भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को वर्ष 2014 का गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन : 09.09.2015
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मुझे आप के बीच उपस्थित होकर खुशी हो रही है। यह उचित है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा अंतरिक्ष आधारित सेवाओं के द्वारा भारत के रूपांतरण में इसकी सेवाओं को सम्मानित करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को वर्ष2014 का गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है।
2. भारत सरकार ने महात्मा गांधी की 125वीं जन्म जयंती के अवसर पर उनके आदर्शों को सम्मानित करने के लिए1995 में गांधी शांति पुरस्कार की स्थापना की थी। गांधी शांति पुरस्कार व्यक्तियों और संस्थाओं को अहिंसा तथा अन्य गांधीवादी पद्धतियों से सामाजिक,आर्थिक तथा राजनीतिक रूपांतरण में उनके योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। इसरो आज रामकृष्ण मिशन,ग्रामीण बैंक ऑफ बांग्लादेश तथा भारतीय विद्या भवन जैसी प्रमुख संस्थाओं की श्रेणी में शामिल हो गया है जिन्हें पिछले दिनों यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया गया है।
3. 1969 में अपनी स्थापना से इसरो ने काफी प्रगति की है। अंतरिक्ष अनुसंधान की प्रासंगिकता पर उस समय बहुत से व्यक्तियों ने सवाल उठाए थे। स्वर्गीय ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के शब्दों में, ‘‘संकीर्ण नजरिए वाले बहुत से व्यक्तियों ने ऐसे नव-स्वतंत्र देश में अंतरिक्ष क्रियाकलापों की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए थे जो अभी अपनी जनता को भोजन देने में भी मुश्किलों का सामना कर रहा था। उनका नजरिया स्पष्ट था कि यदि भारतीयों को राष्ट्रों के समुदाय में सार्थक भूमिका का निर्वाह करना है तो उन्हें अपनी दैनिक समस्याओं में उन्नत प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग में आगे रहना होगा।’’
4. अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के प्रवेश का अगुआई दूरद्रष्टा वैज्ञानिक,डॉ. विक्रम साराभाई ने की थी, जिन्होंने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की विशाल क्षमता तथा हमारे देश के विकास की जरूरतों को पूरा करने में इसके अनुप्रयोग का अनुमान लगाया था। शुरुआत में कम संसाधनों,सीमित तकनीकी कार्मिकों तथा भौतिक अवसंरचना की कमी का सामना करते हुए इसरो ने आज संक्रियात्मक अंतरिक्ष प्रणालियां और सेवाएं स्थापित कर ली हैं,स्वदेशी प्रौद्योगिकी को विकसित करने में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है तथा अंतरिक्ष की खोज में अनुकरणीय कारनामा कर दिखाया है। इसी के साथ यह अंतरिक्ष को आम आदमी की सेवा में लगाने के अपने मिशन के प्रति भी निष्ठावान बना रहा है।
5. थुंबा से पर्यावरणीय अध्ययन के लिए छोटे रॉकेटों के प्रक्षेपण की अपनी विनम्र शुरुआत करके इसरो आज विश्व की सबसे बड़ी छह अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है। इसने स्वदेशी ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान तैयार किया है जो अपनी श्रेणी के प्रक्षेपण यानों में दुनिया भर में सबसे अधिक मांग वाले यानों में से है। इसने अभी तक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान की29 सफल उड़ानें पूरी की हैं और उसके तहत न केवल भारतीय उपग्रह वरन19 अन्य देशों के 45उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है। हाल ही में यू.के. के पांच उपग्रहों के प्रक्षेपण से इसने पीएसएलवी की उपलब्धि तथा विश्वसनीयता को दर्शाने में एक नई मंजिल हासिल की है। इसरो ने स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ एक जियोसिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान भी सफलतापूर्वक निर्मित किया है।
