भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का हिब्रू विश्वविद्यालय में अभिभाषण
येरूशलम, इजराइल : 15.10.2015
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गवर्नर बोर्ड के अध्यक्ष, श्री माइकल फेडरमैन
हिब्रू विश्वविद्यालय, येरूशलम के अध्यक्ष,प्रो. मेनाहेम बेन सेसोन,
हिब्रू विश्वविद्यालय के रेक्टर,प्रो. एशर कोहेन,
हिब्रू विश्वविद्यालय, येरूशलम की सीनेट के माननीय सदस्यगण,
संकाय सदस्यो तथा
इस प्राचीन विश्वविद्यालय के शैक्षिक समुदायों के विशिष्ट सदस्यो,
देवियो और सज्जनो,
1. मुझे आज हिब्रू विश्वविद्यालय की यात्रा करने और आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हुई है। प्रथम भारतीय राष्ट्रपति के रूप में इजराइल की राजकीय यात्रा करना वास्तव में मेरे लिए अत्यंत सम्मान है। अपने आगमन के बाद से,इजराइल की जनता की हार्दिक और मैत्रीपूर्ण भावनाओं से अभिभूत हुआ हूं।
2. मैं, आज मुझे डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित करने के लिए हिब्रू विश्वविद्यालय का आभार प्रकट करता हूं।
3. मैं इस मैत्रीपूर्ण भावना को अत्यंत महत्वपूर्ण मानता हूं। इसलिए मैं भारत की जनता की ओर से भारत के राष्ट्रपति के रूप में डॉक्टरेट की उपाधि स्वीकार करता हूं। मुझे इजराइल के एक विशालतम अनुसंधान और शिक्षण संस्थान इस विश्वविख्यात विश्वविद्यालय से जुड़कर अत्यधिक प्रसन्नता हुई है। मैं इसको शानदार पुस्तकालयों तथा यहूदी विचार और संस्कृति पर प्रख्यात पांडुलिपि संग्रहण और प्राचीन प्रकाशन से अवगत हूं। मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मुझे यहां संरक्षित उनमें से कुछ को और एलबर्ट आइंस्टीन अभिलेखागार को देखने का अवसर मिलेगा।
मित्रो,
4. भारत इजराइल की जनता के साथ अपनी मैत्री और साझीदारी को अत्यंत महत्व देता है। हमारे संबंध दो हजार से अधिक वर्ष पुराने हैं। जैसा कि आपको विदित है भारत में175 ईसा पूर्व भारत आए यहूदी समुदाय के वंशजों की काफी बड़ी आबादी है। हमारे शिक्षा संस्थानों में इजराइल राष्ट्र की स्थापना से पहले एक विषय के रूप में हिब्रू पढ़ाई जाती रही है।
5. आधुनिक समय में हमारी दोनों जनता ने इस पुराने अपनत्व को स्वाभाविक रूप से पुन: जाग्रत किया है तथा उस सहयोग के पथ पर अग्रसर हुए हैं जो हमारे दोनों राष्ट्रों के बीच एक घनिष्ठ और बहुआयामी साझीदारी में विकसित हो चुके हैं।
6. प्राचीन इतिहास से युक्त युवा राष्ट्रों के रूप में,भारत और इजराइल दोनों ज्ञान संपन्न अर्थव्यवस्थाओं के तौर पर उन्नत और विकसित होना चाहते हैं। संबंधों के सामान्य होने के बीस वर्ष के बाद से हमने रक्षा,कृषि, साइबर सुरक्षा और उन्नत प्रौद्योगिकी के प्रमुख क्षेत्रों में घनिष्ठ साझीदारी निर्मित कर ली है।
7. मैं ऐसे मौके पर आया हूं जब भारत आधुनिकीकरण और आर्थिक विकास के नए युग के मुकाम पर है। हमारी सरकार ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा देने तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अनेक पहल की हैं। भारत में निर्माण तथा वित्तीय समावेशन की ‘जनधन योजना’हमारी सरकार द्वारा आरंभ की गई अनेक पहलों में से दो हैं।
