भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर के 58वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
खड़गपुर, पश्चिम बंगाल : 15.09.2012
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1. मुझे आज, गौरवशाली भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर की हीरक जयंती वर्ष पर इसके 58वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। मुझे याद है कि मैं वर्ष 2011 में यहां तब आया था जब यह समारोह आरम्भ हुए थे।
2. अपनी स्थापना के समय से ही, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर पथ प्रदर्शक की भावना से ओतप्रोत रहा है। संभवत: इसका कारण यह है कि यह भारत के कुछ महान स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा पावन किए गए भवन में स्थित है। इस संस्थान का मूल भवन उसी स्थान पर है जहां स्वतंत्रता आंदोलन के दो महान स्वतंत्रता सेनानियों, संतोष कुमार मित्र और तारकेश्वर सेनगुप्त ने सजा काटी थी। (यह स्मरणीय है कि 16 सितम्बर, 1931 के दिन जब उन्हें पुलिस ने गोली मारी थी, उनके शव लेने स्वयं नेताजी सुभाषचन्द्र बोस हिजली, जिसे तब इस नाम से जाना जाता था, नज़रबंदी शिविर आए थे। इस घटना ने गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर सहित राष्ट्रीय नेताओं को आंदोलित कर दिया था।)
3. यह अभिलेखबद्ध है कि वर्ष 1946 में वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य सर जोगेन्द्र सिंह ने भारत में युद्धों के बाद औद्योगिक विकास के लिए उच्च तकनीकी संस्थान स्थापित करने पर विचार करने के लिए एक समिति गठित की। तथापि, काफी समय बाद स्वतंत्र भारत में अगस्त 1951 मे,ं कुल दस विभागों में मात्र 24 विद्यार्थियों और 42 अध्यापकों के प्रथम बैच ने यहां शिक्षण आरम्भ किया। मार्च 1952 में, पंडित नेहरू ने नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर का शिलान्यास किया और तत्पश्चात 15 सितंबर 1956 को भारत की संसद ने इस संस्थान को राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान घोषित करते हुए, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (खड़गपुर) अधिनियम के नाम से एक अधिनियम पारित किया।
4. तभी से, यह संस्थान प्रतिष्ठा और उपलब्धि की दिशा में अग्रसर होता गया और भारत में आधुनिक प्रौद्योगिकीय शिक्षा का आरंभकर्ता तथा इसके बाद मॉडल बन गया। यहां से आरम्भ हुई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रणाली, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्रगति व सफलता का प्रतीक बन गई।
5. विशिष्ट देवियो और सज्जनो, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रणाली की प्रतिष्ठा और उपलब्धियां काफी हद तक, इसके संस्थापकों की महान दूरदृष्टि के अनुरूप निर्मित श्रेष्ठ कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों के कारण है। मुझे इसके लिए महाभारत में श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए बीज मंत्र के द्वारा आधुनिक पीढ़ी को प्रेरित करने वाले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के आदर्श वाक्य ‘योग: कर्मषु कौशलम’ अथवा ‘‘निपुणता के द्वारा उत्कृष्टता’’ से बेहतर कोई शब्द याद नहीं आ रहा है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर का मिशन है, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और विधि में सर्वोत्तम विशेषज्ञता अर्जित करना, परियोजनाओं की संकल्पना, संश्लेषण और उनके कार्यान्वयन में विद्यार्थियों को समग्र प्रशिक्षण प्रदान करना तथा उनमें उद्यमिता व नवान्वेषण की भावना पैदा करना, और इस सबसे निश्चय ही उत्कृष्टता प्राप्त होगी। इस संस्थान के प्रबंधन और संकाय का मार्गदर्शन करने वाली यह संकल्पना ही इसकी सफलता का मूलमंत्र है : ‘‘विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में विश्व नेतृत्व तैयार करने के लिए शिक्षा और अनुसंधान का उत्कृष्ट केन्द्र बनना’’, ‘‘एक ऐसा स्थान बनना जहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्त्व के अग्रणी क्षेत्रों में ज्ञान का सृजन होता है।’’ यदि इन मार्गदर्शी सिद्धांतों का ईमानदारी से पालन किया जाए तो वे उन्नत वैज्ञानिक प्रवृत्ति से परिपूर्ण उच्च अर्हता प्राप्त व अनुप्रेरित पीढ़ी का एक राष्ट्रीय कोष निर्मित करने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
6. आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के पूर्व विद्यार्थी भारतीय प्रौद्योगिकी के अपने अनुभव को संजोते हुए और देश का नाम रोशन करते हुए मानव कार्यकलाप के प्रत्येक क्षेत्र—में कामयाब हैं और भारत के सबसे सफल कार्पोरेट और सरकारी मंत्रालयों तथा देश-विदेश के अनुसंधान व नवान्वेषण प्रयोगशालाओं के मुखिया हैं। देश को, राष्ट्रीय निर्माण के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी जनशक्ति तैयार करने और हमारे राष्ट्र के आर्थिक विकास में योगदान के लिए आप पर गर्व है।
7. राष्ट्र के प्रति आपकी सेवा को सम्मान देते हुए हमारी सरकार ने 2011-12 के केन्द्रीय बजट में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर के विकास के लिए 200 करोड़ के एक मुश्त अनुदान की घोषणा की। भारत सरकार ने इस भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में ‘विशेष उद्देश्य उपादान’ मॉडल पर निर्मित किए जाने वाले 400 बिस्तर के अस्पताल को भी स्वीकृति प्रदान की जो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर के लिए एक अन्य विशिष्ट उपलब्धि है।
8. नेहरू जी ने, संभवत: इस दिन की पहले ही कल्पना कर ली थी जब उन्होंने वर्ष 1956 में इस संस्थान के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘आप प्रौद्योगिक रूप से विकसित देशों में देखेंगे कि किस प्रकार इंजीनियर और वैज्ञानिक इंजीनियरी व विज्ञान के क्षेत्र से बाहर भी और अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह सही है और भारत में घटित होने वाला है।’’
9. बदलती सामाजिक और प्रौद्योगिक आवश्यकताओं के दौर में, यह स्वागत योग्य प्रयास है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर आगे प्रगति तथा पहल करने तथा प्रगति तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ गति बनाए रखने के लिए नए डिग्री पाठ्यक्रम और कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहा है।
10. मुझे यह देखकर प्रसन्नता हुई है कि वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान के सृजन के अतिरिक्त यह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ऊर्जा इंजीनियरी, नैनो विज्ञान व प्रौद्योगिकी में नए स्नातकोत्तर कार्यक्रम आरम्भ करने, सेलुलर व मोलेक्यूलर जैविकी पर बल देते हुए एक जैवविज्ञान स्कूल और पर्यावरणीय विज्ञान स्कूल स्थापित करने की इस शताब्दी की चुनौतियों को पूरा करने के प्रयास कर रहा है।
11. यह जानकर संतुष्टि हुई है कि यह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान शीघ्र ही एक चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम आरम्भ करेगा और प्रस्तावित डॉ. विधानचन्द्र राय आयुर्विज्ञान और अनुसंधान संस्थान में जैव चिकित्सा व स्वास्थ्य देखभाल में एक अनुसंधान पहल प्रारंभ करेगा।
12. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर हमारी अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों, विशेषकर भारत के पूर्वी राज्यों की प्राथमिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कृषि इंजीनियरी, ग्रामीण विकास और खनन इंजीनियरी में अध्ययन के लिए विशिष्ट विभागों, स्कूलों और केंद्रों की स्थापना में आगे रहा है। आयुर्विज्ञान और प्रौद्योगिकी विद्यालय तथा राजीव गांधी बौद्धिक संपदा विधि विद्यालय वास्तव में अच्छी पहल हैं।
13. इसी प्रकार, हाल ही की इन रिपोर्टों पर अपने विस्मय को आपके साथ बांटना जरूरी समझता हूं कि एक भी भारतीय विश्वविद्यालय या उत्कृष्ट भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान सहित किसी भी उच्च शिक्षण संस्थाओं का विश्व के सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों में स्थान नहीं हैं। अब आप सर्वेक्षण पर सवाल उठा सकते हैं, परंतु मेरे विचार से अधिक महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्यों? क्या कारण है कि हम, जो एक ‘उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति है’ सर्वोच्च दस या पचास या सौ में भी अपना स्थान बना पाने के योग्य नहीं हैं?