6. 24 सितंबर, 2014को नया अंतरिक्ष इतिहास रचते हुए भारत ने सफलतापूर्वक मंगल परिक्रमा यान को मंगल की कक्षा में स्थापित किया। यह दुनिया भर में अकेला ऐसा देश है जिसने पहले ही प्रयास में यह कारनामा कर दिखाया तथा जो मंगल पर पहुंचने वाली दुनिया की चौथी अंतरिक्ष एजेंसी है। यह हमारे लिए और भी गर्व की बात है कि यह मिशन दूसरे सफल देशों की लागत के केवल थोड़े से हिस्से से पूरा किया गया।2008 में चंद्रायन-I ने अपने प्रथम चंद्र मिशन के दौरान चांद की सतह पर भारतीय तिरंगा फहराया था। इस मिशन के बाद चांद की सतह पर जल की भी खोज हुई।
7. इसी प्रकार,इसरो ने अंतरिक्ष आधारित संवर्धन प्रणाली ‘गगन’को भी सटीक सूचना सेवाओं, जीवन रक्षा सहयोग तथा बेहतर यातायात प्रबंधन के लिए भारत की आसमानी सीमा में वैमानिकी सेक्टर के प्रयोग के लिए स्थापित किया है। अमरीका,जापान तथा यूरोपीय संघ के बाद भारत ऐसी सेवा देने वाला चौथा देश बन गया है।
देवियो और सज्जनो,
8. भारत ने विभिन्न अनुप्रयोगों में उपयोग के लिए पर्याप्त जमीनी प्रणालियों तथा यथास्थान निगरानी नेटवर्क के साथ एक सुव्यवस्थित आंतरिक अंतरिक्ष अवसंरचना की स्थापना कर ली है। ये अनुप्रयोग भारतीय समाज के सामाजिक,आर्थिक तथा सांस्कृतिक पहलुओं का समाधान करते हैं तथा विभिन्न स्तरों पर सुविचारित निर्णय लेने के लिए सूचना उपलब्ध कराते हैं। इसरो के जनान्मुख अंतरिक्ष कार्यक्रम भोजन एवं जल सुरक्षा,सतत् पर्यावरणीय परिपाटियों, संसाधनों के संरक्षण, आजीविका समर्थन,गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण समृद्धि,शिक्षा तथा स्वास्थ्य देखभाल और आपदा प्रबंधन जैसी विभिन्न राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में सहयोग देने के लिए तैयार किए गए हैं।
9. मैं इसरो के कुछ ऐसे प्रयासों पर प्रकाश डालना चाहूंगा जिनके परिणामस्वरूप गांधी जी के लक्ष्यों को सार्थक करते हुए समाज में महत्त्वपूर्ण बदलाव आए।
ग्रामीण शिक्षा और स्वास्थ्य
1975 में प्रक्षेपित इसरो का उपग्रह अनुदेश टेलीविजन प्रयोग (साइट) ग्रामीण जनता को शिक्षित करने के उद्देश्य से कृषि कार्यों,पेशेवर कौशल, सामान्य स्वास्थ्य तथा स्वच्छता,परिवार नियोजन आदि से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर ग्रामीण भारत के लिए अनौपचारिक टेलीविजन कार्यकमों का निर्माण करने में अग्रणी था। साइट के प्रसारण का भारतीय गांवों पर भारी असर पड़ा तथा इसने देश की सामाजिक आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्नत उपग्रह प्रसारण प्रौद्योगिकी के प्रयोग का मार्ग प्रशस्त किया। हमारे उपग्रह आधारित नेटवर्क आज शिक्षा,स्वास्थ्य सेवा तथा ग्रामीण संबद्धता को देश के सुदूर इलाकों तक पहुंचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
10. अपदा प्रबंधन
व्यापक रूप से अलग-अलग भौगोलिक पर्यावरणीय परिस्थितियों के चलते भारत सदैव बाढ़,भूकंप तथा चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त रहा है। इसरो के भू-निगरानी,मौसम विज्ञान तथा संचार उपग्रह देश के आपदा प्रबंधन परिवेश के प्रमुख घटक हैं। मौसम विज्ञान उपग्रह व्यापक रूप से मौसम घटनाक्रमों पर नजर रखने तथा चक्रवात की उत्पत्ति,उसका मार्ग तथा भूपतन संबंधी पूर्वानुमानों सहित मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इससे जान और माल की क्षति को कम करने में सहायता मिलती है। उपग्रह की तस्वीरों द्वारा बनाए गए मूल्य संवर्धित उत्पादों से तैयारी,अग्रिम चेतावनी, प्रत्युत्तर,राहत, पुनर्वास,वापसी तथा न्यूनीकरण जैसे सभी चरणों में काम आने वाली सूचनाओं की जरूरत पूरी होती है।
11. मछुआरों की आजीविका में सुधार
भारत की 7500 कि.मी. लम्बी तटरेखा पर रहने वाले लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए मछली पकड़ने पर निर्भर है। जैसे-जैसे मछलियां कम होती हैं तथा वह समुद्र में अंदर की ओर बढ़ती हैं वैसे-वैसे मछुआरों का ढूंढ़ने में लगने वाला समय, लागत तथा प्रयासों में बढ़ोतरी होती है। मछुआरा समुदाय को उपग्रह आधारित मत्स्य क्षेत्र परामर्श रोजाना स्थानीय भाषाओं में जारी किए जाते हैं जिससे अधिक मछली पकड़ी जाती है,ढूंढ़ने के समय में कमी आती है तथा परिणामस्वरूप ईंधन की लागत में कमी आती है जिससे हमारे मछुआरों की खुशहाली तथा जीवन स्तर में सुधार आता है।
12. संसाधनों का संरक्षण
