भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मंडी के द्वितीय दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

मंडी : 05.03.2015

डाउनलोड : भाषण भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मंडी के द्वितीय दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 464.19 किलोबाइट)

1. मुझे, ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान स्थापित,आठ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मंडी के द्वितीय दीक्षांत समारोह में आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। कमंड घाटी में स्थित आपके संस्थान में आना अत्यंत सुखद है,जो अपनी नैसर्गिक और प्राकृतिक सौंदर्य आकर्षित करती है। स्थानीय कृषकों की सरल जीवन शैली,उनके पारंपरिक गीत, नृत्य और शिल्प इस स्थान की सहज भव्यता और वैभव को बढ़ा देते हैं।

2. 2009 में स्थापित, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में से पहला संस्थान है जो कमंड स्थित अपने स्थायी कैम्पस में चला गया है। इस स्थान की नीरवता उच्च शिक्षा की पीठ के लिए श्रेष्ठ वातावरण प्रदान करती है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी ने निरंतर अपने शैक्षिक कार्यक्रम का विस्तार किया है। यह कम्प्यूटर,इलैक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरी विषयों में बी.टेक की शिक्षा प्रदान करता है। इसकी इस वर्ष अगस्त से सिविल इंजीनियरी में बी-टेक शुरू करने की योजना है। इस संस्थान में148 अनुसंधानकर्ताओं सहित 650 से अधिक विद्यार्थी हैं। इस स्थान की अपेक्षाकृत सुदूरता तथा भौतिक ढांचागत सुविधाओं के अभाव से विचलित हुए बिना इस संस्थान ने शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के सर्वोत्तम प्रयास किए हैं। मैं इसके रचनात्मक वर्षों के दौरान इस संस्थान को अत्यंत प्रशंसनीय ढंग से विकसित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मंडी के प्रबंधन, संकाय और कर्मचारियों की ऊर्जा,सक्रियता और समर्पण की सराहना करता हूं।

3. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आज एक वैश्विक ब्रांड है। यह वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा में उत्कृष्टता का पर्याय है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के पूर्व विद्यार्थियों ने चाहे विज्ञान हो या इंजीनियरी,अध्यापन हो या अनुसंधान, उद्यमशीलता या कारपोरेट क्षेत्र हो या सार्वजनिक सेवा हो,जो भी पेशा अपनाया हो, स्वयं को और हमारे राष्ट्र को गौरवान्वित किया है। उन्होंने अपनी मेधा,लगन और कार्यकौशल के लिए सम्मान अर्जित किया है। मुझे विश्वास है कि परिश्रम और दृढ़संकल्प से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मंडी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ब्रांड के श्रेष्ठ नाम को बनाए रखेगा और इसके विद्यार्थी जहां भी जाएंगे,नाम कमाएंगे।

मेरे प्यारे विद्यार्थियो,

4. मैं उन सभी को बधाई देता हूं जिन्हें आज उपाधियां प्रदान की गई हैं। आपकी सफलता में,विशेषकर आपके शिक्षकों, परिवार, मित्रगण और हितैषियों ने भरसक प्रयास किए हैं। आपके यहां रहने के दौरान आपने जो शैक्षिक अवसंरचना और भौतिक सुविधाएं प्राप्त की हैं,राष्ट्र ने कुल मिलाकर उन्हें आपकी बेहतरी के लिए निवेश किया है। अपने प्रशिक्षण द्वारा समृद्ध और सक्षम होकर आज अपनी मातृसंस्था से विदा होते समय याद रखें कि अपने समाज की आवश्यकताओं पर ध्यान देना आपका कर्तव्य है। एक वैदिक श्लोक में कहा गया है : विद्या ददाति विनयं विनयद्याति पात्रताम्। पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं तत: सुखम्॥ जिसका अर्थ है,ज्ञान विनम्र बनाता है; विनम्रता से सौभाग्य प्राप्त होता है;सौभाग्य से व्यक्ति धर्म का पालन करता है; धर्म का पालन करने पर व्यक्ति सुखी होता है। मुझे विश्वास है कि जीवन में विजेता बनने के लिए आप सच्चाई,उद्यम और दृढ़ विश्वास के मार्ग पर चलेंगे।

