भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के द्वितीय दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

भुवनेश्वर, ओडिशा : 07.09.2013

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Speech by the President of India, Shri Pranab Mukherjee on the Occasion of the Second Convocation of Indian Institute of Technology

1. मैं, समृद्ध विरासत और संस्कृति के इस सुंदर मंदिरों के शहर भुवनेश्वर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,भुवनेश्वर के द्वितीय दीक्षांत समारोह को संबोधित करने के लिए आपके बीच उपस्थित होना एक बड़ा सौभाग्य समझता हूं।

2. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,विगत पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान स्थापित आठ नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक है। इसने नए अकादमिक संस्थान के साथ जुड़ी प्रारंभिक बाधाओं को उत्साहपूर्वक पार कर लिया है। इसने भौतिक अवसंरचना के अभाव की परवाह किए बिना अपने अकादमिक कार्यक्रम का विस्तार किया है। पांच वर्ष पूर्व अपनी स्थापना के समय तीन पूर्वस्नातक कार्यक्रमों में94 विद्यार्थियों की तुलना में आज14 कार्यक्रमों में 750से अधिक विद्यार्थी जुड़ गए हैं। इसका अकादमिक सिद्धांत ‘‘परंपरागत विधाओं के निर्माण के बजाए अकादमिक चिंतन का एकीकरण’’सराहनीय है। इसका मानना है कि वर्तमान जटिल प्रणालियों की अधोपांत अभिकल्पना का समाधान एक ही विधा द्वारा प्रदत्त कौशल से ही नहीं किया जा सकता। यह विद्यार्थियों की एक अधिक व्यापक ज्ञान दृष्टिकोण से सीखने और अंतर विधात्मक क्षमताएं हासिल करने की आवश्यकता पर बल देता है।

3. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,भुवनेश्वर ने वैश्विक रूप में प्रतिस्पर्धी तथा देश की स्थानीय रूप से प्रासंगिक इंजीनियरी संस्थाओं की आवश्यकता को सकारात्मक रूप से पूरा किया है। स्थानीय प्राथमिकता के मुद्दों के लिए अकादमिक और अनुसंधान ढांचा तैयार करने के लिए,इसने 2011 में पृथ्वी,महासागर और जलवायु विज्ञान और खनिज धातुकर्म तथा सामग्री इंजीनियरी नामक दो स्कूल खोले।

मित्रो:

4. हमारी संकल्पना भारत को अग्रणी राष्ट्रों के समूह में शामिल करना है। यह तभी संभव है जब हमारे पास अत्यंत योग्य इंजीनियर,वैज्ञानिक, डॉक्टर,शिक्षाविद और अन्य बुद्धिजीवी होंगे। ऐसे प्रतिभावान और प्रशिक्षित लोगों को तैयार करने का आधार एक सुदृढ़ शैक्षिक बुनियाद है। भारत में उच्च शिक्षा अवसंरचना के विस्तार करने के हमारे प्रयास ने सकारात्मक परिणाम दर्शाएं हैं। तथापि,गुणवत्ता की कमी के कारण बहुत थोड़े शिक्षा संस्थान विश्व ख्याति का दावा कर सकते हैं। एक अंतरराष्ट्रीय आकलन के अनुसार,भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान सहित एक भी भारतीय विश्वविद्यालय विश्व के सर्वोच्च दो सौ विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं हैं। पश्चिम के अग्रणी विश्वविद्यालयों और चीन,हांगकांग, ताइवान,ब्राजील, मैक्सिको,दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया और सउदी अरब के विश्वविद्यालयों का भी किसी भारतीय संस्थान से ऊंचा स्थान है। प्राचीन समय में ईसा पूर्व छठी शताब्दी से लेकर लगातार अठारह सौ वर्षों तक हमारे यहां तक्षशिला,नालंदा, विक्रमशिला,वल्लभी, सोमपुरा और ओदंतपुरी जैसे विश्वविद्यालयों में हमारी एक अजेय उच्च शिक्षण प्रणाली मौजूद थी। वे सुदूर स्थानों के ज्ञान पिपासुओं के लिए आकर्षण के केन्द्र थे। परंतु आज हम बहुत से राष्ट्रों से भी पिछड़े हुए हैं।

5. एक विश्व स्तरीय उच्च शिक्षा प्रणाली की पहचान एक बेहतरीन कार्यव्यवस्था होती है। हमारी शैक्षिक प्रणाली में सुधार के लिए नवान्वेषी परिवर्तनों की आवश्यकता है। हमारी परीक्षा प्रणाली में मूल्यांकन के आधुनिक तरीके शामिल किए जाने चाहिएं। उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षकों की भर्ती होनी चाहिए। विश्वविद्यालयों के बीच प्रतिस्पर्द्धा की भावना पैदा करनी होगी। अधिक लचीली,पारदर्शी और विद्यार्थी अनुकूल प्रणाली बनाने के लिए शैक्षिक विनियम को सुचारु बनाया जाना चाहिए।

मित्रो:

6. नवान्वेषण विकास चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज प्रगति प्रौद्योगिकी चालित है। भारत में अनुसंधान और नवान्वेषण लोगों की सहज रचनात्मकता का समुचित चित्रण नहीं करते हैं। हमारी आबादी की रचनात्मक ऊर्जा को प्रेरित करके नवान्वेषण सीमाओं के विस्तार के लिए इस वर्ष एक विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण नीति अपनाई गई थी। इस नीति को सफल बनाने और हमारी अन्वेषणशीलता के आधार हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों में मौजूद है।