14. मुझे, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर के दृष्टिपत्र 2020 को देखकर खुशी है और मैं इसका स्वागत करता हूं, जिसका संकल्प है कि यह 20 वर्षों में अपने वर्ग में सर्वोच्च 20 संस्थानों में से एक बनने का प्रयास करेगा। मैं आपकी सफलता की कामना करता हूं।
15. मैं बल देकर यह कहना चाहूंगा कि एक राष्ट्र के रूप में हमारी वास्तविक क्षमता को साकार करने के लिए अभी से अपने विद्यार्थियों में एक वैज्ञानिक रुचि पैदा करना बहुत आवश्यक है। हमारे विद्यार्थियों के लिए, अविलम्ब उपयुक्त शिक्षण अभ्यास तैयार करना जरूरी है। स्पर्द्धात्मक लागत पर उन्नत प्रौद्योगिकी का विकास हमारे उद्योग, व्यापार और वाणिज्यिक क्षेत्रों के लिए वरदान सिद्ध होगा। भारतीय परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप नई प्रौद्योगिकी के अनुकूल और अनुप्रयोग से बाजार के नए अवसर पैदा होंगे। इन्हें हमारे विद्यार्थियों के पाठ्यक्रमों का अभिन्न हिस्सा बना देना चाहिए और उन्हें उत्तर और समाधान खोजने के लिए निरंतर प्रेरित किया जाना चाहिए। भारत और विदेश की सर्वोत्तम प्रतिभाओं के साथ और अधिक सहयोग व आदान-प्रदान तथा विचार-विनिमय होना चाहिए।
16. हमारे शिक्षकों और विद्यार्थियों को अत्याधुनिक तरीके और शिक्षण सहायक सामग्री उपलब्ध न करवाने का कोई कारण नहीं है। हमारी युवा पीढ़ियों को सभी माध्यमों द्वारा और अधिक सीखने, खोजने और समाज में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इस प्रयास में आपकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
17. मैं बल देकर कहना चाहूंगा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पर अग्रणी संस्थान के रूप में अनुसंधान, प्रयोगशीलता और नवान्वेषण के जरिए अपने संस्थानों को निरंतर सशक्त बनाने का दायित्व है। मानदंड स्थापित करने के दीर्घकालिक लक्ष्य और सर्वोच्च श्रेणी की सुविधाएं निर्मित करके तथा शिक्षकों का प्रशिक्षण और पेशेवर विकास प्राथमिकता होनी चाहिए।
18. आज उपाधि प्राप्त करने वाले सफल विद्यार्थियों को बधाई देते हुए, मैं याद दिलाना चाहूंगा कि चुनौतीपूर्ण पाठ्यक्रम पूरा करने की अपनी संतुष्टि से आपके मन में कुछ करने की प्रबल आकांक्षा जागनी चाहिए। मुझे उम्मीद है कि आप अपनी रचनात्मक ऊर्जा को, सभी सेक्टरों के समावेशी विकास और सतत प्रगति के राष्ट्रीय लक्ष्य की दिशा में असाधारण व उल्लेखनीय ढंग से मोड़ने का वचन देंगे।
19. संकल्पना और विचार निर्धारित समय नौकरियां सृजित करना आपका सदैव पहला कार्य होना चाहिए। आपके प्रयास और पहल हमारे समाज की वर्तमान, बदलती हुई आवश्यकताओं के अनुकूल किफायती और नए तरीकों व प्रौद्योगिकी प्रदान करने के सरकारी प्रयासों व पहल में पूरा योगदान दे सकते हैं।
20. यहां संकल्पित परियोजनाएं व योजनाएं हमारी ग्रामीण आबादी और मध्यम वर्ग को निरंतर उत्पादनकारी, आत्मनिर्भर बनाने के नए अवसर व साधन प्रदान कर सकते हैं तथा ऐसे अवसर उपलब्ध करवा सकते हैं जिन्हें वे आत्मविश्वास के साथ हासिल कर सकते हैं।
21. मेरा निश्चित रूप से मानना है कि आपकी भावी सफलता यहां प्राप्त उल्लेखनीय शिक्षा व प्रशिक्षण से ही नहीं बल्कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रणाली के संस्थापकों द्वारा परिकल्पित सिद्धांतों का पालन और कार्य से सम्बन्धित मूल्यों द्वारा आंकी जाएगी।
22. आप पर एक बहुत बड़ा दायित्व है। मैं आप सभी से आग्रह करना चाहूंगा कि आप नवान्वेषण दशक को अविस्मरणीय रूप से सफल बनाने के लिए स्वयं को समर्पित कर दें।
23. पंडित नेहरू का 1956 के दीक्षांत समारोह में व्यक्त यह विचार मेरे मन में आ रहा है कि, ‘‘महान उद्देश्य के लिए कार्य करना और धीरे-धीरे इस उद्देश्य को साकार होते देखने से अधिक जीवन में अन्य कोई खुशी नहीं होती...’’
इन्हीं प्रेरणादायक विचारों के साथ, मैं एक बार पुन: आपको उज्ज्वल भविष्य की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद। जय हिंद!