5. हमारे तकनीकी संस्थानों को हमारे उदीयमान इंजीनियरों और वैज्ञानिकों में सामाजिक जागरूकता का समावेश करना होगा। वैज्ञानिक ज्ञान के इन केंद्रों को पेशेवराना क्षमता के साथ ही अपने विद्यार्थियों में सामाजिक अभिमुखीकरण का भी समावेश करना होगा। उन्हें ऐसे प्रतिभावान और प्रेरित युवाओं का समूह तैयार करने में मदद करनी चाहिए जो सामाजिक-आर्थिक समस्याओं के समाधान ढूंढ़ने के लिए अपने ज्ञान और दक्षता का प्रयोग करें। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मंडी ने संयुक्त राज्य अमरीका के वोरसेस्टर पॉलिटेक्निक संस्थान के सहयोग से एक अन्तर विधात्मक सामाजिक-तकनीकी व्यावहारिक पाठ्यक्रम आरंभ किया है। यह उन परियोजनाओं के साथ विद्यार्थियों को जोड़ेगा जिनका लक्ष्य यातायात,स्वच्छता और पेय जल जैसी समस्याओं के समाधान निकालना है।

6. हमारे उच्च शिक्षा संस्थान स्थानीय परिवेश के अभिन्न अंग हैं। उन्हें समग्र विकास के लिए और अधिक उत्तरदायित्व लेना होगा। सरकार ने भारतीय वित्तीय समावेशन,मॉडल गांवों के निर्माण, स्वच्छ भारत तथा डिजिटल अवसंरचना के सृजन के उद्देश्य से महत्त्वपूर्ण पहले शुरू की हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मंडी सहित हर-एक उच्च शिक्षा संस्थान को पांच गांवों को अपनाकर उन्हें सांसद आदर्श ग्राम योजना की तर्ज पर मॉडल गांवों में बदलना चाहिए। मुझे विश्वास है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मंडी इस अभियान में सक्रिय हिस्सा लेगा। मैं इस क्षेत्र में ‘डिजिटल भारत’कार्यक्रम के लक्ष्यों की प्राप्ति में भी उनसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का आपसे आग्रह करता हूं।

मित्रो,

7. इंजीनियरी शिक्षा की बढ़ती मांग के परिणामस्वरूप बहुत से तकनीकी संस्थान स्थापित हुए हैं। परंतु इस प्रसार अभियान में शिक्षा की गुणवत्ता तथा भौतिक अवसंरचना पर कम ध्यान दिया जा रहा है। हमारे देश की तृतीयक स्तर की शिक्षा की गुणवत्ता का दो प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षणों में स्पष्ट खुलासा किया गया है। उन्होंने विश्व के सर्वोच्च दो सौ विश्वविद्यालयों में एक भी भारतीय संस्थान को स्थान नहीं दिया है। हमारे यहां कुछ संस्थान हैं जो अधिक सक्रिय और पद्धतिबद्ध दृष्टिकोण के द्वारा बेहतर वरीयता प्राप्त कर सकते हैं। ऊंची वरीयता विद्यार्थियों के लिए प्रगति और नियुक्ति के नए रास्ते खोल सकती है। इससे अग्रणी प्रौद्योगिकी के लिए नए अवसर पैदा करते हुए विदेश से संकाय और विद्यार्थी अधिक से अधिक संख्या में आने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं। नवनिर्मित संस्थानों को इस श्रेणी में आने में कुछ समय लग सकता है। इसके बावजूद, आपको न केवल रैंक प्राप्त करने के उद्देश्य से नहीं बल्कि सर्वांगीण शैक्षिक विकास करने के लिए इस प्रक्रिया में खूब दिलचस्पी लेनी चाहिए।

8. हमारे उच्च शिक्षा सेक्टर को सशक्त करने के लिए हमारे संस्थानों को अधिक गतिशीलता की जरूरत है। उन्हें ऐसे एक-दो विभागों को चुनना चाहिए जिनमें उन्हें मौलिक विशेषज्ञता हासिल हो और उन्हें उत्कृष्टता के केंद्रों के रूप में विकसित करना चाहिए। संकाय सदस्यों का स्तर उच्च होना चाहिए जिससे विद्यार्थियों को विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान की जा सके। विभिन्न विषयों में तेजी से आ रहे बदलावों के चलते संकाय को नवीनतम प्रगति से खुद को अद्यतन रखना चाहिए।

