भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा ऊर्जा-उत्सव ‘उमंग 2015’ के उद्घाटन के अवसर पर अभिभाषण

डॉ. राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय, राष्ट्रपति एस्टेट : 11.12.2015

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spIमुझे यहां ऊर्जा-उत्सव ‘उमंग2015’में आपके बीच इस ऊर्जात्मक और उत्साहित वातावरण,जो कि आपके बढ़-चढ़कर भागीदारी द्वारा तैयार किया गया है,आने में खुशी है। सर्वप्रथम मैं, दिल्ली के शिक्षा विभाग, टाटा कंपनी समूह और राष्ट्रपति सचिवालय के इस नवोन्मेष कार्यक्रम के लिए प्रशंसा करता हूं।

ऊर्जा उत्सव ‘उमंग2015’ का विषय ‘‘नई जिन्दगी की उमंग,स्वच्छ ऊर्जा के संग’’—बड़ा सामयिक विषय है,विशेषकर, इससे पहले कि औद्योगिक दिनों से पूर्व की गर्मी से विश्व2 डिग्री और अधिक गर्म हो जाए,पूरा विश्व वैश्विक गर्मी को रोकने के लिए परेशान है। आवास पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने के लिए यह वास्तव में बड़ी चुनौती है। ऊर्जा पैरिस जलवायु सम्मेलन, 2015में विश्व के सभी देशों के नेताओं ने कार्बन प्रसारण की कटौती करने और सतत् ऊर्जा द्वारा दीर्घ जीविका की ओर बढ़ने के लिए भाग लिया। प्रसारण का35 प्रतिशत है,तदनन्तर औद्येगिक उत्पादन 18 प्रतिशत, कृषि14प्रतिशत, परिवहन14 प्रतिशत,गैर-वानिकी 10 प्रतिशत,निर्माण 10 प्रतिशत अपशिष्ट और जल उपस्कर6 प्रतिशत है। आज का कार्यक्रम ग्रीन-हाऊस गैस प्रसारण के अत्यधिक महत्त्वपूर्ण घटक को पूरा करता है जो कि ऊर्जा उत्पादन है। स्वदेशी तौर पर,यदि हम भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के उपयोग से अधिकतम संभव सीमा तक स्वच्छ ऊर्जा अपना सकते हैं,जो 8,89,508 मेघा वाट है,तो यह हमारे ‘स्वच्छ और हरित’भूभाग के लिए एकमात्र योगदान होगा।

ऊर्जा उपयोग समाज के विकास परिशिष्ट को मापने के लिए महत्त्वपूर्ण पैरामीटरों में से एक है। स्वतंत्रता से लेकर अब तक भारत में तीव्र विकास के बावजूद,भारत लगातार निम्न प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपभोक्ता देश रहा है। यह प्रथमतया इसलिए है कि स्थापित क्षमता और विद्युत की उपलब्धता समाज की ऊर्जा मांग को पूरा नहीं कर पा रही है और दूसरे,हमारी ऊर्जा पारिस्थितिक प्रणाली प्रसारण में और वितरण प्रणाली में क्षति होने से और देश में कम क्षमता के उपस्कर के उपयोग के कारण भी अपर्याप्त समझी जाती है।

भारत विश्व की आबादी के 17 प्रतिशत को सहायता पहुंचाता है। परन्तु इसका ऊर्जा और विद्युत उपभोग विश्व के उपभोग का केवल लगभग5 प्रतिशत है। इसका प्रति व्यक्ति ऊर्जा और विद्युत उपभोग विश्व के औसत का एक तिहाई से कम है। आगामी दो दशकों में8 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर बनाए रखने के लिए,भारत को अपनी प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति को इसके मौजूदा उपभोग से3 से 4गुना और विद्युत आपूर्ति को 5 से 7 गुना बढ़ाना होगा। इसलिए,एक देश के रूप में हमारी विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने की हमारी बड़ी जिम्मेदारी है और साथ ही यह सुनिश्चित करने की भी कि हम स्वच्छ ऊर्जा के प्रति संकल्पशील रहें। प्रत्येक व्यक्ति के योगदान से हम इस कार्य को पूरा कर सकते हैं,जो कठिन तो है पर असंभव प्रतीत नहीं होता।