8. भारत की अनेक प्रमुख क्षेत्रों में इजराइल के साथ बहुत सी पूरकताएं हैं। हम दोनों देशों के वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं के बीच साझीदारी की पूर्ण क्षमता को फलीभूत करने के प्रति उत्सुक है। हमारे दोनों देशों के बीच शैक्षिक समुदायों के लाभ के लिए बहुत कार्य करना होगा। समकक्ष विश्वविद्यालयों के साथ साझे हित के क्षेत्रों में संभावित सहयोग की तलाश करने और कार्यान्वित करने के लिए उत्कुष्ट भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रख्यात कुलपति इस यात्रा पर मेरे साथ आए हैं। उन्हें भारत और इजराइल के उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच परस्पर लाभकारी शैक्षिक आदान-प्रदान,सहयोगात्मक अनुसंधान और विचारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की उम्मीद है। भारत प्रतिवर्ष लगभग40,0000इंजीनियरों को प्रशिक्षित करता है। इजराइल ने अपनी ओर से अनुसंधान और तकनीकी नवान्वेषण के क्षेत्र में स्वयं को साबित किया है। भारत अपने डिजीटल भारत कार्यक्रम तथा भारत के स्मार्ट शहरों और आदर्श गांवों के निर्माण में इजराइल की भागीदारी चाहता है। इजराइली वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं के विचार और नवान्वेषण भारत सरकार के इन अग्रणी कार्यक्रमों के लक्ष्य प्राप्त करने में अत्यंत मददगार हो सकते हैं। मैं भारत के कायाकल्प में भागीदारी के लिए आप सभी को आमंत्रित करता हूं।
9. आपमें से कई ने भारत की यात्रा की होगी और आप में से कुछ यात्रा करने के बारे में विचार कर रहे होंगे। यात्रा अपने आप में एक शैक्षिक और समृद्ध अनुभव है। हमारी सरकार ने इजराइल को उन कुछ देशों में से चुना है जिन्हें ई-पर्यटक वीजा सुविधा प्रदान की गई है। हम मानते हैं कि अनेक स्तर पर आदान-प्रदान बढ़ने से हमारी जनता के बीच परस्पर सद्भावना घनिष्ठ होगी। कल नेसेट में मैंने हमारे निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच नियमित आदान-प्रदान को संस्थागत बनाने के महत्व पर बल दिया। मेरे साथ माननीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, श्री थावर चंद गहलोत और भारतीय संसद के माननीय सदस्यों का एक बहुदलीय शिष्टमंडल साथ आया है। वे मेरे साथ मिलकर आपको भारत की यात्रा और जनता के बीच मैत्री को मजबूत बनाने के लिए आपको आमंत्रित कर रहे हैं।
10. इजराइल में मेरे आगमन के बाद से,मुझसे अकसर पूछा गया है कि भारत किस प्रकार अपनी विशाल विविधता के होते इस विशालतम सक्रिय लोकतंत्र को संभाल रहा है। हम इस विविधता में एकता को देखते हैं। भारत 1.3 बिलियन लोगों, 122भाषाओं, 1600 बोलियों, 7पंथों तथा सभी तीन प्रमुख नस्लीय समूह काकेशियाई,द्रविड़ और मंगोल का प्रमुख व्याप्ति वाला एक जटिल देश है। जैसा कि मैंने प्राय: कहा है,इसकी शक्ति, प्रत्यक्ष विरोधाभासों को रचनात्मक सहमतियों के साथ मिलाने की अपनी अनोखी क्षमता में निहित है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में यह एक ऐसा देश है जो मजबूत परंतु अदृश्य धागों से एक सूत्र में बंधा हुआ है तथा ‘‘उसके ईर्द-गिर्द एक प्राचीन गाथा की मायावी विशेषता व्याप्त है;मानो कोई सम्मोहन उसके मस्तिष्क को वशीभूत किए हुए हो। वह एक मिथक है और एक विचार है,एक सपना है और एक परिकल्पना है,परंतु साथ ही वह एकदम वास्तविक,साकार तथा सर्वव्यापी है।’’
राष्ट्रपति महोदय, मैं इन्हीं शब्दों के साथ एक बार पुन: आपका धन्यवाद करता हूं।