9. शिक्षा की गुणवत्ता में बदलाव लाने के लिए नव-स्थापित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को पुराने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में मौजूद विशेषज्ञता का लाभ उठाना चाहिए। राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क शैक्षणिक संस्थानों को एक ऐसा नेटवर्क उपलब्ध कराता है जिससे वे नए क्षेत्रों में समान-समूह अध्ययन के माध्यम से सहयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस नेटवर्क से संकाय,अवसंरचना तथा संसाधनों की कमी से भी निपटा जा सकता है।

10. हमारे शिक्षा संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों के साथ संयोजन विकसित करने के भी प्रयास करने चाहिए। इस संदर्भ में,यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने जर्मनी के नौ अग्रणी तकनीकी विश्वविद्यालयों-टीयू9के साथ 2011 में एक समझौता ज्ञान पर हस्ताक्षर किए थे। आपको अपने संकाय और विद्यार्थियों को वैश्विक अनुभव प्रदान करने के लिए इन अन्तरसंयोजनों का पूरा उपयोग करना चाहिए।

मित्रो,

11. ज्ञान और नवान्वेषण प्रगति के आधारस्तंभ हैं। नवीन ज्ञान,अनुसंधान तथा नवान्वेषण के लिए उपयुक्त परिवेश से प्रतिस्पर्धात्मक फायदा भी उठाया जा सकता है। पाठ्यचर्या तथा अनुसंधान में अंतरविधात्मक नजरिया,उपाधि स्तरीय अनुसंधान को सुदृढ़ करने तथा अनुसंधान को पठन-पाठन प्रक्रिया का अभिन्न अंग बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

12. आपको उद्योग के साथ मजबूत संयोजन बनाने होंगे। एक उद्योग-संयोजन प्रकोष्ठ स्थापित किया जाना चाहिए। इस प्रकोष्ठ को उद्योग द्वारा पीठों में नियुक्ति के प्रायोजन,परियोजना मार्गदर्शन और पाठ्यक्रम डिजायन में उद्योग के विशेषज्ञों की नियुक्ति तथा विकास केंद्रों प्रयोगशालाओं और अनुसंधान पार्कों की स्थापना जैसे कार्य करने चाहिए।‘भारत में निर्माण’ कार्यक्रम जैसी पहलों की सफलता अच्छे स्तर के औद्योगिक उत्पादों के विनिर्माण पर निर्भर है। इस दिशा में बेहतर संकाय-उद्योग संपर्क महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

13. पुराने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के पास सुदृढ़ पूर्व विद्यार्थी नेटवर्क है। वे उन बहुत से पूर्व विद्यार्थियों की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हैं जिन्होंने अपने चुने हुए क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। नए संस्थानों को अपने पूर्व-विद्यार्थियों के साथ जुड़ने के हर संभव प्रयास करना चाहिए। उन्हें संचालक मंडलों का हिस्सा बनाया जा सकता है या कारोबार और परियोजना परामर्श तथा पाठ्यक्रम डिजायन से जोड़ा जा सकता है। मुझे विश्वास है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मंडी के पूर्व-विद्यार्थी आने वाले समय में स्वयं को सार्थक तरीके से इस संस्थान के कार्यों से जोड़े रखेंगे।

मित्रो,

14. अपनी बात समाप्त करने से पहले,मैं यह कहना चाहूंगा कि उच्च शिक्षा संस्थानों,खासकर इंजीनियरी संस्थानों को विद्यार्थियों में वैज्ञानिक मनोवृत्ति तथा पूछताछ की भावना को बढ़ावा देना चाहिए। उन्हें विद्यार्थियों को अपनी उत्सुकता का समाधान ढूंढ़ने तथा अपनी रचनात्मकता की खोज करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए। उन्हें विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तक से आगे सोचने और नवीन विचारों के साथ आगे आने के लिए तैयार करना चाहिए। उन्हें उनमें नवीन विचारों को प्रेरित करना चाहिए।

15. मैं सभी विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं। मैं प्रबंधन और संकाय को उनके प्रयासों के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद,

जय हिंद!

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.