में लाना होगा। हमें देश में प्रबंधन अनुसंधान संस्कृति के विकास के लिए सक्रिय रूप से कार्य करना होगा जिसके लिए भारतीय प्रबंध संस्थानों को विश्व के सर्वोत्तम संस्थानों से सहयोग करने की जरूरत है।

आज के विद्यार्थियों को अपने जीवन में ऐसे कार्यों में लगना होगा जो संभवत: आज अस्तित्व में ही नहीं है। उन्हें जरूरी कौशल तथा हस्तांतरणीय दक्षताएं सिखानी होंगी। उन्हें सर्जनात्मक चिंतन तथा समस्या समाधान के गुणों से पूरित करना होगा। उन्हें प्रच्छन की खोज के लिए तथा अज्ञात की खोज से आनंदित होने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। उन्हें वैश्वीकृत दुनिया में एक दूसरे के साथ संपर्क के योग्य बनाने के लिए एक वैश्विक मानसिकता धारण करने के लिए प्रशिक्षित करना होगा।

मित्रो,

अनुसंधान तथा नवान्वेषण किसी भी शैक्षणिक प्रयास की आधारशिला होती है। उनसे मिलने वाले उत्पाद बहुत व्यापक तथा समाज के बड़े हिस्से के लिए अत्यधिक लाभदायक हो सकते हैं। नवान्वेषण के कारण ही औद्योगिक उद्यम उच्च विकास गति दर्शाते हैं तथा अपने प्रतिस्पर्धियों से आगे रहते हैं। वर्ष 2014 के अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार विश्व की सर्वाधिक नवान्वेषी कंपनियों में केवल पांच भारतीय फर्में हैं। हमें और कठोर प्रयास करने होंगे। हमारे शैक्षणिक संस्थानों तथा उद्योग को एक दूसरे के साथ संपर्क बनाकर साझा अनुसंधान, पाठ्यचर्या विकास तथा अध्ययनपीठों की स्थापना, ऊष्मा केंद्रों तथा अनुसंधान पार्कों की स्थापना से परस्पर लाभ उठाना होगा।

भारतीय प्रबंध संस्थानों को समग्र विकास हेतु तथा हमारे समाज, समुदाय तथा समग्र राष्ट्र को प्रभावित करने वाली समस्याओं का समाधान करने के लिए और अधिक जिम्मेदारी उठानी होगी। भारतीय प्रबंध संस्थानों के संकाय सदस्यों को संघ और राज्य सरकारों के सामने मौजूद नीति तथा परियोजना कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियों के लिए परामर्श प्रदान करना चाहिए। भारतीय प्रबंध संस्थानों के स्नातकों को राज्य की जनता के लिए प्रासंगिक परियोजनाओं को हाथ में लेना चाहिए तथा ऐसी कंपनियों और निगमों को शुरू करने की कोशिश करनी चाहिए जो उस क्षेत्र के आर्थिक विकास में योगदान देंगे।

मित्रो, संकाय सदस्यो और विद्यार्थियो,

सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन,बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जन-धन योजना, भारत में निर्माण, व्यवसाय करने में सहूलियत,स्वच्छ गंगा अभियान जैसे बहुत सी महत्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं। भारतीय प्रबंध संस्थान, रायपुर जैसे प्रमुख संस्थानों के विचारों और कल्पनाओं से प्रेरित होकर भारत को नया स्वरूप देने के व्यवस्थित और दृढ़ प्रयास, स्वच्छ तथा समर्थ भारत के गांधी जी के स्वप्न को साकार करने में सहायता दे सकते हैं।

मैं सभी उपाधिप्राप्तकर्ता विद्यार्थियों को उनकी सफलता और उपलब्धि पर बधाई देता हूं। दीक्षांत समारोह औपचारिक शिक्षा के चरण की समाप्ति का प्रतीक होता है। यह एक ऐसी यात्रा की शुरुआत का भी प्रतीक है जहां आप द्वारा प्राप्त ज्ञान और कौशल की कड़ी परीक्षा होगी। आपको सफलता मिलेगी परंतु कभी-कभी असफलता भी मिल सकती है। इन्हीं संकट की परिस्थितियों से निपटने के दौरान आपको अपने आपको सिद्ध करना होगा। आपका अनुशासन, समर्पण तथा दृढ़निश्चय आपकी विषम परिस्थितियों से निकलने में मदद करेगा।

याद रखें कि इस शैक्षणिक दुनिया को छोड़ने का मतलब यह नहीं है कि आप सीखना छोड़ दें क्योंकि जीवन में हर एक जगह तथा रोज आपको सीखते रहना है। जीवन उसी को पुरस्कृत करता है जो जीवनपर्यंत सीखने में लगे रहते हैं। मैं भारतीय प्रबंध संस्थान रायपुर के विद्यार्थी समुदाय से आग्रह करना चाहूंगा कि वे यह बात सदैव याद रखें कि जो शानदार शिक्षा उन्होंने पाई है वह राष्ट्र, राज्य तथा समुदाय का योगदान है। देश संस्थानों और विश्वविद्यालयों में इसलिए निवेश करता है क्योंकि विद्यार्थी हमारा भविष्य हैं। बदले में विद्यार्थियों की न केवल अपने और अपने परिवारों के प्रति बल्कि इस देश और समग्र समुदाय के प्रति भी एक जिम्मेदारी है। मुझे विश्वास है कि जिन विद्यार्थियों को आज उपाधि प्राप्त हुई है वे सार्थक रूप से राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे।

हमारे देश के युवा इस देश के भावी संचालक तथा गौरवशाली सभ्यता के उत्तराधिकारी हैं। जब हम एक विकसित देश बनने की ओर अग्रसर हैं आपमें से हर एक हमारी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यदि निर्धनता उन्मूलन, सभी के लिए स्वास्थ्य, सभी के लिए शिक्षा, सभी के लिए अधिकार तथा सभी के लिए उच्च जीवन स्तर के लक्ष्यों को जल्दी प्राप्त करना है तो हमारे युवाओं को इस चुनौती का जवाब देना होगा। केवल अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ही नहीं वरन् यहां रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए इस देश को बेहतर स्थान बनाने के लिए कठोर प्रयास करें।

मैं आपकी उज्ज्वल आजीविका तथा संतुष्टिपूर्ण जीवन की कामना करता हूं।

 

धन्यवाद!

जयहिन्द।

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