भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा सीनेट के अध्यक्ष और बेल्जियम संसद की प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष द्वारा आयोजित मध्याह्न भोज के अवसर पर समापन अभिभाषण
ब्रुसेल्स, बेल्जियम : 03.10.2013
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महामहिमगण, विशिष्ट अतिथिगण,
आरंभ में मुझे और मेरे शिष्टमंडल के गर्मजोशी भरे स्वागत और आतिथ्य के लिए, मैं अपना गहरा आभार प्रकट करता हूं। बेल्जियम संसद में उपस्थित विशिष्ट सभा को संबोधित करना एक विशेष सम्मान और गौरव की बात है। अपनी स्थापना के 180 से अधिक वर्षों के दौरान इस संसद ने बेल्जियम के लोकतांत्रिक ढांचे को सुदृढ़ बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
भारत बेल्जियम के लिए अपरिचित नहीं है। हमारे संबंध अठारहवीं शताब्दी की शुरुआत से हैं, जब बेल्जियम के व्यापारियों ने ओस्टेंड कंपनी के ध्वज तले पूर्व और दक्षिण भारत में बस्तियां स्थापित की थी। यह कहा जाता है कि बेल्जियम के झाड़फानूस, दर्पण और क्रिस्टल का सामान भारत के महलों और प्राचीन प्रार्थनाघर जैसे स्थानों में पाए जाते थे। हम भारतीयों के लिए बेल्जियम का कांच संपूर्णता, सौंदर्य, और उत्कृष्टता का पर्याय है। हमारे लोगों का रक्त बेल्जियाई मिट्टी में मिला हुआ है। प्रथम विश्व युद्ध में, एक लाख तीस हजार से ज्यादा भारतीय सैनिक बेल्जियम और उत्तरी फ्रांस के युद्ध क्षेत्रों में लड़े और आठ हजार पांच सौ से ज्यादा ने अपना जीवन पर बलिदान कर दिया। वेस्ट फलैंडर्स के कब्रिस्तान में इन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अपर्ति की जाती है, जिनमें से बहुतों के नाम लेपर के मेनिन गेट की शिलाओं पर अंकित हैं।
आज भारत और बेल्जियम दो जीवंत लोकतंत्र हैं जिनके समान आदर्श और सिद्धांत हैं। लोकतंत्र, विधि का शासन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वतंत्र न्यायपालिका, मुक्त प्रेस तथा मानव अधिकारों की रक्षा ऐसे आधारभूत मूल्य हैं जिनसे दोनों समाज जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त, भारत और बेल्जियम दो बहुसांस्कृतिक समाज हैं और हमारा संघीय ढांचा विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों के अधिकारों और स्वतंत्रता का सम्मान करता है और उन्हें प्रोत्साहन देता है। हमारे ऐतिहासिक संबंध और हमारे साझे मूल्य हमारे रिश्तों को एक सुदृढ़ आधार प्रदान करते हैं।
मुझे खुशी है कि हमारे देश अपनी साझीदारी को विस्तृत और गहन बना रहे हैं। बेल्जियम, इस समय यूरोपीय संघ में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझीदार है। वैश्विक संकट के बावजूद, हमारा द्विपक्षीय व्यापार 2007-2012 के बीच चालीस प्रतिशत से अधिक बढ़ गया। भारत में बेल्जियम के निवेश से अधिक बेल्जियम में भारतीय निवेश से पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमारी निवेश मात्रा में निरंतर वृद्धि हुई है। मुझे उम्मीद है कि बेल्जियम की कंपनियां हमारी विकसित हो रही अर्थव्यवस्था से लाभ उठाने पर सक्रिय रूप से विचार करेंगी। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि बेल्जियम का भारतीय समुदाय, बेल्जियम की अर्थव्यवस्था में योगदान कर रहा है।
वित्तीय और सेवा क्षेत्र, रचनात्मक उद्योग, डिजीटल अर्थव्यवस्था तथा अनुसंधान और विकास में बेल्जियम की विशेषता सुविकसित और सुविख्यात है। संस्कृति और शिक्षा ऐसे दो नैसर्गिक क्षेत्र हैं जिनमें घनिष्ठ सहयोग से हमारे देशवासी लाभान्वित हो सकते हैं। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस यात्रा के दौरान हमारी शैक्षिक संस्थाओं के बीच कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए हैं। मैं, इस खूबसूरत देश में भारतीय सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित करने में, बेल्जियम के लोगों के गहरी दिलचस्पी और बेल्जियम की सरकार के सहयोग की अत्यंत सराहना करता हूं।
मैं, कल बेल्जियम के महामहिम नरेश के साथ यूरोपालिया-भारत महोत्सव का उद्घाटन करूंगा। यह महोत्सव अपने विभिन्न आयामों के साथ भारत की समृद्ध और विविधतापूर्ण संस्कृति का प्रदर्शन करेगा। मुझे विश्वास है कि बेल्जियम के लोग इन सांस्कृतिक आयोजनों का आनंद उठाएंगे।
भारत, आज इतिहास के एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है। इसके युवाओं की असीम ऊर्जा और सर्जनात्मकता ने भारत को अभूतपूर्व अवसर प्रदान किए हैं। भारत एक प्राचीन सभ्यता है परंतु एक युवा राष्ट्र भी है। भारत के 1.2 बिलियन लोगों में से लगभग 400 मिलियन लोग एक से चौदह वर्ष के बीच हैं। 2030 तक, हमारे पास सात सौ मिलियन लोगों का ऊर्जस्वी कार्यबल होगा जिनकी औसत आयु पैंतीस वर्ष होगी। यह विश्व के कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा होगा। हमें, अपने लोगों की आर्थिक समृद्धि और प्रगति के लिए बेल्जियम जैसे अपने मित्रों के जरिए इन अवसरों से लाभ उठाने की उम्मीद है।
महामहिमगण, देवियो और सज्जनो, आइए, हम सब मिलकर:
- महाराजा किंग फिलिप और महामान्या महारानी मैथिल्डे के स्वास्थ्य,
- सीनेट और प्रतिनिधि सभा के माननीय अध्यक्षों तथा माननीय सांसदों के स्वास्थ्य,
- बेल्जियम की मैत्रीपूर्ण जनता की प्रगति और समृद्धि, तथा,
- भारत और बेल्जियम के बीच मैत्री और सहयोग की कामना करें।