भारतीय इंजीनियरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, शिवपुर के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
शिवपुर, पश्चिम बंगाल : 24.08.2014
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मुझे बंगाल इंजीनियरी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय को प्रथम भारतीय इंजीनियरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में परिवर्तित किए जाने के अवसर पर आज यहां उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। भारतीय इंजीनियरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान,शिवपुर अब एक राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान होगा, जो कि उसके द्वारा श्रम से प्राप्त किया हुआ सम्मान है। यह संस्थान स्नातक शिक्षा,स्नातकोत्तर शिक्षा तथा इंजीनियरी एवं विज्ञान में अनुसंधान को एक ही छत के नीचे एकीकृत करेगा तथा यह आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा। भारत को इस संस्थान से हमारे कार्यनीतिक सेक्टरों,अनुसंधान प्रयोगशालाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण मानवशक्ति के साथ ही उच्च तकनीकी शिक्षा के लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षा तैयार करने की भी अपेक्षा है।
2. इस प्रख्यात संस्थान के पास एक सौ अठावन वर्षों के समृद्ध एवं स्वर्णिम इतिहास की विरासत है। अपेक्षाकृत मामूली स्तर से शुरू होकर राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान के रूप में इसका उद्विकास पिछले एक सौ अठावन वर्षों के दौरान इसके बहुत से शिक्षकों,विद्यार्थियों तथा कर्मचारियों के ईमानदार, समर्पित तथा निस्वार्थ परिश्रम का परिणाम है।
3. इस संस्थान की यह विशेषता है कि यह अपने विद्यार्थियों के समग्र विकास पर ध्यान देता है,केवल किताबी शिक्षा पर नहीं। पिछली बार 2011 में ‘सर्जनात्मक अभिव्यक्ति के लिए विद्यार्थी केंद्र’के उद्घाटन के लिए अपनी यात्रा के दौरान मुझे विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई के साथ-साथ बहुत सी सृजनात्मक गतिविधियों में भाग लेते देखकर खुशी हुई थी। यह देखकर प्रसन्नता होती है कि इस संस्थान के विद्यार्थी शिक्षा,खेलकूद तथा सांस्कृतिक क्रियाकलापों के सभी क्षेत्रों में बहुत प्रशासनीय प्रगति कर रहे हैं।
4. इस संस्थान ने मानव व्यवहार के विभिनन क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है। खासकर वे नवीकरणीय ऊर्जा,जल प्रौद्योगिकी,चिकित्सा एवं पर्यावरण विज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक चुनौतियों के समाधान में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। इसके कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्र आपदा प्रबंधन;स्वच्छ कोयला तकनीक; विद्युत इलैक्ट्रोनिकी;दूर संवेदिता तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली; अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी;जैव रसायन सेंसर; अवसंरचना इंजीनियरी;वीएलआईएस तथा एंबेडेड प्रणालियां हैं।
देवियो और सज्जनो,
5. एक मजबूत शिक्षा प्रणाली,किसी भी जागरूक समाज की आधारशिला होती है। हमारे उच्च शिक्षा अध्ययन संस्थान हमारे भावी प्रशासकों तथा नीति निर्माताओं को तैयार करने वाली शालाएं हैं। उन्हें विद्यार्थियों में ईमानदारी,दया, बहुलवाद, महिलाओं का सम्मान,सहिष्णुता तथा उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य जैसे बुनियादी सभ्यतागत मूल्यों का समावेश करना चाहिए।
6. यद्यपि हम 720 से अधिक उपाधि प्रदाता संस्थानों तथा37000 कॉलेजों के बड़े उच्च शिक्षा नेटवर्क के होने का दावा करते हैं परंतु इनमें से कई में गुणवत्ता का स्तर चिंता का कारण है। यह खेदजनक है कि भारत जैसे देश में,जो प्राचीन समय में नालंदा एवं तक्षशिला विश्वविद्यालयों के होने पर गर्व करता था,कोई भी शिक्षा संस्थान विश्व के सर्वोच्च 200विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं है।
7. इसकी प्राप्ति के लिए हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों में उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा तथा बुनियादी कौशलों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। विभिन्न संस्थानों के बीच अकादमिक सहयोग को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। अनुसंधान एवं नवान्वेषण साथ-साथ होने चाहिए तथा उन्हें हमारे देश की विविध विकासात्मक समस्याओं के समाधान पर केंद्रित किया जाना चाहिए। यह भी जरूरी है कि उद्योग एवं शिक्षा संस्थान औद्योगिक प्रगति तथा अकादमिक कायापलट के लिए मिल-जुलकर कार्य करते हुए उपयुक्त तालमेल एवं परिवेश तैयार करें। राज्य स्तर के संस्थानों के, जो उच्च शिक्षा क्षमता के 96 प्रतिशत हैं, गुणवत्ता उन्नयन को उच्च प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
8. निदेशक की रिपोर्ट से मुझे लगता है कि परिसर में शैक्षणिक अनुसंधान के अलावा इस विश्वविद्यालय का एक मजबूत औद्योगिक अनुसंधान आधार भी है तथा हाल ही के वर्षों में इसने प्रख्यात विदेशी तकनीकी विश्वविद्यालयों तथा भारत के विभिन्न उद्योगों के साथ सहयोग को तेजी से बढ़ावा दिया है। मुझे उम्मीद है कि यह रुझान जारी रहेगा और इस तरह के सहयोग के तहत संकाय विकास तथा विद्यार्थी आदान-प्रदान कार्यक्रमों की सीमा और विषयवस्तु में काफी वृद्धि होगी।
9. इन्हीं शब्दों के साथ मैं एक बार फिर से बंगाल इंजीनियरी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय को प्रथम भारतीय इंजीनियरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में बदले जाने के इस यादगार मौके पर सभी संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। मैं इस संस्थान को इसके भावी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मैं इस अवसर पर आज उन सभी प्रख्यात व्यक्तियों को भी बधाई देता हूं जिनका आज अभिनंदन किया जा रहा है।
जय हिंद!