7. यह हमारे सभी विश्वविद्यालयों और इंजीनियरी संस्थाओं का नैतिक कर्तव्य है कि वे अपने शैक्षिक प्रयासों में अनुसंधान को अग्रणी स्थान दें। मुझे खुशी है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,भुवनेश्वर ने बिलकुल ऐसा ही किया है। आज विभिन्न क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान के पीएचडी कार्यक्रमों में129 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया हुआ है। इस संस्थान ने प्रतिष्ठित अनुसंधान और विकास संस्थानों से सहयोग किया है। इसने तेरह औद्योगिक परामर्शी परियोजनाएं हासिल की हैं। इसने अपने विद्यार्थियों,विद्वानों और संकाय सदस्यों में नवान्वेषण और रचनात्मकता प्रोत्साहित करने के उपाय शुरू किए हैं। इस वर्ष इसने एक पाठ्क्रम भी आरंभ किया है जो सभी पूर्व स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में अनुसंधान को प्रोत्साहन और सहयोग देता है। रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए, इसने बी.टेक कार्यक्रमों के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा कार्यान्वित सर्वाधिक नवान्वेषी परियोजना के लिए एक पुरस्कार आरंभ किया है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमारे देश के प्रौद्योगिक विकास में खुलकर योगदान कर सकेगा।

8. इतिहास इस तथ्य का साक्षी है कि व्यक्तियों और राष्ट्रों के बौद्धिक सहयोग से मानव सद्भाव और ज्ञान में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। गणित और औषधि-विज्ञान के आरंभिक विकास पर भारतीय,यूनानी, रोमन और पश्चिम एशियाई जैसी अनेक सभ्यताओं की छाप है। मध्यकालीन युग में,वैज्ञानिक प्रगति का श्रेय कॉपरनिकस,गैलीलियो, केप्लर और न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों को जाता है। विचारों और नवीनत्म विकास के आदान-प्रदान के माध्यम से सहयोगकर्ताओं को लाभान्वित करने वाले सुदृढ़ शैक्षिक नेटवर्क के बारे में ऐसी व्यवहारिकता की आज बहुत प्रासंगिकता है। शैक्षिक संस्थानों को देश-विदेश दोनों में ज्ञान की साझीदारी करनी चाहिए। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,भुवनेश्वर ने वैश्विक शैक्षिक सहयोग प्राप्त करने की पहल की है। इसने अमरीका,यूके और कनाडा के प्रख्यात विश्वविद्यालयों के साथ संकाय आदान-प्रदान कार्यक्रम शुरू किए हैं। मुझे विश्वास है कि यह कार्यक्रम इस नवीन संस्थान में इंजीनियरी शिक्षा का वैश्विक मानदण्ड स्थापित करेगा।

मित्रो:

9. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को पूरे विश्व में शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है। इनसे निकले विद्यार्थियों ने,चाहे उन्होंने विज्ञान अथवा इंजीनियरी,शिक्षण अथवा अनुसंधान, उद्यमिता अथवा कॉरपोरेट जगत अथवा जन सेवा,कोई भी पेशा अपनाया है, उन्हें और उससे कहीं अधिक भारत को गौरवान्वित किया है। उन्होंने अपनी प्रबुद्धता और कार्यकौशल से विश्वभर में सम्मान प्राप्त किया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थी के रूप में आपको इस उम्मीद पर खरा उतरना है। मुझे विश्वास है कि आपमें से हर-एक अपने चुने हुए क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करेगा और आरामदायक जीवन बसर करेगा। सफलता की बलिवेदी पर अपने उन देशवासियों के प्रति संवेदना न त्यागें जो अभी भूख,निर्धनता, अभाव,बीमारी तथा पिछड़ेपन से पीड़ित हैं। मुझे बताया गया है कि फरवरी2009 में आपके संस्थान की आधारशीला समारोह के दौरान अधिकतर आम लोगों का समूह एकत्रित था। उन्होंने एक सपने को साकार होते हुए,इस राज्य के लोगों के चिर अभिलाषा को पूरा करते हुए देखा। अधिकांश लोगों का इस संस्थान से सीधा संबंध नहीं था,उनके मन में अधिक प्रगति और बेहतरी की एक अमूर्त उम्मीद थी। यही समय है जब आपको अपने देशवासियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को साकार करने में मदद करनी चाहिए।

10. आपने अपनी डिग्री के लिए बहुत मेहनत की है। आपने सभी विषय शैक्षिक चुनौतियों पर विजय प्राप्त की है। आपने सर्वोत्तम स्पर्द्धा की है। आज अपने संस्थान से विदा लेते समय आपको याद रखना चाहिए कि जीवन में सहयोग भी प्रतिस्पर्द्धा जितनी ही महत्वपूर्ण है। अपने पेशेवर जीवन में सौंपे गए कार्यों को करने के लिए बहुत से मस्तिष्कों को एक साथ काम करना होगा। उन्हें टीम के सदस्य के रूप में काम करना सीखना चाहिए। विभिन्न तरह की विचारधाराओं के प्रति सहनशीलता पैदा करनी चाहिए। आपको विनम्र बनना चाहिए। अपने सहयोगियों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए। सच्चाई,ज्ञान और परिश्रम को अपने जीवन का साथी बनाएं। ज्ञान असीम है,अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अपना मस्तिष्क सदैव खुला रखें,जैसा कि बेंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा है ‘ज्ञान में निवेश का सर्वोत्तम लाभ मिलता है।’मैं आपको उज्ज्वल जीवन की शुभकामनाएं देता हूं। मैं,भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर के प्रबंधन और संकाय के प्रयासों के सफल होने की कामना करता हूं।

धन्यवाद। 
जय हिन्द।

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