प्राकृतिक पारिस्थितिक प्रणाली के वर्चस्व के लिए जलवायु परिवर्तन को अब अत्यंत महत्त्वपूर्ण मामलों में से एक समझा जाता है और आंतरिक रूप से सतत् विद्यमान मानव सभ्यता से संबद्ध भी किया जाता है,ऊर्जा और पर्यावरण अंतर्बद्ध हैं और साथ ही समाज और सभ्यता के लिए इनका संतुलित सह-अस्तित्व अनिवार्य है। भारत में परंपरागत रूप से अवशिष्ट ईंधन युक्त ऊर्जा अर्थव्यवस्था रही है। भविष्य में प्रथा हमारे द्वारा सौर्य ऊर्जा और वायु ऊर्जा पर जोर दिए जाने से परिवर्तित होने वाली है। इस संदर्भ में, यह ऊर्जा-उत्सव ‘उमंग-2015’ऊर्जा अग्रदूत के रूप में हमारे भावी नागरिकों को शिक्षित करने में एक सराहनीय पहल है और इसे पूरे विश्व में दोहराया जाना चाहिए। आज,पूरा विश्व अंतर-संबद्ध है और हम विश्व ग्राम के नागरिक हैं। विश्व के कोने में जो घटता है,उसका प्रभाव दूसरे भाग के नागरिक पर पड़ता है। संवाद की अंतरसंबद्धता और इंटरनेट ऊर्जा ग्रिड द्वारा पूरे विश्व को जोड़ने की संभावना प्रदान करता है ताकि प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग,समय सीमा और लोगों की आदतों का पूरा उपयोग हो सके और हमें ‘ऊर्जा न्याय’पर आधारित ऐसा विश्व तैयार करने के लिए नए रास्ते और उपाय खोजने की आवश्यकता है।

देवियो और सज्जनो,

हमें याद रखना चाहिए कि हम एक बच्चे को ऊर्जा से संबंधित मामलों के लिए शिक्षित कर रहे हैं,उसके बाद हम 4 से5 लोगों के पूरे परिवार को शिक्षित कर रहे हैं। मैं इस विषय को चुनने वाले आयोजकों को बधाई देता हूं। स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक प्रयास के रूप में ऊर्जा शिक्षा पर स्मार्ट फोन एप‘सजग’ जो आज लांच हुआ है, हमारी युवा पीढ़ी को सशक्त बनाने की एक अभूतपूर्व पहल है। यह मातृ प्रकृति के प्रति संबंधित होने की भावना भरने और पारिस्थितिक प्रणाली को संरक्षित,पोषित करने और उसकी देखभाल करने के प्रति वचनबद्धता के लिए एक ठोस मार्ग है। एक महत्त्वपूर्ण निर्णायक तरीके के रूप में,यह एप, जो युवा व्यक्तियों को उनके प्रयासों को मापने के योग्य बनाता है,निश्चित ही, एक वास्तविक सशक्त पीढ़ी को जन्म देगा। बचाई गई ऊर्जा की प्रत्येक यूनिट ऊर्जा पैदा करना है। इस सीमा तक,यह पहल शिक्षा और सशक्तीकरण द्वारा देश में क्षमता निर्माण के संवर्धन में सहायता पहुंचाएगा।

आज मैं यह देखकर खुश हूं कि यह स्कूल टाटा पावर सोलर सिस्टम लि. की पहल से‘हरित’हो गया है। अब इस स्कूल की ऊर्जा की आवश्यकता पूर्ति सौर्य विद्युत से होगी। मैं चाहूंगा कि भविष्य में और भी अधिक सरकारी स्कूल‘सौर्य विद्युत से हरित’हों और देश में स्वच्छता अभियान में योगदान दें। मैं आशा करता हूं कि दिल्ली सरकार का शिक्षा विभाग इसे आगे बढ़ाने की पहल करे और दिल्ली को एक स्वच्छ और हरित शहर बनाए।

देवियो और सज्जनो,

आज की प्रदर्शनी में, मैंने ऊर्जा से संबंधित युवा व्यक्तियों द्वारा अनेक नई अवधारणाएं देखी हैं। इन युवाओं के दिमाग से उत्पन्न अवधारणाओं और विचारों के प्रयोग से इस स्कूल में‘ऊर्जा क्लब’की स्थापना से देश में ऊर्जा अभियान में एक परिवर्तन होगा। मुझे उम्मीद है कि ऊर्जा क्लब के महत्त्व और सकारात्मक परिणाम देश के ऊर्जा परिदृश्य को वास्तविक चमक प्रदान करेंगे और निकट भविष्य में भारत निश्चित रूप से ऊर्जा सुरक्षा की उपलब्धि में एक कदम आगे बढ़ेगा।

मैं उन सभी विजेताओं को मुबारकबाद देना चाहूंगा जिन्होंने अपने नवीनतम विचारों,परियोजनाओं और कलाकृत्यों का प्रदर्शन किया है। मुझे विश्वास है कि इससे अनेक भागों को इससे बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी और वे स्वच्छ ऊर्जा अभियान में योगदान दे सकेंगे। मैं ऊर्जा के अति प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण मामले को निपटाने और राष्ट्रपति सविलय को सहायता देने के लिए टाटा समूह के वरिष्ठ प्रबंधन की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

ऊर्जा उत्सव ‘उमंग-2015’और सभी भागीदारों को मेरी शुभकामनाएं।

धन्यवाद।

 

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