महात्मा गांधी ने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और हमारे पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में कहा था, ‘‘यह पृथ्वी,वायु, भूमि तथा जल हमारे पुरखों से प्राप्त विरासत नहीं है बल्कि यह हमारी भावी पीढ़ियों से लिया गया ऋण है। इसलिए हमें इसे कम से कम उसी रूप में सौंपना है जैसा वह हमें सौंपा गया था’’। अंतरिक्ष अनुप्रयोगों को देश में एकीकृत जलागम विकास, मृदा तथा जल संसाधनों के संरक्षण तथा पर्यावरण की रक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुकूलित किया गया है। उन्होंने वर्षा सिंचित क्षेत्रों में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए विकास योजनाओं को तैयार करने में सहायता दी है जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण समृद्धि में सुधार आया है। दूर संवेदी तस्वीरों का उपयोग करके सूक्ष्म जलागम स्तर पर तैयार की गई विकास योजनाओं के फलस्वरूप फसल की सघनता तथा फसल के उत्पादन में वृद्धि हुई है,परती भूमि घटी है, बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया गया है,सिंचित फसल में वृद्धि हुई है तथा आजीविका में सुधार आया है।
13. पंचायतों का सशक्तीकरण
महात्मा गांधी ने ऐसे लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण तथा पंचायती राज की वकालत की थी जहां हर गांव अपने क्रियाकलापों के लिए स्वयं जिम्मेदार हो। इसरो का‘विकेंद्रीकृत योजना हेतु अंतरिक्ष आधारित सूचना सहयोग’कार्यक्रम गांधी जी के ग्राम स्वराज्य अथवा ग्राम आधारित स्वशासन से प्रेरित है। इस कार्यक्रम के तहत पूरे देश के लिए प्राकृतिक संसाधनों के राज्यवार विषयवार आंकड़े तैयार किए जा रहे हैं। इन आकाशीय आंकड़ों का जब क्षेत्र स्तरीय सूचना तथा परंपरागत ज्ञान के साथ तालमेल होता है तो वे लोगों की सहभागिता के साथ भूमि तथा जल प्रबंधन के लिए विशिष्ट स्थान आधारित कार्य योजना बनाने में सहायक होते हैं।
14. धरोहर स्थलों का संरक्षण
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए धरोहर स्थलों और स्थल प्रबंधन योजनाओं का डाटोबेस नीति निर्माताओं को निगरानी तथा संरक्षण के बारे में सुविचारित निर्णय लेने तथा स्थल पर चल रही गतिविधियों की निगरानी के योग्य बनाता है। हम्पी विश्व धरोहर स्थल के लिए एक प्रायोगिक अध्ययन किया गया है। प्रत्येक स्मारक को होने वाले खतरे की जांच तथा पहचान करने के लिए अंतरिक्ष आधारित तथा उन पर्यावरणीय और मौसमी बदलावों का पता लगाने और उनमें कमी लाने के लिए प्रौद्योगिकी उपकरण तैयार करने की योजना बनाई गई है जो इन कमजोर स्मारकों पर हानिकारक प्रभाव डालते हों।
15. स्वदेशीकरण
आत्मनिर्भरता तथा स्वदेशी प्रौद्योगिकी का विकास इसरो की केंद्रीय नीति है और इस प्रयास में इसकी सफलता यानों,उपग्रहों, संचार,मौसम विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तथा अपेक्षित भू अवसंरचना की स्थापना में देखी जा सकती है।
देवियो और सज्जनो,
16. विज्ञान और प्रौद्योगिकी,राष्ट्रों तथा विश्व भर के लोगों के भविष्य को तय करने वाला प्रमुख कारक है। प्रौद्योगिकी का निर्माण व्यक्तियों से कहीं अधिक संगठनों द्वारा किया जाता है। नवान्वेषण की प्रेरणा देने तथा समाज के फायदे के लिए उनके उपयोग पर उनके नेतृत्व,उनके ढांचों तथा उनकी संस्कृति सहित संगठनों की विशेषताओं का बहुत प्रभाव पड़ता है। इसरो एक ऐसा ही संगठन है जिसने विश्व स्तरीय क्षमता को निर्मित किया है,उसे विकसित किया है तथा उसे दर्शाया है। पूरी दुनिया में अपना प्रभाव छोड़ने तथा सितारों तक पहुंचने की चाह होने के बावजूद यह महात्मा गांधी द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा आम आदमी के जीवन में सुधार के अपने प्रमुख मिशन पर अडिग रहा है।
17. मैं इसरो की टीम को देश के प्रति इसके समर्पण तथा इसके अथक और निरंतर सेवा के लिए नमन करता हूं। मैं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को प्रतिष्ठित गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने पर भारतीय अंतरिक्ष समुदाय के हर एक सदस्य को बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि इसरो और अधिक ऊंचाई की ओर बढ़ता रहेगा तथा आने वाले वर्षों में भारत का नाम रोशन करेगा।
धन्यवाद,
जय हिंद।